story of the birth of coconut in Hindi Classic Stories by Sagar Sonawane books and stories PDF | नारियल के जन्म की कहानी

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नारियल के जन्म की कहानी

प्राचीन काल में सत्यव्रत नाम के एक राजा राज करते थे। वह प्रतिदिन पूजा-पाठ किया करते थे। उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। वह धन दौलत से लेकर हर प्रकार की सुविधा से समृद्ध थे। हालांकि, इसके बावजूद भी राजा की एक अभिलाषा थी, जिसे वह पूर्ण की चाह रखते थे। दरअसल, राजा सत्यव्रत को किसी प्रकार से स्वर्गलोक जाने की इच्छा थी। वह अपने जीवन में कम से कम एक बार स्वर्गलोक के सौंदर्य को देखना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसका मार्ग नहीं पता था।

इधर, दूसरी तरफ ऋषि विश्वामित्र अपनी तपस्या के लिए घर से बाहर निकले। चलते-चलते वह अपनी कुटिया से काफी आगे चले गए थे। काफी समय बीत गया लेकिन वह नहीं लौटे। इस कारण उनका परिवार भूख और प्यास से तड़प रहा था। राजा सत्यव्रत को जब यह पता चला तो उन्हें ने ऋषि विश्वामित्र के परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी ले ली।

कुछ समय बाद जब मुनिवर लौटे तो वे अपने परिवार को कुशल देख काफी प्रसन्न हुए। उन्होंने पूछा कि उनकी अनुपस्थिति में किसने उनकी देखभाल की? इसपर ऋषि के परिवार वालों ने बताया कि राजा ने उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी उठाई थी। यह सुनकर ऋषि विश्वामित्र तुरंत राजमहल पहुंचे और राजा से मुलाकात की।

वहां पहुंचकर उन्होंने सबसे पहले महाराज को धन्यवाद कहा। इस पर राजा ने ऋषि अपनी इच्छा पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगा। राजा की बात सुनकर ऋषि विश्वामित्र ने कहा, “बोलिए महराज आपको क्या वरदान चाहिए।” तब महाराज ने कहा, “हे मुनि! मुझे एक बार स्वर्गलोक के दर्शन करने हैं। कृपया करके मुझे वहां जाने का वरदान दें।”

राजा की प्रार्थना सुनकर ऋषि विश्वामित्र ने एक ऐसा रास्ता बनाया जो स्वर्गलोक की ओर जाता था। यह देख राजा सत्यव्रत बहुत खुश हुए। वह तुरंत उस रास्ते पर चल पड़े और स्वर्गलोक पहुंच गए। यहां पहुंचते ही इंद्र देव ने उन्हें नीचे धक्का दे दिया, जिसके कारण वो सीधे धरती पर जा गिरे। राजा ने सत्यव्रत ने तुरंत सारी घटना ऋषि विश्वामित्र बताई।

राज की बात सुनकर ऋषि विश्वामित्र गुस्से से आग बबूला हो उठे। उन्होंने तुरंत सभी देवताओं से इस बारे में बात की और इस समस्या का हल निकाला। जिसके बाद राजा के लिए एक नया स्वर्गलोक बनाया गया। नए स्वर्गलोक को पृथ्वी और देवताओं के स्वर्गलोक के बीचो बीच स्थापित किया गया था, ताकि किसी को परेशानी न हो।

नए स्वर्ग लोक से राजा सत्यव्रत तो बहुत खुश हुए लेकिन विश्वामित्र को एक चिंता लगातार सता रही थी। उन्हें डर था कि नया स्वर्गलोक कहीं जोरदार हवा के कारण गिर न पड़े। अगर ऐसा होगा तो राजा सत्यव्रत दोबारा से धरती पर जा गिरेंगे। काफी सोच विचार के बाद ऋषि विश्वामित्र को एक उपाय सूझा। उन्होंने नए स्वर्ग लोक के नीचे एक बहुत लंबा खंभा लगा दिया, ताकि उसे सहारा मिल सके।

ऐसी मान्यता है कि नए स्वर्ग लोक के नीचे लगाया गया खंभा एक विशाल पेड़ के तने के रूप में बदल गया। यही नहीं, कुछ समय पश्चात जब राजा सत्यव्रत की मृत्यु हुई तो उनका सिर एक फल में तब्दील हो गया। सभी से इस खंभे को नारियल का पेड़ कहा जाने लगा। जबकि राजा का सिर नारियल के रूप में जाना गया। यही कारण है कि नारियल का पेड़ इतना लंबा होता है।

कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर सच्चे मन से किसी की मदद करे तो हमारी हर ख्वाहिश पूरी हो सकती है।