गणपति बप्पा मोरया
यशवंत कोठारी
गणेशजी को याद करने के दिन आगये हे। गणेश जो सभी देवताओ में सर्व प्रथम पूजित हे, यहाँ तक की गणेशजी के पिताजी शिवजी व् माता शक्ति स्वरूपा पार्वती का नम्बर भी उनके बाद आता हे। गणेशजी की याद के साथ साथ उनके वहां चूहे और लड्डुओं की याद आना भी स्वाभाविक हे। सरकारी फ़ाइल कुतरने में चूहे का जवाब नहीं और सरकारी गैर सरकारी भ्रस्टाचार के लड्डुओं को उदरस्थ करने में सरकारी बाबुओ , नेताओ अफसरों चमचो चाटुकारो का जवाब नहीं। गणेश चतुर्थी के पवन पर्व पर गणेश महिमा का अर्वाचीन विवेचन आनंद की अनुभूति देता हे। गणेश विघ्न विनाशक हे , वे हर सरकार के विघ्नो को हरने के लिए तत्पर रहते हे।
गणेश कार्तिकेय की तरह शिव -पारवती के ओरस पुत्र नहीं हे, शिव की समाधी के समय पार्वती ने मिटटी का पुतला पुतला बनाकर जीवित कर दिया बाद में शिव ने उसपर हठी का मस्तक लगा दिया और गणेश अमरत्व को प्राप्त हो गए। गणेश में हठी का बल, बुद्धि अहिंसक स्वाभाव आगये। बड़े कानो के कारण वे सरकारी -गैर सरकारी सभी आवाजो को खास रूप से सुन सकते हे ,समझ सकते हे. अपनी बुद्धि से उसका विश्लेषण कर देश ,समाज ,व्यक्ति को दिशा दे सकते हे। गणेश वास्तव में गण व्यवस्था के शलाखा पुरुष की भूमिका निभाते हे। वे निर्णय लेने किासीम क्षमता के कारण एक दन्त वाले हे दातो का बाकि का काम उनका मूषक निभाता हे।
मूषक वास्तव में कल हे जो धीरे धीरे समय को काटता हे , कालो न भुक्त्वा वे मेव भुक्त्वा की शाश्वत शानदार आवाज हे मूषक के कुतरने की कला।गणेश जीवन की भाव बढ़ा ही नहीं हरते वे जीवन की मौज मस्ती मनोरंजन आनंद , सिद्धि सरस्वती भी देते हे।
महर्षि व्यास को महाभारत के लेखन में श्रुति लेखक की जरूत पड़ी , उन्होंने गणेश को से निवेदन किया और गणेश इस शर्त पर राजी हुए लेखन रुकने पर वे आपने श्लोक महाभारत में दाल देंगे। तब से हर लेखक गणेश को अपना समझ कर लिख रहा हे और लेखन में गणेशजी के कारण विषयांतर होता रहता हे , गणेश हे तो सरस्वती कागज पर उतरती रहती हे. .
विषय गणेश हो या चूहा या फिर लड्डू सब मिल कर ही सामग्री बनाते हे। चूहा कुतरता रहता हे, गणेश बनाते रहते हे मोदक पेट में जाते रहते हे. .च से अनाज नहीं बचता ये जिन पर गणेशजी विराजमान हो कर सर्वत्र भ्रमण करते हे बड़े तेज तपस्वी होते हे वे सरकारी भंडारों में घुस कर अनाज , राशन , फाइल कागज योजनाये बांध, नदी नाले , सड़क पुल , फ्लाईओवर भवन सबको कुतरते रहते हे अंत में बच जाती हे चूहों की मिंग निया . जो जनता के हाथ आती हे।
चूहे अपने काम में व्यस्त हे गणेश अपने वहां की रक्षा में लगे हुए हे और मुझे तो हर नेता अफसर में गणेश दीखते हे जो अपने वहां को बचने में जी जान से झुटे हे चूहे हे तो गणेश सुरक्षिर हे , गणेश हे तो चूहों का कुछ भी नहीं बिगड़ सकता हे। चूहों को गणेशजी का अभय दान हे और चूहा शहीद होकर भी गणेश रुपी अफसर को बचत हे। क्योकि कभा न कभी फिर गणेश की कृपा प्राप्त होगी। चूहे अपने अपने मौलिक स्वरुप में मिस्टर टेन पर्सेंट बन गए हे। गणेशजी का आशीर्वाद उन्हें भी प्राप्त हे और मुझे भी। कभी कभी चूहे गणेशजी का नाम लेकर बिल्ली के गले में घंटी बंधने की प्रितियिगीता कभी आयोजन कर लेते हे। परिणाम स्वरुप प्लेग का खतरा बढ़ जाता हे.
गणेश महिमा अनंत हे हर गली मोहल्ले में गणेश-उत्सव की धूम हे चंदा करने वाले मुझे ढूंढ रहे हे। ये भी गणेश के वहां ही हे जो मुझे कुतरना चाहते हे दरवाजे की घंटी बज गयी हे।
जोर से बोलो
गणपति बाप्पा मोरया
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यशवंत कोठारी
८६ , लक्ष्मी नगर ब्रह्मपुरी , जयपुर
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