Ishq a Bismil - 73 in Hindi Fiction Stories by Tasneem Kauser books and stories PDF | इश्क़ ए बिस्मिल - 73

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इश्क़ ए बिस्मिल - 73

सब ने अपनी अपनी सीटें संभाल ली थी। हदीद और अज़ीन पीछे बैठे थे और अरीज उमैर के साथ सामने।
उमैर बिल्कुल खामोश बैठा गाड़ी चला रहा था हलांकी उसके अंदर हलचल मची हुई थी और उसे परेशान कर रही थी। तभी उसका सेल फोन बज उठा था। स्क्रीन पर सनम का नाम शो हो रहा था। उमैर न कॉल पिक कर ली थी।
“हाँ बोलो क्या बात है?” उमैर ने जानबूझ कर सनम नाम अपने मूंह से निकालने से खुद को रोका था इसलिए नहीं की अरीज उसके साथ थी बल्कि इस लिए के हदीद और अज़ीन भी साथ में थे।
“नहीं... मैं साइट पे जा रहा हूँ.... तो तुम खुद चली जाओ... मुझे अभी बिल्कुल फुर्सत नहीं मिलेगी।“ उमैर उसकी बातों का जवाब देता गया साथ में उसे मशवरा भी दे डाला मगर बध्यानी में गलती ये हो गई की उसने सनम का नाम तो नही लिया था मगर “तुम खुद चली जाओ” ये कह दिया था जिसे सुनते ही हदीद और अज़ीन के कान खड़े हो गए थे।
हदीद ने अज़ीन को देखा था। उमैर अभी भी सनम से बात कर रहा था जब हदीद ज़ोर से बोल पड़ा।
“अरीज आपी... आज आपने लंच में हमें क्या दिया है?” ये सुनते ही उमैर ने बैक व्यु मिर्रर में हदीद को खा जाने वाली नज़रों से देखा। उसके सवाल पर अरीज भी चौंक गई थी उसने भी मुड़ कर हदीद को देखा था मगर उसे जवाब नहीं दिया था।
“हाँ...साइट के लिए निकल रहा था तो वैसे ही बच्चों को स्कूल भी छोड़ने का सोच लिया।“ उमैर ने सनम को अजीज़ आ कर जवाब दिया था। सनम ने अरीज का नाम साफ़ सुन लिया था और अब उसे परेशानी हो रही थी।
“मैंने बच्चों का नहीं अरीज का पूछा है तुम से?” उमैर की बात पर इस दफ़ा सनम ने काफी ऊँची आवाज़ में उस से कहा था जिसकी वजह से उसकी आवाज़ फोन के बाहर बिना speaker के भी सब साफ़ सुनाई दे रही थी, उपर से उनकी गाड़ी इस वक़्त traffic में रुकी हुई थी।
“हाँ.. तो मैंने बच्चों कहा... उसमें वो भी शामिल है... मैं drive कर रहा हूँ... फोन रखो।“ उसकी ऊँची आवाज़ उमैर को बिल्कुल पसंद नही आई थी इसलिए उसने भी सनम को डांटते हुए ऊँची आवाज़ में कहा था और साथ में कॉल भी disconnect कर दिया था। फोन रखने के साथ वह हदीद को गुस्से भरी नज़र से देखना नहीं भुला था मगर हदीद को उसकी नज़रों से कोई खास फ़र्क नही पड़ रहा था बल्कि वह तो दिल ही दिल में खुश हो रहा था की उसकी वजह से सनम और उमैर में छोटी ही सही मगर बहस तो हुई।
अरीज को उमैर का गुस्सा देख कर शर्मिंदगी महसूस हुई थी की उसकी वजह से उन दोनों में बहस हो गई है और तो और अपनी बात सही साबित करने के लिए उमैर ने उसे बच्चों में शामिल कर दिया।
