कजा द स्टोरी ऑफ डेथ - भाग 17 in Hindi Thriller by ss ss books and stories PDF | कजा द स्टोरी ऑफ डेथ - भाग 17

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कजा द स्टोरी ऑफ डेथ - भाग 17

ये सुनके सबने एक साथ कहा रीया तुम क्या कहना चाहती हो ? रीय आने फिर कहा बड़ा- सा साँ। ये सुनके सब जोर- जोर से हसने लगे। तभी सावी ने कहा - रीया ये क्या बोल रही हो बड़ा - सा साँप। समीर भी बिच में बोल परा रीया तू पागल हो गयी है। इसपे रीया ने शिवाय की तरफ देख कर कहा - शिवाय मैं सच बोल रही हूँ तुम तो मेरी बात सुनो। ये सुनके शिवाय ने रीया से कहा ठीक है। मैं मनाता हूँ। तुम शांत हो जाओ। अब चलो हमे यहाँ से जान भी है और अभी तक हमने ये महल देखा ही नही। तभी अचानक से वहा तेज हवाएं चलने लगी इतनी गर्मी में भी , मनो सर्द हवाएं उन्हें कुछ बताना चाहते हो।
कुछ ही देर में शाम हो गयी। करन ने कहा मुझे लगता है हमे चलना चाहिए वरना किसी को पता चला की हम यहाँ है तो सब परेशान हो जायेगे। तभी अचानक से बाहर तेज बारिश होने लगी। ये देख के समीर ने कहा यार इतनी तेज बारिश क्यू होने लगी ? अब हम कैसे वापिस जायेगे। तभी सावी ने कहा हम यही रुकते है कुछ देर , बारिश जब खत्म हो जाएगी तब हम यहाँ से चलेंगे। इसपे सबने हां कहा लेकिन रीया ने घबराते हुए कहा नहीं अभी चलो यहाँ से। इसपे सावी ने कहा रीया रिलैक्स हम बारिश खत्म होते ही यहां से चले जायेगे।
धीरे - धीरे अँधेरा हो गया। सबने एक दूसरे का हाथ पकड़ रखा था। शिवाय ने कहा समीर मोबाइल का टोर्च ऑन करो। ये सुनके समीर ने अपना फ़ोन निकाला और टोर्च ऑन कर दी , वहा अँधेरे में उन्हें कुछ ज्यादा दिखाई नहीं दे रहा था। तभी समीर ने अपने पीछे कुछ महसूस किया और उसे लगा वो करन था , इसलिए उसने इग्नोर किया। तभी एक तेज आवाज आयी।
जिसने कहा तुम में से कोई नहीं बचेगा। ये सुनके शिवाय ने चिल्लाते हुए कहा कौन है यहां ????
रीया और समीर ने कहा हमे यहाँ से चलना चाहिए यार पता नहीं कौन है। ये सुनके शिवाय ने अपने दोस्तों से कहा - यहाँ कोई है जो सबको डराने की कोशिश कर रहा है। इसपे करन ने कहा शिवाय मुझे लगता है हमे देखना चाहिए आखर कौन है यहाँ ?
ये सुनके सावी ने कहा तुम इतने अँधेरे में कहा जाने की सोच रहे हो। अब रात हो चुकी है ये सोचो हम यहाँ से बाहर कैसे जाये। तभी वहा का दरवाजा तेज आवाज के साथ बंद हो गया। उनके टोर्च की लाइट भी बंद हो गयी तभी समीर ने घबराते हुए कहा ये क्यू बंद हो गया अब। तभी करन ने कहा मैं अपने फ़ोन की की टोर्च जलाता हूँ , लेकिन उससे भी कुछ नहीं हुआ। तभी समीर ने कहा यार अब तो हम में से किसी के फ़ोन की लाइट नहीं ऑन हो रही। सावी एक बबार तू भी ऑन करके देख अपने फ़ोन का। लेकिन सावी ने इसपे कुछ नहीं कहा। समीर ने फिर से कहा सावी करना यार। दुबारा भी सावी का जवाब ना पा कर समीर ने कहा सावी तू सुन रही है ना मैं क्या कह रहा हूँ। कोई जवाब न मलने पर शिवाय ने सावी का नाम पुकारा लेकिन उन्हें कोई जॉब नहीं मिला। शिवाय ने कहा रीया ? इसपे रीया ने कहा डरते हुए कहा हां मैं यही हूँ समीर और करन ने भी कहा यार हम सब यही है लेकिन सावी कहा है।
शिवाय ने कहा - सावी तुम कहा हो ? फिर सब सावी को बुलाने लगे। सावी को वहा ना पा कर उन्हें समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे। उनके फ़ोन भी काम नहीं कर रहे थे। तभी शिवाय ने कहा जब हम आये थे तब यहाँ मैंने बारी मशाल देखि थी। करन तेरे अस्स लाइटर है ना। इसपे करन ने कहा हां है। उसने झट से लाइट निकाला और शिवाय को दिया। शिवाय ने कहा तुम सब एक दूसरे का हाँथ पकड़ लो ,फिर शिवाय ने लाइटर की धीमी रौशनी में उस मशाल की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए। उसने वो मशाल जलाई तो वहा जो घना अँधेरा था वहा रौशनी हो गयी। चारो ने एक दूसरे को देखा और फिर आस - पास देखा लेकिन सावी उन्हें कही नज़र नहीं आयी। तभी उन्हें उसी कमरे सावी की चीख सुनाई दी जहा वो कुछ पहले थे। राजकुमार वसुआदित्य के शयन कक्ष में।
सावी की ऐसी आवाज सुनके मनो सबके रोंगटे खरे हो गए शिवाय ने वहा रखी एक और मशाल उठायी और उसे जला कर करन को दिया और बोला तुम सब यही रुको मैं देखता हूँ।
इस्पे करन ने कहा मैं भी चलता हूँ। नहीं तुम समीर और रीया के साथ रहो मैं सावी को ढूंढता हूँ और ये बोल कर शिवाय वहा से उस तरफ चला गया जहा से सावी की आवाज आई थी। यहाँ तीनो एक कोने में एक साथ मशाल लिए बैठे थे। पर करन को किसी के होने का एहसास हो रहा था लेकिन उसने समीर और रिया से कुछ भी नहीं कहा। क्यूकी उसे पता था आहार उसने इनसे कुछ कहा तो ये और डर जायेगे। उसने शांत रहना ही ठीक समझा जब तक सावी और शिवाय आ नहीं जाते।
वही दूसरी तरफ शिवाय जब वहा पहुंचा तो देखा जो दरवाजा एक हल्के हाथ से खुल गया था और जिसे वो खुला छोड़ गए थे वो अब बंद था।
ये देखके शिवाय को अजीब लगा। शिवाय अभी नहीं बहुत - प्रेत जैसी किसी चीज पर यकीन नहीं करता था , उसका मानना था की कोई गांव का ही ये सब कर रहा है।
तभी शिवाय को अपने कानो में एक फुसफुसाती आवाज आयी तुम आ गए। तुम्हारा ही तो मैं इंतज़ार कर रही थी। ये सुनके शिवाय ने अपने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई नहीं था। तबाही उसने वो दरवाजा फिर से खोलने की कोशिश की। लेकिन वो दरवाजा तो जैसे खुलने का नाम ही नही ले रहा था।
तभी शिवाय को कुछ याद आया - उसने अपने पॉकेट में से रुद्राक्ष निकाला जो एक लाल कपड़े में बंधा गया था उसने उसे अपने हाँथ में लिया और अपन आहत उस दरवाजे पर रखा इस बार दरवाजा बिना किसी जोर के आराम से खुल गया। ये देख शिवाय को विश्वास नहीं हुआ।
दरसल ये रुद्राक्ष उसी बूढ़े बाबा ने शिवाय को दिया था जब वो वहा से वापिस जा रहा थ। बाबा ने शिवाय से सिर्फ इतनन कहा था ये तुम्हारी मदद करेगा। उन्होंने शिवाय को ये नहीं बताया था इसका इस्तेमाल कैसे करना है। और आखिर इसमें कौन- सा रुद्राक्ष है। शिवाय ने सोचा ये बाद में देखूगा बही सावी को ढूढ़ना जरुरी है। तभी शिवाय उस कक्ष में दाखिल हुआ और उसके चारो तरफ सावी को पुकारने लगा तभी उसे किसी ने तेजी से निचे की और धक्का दे दिया जिसकी वजह से उसकी मशाल उसके हाथ से गिर गयी। ये देख के शिवाय को गुस्सा आ गया और वो चिल्लाते हुए बोला कौन है हिम्मत है तो सामने आओ।
तभी एक हसने की आवाज आने लगी और कमरे में एक पदार्थ जो किसी का रूप ले रहा था शिवाय को दिखाई दिया। शिवाय को कुछ समझ नहीं आ रहा था ये क्या था। तब तक उस परछाई ने इंसान का रूप ले लिया था। एक पल के लिए तो शिवाय भी घबरा गया उस धुएं से बने इंसान को । तभी पीछे से करन भी वहा आ गया। और सामने उस परछाई को देख कर वो भी वही जम गया। उसने फिर हैरान से कहा ये क्या है ? तभी उस परछाई ने कहा अब तुम सब मरोगे। तुम लोग आज यहाँ से बच कर नहीं जाओगे। तभी करन ने कहा शिवाय हमे यहाँ से चलना चाहि। तभी शिवाय ने कहा सावी के बिना मैं नहीं जाउगा। इसपे करन ने कहा सावी मिल गयी मैं यही बताने तो आया था। अब यहां से निकलते है वरना ये क्या है हमे तो ये भी नहीं पता।
ये सुनके शिवाय ने कहा ठीक है अभी यहां से निकलते है। तभी दोनों वहा से भागने लगे। बहरा जा कर उन्होंने सबको कहा चलो भागो ये सुनके सभी जल्दी से उसी बारिश में बाहर निकले तभी। उन्हें लगा कोई उनका पीछा कर रहा है। जब उन्होंने देखा तो एक बड़ा सा काला साप जो बहुत विशाल और डरावना था ये कोई मामूली साप नहीं था। जब सबने देखा उनके पीछे क्या है तो वो और डर गए। समीर ने कहा यार ये क्या है अब। इसपे करन ने कहा ये बाद में सोचेंगे अभी जितना तेज हो सके भागो। जब वो महल से कुछ दूर निकल गए तो वो सब हाँफते हुए वही बैठ गए। उस महल से बाहर निकलते ही बारिश बी बंद हो गयी थी।
तभी करन ने कहा - ' ये अचानक से साप कहा से आ गया यार " वो भी इतना बड़ा। ये सुनके रीया ने घबराते हुए कहा मैंने तो कहा था तुम सबसे तुमने मेरी बात नहीं मानी। जहा सभी घबराये हुए थे वही सावी आराम से बिना किसी भाव के बैठी कुछ सोच रही थी। अँधेरे की वजह से कोई भी सावी के एक्सप्रेशन को देख नहीं पा रहा था। तभी समीर ने कहा अभी चलो यहाँ से रात हो चुकी है और यहां रुकना खतरे से कहली नहीं है। घर पर भी सब परेशान हो रहे होंगे।
कुछ देर बाद जब वो घर पहुंचे तो समीर के माता पिता पहले से उनका इंतज़ार कर रहे थे। साथ ही वो बहुत डरे हुए थे।
जब उन्होंने उन सबको आते हुए देखा तो उनकी जान में जान आयी। तभी शिवाय ने कहा मैं अभी आता हूँ। शिवाय वह से जाने ही वाला था की मुखिया जी ने उससे कहा अभी आये हो तुम सब अब कहा जा रहे हो। शिवाय उन्हें कुछ बता नहीं सकता था , फिर उसने मन ही मन सोचा कल सुबह इस बारे में बाबा से पूछेंगे वो क्या चीज थी।
तभी समीर की माँ ने उन्हें देख कर कहा तुम सबको ये क्या हुआ। इसपे रीया कुछ बोलने ही वाली थी की सावी ने बात को बदलते हुए कहा वो हम सब रेत में गिर गए थे गलती से। इसपे उन्होंने कहा तुम सब यही रुको मैं अभी आती हूँ। कुछ देर बाद वो थाली में कुछ चीजों के साथ वापिस आयी।
उन्होंने कुछ लाल कुछ सरसो के दाने लिए और धीमे आवाज में एक मंत्र बोल कर उन सरसो के दाने से सबके ऊपर से पांच बार घुमाया और उसे सबसे कहा तुम सब पीछे मत देखना अब। उन्होंने वो सरसो के दाने आग में डाल दिए। जिसमे से अचानक से बहुत दुर्गन्ध आने लगी। मानो जैसे किसी को जलाया जा रहा हो। मतलब मैं सही थी। फिर उन्होंने सबको अंदर जाने के लिए कहा। अंदर जा कर मुखिया ने अपनी पत्नी से कहा - तुमने इनकी नज़रुतार दी तो अब खाना लगवा दो बच्चे भूखे होंगे। इसपे उन्ही पत्नी ने हां कहा और किचन की तरफ चली गयी। सावी और रीया भी फ्रेश होने के लिए रूम में चली गयी। समीर , शिवाय और करन भी जब अपने कमरे में जाने वाले थे तभी मुखिया जी ने कहा - "तुम सच - सच बताओ क्या तुम सब उस महल में गए थे " ? ये सुनके सब एक दूसरे को देखने लगे।
कोई जवाब ना पा कर मुखिया जी ने गुस्से में कहा क्यू ? आखिर क्यू ? मैंने कहा था ना वहा मत जाना। समीर तुम तो सब कजानते हो न और तुम सबने देख था ना उन गांव वालो के साथ क्या हुआ था। अगर तुम में से कुछ भी किसी को हो जाता तो हम क्या करते। ये सुनके शिवाय ने कहा - आप इतनी फ़िक्र न करे अंकल जी हम बस उसके पास से गुजरे थे गए नहीं थे। ये सुनके मुखिया जी ने कहा - तुम सच बोल रहे हो ? इसपे समीर और करन ने भी शिवाय का साथ देते हुए कहा हां। ये सुनके उनके सास में सास आ गयी हो मानो , फिर उन्होंने कहा ठीक है लेकिन गलती से भी उसके पास भी मत जाना।
अब जाओ जल्दी और खाना खाने के लिए सब आओ।
ये सुनके सबने रहत की सास ली और वह से चले गए।
कुछ देर बाद खाना खाने के बाद सब अपने - अपने कमरे में चले गए। कमरे में जाने के बाद करन ने शिवाय से पूछा - शिवाय तुझे क्या लगता है वो क्या चीज थी , यार कही हमसे बहुत बड़ी गलती तो नहीं हो गयी। इसपे समीर ने कहा वो चीज क्या ????? तुम किसकी बात कर रहे हो ?
शिवाय तो अपने ही ख्यालो में ही खोया हुआ था , समीर का सवाल सुनके करन ने उसे , उस कमरे में हुए वाक्य के बारे में बताया। ये सुनके समीर और डर गया। यार पहले वो डरावना महल ही कम था जो साप और अब ये। ये बोल कर समीर ने अपना सर पकड़ लिया। मुझे तुम सबकी बात सुननी ही नहीं चाहिए थी। करन ने कहा समीर तू शांत रह हम पहले ही ये सोच के परेशान है की वो क्या थी चीज अब तू भी चालू मत हो। तभी शिवाय ने कहा - इसके बारे में क्या पता बूढ़े बाबा को कुछ पता हो। मुझे लगता है हमे उनसे बात करनी चाहिए। तभी शिवाय ने वो रुद्राक्ष निकला जो उस बाबा ने उसे दिया था। शिवाय के हाँथ में लाल कुछ देख कर करन ने पूछा ये क्या है। इसपे शिवाय ने कहा - ये मुझे बाबा ने दिया था और कहा था ये तुम्हारी मदद करेगा। एक रुद्राक्ष क्या मदद करेगा। इसपे शिवाय ने करन को बताते हुए कहा - करन वो दरवाजा जब हम बाहर आये थे तो खुला था लेकिन जब मैं सावी को ढूढ़ने वहा गया तो वो दरवाजा बंद था और मुझसे नहीं खुला। मुझे कुछ समझ नहीं आया तो जब मैंने इसे अपनी जेब से निकाला और जैसे ही दरवाजे पर हाथ रखा वो दरवाजा अपने आप खुल गया।
ये सुनके समीर ने मुँह फाड़ते हुए कहा क्या ???????????????????????
