Dard e Ishq - 39 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 39

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दर्द ए इश्क - 39

विकी कार को ड्राइव करते हुए घर की ओर जा ही रहा था। तभी उसका फॉन बजता है। वह इयरफोन को पहनते हुए कॉल उठाता है ।

विकी: हैलो!? ।
सूझी: ( चिल्लाते हुए ) फ***** इडियट किधर हो! दो दिन हो गए है! और ना ही तुम्हारा कोई पता है ना कोई फोन!। मैं तुम्हारे घर दो दिन से गधों की तरह चक्कर लगा रही हूं! और तुम्हारे मॉम डैड वह लोग तो बुकिंग एंड डिजाइन फंक्शन सब की तैयारी कर रहे है।
विकी: शांत सूझी शांत! इसमें इतना हायपर होने वाली क्या बात है!? ।
सूझी: ( गुस्से मे) गुस्से वाली क्या बात है!? मैं दो दिन से तुम्हे कॉल पे कॉल किए जा रही हूं! टेंशन के मारे मेरी जान निकल रही है । और तुम हो की जवाब देना तो दूर की बात है! मेरी मैय्यत निकालने पे तुले हो ।
विकी: सुजैन! मैने कहां काम डाउन... नाऊ गहरी सांस लो! और खुद को संभालो पहले! ।
सूझी: ( गुस्से को काबू में करने की कोशिश करते हुए ) विकी... मैं लास्ट टाइम कह रही हूं! अगर तुमने ये शादी नहीं रोकी ना तो मैं!.... तो मैं!? ।
विकी: ( मुस्कुराते हुए ) तो तुम क्या!? ( चिढ़ाते हुए ) ।
सूझी: अभी ये मजाक का वक्त है! यू इडियट... अगर हमारी फैमिली का बस चले तो हमे अभी के अभी फेरे लेकर पति पत्नी बना दे।
विकी: ( हंसते हुए ) हहाहहाहाहा.... कोई नहीं तुम चिंता मत करो! तुम्हे मुझ पर भरोसा है!? ।
सूझी: बिल्कुल भी नहीं! ( चिढ़ते हुए ) ।
विकी: हाहाहाहा..… वेरी गुड.... तो बस अब तुम शादी के दिन तक का इंतजार करो! ।
सूझी: क्या मतलब है तुम्हारा!? ।
विकी: ( मुस्कुराते हुए.... उसके दिमाग में कुछ चल रहा था ।) शादी तो होगी उस दिन.... लेकिन उसके साथ जिसके साथ होनी चाहिए थी! खैर! तब ना सही अब ही सही।
सूझी: क्या मतलब है! और ये क्या गॉल गॉल जलेबी की तरह बात कर रहे हो!? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ।
विकी: उस दिन सब समझ आ जाएगा! बस तुम शादी की जम कर तैयारी करो! अच्छा सा डिजाइनर, स्टाइलिस्ट, वेन्यू सेट करवाओ! ।
सूझी: आई डोंट नो! पर अगर कुछ गलत हुआ ना तो विकी आई स्वेर हमारी दोस्ती खतम! ।
विकी: ऐसा कुछ नहीं होगा ट्रस्ट मि... बैबी! उस दिन बहुत मजा आने वाला है ।
सूझी: ठीक है फिर बाय! याद रखना अगर कुछ उल्टा सीधा हुआ तो मुझे से बुरा कोई नहीं होगा ।
विकी: हम्म.... बाय । ( कॉल काट देता है। ) ।

विकी कार को सुलतान के घर के दिशा की ओर मोड़ देता है । और कुछ क्षण के बाद वह गाड़ी को सुलतान के घर के बाहर पार्क कर देता है । विकी कार से उतरते हुए सीधा सुलतान के घर में दाखिल होता हैं । वह सीधा हॉल में सुलतान को ढूंढता है लेकिन सुलतान वहां नहीं था। तो वह सीधा सीढ़ियों की ओर आगे बढ़ने ही वाला था की तभी किचेन से आवाज आती है ।

सुलतान: किसे ढूंढ रहे हो!? ।
विकी: ( पीछे मुड़ते हुए ) तुम वहां! तो मुझे आवाज क्यों नहीं दी! ( किचेन की ओर जाते हुए ) ।
सुलतान: ( रोटी को बेलते हुए ) मैने अभी केमेरा में देखा तभी आवाज दी।
विकी: ( चेयर पर बैठते हुए ) तो क्या बना रहे हो!? ।
सुलतान: बटर चिकन बन चुका है! और दाल जीरा राइस भी! बस अब रोटी बाकी है ।
विकी: क्या बात है! आज किस खुशी में मुझे सुलतान मल्लिक के हाथ का खाना मिल रहा है ।
सुलतान: मैं वापस जा रहा हूं! तो सोचा साथ में लंच कर ले उसके बाद पता नहीं कब मिलेंगे! और वैसे भी हमने काफी समय से साथ में नहीं खाया!। जब लंदन में थे तब और अब बस।
विकी: ( चिंतित होते हुए ) क्या हुआ सब ठीक तो है!? ।
सुलतान: ( रोटी को सेकते हुए ) अरे! नथिंग वो तो बस ऐसे ही ।
विकी: कमोन! यार अब भी तुम कुछ नही बता रहे इतने सालो बाद भी! बिल्कुल वैसे के वैसे हो बंद किताब की तरह।
सुलतान: ( हंसते हुए ) आदत नही है मुझे दिल की बात करने की मिस्टर विक्रम ठाकुर! ।
विकी: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) व्हाट एवर! ।
सुलतान: ( मुस्कराते हुए ) चलो! अब खाना स्टार्ट करे!? वर्ना ठंडा हो जाएगा! और वैसे भी मुझे जोरो की भूख लगी है ।
विकी: मुझे भी! ( पेट पर हाथ फेरते हुए... थाली लेते हुए खाना निकालता है। ) तो... कब जा रहे हो!? ।
सुलतान: ( खाना लेकर बैठते हुए ) कल सुबह की फ्लाइट है! ।
विकी: ( निवाला लेते हुए ) अचानक!? ।
सुलतान: ( खाना चबाते हुए सिर हिलाकर कहता है।) एक सेमिनार है! तो गेस्ट के तोर पर वहां पहुंचना है । और फिर न्यू प्रोजेक्ट का काम काज भी देखना है।
विकी: ( सिर को हां में हिलाते हुए ) वापस आओगे!? ।
सुलतान: फिलहाल तो कोई प्लान नहीं है! ।
विकी: हमम.... ( सोचते हुए ) वैसे मुझे एक काम भी था अब तुम जा रहे हो! तो कोई नहीं ।
सुलतान: क्यों!? क्या काम था!?।
विकी: वो... मुझे स्मृति के करीबी लोगों की डिटेल्स चाहिए थी! आई मीन किस से मिल रही है, दोस्त, रिश्तेदार वगेरह। मैं एक बार १००% कन्फर्म करना चाहता हूं! कोई भी कदम उठाने से पहले ।
सुलतान: क्यों! कुछ हुआ है!? ।
विकी: नहीं! बस कुछ बाते उलझा रही है तो उसे दूर करना था! ।
सुलतान: ( प्लेट लेकर उठते हुए ) कोई बात नहीं मैं रग्गा से कह दूंगा! वह भेज देगा फाइल तुम्हे ।
विकी: थैंक यू! यार और सॉरी तुझे जाते वक्त भी परेशान कर रहा हूं मैं ।
सुलतान: ( प्लेट धोते हुए ) अब इसमें कौन सी बड़ी बात है! ज्यादातर हमारा यही काम है ।
विकी: ( चैयर से उठते हुए ) पर फिर भी शुक्रिया सभी चीजों के लिए! ।
सुलतान: ( मुस्कान देते हुए ) कोई नहीं! कुछ ही तो ऐसे काम है जिसमे में लोगो को चौंट पहुंचाने के बजाए मदद कर रहा हूं।
विकी: काश! तुम माफिया में ना होते! शायद तुम...! ।
सुलतान: जो है ही नहीं उसके बारे में सोचकर क्या करोगे खैर! चलो फिर अब मुझे कुछ काम से बाहर भी जाना है! ( टावल से हाथ पोंछते हुए ) रात को मिलते है।


विकी सिर को हां में हिलाते हुए! उसकी बात में हामी भरता है। सुलतान कोट को उठाते हुए! वहां से निकल जाता है! विकी उसे देखते हुए सोचता है! । काश तुम्हारे साथ वो सारी घटनाएं ना हुई होती! तो शायद तुम बेहतर इंसान होते सुलतान! । आई विश की तुम अब भी इस रास्ते से लौट जाओ! पता नहीं खुद को पीसकर क्या मिलता है तुम्हे! आई हॉप तुम्हे एटलिस्ट वो सारी खुशियां मिले जिसके हकदार हो तुम! । यह सोचते हुए विकी एक गहरी सांस लेता है। फिर सोचता है मैं कौन सा चैन से जी रहा हूं!। इतना सोचते ही वह हंसने लगता है की तभी उसका फॉन बजता है! वह कॉल को उठाते हुए कहता है।

" हां डेड मैं बस घर की ओर निकल ही रहा हूं! बस थोड़ी में पहुंच जाऊंगा । " इतना कहते ही वह कॉल काट देता है। और फोन में से किसी दूसरे नंबर पर कॉल करता है।

