Saat fere Hum tere - 44 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 44

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सात फेरे हम तेरे - भाग 44

आज का दिन बहुत ही स्पेशल है माया दी के लिए।
माया तैयार हो कर आ गई। नैना ने कहा दीदी आप साड़ी पहन लिजिए।
माया ने कहा मैं साड़ी नहीं पहनुगी। नैना ने कहा अच्छा ठीक है।
फिर सब तैयार हो कर नीचे पहुंच गए।
कुछ देर बाद ही सागर आ गया ।सबने मिलकर नाश्ता किया।
सागर ने कहा आप सब से मिलकर अच्छा लगा।
विक्की ने कहा हां ठीक है अब कुछ देर आप और माया दी बात कर लें।
फिर सब कमरे में चले गए।
माया और नैना बैठ गए।
सागर ने पूछा क्या तुमने शादी कर ली। माया ने कहा ये कैसा सवाल है?
सागर ने कहा उस समय जब मैं तुम्हारे यहां आने के लिए निकल गया था पर एक एक्सिडेंट ने मेरी जिंदगी बदल कर रख दिया और इसी वजह से मैंने आज तक फोन भी नहीं किया और ना ही कोई निर्णय ले पाया।
माया ने कहा कैसा एक्सिडेंट?
सागर ने कहा बहुत ही बड़ा एक्सिडेंट हुआ था जिससे मेरी जिंदगी बदल गई। मैं पीछे हट गया एक कायर की तरह मै क्या करता मजबूर था।
मुझे मेरे एक एक्सिडेंट ने मेरा सबकुछ छिन लिया था एक बाप होने की खुशी क्या होती है ये मुझसे बेहतर कौन जान सकता।
माया ये सुनकर रोने लगी और फिर बोली ये क्या बोल रहे हो इतने सालों तक खुद ही सब कुछ सहन कर रहे थे।
सागर ने कहा कैसे बताता क्या बताता। माया ने कहा मैं तो क्या क्या सोच रही थी।
सागर ने कहा हां ठीक ही तो है पर तुम लोग कैसे एक बार भी नहीं पता किया कुछ।।

माया ने कहा क्या मेरा प्यार किसी भी चीज का मोहताज है नहीं ना।।
तो फिर कैसे ऐसा सोचा कि मैं तुम्हें शादी नहीं करूंगी।
प्लीज़ एक बार मुझे फ़ोन कर सकते थे आज इतने बरसों के बाद ये बोल रहे हो कि तुम मुझे सन्तान सुख नहीं दे सकते थे।
तुम से बढ़ कर कुछ तो नहीं था जिंदगी में।
कुछ तो समझिए घर वालों को पता है कुछ।।

सागर ने कहा हां सबको पता है।।
नैना ने कहा हां ठीक है सागर जी पर अब क्या करना है।।
सागर ने कहा माया क्या चाहती है। माया ने कहा अब मेरे चाहने न चाहने से किसी को क्या फर्क पड़ता ।
नैना ने कहा हां ठीक है पर एक बार आप दोनों को एक साथ बैठ कर बातें करना चाहिए।
कल सुबह।
माया ने कहा हां ठीक है सागर क्या तुम एक बार दिल्ली आ सकते हो।।

सागर ने कहा हां मुझे तो एक बार आना ही है।
कुछ देर बाद विक्की आ जाता है और फिर बोलता है कि चले अब लंच करने चले।

फिर सब मिलकर नीचे खाना खाने पहुंच गए।
विक्की ने बहुत कुछ मंगवाया था।
फिर सब मिलकर खाना खाने लगे।
विक्की ने कहा और कुछ चाहिए तो जरूर बोलिए।

सागर ने कहा मैंने सोचा है कि अगले महीने कानपुर आता हूं।

विक्की ने कहा इससे अच्छा और क्या है। माया ने कहा जब तक नहीं आते मुझे विश्वास नहीं है।

