18. खत तेरा
और हौसलों की उड़ान
बड़े दिनों के बाद
आना खत तेरा…..
और सदियों से लंबे इंतज़ार
के एक-एक पल का किस्सा
महज़ चंद लफ्ज़ों में
अनकहे ही
बयां कर जाना
और करा जाना एहसास
कि कभी न मिलने
की मजबूरी पर भी
नदी के दोनों किनारे
साथ-साथ चलते हैं
और
नदी में उठने वाली एक लहर
हर दिन
इसके दोनों किनारों को जाकर
छुआ करती है
और
संवेदनाओं की
समान अनुभूति के लिए
करती है पुल का काम……
इसकी धारा की ही तरह
सतत
अविरल
गतिमान
और उड़ने के लिए
प्रदान करती है
हर पल
पंखों से कहीं ज्यादा जरूरी
हौसला…….
और
हर पल संग साथ होने का एहसास…..
और एक अनजाना डर भी
कि कहीं यही तेरा
आखिरी खत ना हो
और इसीलिए रुक जाती है
मेरी कलम
जवाब लिखने को
कि अब न जाने दूसरा खत कब आए
और फिर एक इंतज़ार
सदियों से लंबा न हो जाए.....
तुम पूर्णमासी का
कभी कभार दिखाई देने वाला चंद्र नहीं
मेरे जीवन और घर परिवार का
हर क्षण चमकता सूरज हो;
जैसे सूर्य एक क्षण के लिए
निष्क्रिय हो जाए
तो आसपास परिभ्रमण कर रहे
सभी ग्रहों-उपग्रहों के जीवन में
छा जाएगा अंधेरा,
जैसे तुम्हारे आकर्षण से ही
बंधे हैं हम सब
जैसे
सूरज निकलने पर
जागती है सुबह
आंख मींचते हुए
और गतिमान हो उठता है
हमारे घर में जीवन का स्पंदन
और जैसे तुम्हारी प्रार्थना से ही
शक्ति मिलती है
घर के हर सदस्य को
अपना अपना काम
सही तरीके से पूर्ण करने की
और जैसे तड़के रसोई में प्रवेश से लेकर
रात्रि को पूजा कक्ष के पट बंद करने तक
तुम निरंतर कर्मरत रहती हो
इसलिए
मेरे घर संसार में तुम
चौबीसों घंटों की नौकरी पर नहीं
मेरे छोटे से इस साम्राज्य की
गृह स्वामिनी
और चिर सम्राज्ञी हो।
20. इश्क में
होता है जुनून
इश्क़ में होता है जुनून इसलिए
शत्रु के पोस्ट के नजदीक
उसके ओपन फायर की
जद में आने पर भी
आगे बढ़ते रहता है सैनिक
खाते हुए गोलियां सीने पर
इश्क़ मातृभूमि का।
इश्क़ में होता है जुनून इसलिए
बीमार बच्चे को
रात- रात भर सीने से लगाए
मां बैठे रहती है
और मिट जाता है अंतर दिन- रात का
चौबीसों घंटे
इश्क़ अपने हृदय के अंश का।
इश्क़ में होता है जुनून,सर्वस्व समर्पण;
दूर होने पर भी प्रिय से
आते रहना मुस्कान मुख पे
प्रिय के स्मरण से हर बार,
हर पल ओठों पे प्रार्थना कुशलता की,
और चिंता बिजली की हर कड़क पे
इश्क़ दो हृदय इक प्राण का।
21. प्रेम की
इक चिंगारी
प्रेम है त्वरण
किसी रॉकेट से उपग्रह के प्रक्षेपित होने का सा
जो पलक झपकते उसे पहुंचा
देता है
अंतरिक्ष के निश्चित परिभ्रमण कक्ष में
और
जिससे गति हो जाती है स्वचालित
और
जीवन भर उठता है स्थायी
आनंद से
पूरे जीवन काल में
उद्देश्यपूर्ण, सार्थक और
उपयोगी,
इसलिए
ऐसे उपग्रह नहीं टूटते
न भग्न हृदय होकर खो जाते
अंतरिक्ष के असीम विस्तार में कहीं
और
जहां प्रेम की एक चिंगारी
जीवन के प्याले को भर दे
प्रेम रस से
कृष्ण के मीरा की तरह
ऐसे प्रेम में
ब्रेकअप भी हो जाता है
बेमानी और निरर्थक
कि ऐसा प्रेम टूटता नहीं
जुड़ता और जोड़ते जाता है
असंख्य लोगों को आपस में
और
जीवन बन जाता है
आनंद में नृत्यरत
और
इसीलिए ,एक क्षण की चिंगारी
बन जाती है
अनंत काल तक चलने वाला ईंधन
……
प्रेम है एक पल की चिंगारी ....
जैसे किसी के समर्थन से
बनने वाली कोई सरकार
जो समर्थन वापस ले लेने
और चीख- चीख कर
इसकी घोषणा करते रहने के बाद भी
चलती रहे निरंतर
आजीवन चलती रहे......
कि वह एक क्षण ही था पर्याप्त
जिसमें पा ली गई हो
........................
सारे ज़माने की दौलत........
डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय