my friend in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | मीत मेरे

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मीत मेरे

कालेज के गेट के बाहर आकर उसने जेब मे हाथ डाला।जेब खाली थी।वह जल्दी जल्दी में फोटो लाना ही भूल गया था।वैसे चलने से पहले उसने फोटो देख लिया था।
कालेज की छुट्टी हो गयी थी।लड़कियां कालेज से बाहर आने लगी।वह कालेज से बाहर निकलती लड़कियों को देखने लगा।काफी देर तक गहमा गहमी रही।फिर गेट खाली हो गया।पर फोटो वाली लड़की उसे नजर नही आई।उसे बताया था वह गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती है।कही दूसरे कालेज में तो नही।
नही नही उसे अच्छी तरह याद है।इसी कालेज का नाम बताया था।लेकिन लडकिया तो सब गयी।
हो सकता है वह आज आयी ही न हो।और यह बात मन मे आते ही वह वापस लौटने के बारे में सोचने लगा।वह जाने के लिए मुड़ा ही था।तभी उसे खिलखिलाने की आवाज। सुनाई। पड़ी।उसने मुड़कर देखा।दो लड़कियां कालेज से बाहर निकल रही थी।उसने उन लड़कियों की तरफ देखा।उनमें से एक फोटो वाली ही लड़की थी।दोनो लडकिया कालेज के गेट से बाहर आई।
"बाय
और दोनो लडकिया अलग दिशा में चल पड़ी।वह दौड़कर फोटो वाली लड़की के पीछे जा पहुंचा।उसके साथ चलते हुए बोला,"मेरा नाम देव हैं।"
उस लड़की ने उसकी बात पर न ध्यान दिया न ही कोई प्रतिक्रिया दी।तब वह एक बार फिर बोला,"मैं देव
"तो मैं क्या करूँ?"अबके वह लड़की बिना उसकी तरफ देखे चलते हुए बोली थी।
"क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?"
"क्यो?"
"वैसे ही।"
"मुझे नही बताना अपना नाम।"
देव कुछ नही बोला।सड़क पर वाहनों का आना जाना जारी था।उसके साथ चलते हुए कभी कोई वाहन आ जाने पर देव को पीछे हो जाना पड़ता।
काफी की दुकान देखकर देव उससे बोला,"चलो कॉफी पीते है।"
"क्यो?"
"मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
"मुझे तुमसे कोई बात नही करनी।और मेरा पीछा क्यो कर रहे हो?"
"पीछा नही कर रहा।साथ चल रहा हूँ।"
"मेरे साथ मत चलो।"
"सड़क तो एक ही है।फिर इसी पर चलना पड़ेगा।"वह लड़की चुप रही।और चलती रही और चलते हुए बस स्टॉप पर आ गयी।वह बस के इन्तजार में खड़ी हो गयी।कुछ देर बाद बस आने पर वह भीबस में चढ़ गई।देव भी बस में चढ़ गया।बस में भीड़ थी।इसलिए वह लड़की आगे निकल गयी और देव पीछे।सिटी बस हर स्टॉप पर रुकती।सवारियां उतरती और चढ़ती थी।देव धीरे धीरे आगे बढ़ता हुआ उस लड़की के पास जा पहुंचा।
"भगवान
और बस स्टॉप आने परर वह। लड़की उतर गई।देव भी उसके पीछे उतर गया।वह लड़की उतर कर दायी तरफ चल पड़ी।देव उसके साथ हो लिया।
"मेरा पीछा क्यो कर रहे हो।मुझे तंग क्यो कर रहे हो।"
"मैने आपको तंग नही किया।"
"मेरा पीछा कर रहे हो यह क्या है?"
"मैं इस शहर में नया हूँ।"
"तो।"
"कमल नगर जाना है।"
"तो जाओ।"
"आप भी उधर ही जा रही है।"
"नही।"
"तो कहां जा रही है?"
"जहन्नुम में।"
"वहाँ भी पैदल जाना पड़ता है।"
और वह लड़की चुप हो गयी और तेज चलने लगी।फिर एक कोठी आने पर गेट खोलकर अंदर जाने लगी देव उससे बोला,"अपने पापा को भेज देना।"
"क्यो?"और वह अंदर चली गयी।
"कौन है?"आवाज सुनकर सरिता बेटी से बोली।
"पता नही कौन है।मेरा पीछा करके आया है।पापा को पूछ रहा है।"
और दिवाकर बाहर गए थे।युवक को देखकर बोले,"किस्से मिलना है।"
"मैं देव"देव अपने बारे में बताते हुए बोला,"मुझे पापा ने भेजा है।"
"अरे आओ।"
दिवाकर ,देव को अंदर ले आये,"सुनती हो।"
सरिता आयी तो उससे बोले,"यह देव है।कुमार का बेटा।अपनी रिया को देखने आया है।"
और कुछ देर बाद रिया चाय लेजर आयी तब देव बोला,"आप चाय मेरे साथ वही पी लेती तो मुझे यहां तक न आना पड़ता।
जाते समय देव ,रिया से बोला,"मीत मेरी