Love in Hindi Love Stories by Shivam Rajput books and stories PDF | प्रेम का संयोग

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प्रेम का संयोग

जब मैं शिवम कक्षा 11वीं में पढ़ता था तब मैं बहुत शर्मिला था जब भी कोई लड़की मेरे से बात करती थी तब मैं उनको गुस्से से जवाब देता था जब एक लड़की जिसका नाम अंजलि थाl वह भी साइंस वाली थी और मैं भी साइंस वाला था l मेरे गुस्से वाले रवैया से भी सुनकर मुस्कुराने लगी फिर मुझे और गुस्सा आया और वह फिर से मुस्कुराने लगी जब मैं अपने जीव विज्ञान के परेड में जाता था तो वह भी जीव विज्ञान के परेड में जाती थीl फिर एक दिन मैंने देखा उसका भी लाल कलर का पानी का बॉटल था और मेरा भी लाल पानी का बॉटल था फिर मेरे कुछ दोस्त यही देख कर मेरे को चिढ़ाने लगे फिर दूसरे दिन जब वह काला पेन लेकर आई तो मैं भी काला पेन लेकर आया फिर उसने भी देखा उसका पेन और मेरा भी एक जैसे था फिर वहां वह 1 दिन अपने टिफिन में आलू की सब्जी लेकर आई और मैं भी वही लेकर आया था ऐसे संयोग होते ही रहे फिर कुछ दिनों बाद हम दोनों एक समान रोज कैसे ले आते हैंl कभी बॉटल कभी बुक इन्हीं सभी के संयोग से अंजलि और मेरी बातचीत होने लगी धीरे-धीरे हमारी बातचीत बढ़ने लगी और धीरे-धीरे हम लोग साथ में बैठने लगे साथ में लंच करने लगे धीरे-धीरे हमारी दोस्ती हो गई और हम दोनों एक दूसरे से बातें शेयर करने लगे फिर जब पेपर का समय आया तो अंजलि मेरे आगे वाले टेबल और मैं उसके पीछे वाले टेबल पर बैठा था फिर वहां भी पेपर के दौरान बातचीत होने लगी और फिर धीरे-धीरे वह लंच लेकर आती तो मेरे साथ लंच करती और फिर धीरे-धीरे हम दोनों पास आने लगे फिर धीरे-धीरे वह पूछती आज तुमने क्या खाया फिर मैं भी पूछता था तुमने क्या खाना ऐसे धीरे-धीरे बातचीत बढ़ने लगी और हमारे दोस्त हमें चिढ़ाने लगे ऐसा संयोग फिर हुआ कि वह जिस कोचिंग जाती थी मैं भी उसी कोचिंग में जाने लगा फिर मैंने उसे एक दिन अचानक से देखा फिर मैंने बोला अंजली तुम भी क्या इस कोचिंग में आती हो फिर उसने हां बोला धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे के बहुत ही नजदीक आने लगे और एक दूसरे की तारीफ करने लगे जिस दिन वह स्कूल नहीं आती. उस दिन मुझे अच्छा नहीं लगता था और वह भी यही बोलती थी मुझे भी अच्छा नहीं लगता है फिर इसी तरह हम दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे इसी तरह संयोग के चलते धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे की परवाह करने लगे चिंता करने लगे धीरे-धीरे मेरे मन में अंजलि के प्रति प्रेम का भाव उत्पन्न हो गया और मुझे उससे प्रेम का एहसास होने लगा लेकिन मैं कभी लड़कियों से बात तक नहीं करता था मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है फिर मुझे धीरे-धीरे समझ में आया कि मुझे अंजलि से प्रेम हो गया हैl और मैं अपने प्यार का इजहार करने से डरता था फिर ऐसी करते-करते मैं कक्षा 12वीं में आ गया ऐसे हमारी दोस्ती को बहुत समय हो गया और हम दोनों एक दूसरे की बहुत ही करीब थे वह भी मेरे से प्रेम करती थी और वह भी नहीं बोल पाती थी और मैं भी डरता था फिर 1 दिन ऐसा हुआ अचानक से कि मैंने बिना डरे हुए अंजली से अपने प्रेम का इजहार कर दिया फिर उसने सोचा और बोला कि स्कूल में जो लड़कियों से बात तक नहीं करता था वह लड़का को मेरे से प्यार होगा करके मैंने भी नहीं सोचा था मुझे भी तुमसे प्रेम है लेकिन मैं तुम्हारी गुस्से वाले चेहरे की वजह से और तुम लड़कियों से बात नहीं करते थे और बड़ी मुश्किल से हम दोनों की दोस्ती हुई थीl इसलिए मैं डरती थी कि मैं कभी अगर तुम से अपने प्यार का इजहार कर दूं तो हमारी दोस्ती ना टूट जाए लेकिन आज तुमने अपने दिल की बात बोल दिए हो तो लो सुन ही लो मैं भी तुमसे प्रेम करती हूंl इस प्रकार अंजलि और मेरी की प्रेम की शुरुआत संयोग से हुई और हम दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया l