कहानी - यह शादी नहीं हो सकती है 2
Part - 2 पिछले अंक में आपने पढ़ा कि डॉ माया ने मीना सिन्हा की डिलीवरी कराया था , अब आगे पढ़ें ….
पांच दिनों तक मीना मेरे अस्पताल में रही थी पर उसका पति मिलने नहीं कभी आया और डिस्चार्ज के दिन भी देवर ही आया था . उसका चेहरा देख कर मुझे तीन साल पहले हुए हादसे की याद आयी . उसका चेहरा मेरे रेपिस्ट से मिलता था , मुझे कुछ शक हुआ . मैंने मीना और उसके देवर दोनों से बात की तब मुझे पता लगा कि उसका देवर दुबई में काम करता था और चार साल बाद वापस इंडिया आया है . उसका बड़ा भाई है वह भी बहरेन में काम करता है और करीब दस महीने पहले आया था फिर इसके बाद उसे आने के लिए छुट्टी नहीं मिली .
मीना के डिस्चार्ज के पहले मैंने उसकी बेटी का ब्लड सैंपल ले कर DNA टेस्ट करवाया फिर अपने बेटे से मैच कराया तो 80 % मैच कर गया .
मेरी जिंदगी में राज के आने का कारण एक हादसा था .मम्मी पापा के अचानक देहांत के बाद मैं खुद अनाथ सी हो गयी थी . मैं पापा के एक दोस्त के संरक्षण में बड़ी हुई . मेरे मेडिकल कॉलेज में जाने के बाद मुझ पर अंकल का साया भी न रहा . राज की देखभाल के लिए मैंने एक फुल टाइम आया रखा था . हालांकि शुरू में मैं राज को जन्म देना ही नहीं चाहती थी और उस से नफरत करती थी . मैं खुद एक कैथोलिक क्रिश्चियन हूँ .जिस हादसे का मैं शिकार हुईं थी उसके चलते किसी के दुष्कर्म का बीज मेरे पेट में पनप रहा था . मैं तो एबॉर्शन चाहती थी मगर चर्च के फादर ने मुझे मना करते हुए कहा “ हमारा धर्म इसकी इजाजत नहीं देता है . तुम अगर बच्चा नहीं चाहती तो जन्म के बाद इसे मुझे दे देना . उसके बाद बच्चा हमारी जिम्मेदारी है , तुम्हें इस से कोई लेना देना नहीं होगा . ”
समय पर मैंने राज को जन्म दिया और राज को चर्च के फादर ले गए . जाते जाते उन्होंने कहा “ मैंने तुम्हारे बच्चे के लिए नाम पहले से ही सोच रखा है - राज होगा उसका नाम . “
पर दो दिनों के अंदर ही फादर घबड़ाये हुए मेरे पास आये और बोले “ बेटी , तुम्हारा बेटा बहुत बीमार है . वह बाहर का दूध नहीं पीना चाहता है , जब से यह गया है बहुत मुश्किल से दूध की चंद बूंदे पी है बस . डॉक्टर ने कहा राज को माँ का दूध दे कर देखिये , माँ का दूध अमृत है और उस में बहुत शक्ति होती है . प्लीज तुम अपना दूध उसे दो . “
मैंने कहा “ फादर , आप अपना वादा तोड़ रहे हैं . याद कीजिये आपने क्या कहा था कि जन्म के बाद बच्चा आपकी जिम्मेदारी है . “
“हाँ , कहा था पर ईशु किसी बच्चे को मरते देख दुःखी होगा वह भी जब बच्चे का कोई कसूर नहीं है . किसी की जिंदगी के लिए वादा तोड़ने में कोई बुराई नहीं है . तुम देर न करो और उसके लिए अपना दूध दो . “
