Ek Ruh ki Aatmkatha - 53 in Hindi Human Science by Ranjana Jaiswal books and stories PDF | एक रूह की आत्मकथा - 53

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एक रूह की आत्मकथा - 53

अमृता के चले जाने के बाद अमन उदास हो गया।उसके दिमाग में अमृता का एक ही शब्द गूंज रहा था जो उसने उससे फिर मिलने के सम्बंध में कहा था-'शायद'।क्या वह उससे अभी तक ख़फ़ा है?या फिर उसके 'किस' कर लेने पर बुरा मान गई है।उसने किसी गलत उद्देश्य से उसे किस नहीं किया था।वह तो उसे बस इतना संकेत देना चाहता था कि वही उसकी बैलेंटाइन है। वह उससे बहुत प्यार करता है।और उसके साथ पूरी जिंदगी गुजारना चाहता है।अमृता के गुलाबी होंठों का पहला चुम्बन उसके तन- मन को उद्वेलित कर गया है।उसका पूरा शरीर झनझना रहा है।अजीब- अजीब से ख़्याल उसके मन -मस्तिष्क को झकझोर रहे हैं।उसका जी चाह रहा है कि अमृता को अपनी बाहों में भरकर खूब प्यार करे। उसे अपनी आँखों से एक पल के लिए भी ओझल न होने दे। सचमुच वह प्यार में है।क्या अमृता भी उसके प्यार में है?जरूर है तभी तो उसके बुलाने पर आ गई।किस करने पर संकुचित तो हुई पर नाराज़ नहीं।क्या वह भी उसके बारे में उसी तरह सोचती है जैसा वह सोचता है?वह खुलकर बात भी तो नहीं करती।उसने कभी उसे 'आई लव यू' तक नहीं कहा है।वह आजकल की मॉर्डन लड़की होते हुए भी बहुत ही संस्कारी है।जब वह दूसरी लड़कियों से उसकी तुलना करता है तो वह सबसे अलग ही नजर आती है।आजकल तो लड़के लड़कियों में दोस्ती होते ही हग,किस यहां तक कि सेक्स भी शुरू हो जाता है।प्यार तो बाद की चीज है।आजकल सेक्स का हौवा किसी को नहीं है।अपने पसंद के साथी के साथ लड़के लड़की दोनों सारी सीमाएं तोड़ देते हैं।नैतिकता का डंडा उनके सिर पर नहीं लटका रहता।वर्जिनिटी गए जमाने की चीज मानी जाती है।आज की युवा पीढ़ी नयी उम्र के रोमांच को जीने में विश्वास रखती है।उसे भी इन सबमें कोई बुराई नहीं लगती,पर अमृता अभी तक पुरानी सदी की नैतिकता में विश्वास करती है।उसके लिए शादी से पहले सेक्स पाप है।वह अभी तक वर्जिन है। वह सोचता है कि शादी में तो अभी जाने कितने वर्ष लगेंगे तब तक क्या वे दोनों यूँ ही दूर -दूर रहेंगे?
कोई नहीं,वह धीरे -धीरे अमृता को अपनी पटरी पर उतार लेगा।उसे भी अपने रंग में रंग देगा।
उधर अपने बेडरूम में अमृता भी जग रही थी।अमन के स्पशों ने उसकी देह में जैसे कोई लावा भर दिया हो।उसके होंठों का दबाव वह अपने होंठों पर अब भी महसूस कर रही है।पहला चुम्बन कितना अनोखा अहसास है।कितना रोमांचक, कितना नशीला ,कितना मीठा।उसे कितना... कितना तो अच्छा लगा था वह चुम्बन।हालांकि उसने बुरा मानने का अभिनय किया पर सच तो यह है कि उसे बहुत अच्छा लगा था अमन का अचानक यूँ चूम लेना।उसका भी दिल किया था कि वह भी उसे उसी तरह चूम ले और चूमती ही जाए पर उसके भीतर की संस्कारी लड़की ने उसे रोक दिया।वह इसीलिए जल्दी घर लौट आई कि पार्टी के रोमांटिक वातावरण और अमन के साथ ने उसकी देह को रोमांचित कर दिया था।वह ज्यादा देर रूकती तो शायद खुद पर नियंत्रण खो देती।
नई उम्र ,नई देह की अपनी नई -नई चाहतें होती हैं।उसने अपनी कई दोस्तों को इसी नयेपन के अनुभव के लिए अपनी वर्जिनिटी खोते हुए देखा है और बाद में पछताते हुए भी क्योंकि आजकल के लड़के एकनिष्ठता में विश्वास नहीं रखते।दोस्त बदलना उनकी आदत होती है।वे एक साथ कई -कई गर्लफ्रेंड घुमाते हैं।कुछ लड़कियाँ भी लगभग वैसा ही करती हैं।उनके भी कई -कई ब्वॉयफ्रेंड होते हैं।वे खुलकर नई उम्र को सेलिब्रेट करते हैं।खूब मौज -मजा करते हैं।सैर- सपाटे,पार्टियां यहां तक कि सिगरेट,शराब में भी उन्हें परहेज नहीं है।सेक्स का अनुभव भी इसी का हिस्सा है।
वे भूल जाते हैं कि यही नई उम्र उनके कैरियर बनाने का भी समय है।उन्हें अपनी पढ़ाई -लिखाई पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।बाकी मौज -मजे के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है।
नई उम्र में देह और मन में कई रसायनिक परिवर्तन होते हैं।हार्मोंसों में तब्दीली होती है।उस समय विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बहुत बढ़ जाता है।नवयुवा उस आकर्षण को प्यार समझ लेता है और प्यार को देह मिलन के सुख का जरिया।
इसी आवेग में युवा बहक जाते हैं।कुछ घर छोड़कर भाग जाते हैं या गलत संगत में पड़ जाते हैं,जबकि उन्हें देह में हो रहे परिवर्तनों तथा मन में उमड़ रहे आवेगों को समझने की जरूरत होती है।ऐसे समय में उनके अभिभावक मित्र बनकर उनकी मदद कर सकते हैं।वैसे भी बढ़ती उम्र के बच्चों के साथ ज़बरदस्ती नहीं की जा सकती।उन्हें दोस्त बनकर ही समझाया जा सकता है।हालांकि दोस्ती और लव के मामलों में कोई किसी की नहीं सुनता। आवेग की उमड़ती नदी पर बांध नहीं बांधी जा सकती।
अमन देर रात घर लौटा तो समर उसका इंतज़ार कर रहा था।अमन बिल्कुल उस पर पड़ा है ।वह अमन को वह गलतियां नहीं दुहराने देगा जो वह खुद कर चुका है।अमृता के ड्राइवर ने उसे बता दिया था कि उसके बेटे अमन की पार्टी में ही अमृता गई थी।ड्राईवर दोनों परिवार के सदस्यों को पहचानता था।अमन ने अमृता को पार्टी में जाने की इजाजत तो दे दी थी,पर ड्राइवर को एलर्ट कर दिया था कि वह होटल के बाहर ही रहेगा और अमृता पर नज़र रखेगा।
अमृता उसकी कामिनी की बेटी ही नहीं उसकी जिम्मेदारी भी है।वह उसके साथ कुछ भी बुरा होते नहीं देख सकता।
"पापा आप अभी तक सोए नहीं।डॉक्टर ने आपको जल्दी सो जाने की हिदायत दी है न।" अमन ने समर को जगा हुआ देखकर चिंता भरे स्वर में कहा।
"जब जवान बेटा इतनी रात तक बाहर रहेगा तो पापा कैसे सो सकेंगे!"
"ओह सॉरी पापा आज बैलेंटाइन पार्टी थी न,इसलिए दोस्तों ने नहीं छोड़ा।"
"कोई बैलेंटाइन भी है या तलाश जारी है।"
समर ने मुस्कुराकर पूछा
"नहीं पापा,कोई नहीं है।"समर ने नजरें झुकाकर कहा।उसका चेहरा लाल हो गया था।
"पापा से झूठ मत बोलो।पापा सब जानते हैं।"
समर अब गम्भीर था।
"क ..क्या जानते हैं प ..पापा"
अमन का चेहरा पीला पड़ गया।
"तुम आज अमृता से मिले थे!"
"क्या उसने बताया पापा!"
"नहीं ,पर मुझे पता चल गया था।"
"जी ...पापा मिला था।"
"क्यों?"
"वो मेरी दोस्त है स्कूल टाइम से ही।"
"सिर्फ दोस्त?"
"उससे थोड़ी ज्यादा पापा"
"उसे यहीं रोक दो।उसके आगे कोई रास्ता नहीं।"
"क्यों पापा,हम दोनों ही एक -दूसरे को पसंद करते हैं।"
"अभी तुम लोग बच्चे हो।आकर्षण को प्रेम समझने की भूल मत करो।"
"हम सीरियस हैं पापा"
"तुम्हें पता है जब यह बात बाहर जाएगी तो इसका क्या परिणाम होगा?लोग क्या कहेंगे?"
"हमें किसी की परवाह नहीं ।"
"पर मुझे तो है।अमृता मेरी जिम्मेदारी है।"
समर ने गम्भीरता से कहा।