Ishq hai sirf tumse - 6 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | ईश्क है सिर्फ तुम से - 6

Featured Books
Categories
Share

ईश्क है सिर्फ तुम से - 6

नाज अपने कमरे में गहरी सोच में डूबी हुई थी वह बेड के किनारे पर बैठते हुए बाहर की ओर देख रही थी । कभी उसके कमरे का दरवाजा खुलता है । वह बिना मुड़े गुस्से में कहती है ।

नाज: साद मैने हजारों दफा कहां है की बिना इजाजत के कमरे में ना आया कर एक बार में तुझे समझ नहीं आता!? ( वह पीछे मुड़ती है तो सलीम था । वह जल्दी से खड़ी होते हुए कहती है । ) सलीम भाई... आप यहां!?।
सलीम: अम्मी तुम्हे नीचे बुला रही है! ।
नाज: आप चले... मैं आती हू...! ।
सलीम सिर को हां में हिलाते हुए चला जाता है।
नाज मन ही मन दुआ करते हुए.... हॉल में सब बैठे थे वहां पहुंचती है । देखती है उसकी अम्मी और फूफी दोनो बाते कर रही थी। साद मोबाइल में कुछ कर रहा था और सलीम भाई भी सोच में डूबे हुए थे ।
नाज: अस्लामुअल्याकुम.... ( बैठते हुए । ) ।
नूर: वालेकुमअसलाम... माशाअल्लाह.... काफी प्यारी लग रही हो...! ।
नाज: ( हिचकिचाते हुए ) शुक्रिया... फुफी।
सादिया: अरे बाजी आप तो जानती ही है... इसे! ये तो मैने इसे कहां तब जाके ये तैयार हुई है... वर्ना इसे कहां इतना सजने संवरने का शोख है!? ।
साद: ( आश्चर्य में देखते हुए ) मन में: है.... अल्लाह माफ करे... पर अम्मी इतना जूठ भी नहीं बोलना चाहिए... जितना इसे सजने संवरने का शोख है उतने पैसे तो हम खाने में भी बर्बाद नहीं करते...! ।
नाज: ( गुस्से में साद की ओर देखते हुए ) मनमें: कुत्ता.... बड़े मजे ले रहा है... मेरी मजबूरी का तभी तो ऐसे देखे जा रहा है... एक बार फूफी को जाने दे फिर तेरी अक्ल ठिकाने लगती हूं ।
सादिया: साद..... साद...;।
साद: जी अम्मी.... !? ।
सादिया: नाज को क्या देखे जा रहे हो!? जाओ और जाके अपने अब्बू को लेके आओ.... बाजी कब से पूछे जा रही है ।
साद: ( उठते हुए ) जी! ।
नाज: अम्मी मैं अभी थोड़ी देर में आई...! । ( इतना कहते ही वह... अपने कमरे की ओर चली जाती है ।) ।
नूर: माशा अल्लाह सादिया... तुम्हारी तरबियत के हर बार जितनी तारीफ करू उतनी कम है! । दोनो ही बच्चे को कैसे बांध के रखा है.... किसी एक को भी भटकने नहीं दिया ।
सादिया: अरे... बाजी ये तो आपका नजरिया वर्ना आप तो जानती ही है... कितना सहम कर रहना पड़ता है जब एक जवान लड़की घर में हो तो ।
नूर: हां....अरे! बिलकुल ..... तौबा तौबा क्या जमाना आ गया है..... अरे कल ही में हमजा की लड़की को देख के आई......अस्तग़फरूल्लाह..... किसी लड़के के साथ बात कर रही थी..... अरे बीच रास्ते पे ना शर्म है ना हया...! ।
सादिया: जी बाजी यहीं तो इज्जत को दाग लगने में देर नहीं लगती...! ।
नूर: तो मैं इसीलिए तो कह रही हूं... की अब बच्चे जवान हो गए है... और मेरी दिली ख्वाहिश है की नाज मेरे घर की इज्जत बने.... और सारी जिम्मेदारी संभाले... अब मेरी उमर भी तो हो गई है... बस खुदा की इबादत करूंगी.... और वैसे भी जवान बच्चे है भटक जाए इससे अच्छा तो हम उनका निकाह करवा दे...! ।
रहमान: ( आते हुए ) किस की शादी की बात कर रही है आप नूर बाजी... ।
नूर: ( खड़े होते हुए रहमान को गले लगाते हुए ) भाई जान..... काफी वक्त के बाद राबता हो रहा है आप से! ।
रहमान: ( नूर के सिर पर हाथ फेरते हुए ) मैने कब रोक रखा है आपको यहां आने से!? नूर बाजी आप ही है जो यहां आना पसंद नहीं करती ।
नूर: ( मुस्कुराते हुए ) भाईजान बार बार यहां आना मुनासिब नहीं है और वैसे भी अब तो हम नए रिश्ते में जुड़ने वाले है तो ... सोच समझकर ही आना पड़ता है ।
