विश्वास (भाग -23)
भुवन और टीना की बातों को स्टॉप घर के गेट के सामने लगा। "अरे पता ही नहीं चला और घर पहुँच गए"। टीना ने कहा तो भुवन हँसते हुए बोला "कैसे पता चलता शेरनी बोलती ही इतना है"!!
दादी सरला चाची के घर से आ गयी थी। उनको भी भुवन की मम्मी से स्कूल के मुहुर्त का पता चला। खुले आँगन में सब तैयारियाँ चल रही थी। मिठाइयाँ बन कर आ चुकी थी। रात को खाना खाने के बाद दादी तो कमरे में आराम करने चली गयी पर टीना भुवन और उसके भाईयों के साथ बातें करने में बिजी थी।
"टीना तुम भी अब सो जाओ, कल सबको जल्दी उठना भी है"। 12 बज ही चुके थे टीना अपने कमरे में आ गयी। टीना के आने से दादी की नींद खुल गयी। दादी को जगा देख वो उनको संध्या और भुवन के रिश्ते के बारे में बताने लगी। फिर बात करते करते कब दादी पोती एक दूसरे को हग किए कब सो गयी पता ही नहीं चला।
सुबह उठे तो बहुत गहमा गहमी थी। दादी भी तैयार हो चुकी थी और टीना बाथरूम में थी। " शेरनी जल्दी तैयार होने को कहा था न, अभी तक हुई नहीं? आवाज लगाता हुआ भुवन कमरे में आया। "बस 5 मिनट में तैयार हो कर आ रही हूँ, आप बाहर रूको"।
"ठीक है सिर्फ 5 मिनट, तब तक मैं गाड़ी में सामान रखवाता हूँ"। "टीना सच में 5 मिनट में तैयार हो कर आ गयी"। टीना को देख भुवन बोला," शेरनी तो टाइम की पाबंद निकली"। "वो तो मैं हूँ ही, चलो अब चलते हैं बातें मत बनाओ, देर हो रही है न "। टीना ने भुवन की नकल करते हुए कहा।
भुवन ने अपने सबसे छोटे भाई नरेन को बाइक पर लाने को कहा और वो दादी, माँ पापा और सरला चाची को ले कर कार में जा रहा था। नरेन टीना का हमउम्र है, रात को खूब बातें कर ही चुके थे तो टीना भी किसी संकोच के बाइक पर बैठ गयी।
"नरेन तुम्हें बाइक चलानी आती है न ठीक से"? टीना ने इस तरीके से पूछा कि वो झेंप गया। "मुझे चलानी तो आती है, पर तुम्हें बैठना आता है न "? बोल कर वो खुद ही सॉरी बोला, "मैं मजाक रहा था"।
"मैं भी मजाक ही कर रही थी, नही तो आपको जिम्मेदारी नहीं मिलती"। "चलो अब जल्दी बैठो देर हो रही है"। नरेन ने कहा तो टीना झट से बैठ गयी। स्कूल के आँगन में हवन की तैयारी चल रही थी।
बहुत सारे लोग थे। सब कुछ अच्छे से हो गया। पूजा के बाद टीना ने दादी को संध्या से मिलाया। पूजा के बाद सर (सरला जी के पति) लोगो को स्कूल के बारे में बता रहे थे।स्कूल अभी तो 10 वीं तक बनाया गया है। सह- शिक्षा का ये स्कूल गरीब बच्चो को अच्छी शिक्षा मिले, के उद्देश्य से फीस बहुत कम रखी गयी है।
सब पढे़ और आगे बढे का विचार लिए इसकी शुरूआत आने वाले सत्र में होगी, जिसके लिए एडमिशन अगले महीने से शुरू होंगे। संध्या भी बिजी थी लोगो से मिलने और समझाने में। भुवन किसी हिसाब किताब को देख रहा था। टीना और दादी का ध्यान सब रख रहे थे।
सरला जी जो लोग जा रहे थे उनको मिठाई के बाक्स दे रहीं थी। कुछ लोग स्कूल के लिए चंदा भी दे रहे थे। "देख टीना लोग बिना दिखावा किए चुपचाप से दान कर रहे हैं। यही तो सच में दान है"। दादी ने कहा तो टीना बोली," दादी आप ठीक कह रहे हो, हमें तो पता ही नहीं था, कुछ पैसे ले आते तो हम भी कुछ दे सकते थे"।
"क्या टीना आजकल की लड़की हो कर ऐसी बात करती है? आज कल कौन कैश ले कर चलता है? तेरी माँ ने मुझे ऑनलाइन पेमेंट करना सिखाया है, जब तेरे पास हॉस्पिटल रहती थी। अभी भाई साहब फ्री होते हैं तो एकाउंट डिटेल्स ले कर ट्रांसफर कर देंगे"।
"वाह दादी ! आपने तो कमाल कर दिया, आप तो बेस्ट हो"। कह कर उसने दादी को गाल पर किस करके गले से लगा लिया।
भुवन तब तक उनके पास आ गया था। "क्या बात है दादी जी शेरनी किस बात पर इतनी खुश है "? भुवन ने पूछा तो उमा जी ने प्यार से टीना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "कुछ नही बेटा ये तो ऐसे ही हमेशा हँसती खेलती रहती है, तभी तो हम सब का मन लगा रहता है"।
"अच्छा इसका मतलब ये लड़की थोड़ी दिमाग से बुद्धु है", कह उसने टीना का कान खींच दिया। "आह"! कान खींचने पर चिल्लाई तो भुवन ने घबरा कर कान छोड़ दिया, "कस कर खींच दिया क्या? दर्द होने लगा? माफ कर देना शेरनी"। भुवन को सीरियस होते देख टीना हँस दी। " मैं बुद्धु नहीं हूँ , आप हो यही बताने के लिए मैं चिल्लाई थी"। "अच्छा शैतान लड़की मैं ही बुद्धु। अब घर चलते हैं भूख लगी है बाकी का काम अपने आप ये लोग देख लेंगे"।
भुवन एक बार सर से मिलवा दो, फिर चलते हैं। भुवन उनको सर के पास छोड़ पंडित जी को छोड़ने चला गया। दादी पोती ने टीचर्स और बाकी के स्टॉफ के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि संध्या और वो देख रहे हैं कुछ टीचर्स। बातों ही बातों में उन्होंने बताया कि वो अगले साल रिटायर होने के बाद अपना समय वो इस स्कूल को देंगे। सर से एकांउट डिटेल ले कर उमा जी ने उनके सामने ही 50,000 ट्रांसफर कर दिए।