विकी कार को ड्राइव वे में लेकर खड़ा था। वह सुलतान का इंतजार कर रहा था । थोड़ी देर बाद सुलतान आया फिर वह कार स्टार्ट करके दोनो चाय पानी पीने पास के किसी कैफे में जाते है । पूरी राइड के दौरान सुलतान किसी के साथ बात कर रहा था । विकी पूछना तो चाहता था पर वह सुलतान को भी अच्छे से जानता था । उसे बिलकुल पसंद नहीं आता जब कोई उसे हर बात पे रोक टोक करे या ज्यादा सवाल पूछा करे। और बदले में सुलतान भी किसी के मामले में टांग नहीं अड़ाता। विकी कार को साइड में रोकते हुए कहता है ।
विकी: सुलतान!? ।
सुलतान: ( फोन को कान से दूर करते हुए ) हां!? ।
विकी: हम पहुंच गए! चलो!? ।
सुलतान: हां! तुम जाओ कुछ ऑर्डर करो! मैं पांच मिनिट में आता हूं! ।
विकी: ओके..... जल्दी आना! ( कहकर वह कैफे के अंदर चला जाता है ।) ।
विकी कैफे में मेनू देखकर ऑर्डर कर ही रहा था। वह पेमेंट के लिए क्रेडिट कार्ड दे ही रहा था की तभी आवाज आती है । एक्जक्यूमी क्या यहां पे शुगर फ्री मेकरोन है क्या!? । विकी आवाज सुनते ही एक ही जटके में पीछे घूमता है । सामने देखता है तो स्मृति खड़ी थी। वह अपने पर्स में कुछ ढूंढ रही थी..... शायद कार्ड या फिर कुछ और.... । विकी एक पल के लिए उसे देखे जा रहा था की यह कैसा संजोग है जब वह स्तुति से मिलने गया तब मिल नही पाया और अब जब उसने सोचा भी नहीं तो वह उसे यहां ऐसे मिली.... थोड़ी देर के लिए तो वह अपनी जगह से हिल ही नहीं पाया पर जब काउंटर विकी को पेमेंट के लिए कोड़ डालने के लिए कहता है । तब वह पीछे मुड़ते हुए.... जल्दी से मुंह छुपाते हुए... कोड़ डालते हुए .... थैंक्यू कहकर जल्दी से पास के टेबल पर स्मृति से दूर छुपते छुपाते हुए बैठ जाता है । वह मेनू से अपना चेहरा छुपा लेता है । वह अपने चेहरे को आधा निकालते हुए स्मृति को देख रहा था की वह क्या कर रही है । तभी सुलतान आकर कहता है....।
सुलतान: विक्रम!? ।
विकी: ( मुंह पर उंगली रखते हुए ) शहहहह..... इतना जोर से बोलने की क्या जरूरत है..... ।
सुलतान: ( पीछे कमर अपने बंदूक पर हाथ रखते हुए ) क्या हुआ सब ठीक है!? ।
विकी: यस पर तुम थोड़ा धीरे बोलो! ।
सुलतान: ( आसपास देखते हुए ) कोई खतरा!? ।
विकी: ( सुलतान की और देखते हुए ) अरे.... मेरे बाप कोई खतरा नहीं है.... सामने देख स्मृति मेरा मतलब स्तुति खड़ी है ।
सुलतान: ( काउंटर की ओर देखते हुए ) ये यहां क्या कर रही है!? ।
विकी: कैफे में कोई इंसान क्या करेगा.... कुछ खाना खाने या फिर चाय कॉफी पीने आया होगा ।
सुलतान: वो तो मुझे भी दिख रहा है.... पर इसी वक्त क्यों!? और जब हम आए तभी क्यों!? ।
विकी: सेरियासली सुलतान तुम अभी इस बात को भी शक की नजरो से देख रहे हो!? ।
सुलतान: शक वाली बात ही है तुम तो प्यार में अक्ल के अंधे हो चुके हो! पर मेरा दिमाग अभी चल रहा है ।
विकी: ( तभी विकी के टेबल नंबर का अनाउंसमेंट होता है ।) सुलतान...!?
