Gruhasth Snayasi - 4 in Hindi Biography by PARIKH MAULIK books and stories PDF | गृहस्थ संन्यासी - भाग 4

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गृहस्थ संन्यासी - भाग 4

देखते है आगे की सुमिन और सुनंदा के रास्ते अलग हो जाते है या वापस नई शुरू आत करते है

सुनंदा के बरेमे ये सब सुनकर सुमित रह ना सका और जाकर राहुल का कॉलर पकड़ लिया उसे बोला कि चाहें जो भी हो तुम ने इसके साथ जो भी किया वो तुम इन लोगो के सामने बोलकर उसकी इज्जत उतार रहे हों, तो ये बात तुम्हारी पत्नी को भी पता होनी चहिए, सुमित ने आवाज़ लगाई जैमिनी सुना तुमने ये सब? सुमित ने पहले ही राहुल की पत्नी को बता दिया था तभी वहा जैमिनी आ पहुंची उसने आते ही सुमित से पुछा क्या दिखाना चाहते थे तुम ये सुनकर सुमित ने राहुल की ओर इशारा करते हुआ कहा की ये रहा तुम्हारा आशिक संभालो इसे उसने मेरी पत्नी सुनंदा के साथ रिश्ता जोड़ा और अब बात बार आई तो वे कह रहा है में तो बस आग बुझा रहा था। ये सुनकर जैमिनी गुस्से से लाल हो गई राहुल के गाल पर एक जोर से चमाट मार दी और उसे कहा की आज के बात तुम्हारा और मेरा कोई संबंध नहीं है इतना कहकर वे वहा से जाने लगी राहुल भी इसके पीछे पीछे जाने लगा रुके जैमिनी मेरी बात तो सुनो जैमिनी ऐसा कुछ नहीं है जैसा तुम सोच रही हो सुनंदा ने इधर उधर देखा मगर सुमित वहा से कब चला गया था वे पता ही नही चल पाया थोड़ी देर में सब अपने कामों में व्यस्त हो गए सुनंदा अपने केबिन में बैठ गई शाम होने आ रही थी सब अपने अपने घर की ओर निकल पड़े







दुसरे दिन कोर्ट में सुनवाई थी सुमित अपने बेटे को लेकर पहुंच चुका था सुमित को फिक्र हो रही थी क्योंकि कल जो हुआ था उसका सुनंदा पर गहरा असर पड़ा था सुमित को डर था कि कही उसने कुछ कर ना दिया हो। थोड़ी देर में जज अपनी जगह पर आ पहुंचे सुनवाई शुरू करदी गई थी लेकीन सुनंदा अभि तक नहीं पहुंची थी सुमित बार बार दरवाजे की ओर देख रहा था उतनी देर में आवाज आई सुनींदा सकसेना हाज़िर हो अब ये आवाज सुनकर सब इधर उधर देखने लगे की कहा है ये औरत, उतनी देर में फिर से दंडनायक आवाज़ लगते हुए बोला सुनंदा सक्सेना! अचानक सबका ध्यान दरवाजे की ओर गया दरवाजा खुलने की आवाज आई सब शांत होने की वजह से दरवाजे की आवाज इतनी जोर से सुनाई दी की सबका ध्यान दरवाजे की तरफ़ चल पड़ा अब वे थी तो कलेक्टर तो दो पुलिस ने आकर दरवाज़ा खोला ओर सुनंदा ने अंदर प्रवेश किया




उसे देखकर सुमित भी रिलेक्स हुआ सुनंदा ने जज के सामने अपना प्रस्ताव रखा और पल्लव की मांग की सुमित ने भी अपने बचाव में जज को बताए और कहा की में अपने बच्चे को इसे नही सोप सकता इससे ख़ुद का ख्याल नही रखा जाता मेरे बेटे का क्या रखेगी? सारी दलील सुनते हुए जज ने पल्लव को आगे आने का कहा और उसे पूछा की बेटा तुम किसके पास जाना चाहते हो सुनंदा उसे देखे ही जा रही थी पल्लव थोड़ा सोचते हुए सुमित के पास जा पहुंचा और उससे लिपट गया ये देखते हुए जज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा की पल्लव की परवरिश का जिम्मा सुमित को दिया जाता है ये सुनकर सुनंदा कुछ भी बोले बैगर वहासे चलने लगी

अब ये देखकर सुमित भी कुछ नहीं कर सकता था वह भी अपने बेटे को लेकर अपनी टपरी की ओर निकल गया उस रोज के बाद सुनंदा का कोई पता ही न हो मानो गुम सी हो गई थी
कभी कभी पल्लव के स्कूल के पास दिखाई देती थी मगर कभी पल्लव से मिलने की कोशिश नहीं की, इन दोनों सुमित की टपरी उसके सामने वाले कॉम्प्लेक्स में अपनी खुदकी का रूप ले चुकी थी सुमित ने अपनी एक दुकान खरीद ली थी वह दिन में दुकान में व्यस्त रहता था और शाम को पल्लव के साथ रहता था। अपने उस वक्त राहुल की पत्नी जैमिनी भी उसके संपर्क में रहने लगी थी। मगर पल्लव उसे पसंद नही करता था। मगर शाम को चलने के बहाने वे थोड़ा समय पल्लव के साथ बागीजे में बिताती थी। उसे पता था कि पल्लव को मां की जरूरत है। सुमित को समय ना होने की वजह से वह पल्लव को समय नहीं दे पाता। ऐसे ही कुछ। साल बीत जाने के बाद पल्लव को भी उसके पास अच्छा लगने लगा था और वो इतना सम्माजदार भी हो गया था की वह अपने पिता को दूसरा घर बसाने में सहमति देता है और बढ़ावा भी देता हैं।





जैमिनी भी राहुल से छूटना चाहती थी उसे पहले की हुई अपनी गलती का पछतावा था की उसने राहुल के लिए सुमित को छोड दिया था। अब सुमित भी उस बात को बढ़ावा देना नहीं चाहता था उसे भी कहिन कही जैमिनी से लगाव था वापस से उससे मिलने की वजह से दोनो एकदूसरे को समझने लगे थे और और दोनो को कहिन कही ऐसा लगता था कि हमे एक दूसरे को सौप देना चाहिए। पल्लव भी दिन जाते बड़ा होता जा रहा था और समझदार भी। और सुमित को अब सुनंदा के आने की उम्मीद भी मिट गई थी उसे भी ये लगने लगा था कि अब सुनंदा के वापस लौटने का कोई मतलब नहीं है तो वे उसे अपनी शादी ख़त्म करने का प्रस्ताव भेजता है और सुनंदा को भी इतनी शर्मिंदा थी की अब वे वापस नहीं लौट सकती थी वह शादी तोड़ने के प्रस्ताव को स्वीकार करके सुमित को अपने बंधन से मुक्त कर देती हैं और यह जैमिनी ने भी तय कर दिया था कि अब वे राहुल से संबध नहीं रखना चाहिए कुछ समय बाद दोनो अपने अपने बंधनों से मुक्त हो कर खुदको एक दूसरे को समर्पित कर देते हैं पल्लव भी बहुत खुश था।


अब क्या नया मोड़ लेगी ये कहानी