Tamacha - 29 in Hindi Fiction Stories by नन्दलाल सुथार राही books and stories PDF | तमाचा - 29 (असमंजस )

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तमाचा - 29 (असमंजस )

रायमल सिंह अपना भाषण दे रहे थे ।तभी कुछ पहलवान हॉल में प्रवेश करते है। वह रायमल सिंह के कानों में कुछ देर फुसफुसाहट करते है, उसके बाद रायमल सिंह सभी विद्यार्थियों के समक्ष पुनः कुछ उदबोधन शुरू करते। " भाइयों एक बहुत ही खुशी का समाचार मिला है कि हम सबके प्रिय विधायक साहेब हमारे भाई तेज सिंह को कुछ विशिष्ट पद देना चाहते है। तेजसिंह अब केवल कॉलेज के ही नहीं; हमारी पूरी विधानसभा के लिए महत्वपूर्ण व्यक्ति बन जाएंगे। उन्हें विधायक साहेब ने तत्काल याद किया है। अतः उन्हें अभी यहाँ से जाना होगा। आप सबकी की जोरदार तालियां हो जाये एक बार तेजसिंह के लिए।"
कुछ ही पलों में सारा हॉल तालियों से गूंज उठा। तेजसिंह और उसके साथी कुछ समझ नहीं पाए कि ये सब क्या हो रहा है। तेजसिंह असमंजस की स्थिति में खड़ा होकर सभी को अभिवादन करता है और कुछ ही देर में उन पहलवानों के साथ वहाँ से रवाना हो जाता है।

तेजसिंह के जाने के बाद सभी विद्यार्थी आपस मे कुछ देर फुसफुसाहट करते है तभी रायमल सिंह इलेक्शन में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की लिस्ट निचले पद से ऊपर की ओर बोलता है। "तो भाइयों अब वक्त आ गया है कि हम हमारे प्रत्याशियों की घोषणा करें। चारों पदों पर हमारे प्रत्याशी इस प्रकार है। सचिव के लिए हनीफ़ खान" सारा हॉल उनका नाम सुनकर तालियां बजाना शुरू कर देता है क्योंकि वह तेजसिंह का खास आदमी था। सब सोचने लगे जरूर तेजसिंह ने कोई जादू किया है , वह पार्टी में और बड़ा बन गया और उसके साथी को भी टिकट मिल गयी जिसके बारे में किसी ने सोचा तक नहीं था। स्वयं हनीफ़ खान भी अपना नाम सुनकर चकित रह गया। लेकिन सब अनजान थे कि आखिर यहाँ क्या हो रहा है? और क्या होने वाला है? यह सारा खेल किसका रचाया हुआ है । इस बात की किसी को भनक तक नहीं थी । सभी सोच रहे थे जरूर तेजसिंह ने कुछ ऐसा किया होगा कि उसे यह इनाम मिल रहा है।
"संयुक्त सचिव के लिए सोनल कटारा।" रायमल सिंह के इस नाम पर पुनः तालियां बजने लगी क्योंकि यह एक होनहार और सबकी मदद करने वाली लड़की थी। सभी ने सोचा इस बार पार्टी शायद सच में कुछ नया और अच्छा करना चाहती है।
"उपाध्यक्ष के लिए , राकेश कुमार।" सभी आश्चर्य चकित रह जाते है कि यह कौन है? क्योंकि राकेश को अभी तक कॉलेज में पहचान नहीं मिली थी।
रायमल सिंह विद्यार्थियों की उत्कंठा का अनुभव करके उनको बोलते है।"मैं जानता हूँ कि आप सब सरप्राइज्ड होंगे कि यह कौन है? लेकिन मैं आपको बता दूँ कि हमारी पार्टी जातिवाद और प्रभाववाद को नहीं बल्कि विद्यार्थियों के हित को ही महत्व देती है। इस बार एक आम लेकिन खास जो विद्यार्थियों का हितेषी रहा है। राकेश कुमार को उपाध्यक्ष के लिए प्रत्याशी घोषित करती है। मैं निवेदन करता हूँ राकेश कुमार से , जो अभी आप सबके बीच बीच मौजूद है। वह आगे आकर अपना स्थान ग्रहण करे। आशा है इन सबको आपका सपोर्ट अवश्य प्राप्त होगा। साथ ही अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी है। हम सब की चहेती। विद्यार्थियों के हित को सर्वोपरि रखने वाली.. दिव्या।" सारा भवन तालियों से गूंज उठा।
तेजसिंह ने जो योजना बनाई थी। वह पूर्ण रूप से असफल हो चुकी थी। सभी विद्यार्थियों के लिए आज का दिन कुछ विशेष बन चुका था। तेजसिंह के सारे साथी असमंजस में थे कि आज क्या हो रहा है और इस राकेश को उपाध्यक्ष कैसे बना दिया। क्या वह इसका विरोध करे। लेकिन हनीफ़ के इशारे पर तेजसिंह के सभी साथी रुक गए। हनीफ़ जिसने स्वयं नहीं सोचा था कि उसे भी कोई पद मिल सकता है। उसने सबको समझाया कि हमारे भाई तेजसिंह तो अब पड़े पद पर काबिज होंगे। ये छोटे मोटे पदों में भला क्या रखा है।
कुछ ही देर में चारों प्रत्याशियों को मालाएं पहनाकर उनके और पार्टी के ज़िंदाबाद के नारों से हॉल गूंज उठा। और सभी उनके साथ नामांकन दाखिल करने रैली में साथ चल दिये। वहीं दूसरी तरफ़ तेजसिंह उन पहलवानों के साथ विधायक आवास पर पहुँचता है , जहाँ विधायक उनके साथ क्या करने वाले थे? यह सोच - सोचकर ही वह बड़ी मुश्किल से यात्रा करता हुआ पहुँचा था ।

क्रमशः.....