इसपे शिवाय ने कहा हां।
तभी करन ने कहा मुझे दिखा जरा ये कौन सा रुद्राक्ष है ? । ये सुनके समीर ने झट से कहा इसका क्या मतलब कौन सा रुद्राक्ष सारे रुद्राक्ष एक से ही तो होते है। अरे ! नहीं समीर एक ही नहीं होते सारे रुद्राक्ष , सब अलग - अलग होते है। साथ ही इनके अलग - अलग फायदे होते है।
करन की ये बात सुनके शिवाय ने पूछा क्या फायदे होते है ? करन ने फिर उनसे पूछा क्या तुम्हे पता है रुद्राक्ष कैसे बने है। ये सुनके समीर ने अपना सर खुजाया और बोला नहीं यार तू ही बता दे ना ! इसपे करन ने कहा ठीक है मैं बताता हूँ।

रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना जाता है। रूद्राक्ष को लेकर पुराणों में एक कथा ये बताई गई है कि एक बार तप के दौरान जब भगवान भोले शंकर क्षुब्‍द हो गए थे तो करन आगे कुछ कहता उससे पहले ही समीर ने बीच में ही उसे रोकते हुए कहा एक मिंट करन पहले ये बता क्षुब्‍द का क्या मतलब ??? इसपे करन ने कहा बता रहा हूँ सुन तो सही। इसपे शिवाय ने कहा हां तू बता अब हम कुछ नहीं बोलेगे।
करन ने बात को आगे बताते हुए कहा क्षुब्‍द यानी भावुक होते है।

जब शिव जी भावुक हो गए तो उनके नेत्रों से कुछ बूंदें धरती पर गिरी जिनसे रुद्राक्ष बने । रूद्राक्ष एक से लेकर 21 मुखी तक होते हैं जिनका संबंध अलग-अलग देवी देवताओं से होता ही है साथ ही इन रूद्राक्षों के फायदे भी अलग-अलग होते हैं।
ये सुनके शिवाय ने कहा 21 तरह के। हां , शिवाय। तभी करन ने शिवाय से कहा वो रुद्राक्ष मुझे दे। करन ने शिवाय से वो रुद्राक्ष लिया और उसे उस लाल कपड़े से निकल कर ध्यान से देखने लगा।
रुद्राक्ष को देख कर करन ने कहा ये रुद्राक्ष कोई ऐसा वैसा नहीं है ये जो रुद्राक्ष तुझे बाबा ने दिया है ये एकमुखी रुद्राक्ष है। ये बहुत रेअर रुद्राक्ष है जो मिलना बहुत मुश्किल है किसी को भी।

तभी समीर ने तपाक से पूछा बही अब ये तो बता मुखी का क्या मतलब।

ये सुनके करन ने समीर को तिरछी नज़रो से देखा , अरे भाई ऐसे मत देख मुझे नहीं पता बता ना ! इसपे करन ने कहा ठीक है रुक। करन ने फिर अपने सामान में से एक रुद्राक्ष निकाला। ये देख कर शिवाय ने कहा तेरे पास भी है। हां लेकिन ये जो तेरे पास है उससे अलग है देख मैं दिखता हूँ। हर रुद्राक्ष के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक कुछ धारियां खिंची होती हैं. इन्हें मुख कहा जाता है। मेरे पास जो रुद्राक्ष है ये 5 मुखी है जो आसानी से मिल जाता है। जो शिवाय तेरे पास है उसमे सिर्फ एक धारी है ध्यान से देख। करन की बात सुनके समीर और शिवाय दोनों रुद्राक्ष को देखने लगे। समीर ने कहा हां यार इसमें सिर्फ एक ही लाइन है , तभी करन ने अपने हाँथ में लिया हुआ रुद्राक्ष दिखते हुए कहा इसमें देखो ये कितने पार्ट्स में डिवाइड है , शिवाय ने कहा 5 । हां बिल्कुल सही। इनकी जो ये लाइन्स होती है इनकी वजह से ही इन्हे एक, दो ,तीन मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। जितनी लाइन्स उतना ही मुखी रुद्राक्ष। शिवाय ने फिर करन से कहा अच्छा ये भी बता दे जो मेरे पास रुद्राक्ष है इसके क्या फायदे है। समीर ने भी हां में हां करते हुए कहा हां बता और कौन सा रुद्राक्ष मुझे रखना चाहिए । ये भी बता यार क्या पता मेरा भी कुछ फायदा हो जाये। ये बोल कर समीर मुस्कुराने लगा।
इसपे करन ने कहा ठीक है देखो वैसे तो 21 है लेकिन मैं तुम्हे कुछ रुद्राक्ष के बारे में बता देता हूँ।
शिवाय जो रुद्राक्ष तेरे पास है
इसे साक्षात् श‍िव बताया गया है। कहा जाता है शोहरत, पैसा, सफलता, धार्मिक काम में सफलता पाने के लिए लोगों को इसे धारण करते है । दो मुखी रुद्राक्ष को देवी और देवता, दोनों का स्वरूप बताया गया है. इसे धारण करने से कई तरह के पाप दूर होते है।
तीन मुखी रुद्राक्ष को अनल (अग्न‍ि) के समान बताया गया है।
चार मुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा का रूप बताया गया है. बताया गया है कि इसे धारण करने से ब्रह्म हत्या का पाप नष्ट हो जाता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष को स्वयं रुद्र कालाग्नि‍ के समान बताया गया है. इसे धारण करने से शांत व संतोष की प्राप्त‍ि होती है। इसी तरह जितने भी रुद्राक्ष है सबका अलग - अलग यूज़ होता है।
मुझे लगता है शिवाय बाबा ने तुझे ये रुद्राक्ष इसलिए दिया होगा क्यूकी उन्हें पता था कुछ होने वाला है। करन की ये बात सुनके शिवाय ने कहा हां मैं भी यही सोच रहा था। तभी समीर ने तपाक से वैसे तुम दोनों को वो बाबा अजीब नहीं लगते। वो किताब की बात , वो कहानी , कही वो बाबा सबको बेवकूफ तो नहीं बना रहे। ऐसी कोई किताब है भी उन्हें पास जिसकी कहानी उन्होंने हमे सुनाई। ये सुनके शिवाय ने कहा नहीं वो सच बोल रहे थे। इसपे समीर ने कह तुझे कैसे पता तू इतना यकीन से कैसे कह सकता है शिवाय !
इसपे शिवाय ने कहा क्यूकी वो किताब मेरे पास है।
ये सुनके समीर और करन हैरानी के मारे शिवाय को सवालिया नज़रो से देखने लगे। यार अब तुम दोनों मुझे ऐसे मत घूरो। तभी करन ने कहा तूने हमे पहले क्यू नहीं बताया ?
शिवाय ने फिर दोनों को समझते हुए कहा वो जब मैं उनके साथ गया था तब मैंने उनसे वो किताब ले ली थी। लेकिन उन्होंने मुझे कहा ये किताब किसी और को मत देना। ना इसके बारे में किसी से बात करना। ये सुनके करन ने शिवाय से कहा इसका मतलब वो बाबा कुछ तो ऐसा जानते है जो हमे नहीं पता। शिवाय मुझे लगता है हमे उन बाबा से पूछना चाहिए उस साप के बारे में। इसपे शिवाय ने कहा हां मुझे भी कुछ जानना है वो अजीब सी चीज क्या थी ? ये सुनके समीर ने कहा कौन सी चीज शिवाय ????? वो जब मैं सावी को ढूंढने गया था तब उस कमरे में कुछ अजीब सी चीज थी कुछ चिप चिपि सी जो धीरे- धीरे इंसान की आकृति ले रही थी। शिवाय ने फिर उन्हें सब कुछ बताय जो कुछ उसने उस कमरे में देखा था।
ये सब सुनके समीर के तो हाँथ पाव ने जैसे काम ही करना बंद कर दिया हो। वही करन भी ये सुनके हैरान था। क्या होगा इस कहानी में आगे ?
आखिर कौन है वो ?
क्या शिवाय और उसके दोस्त जान पाएंगे उस महल का रहस्य ?
जानने के लिए बने रहीए मेरे साथ 👉🏻 एकजा में