और अनुराग की बात सुनकर सुनीता को लगा कि वह प्यार में बुरी तरह ठगी गयी है।अनुराग ने उससे शादी करने से साफ इंकार कर दिया था।उससे अनुराग ने बेवफाई की थी। लेकिन दोषी तो वो भी थी।उसने अनुराग के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और उससे सम्बन्ध तोड़ लिये।
सुनीता के दिन चढ़ गए थे।वह गर्भवती थी।वह कुंवारी थी और उसके गर्भ में अनुराग का अंश था।वह अपने गर्भवती होने की बात अपनी माँ से कब तक छुपा सकती थी।एक दिन उसने रोते हुए माँ को सब कुछ बता दिया।बेटी की बात सुनकर मा सत्र रह गयी।उसकी कुछ समझ मे नही आया।क्या करे?और काफी सोच विचार के बाद बदनामी के डर से एक दाई का सहारा लिया।दाई ने गर्भ तो गिरा दिया पर उसका गर्भाशय क्षतिग्रस्त हो गया था।
ऐसे मामलों में जैसा अन्य लड़कियों के साथ होता है,वैसा ही सुनीता के साथ हुआ।उसका कालेज जाना बंद करा दिया गया।और उसके लिए रिश्ते की तलाश शुरू कर दी गयी।और काफी भागदौड़ के बाद में उसके लिए रिश्ता मिल ही गया।रिश्ता मिलते ही चट मंगनी और पट ब्याह।वह राजन की पत्नी बनकर ससुराल चली गयी।
विदा करते समय माँ ने बेटी को समझाया था,"अगर पति की नजरों में गिरना नही है और सुखी वैवाहिक जीवन जीना है तो पति से शादी पूर्व प्रेम प्रसंग का जिक्र भूलकर भी मत करना।"
सुनीता ने मा की सिख को गांठ बांध लिया।उसने शादी पूर्व वैवाहिक सम्बन्ध की बात को कभी होठो पर नही आने दिया।उसने भूल से भी पति से इसका जिक्र कभी नही किया।
सुनीता का पति राजन हंसमुख स्वभाव का जिंदा दिल इंसान था।राजन जैसे शरीफ और नेकदिल पति को पाकर वह बेहद खुश थी।शादी के बाद हर पति की इच्छा होती है कि वह पिता बने।जब शादी के दो साल बाद भी सुनीता जे पैर भारी नही हुए तब सास बोली थी,"राजन बहु से अभी तक कोई उम्मीद नही बंधी है।तू बहु को डॉक्टर के पास ले जा।उसका चेकअप करा लें।"
सास की बात सुनकर सुनीता मन ही मन घबरा गई थी।अगर डॉक्टर ने यह रहस्य उजागर कर दिया तो"
लेकिन इस मुशिबत से ऊपर वाले ने बचा लिया था।माँ की बात सुनकर राजन बोला,"माँ इतनी जल्दी क्या है।अभी तो हम ही बच्चे है।अभी कौन सी उम्र निकली जा रही है।बच्चे भी हो जाएंगे।"
चाहे पति ने बात टाल दी हो।उससे कभी जिक्र न किया हो।लेकिन औरत पूर्ण तो माँ बनकर ही कहलाती है।हर औरत की तरह वह भी मा बनना चाहती थी।पर उसे दुख था।वह मा नही बन सकती थी।ईश्वर ने तो उसे मा बनने की पूर्ण क्षमता दी थी।पर उसकी नादानी की वजह से यह क्षमता उसके पास नही रही थी।
शायद आज भी सुनीता अपने सीने में छिपे राज को राज ही रहने देती।न जाने कब तक वह इसे दबाए रहती।उसके वैवाहिक जीवन के पांच साल गुजर चुके थे।आज अगर ऐसी परिस्थिति न आती तो शायद आज भी वह पांच साल बाद पति के सामने अपने शादी पूर्व प्रेम प्रसंग का राज न खोलती।कब तक न खोलती इसे सुनीता भी नही जानती थी।शायद यह राज खोलना पड़ता या हो सकता है ना भी खोलना पड़ता।कौन जाने