रिया अपने कार के पास कार में बैठने लगी। सत्यम भी ऑटो लेने के लिए सड़क की ओर चलने लगा । तभी पीछे से आवाज़ आई । "ओये सुन" ये रिया की आवाज़ थी । सत्यम ने पीछे मुड़कर देखा और बोला: हाँ बोलो। यार पहली बार मिले इतने अच्छे दे बात किया अब अगले चार सालों तक साथ पढ़ना है तो एटलिस्ट बाय तो बोल दे । रिया ने कहा ।
अरे हाँ यार मैं ये तो भूल ही गया, अच्छा चलो बाय। फिर मिलते हैं कॉलेज में सत्यम ने कहा ।। और चलने के लिए पिछे की ओर मुड़ने लगा । ओके बाय, सी यू, मिलते हैं कहकर रिया भी कार की ओर रुख करने लगी । "बाय द वे नायस टू मीट टू यू" सत्यम ने वापस मुड़कर कहा । "ओह मी टू" रिया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया । फिर दोनो अपनी मंजिल की तरफ चलने लगे । सारी रास्ते भर रिया ना जाने किस ख्याल में खोई रही । सारे रास्ते सत्यम के चेहरे से भी हँसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी । वो भी सारे रास्ते हँसता-मुस्कराता, पिछले दो-ढाई घंटे को याद कर के खुश हो रहा था । उसके सुन्दर से होंठ, उसकी जुल्फें, उसकी भौंहे, उसके मुस्कराने के समय उसके कपाल पर उभरने वाली रेखा, आए हाय। क्या हसीन पल था जो उसने रिया के साथ बिताया था । ये सारी बातें उसके जेहन में मानो घर कर चुकी थी और वह इन्हीं बातों में खोया हुआ था । उधर रिया का भी मानो तो यही हाल था । उसके चेहरे की मुस्कराहट भी जाने का नाम नहीं ले रही थी । लड़का तो अच्छा था, बातचीत भी अच्छे से करता है, क्यूट भी है, स्माइल अच्छी है । ना जाने कितनी बातें उसके दिमाग में चल रही थी । खैर अभी तो चार साल हैं बहोत अच्छा होगा । जल्दी ही फिर से मिलूंगी उससे । सत्यम घर पहुंचते ही अपने बचपन के दोस्त प्रिंस को कॉल किया । जिसके साथ उसने गुल्ली-डंडे से लेकर बारहवीं तक का सफर तय किया था । हाँ बे सुन; यार आज ना कॉलेज में एक लड़की मिली थी बे ! एकदम परी जैसी लग रही थी । और पता है भाई उसकी इंग्लिश इतनी अच्छी थी, इतनी अच्छी थी । की बस क्या ही बताऊँ। भाई जब से कॉलेज से आया हूँ तब से वही दिमाग में छाई हुई है । बस यही सोच रहा हूँ कि कब उससे फिरसे मिल पाऊँगा । उत्सुकतापूर्वक सत्यम ने प्रिंस से कहा ।। ओहो! तो तुझे भी पसंद आ ही गई, मैं कहा करता था ना कि जिस दिन तुझे पसंद आएगी उस दिन तू खुद बोलेगा की भाई प्यार सच में होता है, और आज तेरे मूँह से ये बातें सुनकर अच्छा लग रहा है ।। ताना मारते हुए प्रिंस ने बोला और जोर-जोर से हँसने लगा । हाँ भाई मुझे याद है ये बातें मैं ही बोला करता था पर अब मुझे वो इतनी पसंद आ गई कि क्या बताऊँ ? अब तू बता; मुझे क्या करना चाहिए ? जिज्ञासा जाहिर करते हुए सत्यम ने प्रिंस से पूछा। अरे मैं तुझे कोई लव गुरु लगता हूँ क्या की मैं बताऊँ की ये करो, वो करो । भाई वो लड़की है उसकी फीलिंग्स होगी । उसको कुछ अच्छा लगता होगा कुछ अच्छा नहीं भी लगता होगा । जरूरी थोड़े ही है कि तू उसे अच्छा लग ही जाएगा । अच्छा ये बात आज तुम दोनों की बीच कितनी देर बात हुई, प्रिंस ने पूछा । यही कोई दो से ढाई घन्टे, सत्यम ने कहा । अरे दो-ढाई घाटे बात कर लिया तो इसे प्यार समझ लिया तूने वाह भाई । बड़ी जल्दी खेल रहे हो; हँसते हुए प्रिंस ने कहा । भाई ऐसा है ना कि आज हम दोनों ने मिलकर दो घंटे तक पूरा कॉलेज एक्सप्लोर किया, कैंटीन में खाना खाया । साथ हँसे, बातें की । लास्ट में जाने टाइम उसने कार से उतरकर बाय भी बोला । अपनी बातें समझाने की कोशिश करते हुए सत्यम ने कहा। लेकिन भाई जब दो साल पहले मैंने तुझे बोला था कि भाई मुझे साक्षी पसंद आ गई, तो तूने भर-भर के सुनाया था और आज इतनी आसानी से सवाल पूछ रहा है, कहीं सूरज आज पश्चिम से तो नहीं उगा ना प्रिंस ने आश्चर्य जाहिर करते हुए पूछा । देख उस समय की बातें अलग थी, अभी की बात अलग है, मुझे ना लगता है कि मुझे प्यार हो गया है सत्यम ने कहा । जब तुझे ऐसा लगता रहा है तो फिर यहाँ समय क्यों बर्बाद कर रहा है बात आगे बढ़ा, उससे बात कर ले ना; प्रिंस ने हिदायत देते हुए कहा । अरे हाँ ये तूने अच्छा याद दिलाया, मैंने इंस्टा लिया तो था उससे, जा रहा हूँ बात करके देखता हूँ, सत्यम ने कहा । हाँ ठीक है तू उससे बात कर, मैं तुझसे बाद में बात करता हूँ प्रिंस ने कहकर फोन काट दिया। सत्यम ने डरते-डरते मैसेज किया, हाय! दस सेकंड भी नहीं हुआ होगा कि रिप्लाई आ गया हैलो! फिर सत्यम ने वापस से पूछा- और कर क्या रही हो अभी ? तपाक से रिप्लाई आया- कॉलेज के एक नए दोस्त को ही याद कर रही थी ।- सौरभ कुमार ठाकुररिया और सत्यम के दोस्ती और पहली नजर का पहला प्यार की खट्टी- मीठी कहानी अगले पार्ट में आपके समक्ष होगी । कहानी को प्यार दीजिए और मुझे आशीर्वाद दीजिए । फिर एक एग्जाम है कल मेरा तो देखते हैं.............