मेरी मीरा... पार्ट 1
हर किसी के जिंदगी में अपने को खोना बोहत मुश्किल होता है, और अगर हमसफर राह में अकेला छोड़ जाए तो सासें भी घुटन जैसी लगने लगती है। मीरा और मयंक, एक सिंपल कपल जो अपने हमसफर के लिए बने थे। यह कहानी को आप मैं कोई भी जी सकता है, बस शर्त इतनी है कि इस किरदार को जीना बोहत मुश्किल होगा, क्यों को अपने ही आंखो के सामने अपनी मोहब्बत को मरते देखना कितना मुश्किल होगा यह आप सोच कर देखिएगा।
(परिचय – इस कहानी को 2 पार्ट में लिख रहा हु, पहले पार्ट में कैसे मयंक जी रहा है मीरा के बिना, दूसरे पार्ट में आखिर क्यों मीरा ने छुपाया की उसे कैंसर था)
हम दोनो को मिले १२ साल हो गए है, और मैं आज उसके साथ नही हु क्यों की उसने बोहत जल्दी मेरा हाथ छोड़ दिया ।
२ साल पहले उसको कैंसर हुआ था हमने बोहत कोशिश की उसको बचाने के लिए। उसने जाने से पहले कहा था, " मेरे जाने के बाद दूसरी शादी कर लेना ",
ऐसे थोडी होता है, जाना था मुझसे दूर तो चली गई बिना परमिशन के अब मैं कैसे भी जीवू उसको क्या ही फरक पढ़ेगा।
मीरा और मयंक दोनो की अरेंज मैरिज थी मगर प्यार होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा दोनो की एक दूसरे की आदत हो गई, मीरा मयंक के लिए लकी थी, उसके आने के बाद घर में खुशियां आ गई।
मयंक ने अपनी मां की बचपन में ही खो दिया था, पापा ने पढ़ाया लिखाया मां की कमी न हो ऐसा सब कुछ किया, मगर पापा क्या ही कर लेते और मयंक को सरकारी दफ्तर में क्लर्क की जॉब लग गई फिर पापा ने मयंक की २४ साल की उम्र में शादी करा दी, मीरा बेहद अच्छी लड़की है, मम्मी के रिश्ते दार की तरफ से है और बचपन में शायद मिले हो मगर बचपन क्या ही याद रहे।
मयंक अकेला है, उसके आस पास में कोई नही है, वो समुंदर के किनारे अकेला बैठा हुआ है, और मीरा से उसी की शिकायत कर रहा है,
"तुम ने मेरा कहा नही माना न?"
"तुम बोहत बुरी हो, तुम्हे बचाने वाला था ना, क्यों ऐसा किया बताया क्यों नही?"
"काश मीरा इन सवालों का जवाब दे पाती..."
वो शायद यह सब सुन रही है, ऐसा मयंक को हमेशा लगता है,
क्यों की उसे आहत होनी लगती थी, वैसे भी मयंक के जिंदगी में मीरा के अलावा कोई लड़की आई भी तो नहीं थी, मीरा से मोहब्बत अधूरी रह गई।
उसे पता है की वो अब वापस नही आने वाली फिर भी कही कही उसे यह एहसास था की वो पास में ही है, मरने के बाद भी, प्यार शायद ऐसा ही होता है, दिल कभी नहीं मानता क्यों जिंदगी भर साथ निभाने वाला ऐसे ही चला गया।
दोनो के जिंदगी में झगड़े भी हुए, नाराजगी भी हुए, मगर बात करना कभी कम नही हुआ, और यही उनका रिश्ते के खासियत थी, उसे मीरा की हर बात याद है, उसे दोनो के रिश्ते पर पूरा भरोसा था और वो हमेशा रहेगी ये वादा उसने तोड दिया।
मयंक अब किसी से नाउमीदी लगाए है, क्यू की उसे अब खुदा से भी कोई शिकवा न रहा न ही कोई बैर।