Truth is yet to come out - 3 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | सच सामने आना अभी बाकी है - 3

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सच सामने आना अभी बाकी है - 3

सन 1857 की क्रांति के बारे में इतिहास के साथ धोखा हुआ है।और विश्व को सत्य से वंचित रखा गया।
ईस्ट इंडिया कम्पनी की सेना में भारतीय सैनिकों को सिपाही कहते थे।सन 1857 की क्रांति को अंग्रेजो ने सिपाहियों का विद्रोह कहकर और छोटी सी महत्वहीन घटना बताकर जिसे सफलतापूर्वक दबा दिया गया।यह कहकर इतिहास को धोखा दिया।
सन 1857 के विद्रोह को भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नाम विनायक दामोदर सावरकर ने दिया था।सन 1906 में वह 1857 के घटनाक्रम के गहन अध्ययन के लिए. लन्दन गए।उन्होंने 18 महीने , इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी"और,"बिटिश म्यूजियम लाइब्रेरी,"मे उपलब्ध1857 की. क्रांति के दसतावेजो पर गहन शोध करने के बाद,"1857 का स्वातंत्ररार समर"नाम केेऐतिहासििक ग्री ग्रन्थ की रचना की थी।यह दुनिया की पहली किताब थी जिसे प्रकाशन से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था।1909 में इस पुस्तक को गुप्त रूप से हॉलैंड से प्रकाशित करवाया गया।बाद में इसको अनेक भाषाओं में अनुदित कराकर वितरण किया गया।यह पुस्तक क्रांतिकारी यो की गीता बन गयी।
इस पुस्तक में अंग्र्रेजों की क्रूरता का सजीव चित्रण मिलता है।अंग्रेज जिसे सिपाही विद्रोह कहते थे।उसे भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उच्च पद पर प्रतिष्ठित किया गया।इस पुस्तक के माध्यम से सावरकर ने बताया कि यह एक ऐसा आंदोलन था जिससे अंग्रेजी साम्राज्य की जड़े हिल गयी।इस पुस्तक ने अंग्रेजो के कुकृत्य से पर्दा उठा दिया।इस पुस्तक के माध्यम से सावरकर ने अंग्रेजो के झूठ को बेनकाब कर दिया।
क्या 1857 का विद्रोह पहला विद्रोह था?
अंग्रेजी कम्पनी के भारत मे पैर पसारते ही उसके खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हो गयी थी।1857 से पहले अनेक विद्रोह हुए लेकिन उनमें भाग लेने वालों की संख्या कम थी।1763 से 1856 तक 47 से ज्यादा विद्रोह हुए थे,जिनमे से प्रमुख निम्न है--
1-1763 से 1800 के बीच बंगाल में सन्यासी विद्रोह
2-1766से1772
1795से1816 बंगाल बिहार में चुआर विद्रोह
3-1824से1828
1839से2849-------गुजरात मे कोलियों का विद्रोह
4--1766 से 1767 मिदनापुर विद्रोह
5--1769 से 1799 रंगपुर व जोरहाट के विद्रोह
6--1770 से 1800 रेशम कारीगरों का विद्रोह
7--1776 से 1789 चिटगांव व चकमा में हुए आदिवासी विद्रोह
8--1779 से 1800 केरल में कोट्टायम विद्रोह
9-- 1778 पहाड़िया सिरदार विद्रोह
10--1783 रंगपुर का किसान विद्रोह
11--1787 से 1799 सिलहट का विद्रोह
12--1788 खासी का विद्रोह
13-1789 भिवानी का विद्रोह
14--1794--विजयनारारयां विद्रोह
15--1788 से1789--चिटगांव व चकमा का आदिवासी विद्रोह
16--1824--कित्तूर में चेनम्मा का विद्रोह
17--1824--पश्चिम उतर प्रदेश और हरियाणा में सैनिक विद्रोह
18--1805--तिरुअनंतपुरम में दीवान बेलु तममी डलवा का विद्रोह
19--1814 से 1817 अलीगढ़ में तलकुकदारो का विद्रोह
20--1830 से 1831 मैसूर के किसानों का विद्रोह
21--1799--मिदनापुर में आदिवासियों का विद्रोह
22--1808 से 1809 त्रावणकोर का बेलुथम्बी विद्रोह
23--1806--बेल्लूर सिपाही विद्रोह
24--1795 से 1805 पलीगरो का विद्रोह
25--1800-1802 पलामू विद्रोह
26--1808-1812--बुंदेलखंड में मुखियाओं का विद्रोह
27--1817--1818--कटक--पूरी विद्रोह
28--1817--1831
1846-1852 खानदेश, धार, मालवा विद्रोह
29--1820--1837 छोटा नागपुर, पलामू, चाईबासा कोल विद्रोह
30--1824--बंगाल आर्मी बैरकपुर में प्लाटून विद्रोह
31--1824--गुजर विद्रोह
32--1829--1833 खासी। विद्रोह
33--1830--1861 बहाबी आंदोलन
34---1831--24 परगना में टीटू मीर आंदोलन
35--1830--1831--विशाखापत्तनम का किसान विद्रोह
36--1830--1833--संबलपुर का गौड़ विद्रोह
37--1844--सूरत का नमक आंदोलन
38--1848--नागपुर का विद्रोह
39--1849 -नागा आंदोलन
40--1852--हजारा में सैयद विद्रोह
41--1853--रावलपिंडी में नादिर खान का विद्रोह
42--1809--1828 गुजरात का भील विद्रोह
43--1855-1856--संथाल। विद्रोह
44--1834 मुंडा विद्रोह
1763 से 1856 यानी 1857 कि। क्रांति से पहले भी छोटे बड़े विद्रोह हुए थे लेकिन वे विद्रोह क्षेत्र विशेष तक सीमित थे और उनमें भाग लेने वालों की संख्या भी सीमित थी।1857 से पहले 40 से ज्यादा विद्रोह हुए थे।