रहमान: खुदा के वास्ते नूर ऐसी बेतुके लफ्ज़ ना बोलो..!। मैने लाखो दफा कहां है की... तुम्हारी शादी हो गई इसका मतलब यह नहीं की ये घर अब तुम्हारा नहीं है ।
नूर: ये बात आप मानते है भाईजान लेकिन जमाने के हिसाब से ससुराल ही मेरा घर है और वैसे भी लड़की ससुराल संभाले तो वही अच्छी बात है! और यूं बार बार माइके आना जाना अच्छी बात भी तो नहीं ।
रहमान: खैर! छोड़ो ये सब और बताओ कितने दिन रुकने वाली हो तो मैं हबीब को कहकर तुम्हारा कमरा तैयार करवा देता हूं तब तक ।
नूर: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) भाईजान मैं यहां रुकने नहीं आई.... मैं यहां सलीम के लिए आई हूं ।
रहमान: क्यों... इसे क्या हुआ है!? ।
नूर: मैं नाज के लिए सलीम का रिश्ता लेकर आई हूं.... अब इसबार मुझे नाराज मत कीजिएगा... आप हरबार किसी बहाने से इस बात को टाल देते है ।
रहमान: ( सोचते हुए ) नूर... मैं पहले भी कह चुका हूं और अब भी कह रहा हूं... की मुझे सलीम के रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है.... हकीकत में तो सलीम काफी काबिल और एक बेहतर हमसफर है.... पर।
नूर: पर क्या भाईजान!? ।
रहमान: ( गहरी सांस लेते हुए ) मैं नाज पर कोई दबाव नहीं डालना चाहता... अभी उसे डाक्टरी पूरी करनी है! । उसके बाद अगर वह चाहेगी तो मैं खुशी खुशी उसे आपके घर भेजने को तैयार हूं।
नूर: ( उठते हुए ) आप हरबार मुझे खाली हाथ ही लौटते है भाईजान... फिर भी मैं बैगरत की तरह चली आती हू। ये सोचकर की अब आप हां कहेंगे ।
रहमान: ( खड़े होते हुए ) मैं तुम्हे मना नहीं कर रहा नूर.... मैं सिर्फ यह कह रहा हूं.. ।
नूर: बस भाई जान बस कर दे... आप!? । इतनी तो दुनिया मैने भी देखी है...! । जब आप इस रिश्ते के लिए तैयार हो तभी मुझ से बात कीजिएगा.... अल्लाह हाफिज ... ( इतना कहते ही वह सलीम के साथ चली जाती है ।) ।
रहमान: ( बैठते हुए ) पता नहीं... क्यों जिद कर रही है.... मैने मना थोड़ी किया है...! इसमें रूठने वाली कौन सी बात है ।
सादिया: आपको ठुकराने की क्या जरूरत थी.... इतना अच्छा रिश्ता बार बार नहीं मिलता.. और वैसे भी क्या कमी है उनके पास!? । अच्छे खानदान से है काफी नामो शोहरत है और सलीम.... उसके जैसा लड़का ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा।
रहमान: ( गहरी सांस लेते हुए ) जानता हूं... पर सादिया तुम भी जानती हो की नाज अभी...!? ।
सादिया: ( बात को काटते हुए ) अरे.... वो तो बच्ची है उसे कैसे पता चलेगा कि क्या सही है और क्या गलत...!? इसका मतलब ये थोड़े ही है की हम भी पागलों जैसी हरकत करे..! आप एक लड़की के बाप है और बार बार रिश्ता ठुकराना अच्छी बात नहीं है ।
रहमान: पता नहीं.... अभी मैं गलत कर रहा हूं या सहीं पर मैं नाज की शादी दबाव में करवा के गलती नहीं करना चाहता ये जानते हुए की वह अभी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं है। और अल्लाह ने अगर उसका रिश्ता सलीम के साथ लिखा होगा तो जुड़ ही जाएगा तो फिर इतनी तनाव में ना रहो और मेरे लिए चाय बना दो प्लीज! सिर दर्द के मारे फटा जा रहा है ।


सादिया गुस्से में उठते हुए किचेन में चाय बनाने चली जाती हैं । नूर दूर से दिवाल के पीछे छिपे हुए यह सारे वाकयात देख रही थी। वह मन ही मन खुदा को शुक्रिया कह रही थी की उसके अब्बू ने रिश्ते के लिए मना कर दिया । क्योंकि आज तो उसे लगा था की उसकी अम्मी सलीम के चक्कर में उसका रिश्ता जबरदस्ती करवा ही देगी । नाज बस यहीं सोच रही थी की साद पीछे से आके उसके बाल खींचते हुए अपने कमरे की ओर भाग जाता है। जिस वजह वह चिल्लाते हुए साद को पीटने के लिए उसके पीछे भागती है।