विकी: स्नेहा! ।
स्नेहा: हां! क्या बात है मुझ जैसे नाचीज़ को कैसे याद किया!? ।
विकी: ( मुस्कुराते हुए ) एक मसालेदार न्यूज है! तुम्हारे लिए! सोचा तुम्हे पहले इनफॉर्म कर दूं।
स्नेहा: अच्छा! किस बारे में!? ।
विकी: विक्रम ठाकुर की लव स्टोरी शादी से पहले अफेयर ! कैसी लग रही है हेडिंग तुम्हे! ।
स्नेहा: इसमें क्या खास है! बिना सबूत के तुम्हारे डेड जान ले लेगे मेरी! अगर मैंने अभी ऐसी कुछ खबर छापी तो।
विकी: वोट इफ तुम्हे सबूत मिल जाए तो!? किसी मीडिया हाउस के पास नहीं पहुंची ये खबर सोच लो।
स्नेहा: ( कुछ क्षण तक तो कुछ नहीं बोलती फिर ) खबर सच मे पक्की है क्या!? ।
विकी: १००% और शक्ल भी साफ साफ दिख रही हैं तो इस बात की तो कोई टेंशन लेने की जरूरत नहीं है ।
स्नेहा: ओके धेन! फिर समझो इस पूरे हफ्ते तुम्हारे कर्म काण्ड पर ही न्यूज चलेगी।
विकी: ठीक है फिर मैं तुम्हे तस्वीर भेज रहा हू! और हां! उसमे लड़की की शक्ल ना दिखे इस तरह से फोटो है तो गलती से भी लड़की की फोटो ढूंढने की कोशिश मत करना।
स्नेहा: डन! ।
विकी: ठीक है फिर इंतजार रहेगा मुझे! ( इतना कहते ही वह कॉल काट देता हैं । ) वह मुस्कुराते हुए चाबी लेकर अपने घर की ओर निकल जाता है ।


दूसरी ओर स्मृति की बेकरी में तान्या,रेहान,स्मृति बैठे हुए थे। तान्या तभी स्मृति से पूछती है।

तान्या: क्या हुआ!? तुम इतनी हड़बड़ाई हुई क्यों! हो!? ।
स्मृति: ( होठ को छूते हुए ) विकी आया था! ।
तान्या: और!? ।
स्मृति: और पूछ रहा था की मैं ही स्तुति हूं! ।
तान्या: तुमने क्या कहां!? ।
स्मृति: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) मैने मना कर दिया !।
तान्या: और..!? ।
स्मृति: और कुछ नहीं थोड़ी देर बहस कर के चला गया! ( वह चाह कर भी किस वाली घटना को नहीं कहा पा रही थी । ) ।
तान्या: ( चैन की सांस लेते हुए ) थैंक गॉड! उसके सामने जूठ बोलना आसान नहीं है! वह तुरंत भाप लेता है! ।
स्मृति: ( कुछ सोचते हुए ) वैसे ! तुम लोग क्या! श्योर हो की यह काम विकी ने ही किया है क्योंकि जितनी बार भी मैं उससे मिली हूं! मुझे कभी नहीं लगा की वह तुम्हे कभी चौंट पहुंचा सकता है।
रेहान: यही तो खूबी है उसकी! । वह लड़कियों को अपने जाल में एसे फसा लेता है की ... ( दांत भींचते हुए ) ।
तान्या: तुम उसकी शक्ल पर ना जाओ स्मृति दिखने में वो जितना अच्छा लगता है! वह उतना ही दरिंदा है । अगर उसके मुताबिक कुछ ना हो तो वह कुछ भी कर सकता है! किसी की भी जान ले सकता है बिना सोचे समझे ।
स्मृति: ( सिर को हां में हिलाते हुए एक गहरी सांस लेती है। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह ऐसा क्यों महसूस कर रहीं थी। क्योंकि जिस तरह का व्यवहार विकी का था वह बिलकुल विपरीत था । उसकी आंखों में दर्द, स्तुति के मिलने के खुशी और सबसे महत्वपूर्ण प्यार साफ साफ दिख रहा था। उसकी आंखों में चमक उसकी खुशी साफ साफ दर्शा रही थी । ) खैर! अब आगे का क्या प्लान है!?।
तान्या: ( मुस्कुराते हुए ) अब हम कुछ भी नही। करेगे! जो भी करेगा वो विक्रम खुद करेगा! बस इंतजार करो! एक-दो दिन में शादी कैंसल की खबर आएगी।
रेहान: इसके बाद हम आगे जैसा प्लान किया था वैसे ही जाल बिछाएगे ।


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