बहुत समझाने पर मैंने एक बोतल में अपना दूध ला कर फादर को दिया . फादर दूध ले कर तो गए पर एक घंटे के अंदर फिर वापस आये और बोले “ बेटी आई एम सॉरी . तुम्हारा बेटा चम्मच से दूध नहीं पी रहा है . मैंने बहुत कोशिश की . दूध की कुछ बूँदें कॉटन बॉल से उसके मुंह में डालना चाहा पर वह इसे भी नहीं स्वीकार कर रहा है . अब उसकी जान तुम्हारे हाथ में है . “
“ अब मैं कर क्या सकती हूँ ? आपने कहा दूध देने को मैंने दिया अब और क्या चाहते हैं . “
“ डॉक्टर ने स्तनपान कराने को कहा है . “
“ यह मुझसे नहीं होगा , प्लीज मुझे फ़ोर्स न करें फादर . “
“ मैं फ़ोर्स नहीं कर रहा पर तुमसे विनती करता हूँ कि तुम खुद एक बार चल के देख लो . तुम्हें उस पर दया आएगी वह लगातार रोये जा रहा है . मैंने नन मेरी को उसे देखने को कहा है . बहुत कोशिश करने पर भी उसका रोना नहीं रुकता .जब कभी उसका मुंह मेरी की स्तन पर पड़ता तब वह कुछ पल के लिए चुप हो जाता है फिर छटपटा कर रोने लगता है . डॉक्टर ने कहा बच्चे को एक बार ब्रेस्टफीडिंग करा के देखिये , शायद बात बन जाये . इसलिए मैं दोबारा तुम्हारे पास आया हूँ , प्लीज निराश नहीं करना . “
फादर के साथ डॉक्टर भी आया था और उसने भी फादर की बात का समर्थन किया .
आखिर बहुत समझाने पर मैं फादर के साथ गयी . मैंने बच्चे को दयनीय स्थिति में रोते देखा . जैसे ही मैं बच्चे के पास गयी वह मुझे बड़े ध्यान से देखने लगा और चुप हो गया . सभी इस दृश्य को देख कर आश्चर्यचकित रह गए .
फादर ने कहा “ राज ने अपनी मम्मी को पहली ही नजर में पहचान लिया . यह स्वाभाविक गुण प्रभु ने हर बच्चे को दिया है . “ फिर मेरी से कहा “ हमलोग बाहर बैठते हैं , तब तक माया बच्चे को दूध पिलाएगी . “
राज को देख कर मेरे मन में भी दया भर आयी . आखिर जिसे नौ महीने अपने गर्भ में रखा था उसकी दयनीय हालत देख कर मेरा दिल कैसे नहीं पसीजता . मेरी आँखों में आंसू भर आये . मैंने जैसे ही राज को गोद में लिया उस के चेहरे पर ख़ुशी की झलक नजर आयी . मैंने अपनी अंगुली राज के हाथ में रखा तो उसने मुट्ठी बाँध ली . मैंने धीरे से अपना आँचल हटा कर उसके मुंह पर अपना स्तन रखा राज ने अपनी माँ के दूध का स्वाद चखा . मैं भी प्यार और ममता से उसके सर को अपने हाथ से सहलाने लगी . कुछ ही देर में राज ने तृप्त हो कर दूध पीना छोड़ दिया और आँखें फाड़ कर मुझे देखने लगा जैसे बहुत पुरानी जानपहचान हो . मेरी भी वहीँ मौजूद थी , उसने कहा “ प्रभु ने राज को जीवनदान दिया है . आखिर एक माँ अपने बच्चे को तड़पता नहीं छोड़ सकती है . यह प्रभु का वरदान है . “
कुछ देर बाद फादर ने देखा कि मैं राज को गोद में लिए उसे प्यार से चूम रही थी . बच्चे के गाल पर मेरे आंसू की बूँद गिरते ही बच्चा कुछ चौंक सा गया . मैंने कहा “ बेटा तू डर क्यों गया , मैंने तुझे प्यार किया है . “
फादर ने पास आ कर कहा “ मैंने तुम्हें राज को प्यार करते देखा है . यह नेचुरल है . माँ बच्चे से कब तक दूर रह सकती है . तब मैं क्या समझूँ तुम इसे अपने साथ ले जाओगी ? “
क्रमशः ( आगे अंतिम भाग में )