BLACK CODEX - 8 in Hindi Horror Stories by Rajveer Kotadiya । रावण । books and stories PDF | BLACK CODEX - 8 - रात अंधेरी क्यों? 2

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BLACK CODEX - 8 - रात अंधेरी क्यों? 2

फैलता हुआ ब्रह्मांड
बीसवीसदी के प्रारम्भ में कोई भी वैज्ञानिक नहीं जानता था कि तारों से परे ब्रह्मांड का विस्तार कहाँ तक है। वर्ष 1920 में खगोलविदों द्वारा एक अन्तर्राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ब्रह्मांड के विस्तार एवं आकार पर चर्चा होनी थी। हार्लो शेप्ली Harlow Shapley तथा बहुसंख्य खगोलविद इस मत के पक्ष में थे कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड का विस्तार हमारी आकाशगंगा तक ही सीमित है। दूसरी तरफ हेबर क्यूर्टिस Haber Curtis तथा कुछ थोड़े से लोगों का मानना था कि हमारी आकाशगंगा की ही तरह ब्रह्मांड में दूसरी भी आकाशगंगाएं हैं, जो हमारी आकाशगंगा से अलग अस्तित्व रखती हैं। जैसा कि बड़ी-बड़ी विचार गोष्ठियों में होता है, इस बैठक में भी बहुमत का ही पलड़ा भारी रहा।


परंतु वर्ष 1924 में एडविन हब्बल Edwin Hubble तथा उनके सहयोगियों ने माउंट विल्सन वेधशाला की दूरबीन से यह सिद्ध कर दिया कि इस विराट ब्रह्मांड में हमारी आकाशगंगा की तरह लाखों अन्य आकाशगंगाएं भी हैं। अत: हब्बल के प्रेक्षणों ने क्यूर्टिस के दृष्टिकोण को सही सिद्ध कर दिया। मगर, हब्बल के निरीक्षण केअन्य निष्कर्ष क्यूर्टिस की कल्पना से भी परे के थे। दरअसल वर्ष 1929 में हब्बल ने यह भी खोज की कि दूर की आकाशगंगाओं से प्राप्त होने वाले प्रकाश की तरंग-लंबाई में एक नियमित वृद्धि है।
डॉप्लर प्रभाव के अनुसार जब एक प्रकाश स्रोत हमसे दूर जाता है, तो उससे प्राप्त होने वाले प्रकाश की तरंग-लंबाई में ऐसी ही वृद्धि दिखाई देती है। चूँकि एक सामान्य वर्णक्रम में अधिकतम तरंग-लंबाई लाल रंग और न्यूनतम तरंग-लंबाई नीले-बैंगनी रंग से प्रदर्शित होता है, इसलिए हब्बल द्वारा प्राप्त वर्णक्रम को लाल विचलन कहते हैं। अत: हब्बल ने अपने इस प्रेक्षण से यह निष्कर्ष निकाला कि दूरस्थ आकाशगंगाएं हमसे दूर भाग रही हैं। हब्बल ने यह भी सिद्ध किया कि आकाशगंगाएं जितनी अधिक दूर है, उनकी दूर जाने का वेग भी उतना ही अधिक है। हब्बल ने इसी आधार पर कहा कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड प्रसारमान है, फ़ैल रहा है!
जैसाकि हम जानते हैं कि आइन्स्टाइन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत का स्पष्ट रूप से यह निष्कर्ष था कि ब्रह्मांड सिकुड़ेगा या फैलेगा, मगर स्थिर नहीं रहेगा। वर्ष 1927 में जब जार्ज लेमाइत्रे ने सामान्य सापेक्षता के इन निष्कर्षों को आइन्स्टाइन को बताया तो उनकी प्रतिक्रिया थी: ‘लेमाइत्रे, तुम्हारी गणित तो ठीक है परंतु भौतिकी बहुत बुरी।’ आइन्स्टाइन स्थिर ब्रह्मांड के कट्टर पक्षधर थे। परंतु हब्बल की खोज ने सदियों पुरानी उस मान्यता को भी नकार दिया जिसके अनुसार ब्रह्मांड शाश्वत एवं स्थिर है। हब्बल की खोज के बाद आइन्स्टाइन ने कहा कि ब्रह्मांड को स्थिर बनाने के लिए अपने समीकरणों में ब्रह्माण्डीय नियतांक को जोड़ना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी।

अब वियना के चिकित्सक ओल्बर्स के विरोधाभास पर चर्चा करते हैं। जैसाकि सदियों के प्रेक्षण और हमारा अस्तित्व यह सिद्ध कर रहे थे कि आकाश इतना अधिक प्रकाशमान नहीं हो सकता। तो प्रश्न यह है कि ओल्बर्स के गणनाओं में क्या गलती थी? इसका संक्षिप्त उत्तर है : उन्हें यह नहीं ज्ञात था कि ब्रह्मांड फ़ैल रहा है। दरअसल डॉप्लर प्रभाव के कारण दूर के तारों से प्राप्त होनेवाला प्रकाश और भी अधिक कम हो जाता है तथा इसका योगदान ओल्बर्स द्वारा गणना किये गए अंश से काफी कम हो जाता है। इसलिए इस प्रश्न ‘रातअंधेरी क्यों?’ का उत्तर है : ब्रह्मांड फ़ैल रहा है। आइए, अब ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित आधुनिक सिद्धांतों पर चर्चा करते हैं।