सुलतान: हां!?
विकी: हमारे टेबल नंबर है...! ।
सुलतान: ( मोबाइल में से विकी की ओर देखते हुए ) तो...!? ।
विकी: तो यह की तुम जाओ लेके आओ.... मैं नहीं जा सकता! ।
सुलतान: ( चेयर से उठते हुए ) सिरियासली व्हाट यू आर नई नवेली दुल्हन !? ।
विकी: थैंक यू.... ।
सुलतान: यू आर हॉपलेस।
सुलतान काउंटर पे जाते हुए.... ऑर्डर की ट्रे ले ही रहा था की तभी स्मृति कहती है ।
स्मृति: एक्सक्यूजमी.... यह मेरा ऑर्डर है!? ।
सुलतान: ( स्मृति की ओर घुर्राते हुए देखता है ।) जी!? ( आईब्रो ऊपर करते हुए ) ।
स्मृति: मैंने कहां ये ऑर्डर मेरा है! ।
सुलतान: मिस ओवरस्मार्ट पहले आप अपना नंबर देखिए और ट्रे पर जो नंबर लिखा है वो देखिए ।
स्मृति: मेरे पास 66 नंबर का टोकन है और आपके हाथ में 66 नंबर है ।
सुलतान: ( गुस्से में हंसते हुए ) गॉड पता नहीं ऊपर खोपड़ी में कुछ है भी या नहीं.... ( स्मृति के हाथ से टोकन छीनते हुए... मिस स्मार्टी ये 66 नहीं 99 है उल्टा टोकन पकड़ा है और ऑर्डर ट्रे में दिख नहीं रहा की तुमने जो मंगवाई वो चीज नहीं है ..... इडियट .... ( इतना कहते ही वह ट्रे लेकर वह अपने टेबल की ओर चला जाता है ।
विकी: क्या बात कर रहे थे तुम दोनो!? ।
सुलतान: ( ट्रे को टेबल पर रखते हुए ) कुछ नहीं बहुत ही इडियट लड़की और बकवास चॉइस है तुम्हारी यहीं कहां मैने उसे ।
विकी: क्या!? ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) चील.... कुछ नहीं कहां मैने उसे ..! ।
विकी: थैंक गॉड वर्ना तुम्हारा कोई भरोसा नहीं तुम कुछ भी सोचे समझे कर देते हो! ।
सुलतान: हां.. हां.... ( कॉफी पीते हुए ) ।
विकी और सुलतान दोनो ही नाश्ता कर ही रहे थे तभी.... स्मृति आती है...! । जिस वजह से सुलतान अपना सेंडविच प्लेट में रखते हुए... स्मृति की ओर देखते हुए कहता है ।
सुलतान: अब क्या!? खाना छिनने आई हो ।
स्मृति: अम... वो मैं सॉरी कहने आई थी... ।
सुलतान: जी नहीं थैंक यू हमे आपकी सॉरी की कोई जरूरत नहीं है...! आप जा सकती है ।
स्मृति: ( विकी की ओर जिसने मेनू से मुंह छुपा रखा था ।) देखिए आप अपने दोस्त से कहिए मेरा कोई इरादा नहीं था .... वो गलती से मुझे लगा की मेरा ऑर्डर है।
सुलतान: क्या तुम्हे एक बार में समझ नहीं आता की कोई फर्क नही पड़ता तुमने गलती से किया या जानबूझ कर जस्ट गो... ।
विकी: सुलतान... शांत और ऐसे बदतमीजी से बात करने का कोई फायदा नहीं है! । जस्ट बात को सुलजाओ और जाने दो ।
सुलतान: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) जाने दूं! सीरियसली!? ... मुझे ना इडियट लोगो से सख्त नफरत है और वो लोग जो ओवर स्मार्ट बनने आए तब तो जाने ही दो.... यहां ये दोनो ही बार आई है... मैं नहीं गया उसे परेशान करने ।
विकी: ( मेनू को साइड में पटकते हुए) हां पर जाने भी दो! बच्चो जैसे लड़ने में क्या ही मिलेगा!? ।
स्मृति: तुम!? ।
विकी: ( स्मृति की ओर देखते.. हुए... थोड़ी देर के लिए कुछ बोल नही पाता । ) अम.... हेय!? ।
स्मृति: तुम वहीं होना जो मुझे एयरपोर्ट पर मिले थे।
विकी: ( खुद को संभालते हुए ) हां.... एसा कह सकती हो ....।
सुलतान: ओह... हैलो... मेरे फ्रेंड पर डोरे डालना बंद करो और दफा हो यहां से! ।
स्मृति: एक्सक्यूजमी बस अब बहुत हो गया मैं कब से एक अच्छे इंसान की तरह तुम से बात कर रही हूं... लेकिन तुम हो की सिर पर ही चढ़े जा रहे हो! खुद को समझते क्या हो हां.... अकड़ है किस बात की..!? एक चांटा पड़ेगा ना तो सारी अक्ल ठिकाने पे आ जाएगी! ।
सुलतान: (गुस्से में दात को कसकर... कमर पर बंदूक को कसके पकड़ते हुए... निकालने ही वाला था । ) ।
विकी: अह... सुलतान.... शांत शांत.... । ( स्मृति की ओर देखते हुए ) अभी के लिए बाय फिर मिलेंगे जल्दी से ( अपनी सीट पर से उठते हुए.... सुलतान का हाथ पकड़कर उसे जबरदस्ती बाहर ले जाता है ।) ।
सुलतान: ( बाहर जाते हुए विकी के पकड़ में से हाथ छुड़वाते हुए ) क्यों रोका मुझे उसे भी तो पता चलना चाहिए... की किससे बात कर रही थी... साला क्या घंटा समझ रखा है... एक दो गोली भेजे में जाती तो सारी अक्ल किसकी ठिकाने आती वह पता चल जाता ।
विकी: हेय तुमने कहां था की तुम कभी भी उसे नुकसान नहीं पहुचाओगे याद है... मैने तुमसे वादा लिया था.... ।
सुलतान: हां हां पता है.... इसीलिए... इतनी देर से उसकी चपड चपड कब से सहन कर रहा था कोई और होता तो अभी तक दस गज जमीन के नीचे होता... । ( आंखे बंद करते हुए गुस्सा शांत करने की कोशिश कर रहा था ।) ।
विकी: ( गले लगाते हुए ) थैंक यू..... ।
सुलतान: यू.... यक.... पता नहीं उस लड़की ने क्या जादू किया है जो तुम इतना अजीब बर्ताव कर रहे हो... छी.... दूर हटो मुझ से ...! तुम्हे पता ही है मुझे ऐसे वैले बर्ताव से नफरत है ।
विकी: ( हंसते हुए ) चलो... अब मैं स्तुति से मिल ही चुका हूं तो कल उसके घर पर जाऊंगा.... देखते है अब वह कब तक नाटक जारी रख पाती है।
सुलतान: जो करना है करो... पर प्लीज उस लड़की से कहना थोड़ी तमीज सिख के आए... क्योंकी वह किसी के भी दिमाग के तार खीच लेती है.... बदतमीज कहीं की ।
विकी: ( जल्दी से कार की और जाते हुए ) और यह तमीज की बात बोल कौन रहा है... बदतमिजो का सरदार।
सुलतान तीखी नजरो से विकी की ओर देखता है... लेकिन विकी उससे पहले ही हंसते हुए... कार की ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए दरवाजा बंद कर लेता है। सुलतान गहरी सांस लेते हुए.... खुद को समझाते हुए... कार में जाकर बैठ जाता है... वह दोनो वहां से अपने घर की ओर निकल जाते है । रेहान तान्या और स्मृति यह सारा नजारा दूर से देख रहे थे। रेहान और तान्या के चेहरे पर मुस्कुराहट थमने का नाम नहीं ले रही थी क्योंकि आखिरकार उनका दाव सही पड़ा और विकी उसमे फंस भी गया । अब दोनो का आखिरी दाव खेलना बाकी है इसके बाद यह सारा किस्सा ही खत्म यह सोचते हुए.... दोनो विकी जिस और गया वही नफरत भरी नजरो में देखे जा रहे थे ।