जैसे ही पाखी सोफे से टकड़ा कर गिरने ही वाली होती है अरूण उसे अपने एक हाथ से थाम लेता है पाखी धीरे धीरे अपनी आंखें खोलती है गिरने के डर से पाखी ने अपनी आंखे बन्द कर ली थी। दोनों ही एक दुसरे को देख रहे होते है तभी अरूण की जेब में रखा उसका मोबाइल रिंग होता है अचानक ही फोन के रिंग होने से दोनों ही डिसबैलेंस होकर वही सोफे पर गिर जाते है।।।।। पाखी वही सोफे पर गिरी हुई थी तो वही ठिक अरूण भी पाखी के ऊपर था ऐसे अचानक गिरने की वजह से दोनों का ही सर टकरा जाता है,,,,,
अरूण अपने सर पर हाथ मलते हुए कहता है: तु....तुम एक स्टूपिड लड़की हो वो उसे घुरते हुए कहता है पाखी भी अपने माथे पर हाथ से सहलाते हुए कहती है : हम स्टूपिड है तो आप लंगूर है,,,,, अरूण जो अभी भी पाखी के उपर ही लेटा हुआ था गुस्से से कहता है : वॉट ?
पाखी : "हां " अब हटिए हमारे ऊपर से वो अरूण को अपने दोनों हाथो से धक्का देते हुए कहती है। अरूण : मैं गिरा भी तुम्हारी वजह से था पाखी के उपर से उठते हुए कहता है।
पाखी : हमने कहा था आपको आईए हम गिर रहे है हमे गिरने से बचाईए । खड़े होते हुए पाखी कहती है।।।।
अरूण : गुस्से से कहता है...फाईन! अब अगर मर भी रही होंगी न तुम तब भी तुम्हें नहीं बचाऊंगा। पाखी : अब बताइए हमे क्यों बुलाया था अपने ?
अरूण : दिमाग खराब हो गया था न मेरा इसलिए तुम्हें बुलाया ।
पाखी : अजीब तरह से अरूण को देखते हुए कहती है "क्या" ?
अरूण : घूरते हुए कहता है साइन कर दीया है फाईल पर अब जाओ और आगे का काम स्टार्ट करो । पाखी फाईल लेती है और बड़बड़ाते हुए कहती है हमे कोनसा शॉक है यहां खड़े रह कर आपसे लड़ने का।
अरूण : कुछ कहा तुमने ?
पाखी न में अपना सर हिलाती है और तेज कदमों से कैबिन के बाहर चली जाती है। अरूण : इस राजधानी एक्सप्रेस को कैसे झेलूंगा में एक महीने तक अपने माथे को एक हाथ से सहलाते हुए कहता है।
पाखी उठती है और टाईम देखती है उसकी छुट्टी होने का टाईम हो गया था तो वो अपने कैबिन की सभी चीजे सही से रखती है और चली जाती है,,,,
पाखी घर पहुंचती है तो देखती है काव्या पहले से ही घर पर थी काव्या जो डिनर बना रही थी किचन में पाखी को चाय ऑफर करती है,,,,, पाखी उसे मना करती हुईं कहती है : हम अभी फ्रेश होकर आते है फिर तुम्हारी हेल्प करते है कहती हुई पाखी कमरे में चली जाती है। अरूण अपने कैबिन में बैठा रोहित को सारी बाते बता रहा था..
रोहित चुप चाप अरूण की सारी बातें सुन रहा था... अरूण जैसे ही अपनी बात खत्म करता है रोहित हंसने लगता है रोहित को हसता हुआ देख अरूण उसे अपनी आंखों को छोटा करते हुए उसे घूरकर देखता।
रोहित अरूण को खुदको ऐसे देखता देख चुप हो जाता है।।।
रोहित : मैं तो बस उस दिन ऐसे ही मजाक कर रहा था पर वो तो सच में आ गई अब तु आगे क्या करेगा ? अरूण : बस ये एक महीना कैसे भी पुरा हो जाए फिर उसकी शक्ल भी नहीं देखूंगा कभी अरूण गुस्से से कहता है।
रोहित : अच्छा! कहीं ऐसा न हो हमेशा के लिए उसी की शक्ल देखनी पड़े । रोहित हस्ते हुए कहता है । रोहित : वैसे यार तुने बताया नहीं भाभी देखने में कैसी है रोहित शरारत भरी स्माइल के साथ कहता है,,,,,अरूण उसे देखते हुए कहता है : क्यों जानना है तुझे वो कैसी दिखती है राखी बंधवानी है तुझे उससे बहन बनाकर घर ले जायेगा अपने ?
