Paap Ka Batwaara in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | पाप का बँटवारा

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पाप का बँटवारा

 

                             कहानी  -  पाप का बँटवारा 

 


नरेश लाल के रिटायरमेंट में एक साल रह गया था .उसकी  पत्नी  दो साल पहले ही दुनिया से रिटायर हो चुकी थी .नरेश राज्य सरकार में नौकरी कर रहा था . वह ग्रेजुएट तो था , मगर बहुत मुश्किल से उसे क्लर्क की नौकरी मिली थी और अब नौकरी का अंतिम पड़ाव आते आते सेक्शन अफसर बन गया  यानि बड़ा बाबू . 


नरेश बहुत सीधा साधा इंसान था .उसके तीन बच्चे थे .सबसे बड़ा बेटा सुरेश , उसके बाद दूसरा बेटा मुकेश और सबसे छोटी बेटी गीता . उसके तीनों बच्चे सैटल  कर चुके थे .तीनों बच्चों की शादी भी पत्नी के जीवन काल में ही हो गयी  थी .अब वह खुद उनकी तरफ से निश्चिन्त हो चुका था .


नरेश ने अपने बच्चों को सदा मिल जुल कर रहना सिखाया  .कोई भाई बहन आर्थिक रूप से कमजोर हो तो 

तुमलोग आपस में बाँट कर खाना  गीता तो शादी के बाद अपनी ससुराल चली गयी थी .दोनों बेटे भी उसी शहर में नौकरी करते थे . 


बड़े  बेटे सुरेश को अनेकों बार प्रयास करने के बाद भी  सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी थी .उसे तीन बेटियां 

भी थीं .वह  एक प्राइवेट स्कूल में टीचर था .छोटा  बेटा मुकेश सरकारी नौकरी में  था .वह एक सेल्स टैक्स अफसर था .पगार के अतिरिक्त ऊपरी आमदनी भी अच्छी थी .शहर के व्यापारियों से उसे हमेशा ऊपरी आमदनी होती रहती थी  . मुकेश  को  दो बेटे थे .


अभी दोनों बेटे नरेश के घर में ही रहते थे  . वे एक तरह से संयुक्त परिवार की तरह रहते थे .पर दोनों बहुओं में नहीं पटती थी  .छोटी बहू हमेशा रोब दिखाया करती कि इस घर के खर्चे में  में सबसे ज्यादा रूपये उसके पति का लगता है .हालांकि दोनों भाई मिल जुल कर रहते थे , उनमें किसी तरह का मनमुटाव नहीं था .


नरेश ने अपने जीवन काल में ही मकान का बंटवारा कर दिया था . रिटायरमेंट के पैसों में ज्यादा हिस्सा वह सुरेश  को देना चाहता था क्योंकि वह आर्थिक रूप से कमजोर था और उसे तीन तीन बेटियों की शादी भी करनी थी .पर छोटी  बहू ने ऐसा नहीं करने दिया .नरेश ने बेटी गीता और दामाद से भी सलाह कर संपत्ति में  उनके हिस्से के लिए  उन्हें एक मुश्त कुछ रूपये दे दिये   .मकान ज्यादा बड़ा तो था नहीं  उसके तीन टुकड़े करने पर किसी के रहने लायक नहीं रह जाता इसलिए नरेश ने बेटी दामाद को कुछ रूपये ही दे दिया था .हालांकि गीता और उसके  पति दोनों नेक दिल इंसान थे .उन्होंने बस एक छोटी सी रकम लेना स्वीकार किया था और अपने हिस्से की बाकी रकम सुरेश  भैया को देने को कहा था .कुछ दिनों के  बाद नरेश का देहांत हो गया .


मुकेश  ने शहर के पॉश  इलाके में एक फ्लैट बुक कर रखा था .फ्लैट मिलते ही पत्नी ने कहा  "  अब इस गली कूचे के पुराने मकान में नहीं रहना है . अब हम अपने नए फ्लैट में रहेंगे ."


मुकेश  ने चाहा था कि वह अपने हिस्से को मकान  किराया पर लगा देगा और वह रकम सुरेश भैया को दे देगा .पर पत्नी को यह भी मंजूर नहीं था .


सुरेश  की आमदनी बहुत कम थी .पिता के दिए रकम को बेटियों की शादी के लिए डिपाजिट कर दिया था .घर के रोज मर्रे के खर्च , बच्चों की पढ़ाई लिखाई आदि में काफी दिक्कत आ रही थी .मुकेश ने भाई की मदद करने की युक्ति निकाली .अब वह घर गृहस्थी में काम आने वाले सामान काफी मात्रा में अपने घर मंगवाने लगा .पत्नी को बोलता कि यह ऊपरी कमाई का है . हालांकि उन सामानों में कुछ उसके अपने पैसे के भी होते थे .


वह पत्नी से कहा करता " इतना सारा सामान तो हम खपत नहीं कर सकते हैं .क्यों न कुछ भैया के यहाँ भेज दें ."


पत्नी भी ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो जाती और बोलती  "  हाँ , यह ठीक रहेगा .अकेले तो इतना सारा सामान  हमारे काम से काफी ज्यादा है और इनमें कुछ तो चंद  दिनों बाद इस्तेमाल के लायक नहीं रहेंगे .बेहतर है उन्हें भेज दें , इसी बहाने कुछ पुण्य कमा लेंगे और उनकी दुआ भी मिलेगी ."


इस तरह सुरेश को बिना मांगे ही छोटे भाई से मदद मिलने लगी . अलग रहने के बाद भी दोनों भाई अक्सर मिलते रहते थे .मुकेश बोलता  " भैया तुम चिंता न करना .भतीजियों की शादी में भी जितना बनेगा मैं जरूर मदद करूंगा ."


"  पर यह सब देख कर तेरी पत्नी नाराज होती होगी और मेरे चलते घर में अशांति होगी .वैसे भी इतना तो तेरे अपने पैसों से होने से रहा .तू कोई गलत काम तो नहीं कर रहा है ? "  सुरेश ने पूछा 


"  भैया , मैं बस इतना करता हूँ कि लोगों का काम समय से या कभी तय समय सीमा से पहले ही कर देता हूँ.अपनी मर्जी से कोई उपहार स्वरूप देता है तो इंकार नहीं करता .यहाँ तो सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते लोगों के जूते  घिस जाते हैं फिर भी काम नहीं हो पाता है ."


"  फिर भी यह पाप है न ?  "  


"  मैं ऐसा नहीं  समझता हूँ .और  पापा के कहने के मुताबिक मिल जुल कर बाँट कर खा रहा  हूँ ." और  वह हँस पड़ा  


"  मतलब तू पाप का बँटवारा  कर रहा है . "


दोनों भाई एक साथ  ठहाके लगा कर हँस पड़े थे .     

 

                                               समाप्त