“आपी आपकी पढ़ाई कैसी चल रही है?” अज़ीन का ये सवाल इतना अजीब था की जिसे सुनते ही अरीज की आँखें हैरानी से उबल पड़ी थी। वह पीछे मुड़ कर अज़ीन को देखे बग़ैर नही रह पाई थी। जिसकी पढ़ाई की, homework की ज़िम्मेदारी अरीज ने उठा रखी थी आज वही उसकी छोटी बहन को ज़िंदगी में पहली बार अपनी बड़ी बहन के पढ़ाई का ख़्याल आया था।
कुछ कहना तो दूर अरीज बस उसे देख कर रह गई थी। हद तो तब हो गई थी जब हदीद ने कहा था।
“अच्छी ही चल रही होगी...आख़िर हमारी आपी कॉलेज में टॉप जो करती है.... मुझे पुरा यकीन है इस बार भी आपी टॉप ही करेगी।“ हदीद ने अज़ीन से काफी ऊँची आवाज़ में कहा था जैसे उसका मक़सद अज़ीन के साथ साथ बाकी लोगों को भी सुनना हो और साथ में उसकी नज़रें उमैर पर टिकी थी वह ये देख रहा था की उमैर उसकी बात सुन रहा है की नहीं। शुक्र है उमैर ने सुना था जभी तो एक तेज़ नज़र से उसे बैक व्यु मिर्रर मे देखा था।
अरीज तो शर्म से पानी पानी हो रही थी... आख़िर ये बच्चे करना क्या चाह रहे थे?... उमैर के सामने ये सब क्यों बोल रहे थे?... एक तो बोल रहे थे उपर से इतना झूठ के वह कॉलेज में टॉप करती है... अरीज ने अपना सर थाम लिया था।
“मैं तो सोच रहा हूँ के बाबा से बात करूँ।“ हदीद आज चुप कर के बैठने वाला नहीं था।
अरीज परेशान हो रही थी जाने वह आगे क्या कहने वाला है।
“किस बारे में?” हदीद से पूछा तो अज़ीन ने था मगर दिल ही दिल में ये सवाल अरीज और उमैर दोनों के मां में उभरा था। वह दोनों भी जान ने के लिए बेचैन थे की ये बाबा से ऐसी कौन सी बात करने वाला है।
“यही की आपी को further studies के लिए अब्रॉड भेज दिया जाए... लंदन सही रहेगा... तुम क्या कहती हो?.... आपी का टैलेंट वेस्ट नहीं जाना चाहिए।“ हदीद की बातों से लग रहा था की वह अरीज के career को लेकर काफी फ़िक्रमंद है। हदीद की इस बात पर तो जैसे अरीज की साँसे ही रुक गई थी। उसे अछू लगी थी और वह खांस रही थी। हदीद अज़ीन के साथ साथ उमैर भी परेशान हो गया था। उसने गाड़ी साइड पे लगाई थी और अरीज को पानी की बोतल दी थी।
अरीज ने पानी पिया था और थोड़ी देर के बाद उसकी खाँसी कंट्रोल में आई थी।
“तुम ठीक हो?” उमैर ने उस से फ़िक्रमंदी से पूछा था।
अरीज ने सर हिला का हाँ में जवाब दिया था और पीछे मुड़ कर उन दोनों से कहा था।
“क्या हो गया है तुम दोनों को?... बस करो।“ उसने डांटे हुए दोनों से कहा था। उमैर ने गाड़ी स्टार्ट की थी।
उसके बाद उन दोनों का स्कूल आने वक़्त तक कार में ख़ामोशी छाई रही। उन दोनों को स्कूल ड्रॉप कर के उमैर ने कार आगे बढ़ाई थी और साथ में अरीज से पूछा था।
“हाँ... तो कौन सा कॉलेज है तुम्हारा जहाँ तुम टॉप करती हो?” उसके सवाल पर अरीज को ऐसा लगा था की गाड़ी के साथ साथ धरती फटे और वह उसमे समा जाए।
इस के आगे क्या होगा जान ने के लिए बने रहे मेरे साथ और पढ़ते रहें वो जो क़र्ज़ था सिर्फ़ पॉकेट नोवेल पर