रोहित: भाई मैं क्यों राखी बंधवाने लगा, मैं तो बस ऐसे ही पुछ रहा था ऑफ्टर ऑल भाभी है वो मेरी रोहित आंख मारते हुए कहता है अरूण को। अरूण रोहित के ऐसे परेशान करने से चिढ़ जाता है......
अरूण नीचे फ्लोर को देखते हुए कहता है अगर मैं उस दिन ऐसे अकेले बाहर नही जाता तो ये सब नहीं होता,,,,,
रोहित अरूण की बातो का जवाब देते हुए कहता है : भाई इसे ही कहते है किस्मत अब तेरी शादी ऐसे ही होनी थी तो हो गई कहते हुए मुस्कुराने लगता है । अरूण जो अभी भी रोहित को घुरे ही जा रहा था उससे कहता है: मैं नही मानता इस शादी को और न वो मानती है तभी रोहित कहता है तो फिर परेशानी क्या है मेरे भाई। प्रोब्लम तो तब होती न जब तुम दोनों में से कोई एक इस रिश्ते को निभाना चाहता । अरूण : हां, में सर हिलाता है ।
तभी रोहित सोचते हुए कहता है: वैसे मुझे तेरी शादी का टाईप समझ नहीं आ रहा।
अरूण : मैं कुछ समझा नहीं तु कहना क्या चाहता है?
रोहित : मैं ये कहना चाहता हू की अब तक मेने दो तरह की शादी देखी है और जहां तक मेरा ख्याल है, होती भी शादी दो तरह की ही है.. एक जिसमें लड़का लड़की अपनी पसंद से शादी करते है तो वो लव मैरिज हो गई। अरूण रोहित को अजीब नजरो से देखते हुए कहता है: हो गया तेरा । रोहित : नही अभी नही हुआ, कहते हुए आगे कहता है... अगर उस दिन तेरी कार के आगे वो लड़की नहीं आती तो तेरी शादी भी नहीं होती है ये शादी उस एक्सीडेंट के वजह से हुई है तो हुई न तेरी शादी एक्सीडेटनल मैरिज कहते हुए रोहित जोर जोर से हंसने लगता है , हा हा हा....... हा।
अरूण बस रोहित को मुंह बनाकर देखे ही जा रहा था । पाखी का घर......
पाखी और काव्या दोनों ही खाना खा रही थी साथ ही वो टॉम एंड जैरी भी देख रही थी। काव्या जो बहुत मजे से खाते हुए अपना फैवरेट शो देख रही थी तभी पाखी उससे पुछती है: काव्या तुम्हारी गुलाबो का क्या हुआ वो अभी तक ठिक नहीं हुई क्या ?
ये सुनते ही काव्या का स्माइली फेस गुस्से से भर जाता है और वो टीवी बन्द करके पाखी को देखने लगती है। पाखी काव्या को अपनी तरफ ऐसे देख उसे समझ नही आता उसने ऐसा क्या गलत कह दिया जो काव्या उसे ऐसे देख रही है। पाखी काव्या के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहती है ...... क्या हुआ काव्या तुम ठिक तो होना ? काव्या : हा हम ठिक है बस तुमने हमे एक बंदर की याद दिला दी कहते हुए काव्या किचन में चली जाती है
पाखी जो अभी भी काव्या की बातो को समझने की कोशिश कर रही थी काव्या से पुछती है...... ये बंदर कोन है ?
काव्या : ये वही बंदर है जिसकी वजह से हम अपनी गुलाबो से दूर है हमारी गुलाबो को अभी 2 दिन और लगेंगे ठिक होने में दो दिन बाद हम उसे ले आयेंगे । पाखी : ठिक है.. कहते हुए वो भी अपनी प्लेट किचन में रखने चली जाती है ।
काव्या वही खड़ी खुदसे ही कहती है बस एक बार वो हमारे सामने आ जाए उसे सच मुच का बंदर नहीं बना दिया न तो हमारा नाम भी काव्या सिंह नहीं । पाखी काव्या को ऐसे खुदसे ही बात करते देखती है तो उसे हसी आ जाती है वो हंसते हुए काव्या से कहती है क्या हो गया है तुम्हें तुम ऐसे ही खुदसे क्यों बाते कर रही हो ।
काव्या : तुम देखना पाखी बस वो बंदर एक बार दिख जाए हमे कहीं दिल्ली की सड़कों पर न दौड़ाया न हमने उसे तो हमारा नाम भी काव्या नहीं। पाखी : किस बंदर की बात कर रही हो तुम ?
काव्या : उसी बंदर की जिसने हमारी गुलाबो की ऐसी हालत की थी ।