सागर ने कहा हां पता है मैंने तुम्हारा भरोसा तोड़ा है। प्लीज़ एक बार मुझे मौका दे दो और कुछ नहीं मांगता।

माया ने कहा हां अब जब इतने साल बीत गए हैं तो अगर तुम नहीं आओगे तो मेरा कुछ भी नहीं जाएगा और क्या।

बिमल और अतुल ने कहा सागर जी निलेश आपका बहुत मानता था। सागर ने कहा हां निलेश का मुझे पता चला कि उसने क्या क्या किया।

नैना ने कहा हां निलेश की आंखें ही मेरे जीवन का आधार बन गया।

सागर ने कहा हां मैं समझ सकता हूं पर एक बात कहना चाहता हूं तुम भी हमारी तरह मत करो जब कोई तुम्हें दिल से चाहता हो उसको तुम भी अपना लो।

माया ने कहा चलो देखते हैं कि तुम क्या करते हो।।


सागर ने कहा मैं जल्दी ही कानपुर आता हूं वैसे तुम लोग कब तक हो यहा?

विक्की ने कहा बस हम भी इस महीने की आख़री तारिख तक है।

माया ने कहा हम तो निलेश के बाद जीना ही छोड़ दिए थे।
पर शायद भगवान को हमारा दुख ना देखा गया तो उसने विक्की को भेज दिया। और वही से हमारी सारी खुशियां वापस आ गई।
शायद कुछ तो अच्छा किया होगा हमने जो आज विक्की है हमारे पास।

सागर ने कहा अच्छा ठीक है अब मैं चलता हूं किसी दिन सबकोई मेरे घर आ जाओ।

विक्की ने कहा इस बार नहीं पर अगली बार जरूर आऊंगा।
सागर ने कहा अच्छा अब चलता हूं।ये कहते हुए उठ गए।
माया की पलकें नम हो गई थी। आज बरसों बाद जिसे वो प्यार करती है उसे आंखों के सामने देखती है।

फिर सब अपने अपने कमरे में जाकर सो गए।

शाम होते ही विक्की अतुल और बिमल चाय के साथ माया के कमरे में पहुंच गए।

विक्की ने कहा सब एक जगह चलते है। नैना ने कहा अब कहां? विक्की ने कहा चलो तो सब।
फिर सब तैयार हो गई।

सब बस में बैठ गए और निकल गए।

अंगुरी बाग बहुत ही प्रसिद्ध बाग है।


कुछ देर बाद ही सब पहुंच गए बाग में।
एक गाइड था जो सब को जानकारी दे रहा था

,Heaven on Earth मुगल साम्राज्ञी नूरजहां ने बनवाया था आगरा में अंगूरी बाग। आज भी बाग में लगी हुई हैं अंगूर की बेल। बाग की खासियत यह है कि इसे षटकोण के डिजाइन में रेड सैंड स्टोन से कई भागों में बांटा गया है।

खस महल के सामने ऐतिहासिक आंगन, औपचारिक चारबाग शैली के बगीचे है। शाहजहां ने 1637 में अंगूरी बाग या अंगूर का बगीचा बनाया था। 85 सममित उद्यान भी है।

शाह जहान ने 1637 में अंगूरी बाग या गार्डन ऑफ अंगूर का निर्माण किया। खस महल के साथ इसके पूर्व और अन्य तीन तरफ लाल बलुआ पत्थर के मेहराब, यह ज़ेनाना अपार्टमेंट्स या शाही महिलाओं के रहने वाले क्षेत्र का प्रमुख वर्ग था। इसके केंद्र में एक फव्वारे के साथ एक संगमरमर का पक्का मंच था और बगीचे को जटिल ज्यामितीय पैटर्न में डिब्बों में विभाजित किया गया था। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह उद्यान साल भर अंगूर और फूलों की सबसे अच्छी फसल के लिए जाना जाता था। यह एक सुखद वापसी या शाही महिलाओं के लिए स्वर्ग उद्यान के रूप में बनाया गया था और उनकी पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित की थी। शाही नीले और सोने में उत्तम दीवार चित्रों से सजे हम्माम या शाही स्नानागार इसके उत्तर-पूर्व में स्थित थे। जहाँगीरी महल के पास की टंकियों ने इस उद्यान के तालाबों और स्नानघरों को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की।

फिरदौस बर रुए जमीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त'। मुगल शहंशाह जहांगीर ने कश्मीर की खूबसूरती पर फना होकर फारसी में यह बात कही थी। इसका मतलब है कि धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं हैं, यही हैं और सिर्फ यहीं पर है। धरती की 'जन्नत' कश्मीर से आगरा का भी वर्षों पुराना नाता है। आगरा किला में नूरजहां द्वारा अंगूरी बाग के लिए कश्मीर से ही मिट्टी मंगवाई गई थी।

आगरा को राजधानी बनाने वाले मुगल शहंशाह अकबर ने वर्ष 1565 से 1573 के बीच आगरा किला का जीर्णोद्धार कराते हुए यहां कई भवन बनवाए थे। इस किले में बाद में जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब और ब्रिटिश काल तक निरंतर काम होते रहे हैं। जहांगीर के समय चूने के सफेद प्लास्टर का काम हुआ तो शाहजहां ने सफेद संगमरमर के भवन बनवाए। औरंगजेब ने किले के बाहर दूसरी खाई बनवाई। ब्रिटिश काल में कई पुराने भवनों को तोड़कर बैरक बना दिए गए। मुगल शहंशाह जहांगीर अधिकांश समय कश्मीर एवं लाहौर में रहा, लेकिन आगरा की नियमित यात्राएं करता रहा। आगरा आने पर वो आगरा किला में ही रुकता था। यहां उसने न्याय की जंजीर भी लगवाई थी। उसकी बेगम मुगल साम्राज्ञी नूरजहां ने आगरा किला में खास महल के सामने अंगूरी बाग बनवाया था। इसके लिए कश्मीर से मिट्टी मंगवाई गई थी। बाग की खासियत यह है कि इसे षटकोण के डिजाइन में रेड सैंड स्टोन से कई भागों में बांटा गया है। एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमसुद्दीन खान बताते हैं कि जहांगीर सुरा प्रेमी था। अागरा किला में नूरजहां ने जहांगीर के लिए बाग बनवाकर अंगूर की बेल लगवाई थीं। अंगूरों की बेल लगी होने से यह अंगूरी बाग के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

आगरा के कश्मीर से रिश्ते मुगल शहंशाह अकबर के समय जुड़े थे। साम्राज्य का विस्तार करते हुए वर्ष 1586 में अकबर ने कश्मीर को मुगल साम्राज्य में मिलाया था। उसने कश्मीर की तीन यात्राएं 1589, 1592 और 1597 में की थीं। जहांगीर के समय तो कश्मीर मुगल साम्राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना रहा। उसने वहां बाग लगवाए। शाहजहां ने भी वहां किले, बाग और इमारतें बनवाई थीं। कश्मीर वर्ष 1753 तक मुगल साम्राज्य में शामिल है

पदमश्री केके मोहम्मद द्वारा अंगूरी बाग में वर्ष 2003 में (आगरा सर्किल के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद) खोदाई कराई गई थी। उस समय उद्यान शाखा को यहां काम करना था। तब बाग में खोदाई कर यह देखा गया था कि इसके नीचे कोई संरचना तो नहीं है। खोदाई में नीचे बाग की मूल संरचना मिली थी। ब्रिटिश काल में उसी पैटर्न को अपनाते हुए बाग लगवा दिया गया था


उसके बाद विक्की लोग वहां पर ही बैठ कर सुनने लगे।

क्रमशः