The Author Namita Verma Follow Current Read सफेद रंग - भाग 3 By Namita Verma Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books सनातन - 2 (2)घर उसका एक 1 बीएचके फ्लैट था। उसमें एक हॉल और एक ही बेडरू... गोमती, तुम बहती रहना - 7 जिन दिनों मैं लखनऊ आया यहाँ की प्राण गोमती माँ लगभग... मंजिले - भाग 3 (हलात ) ... राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... 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मुन्नी अब एक मुर्दे की तरह हो चुकी थी उसे सिर्फ अपने आसपास आवाजे ही सुनाई दे रही थी,कुछ जानी पहचानी तो कुछ नई,उसे पता ही नहीं चला कि कब उसे लाया गया ओर कब उसके हाथों में लाल चूड़ी पहना कर उसका रिश्ता पक्का कर दिया गया, इतनी नफरत उसे चूड़ियों से आज से पहले कभी नहीं हुई थी, वहां सब खुश थे सिवाऐ मुन्नी के उनकी भाषा में कहे तो ये सब उसी की खुशी के लिए ही तो हो रहा था।1माह के बाद ब्याह की तारीख रख दी गई , और किसी ने इनकार भी नहीं किया कि इतनी जल्दी क्यों, उस रात मुन्नी ने अपने सारे सपने,अपनी मासूमियत अपनी उम्मीदे सबका अपने हाथों से गला घोट दिया था, मुन्नी उस रात इतना फूट-फूटकर रोई कि उम्र भर के आंसू आज ही खर्च करने हो, कहना आसान होता है कि, कहां एक रात में किसी की जिंदगी उजड जाती है ,कहां किसी का सब छीन जाता होगा, मगर मुन्नी उस रात मुन्नी से राधिका बन चुकी थी और अपनी मुन्नी की अर्थी उसने खुद अपने हाथों से उठाई थी, खुद को तसल्ली दे रही थी कि शायद ऐसा ही होता होगा, मां के साथ भी ऐसा ही हुआ होगा, मां की मां के साथ भी, तो मैं कैसे बदल सकती हूं सब। हां सच में मुन्नी ने हार मान ली थी ,इतना चौक क्यों रहे हो ?आपको क्या लगा वह बगावत करेगी तो उसे जीने दिया जाएगा,16 बरस की नन्ही जान एक खिलौने,कुछ चूड़ियों के लिए आज तक बस इतनी ही जिद्द करती आई है ,आज तक उसने बस इतनी ही जिद्द करना सीखा है और उसके मां-बाबा भी मान जाते थे, क्योंकि वो कहां अपनी बिटिया के आंसू देख पाते थे , मगर अब, अब क्या ? "रात के आंसू कहां ,भला कभी सुबह का चेहरा देख पाते हैं और रही बात निशानों की वो तो पानी से धुल जाते हैं" To be continue......Namita verma ‹ Previous Chapterसफेद रंग - भाग 2 Download Our App