सिखा उस खंडर जैसे बंगले में चली जाती है , वो अपने आप को एक जंजीर से बांधने लगी और साथ ही अपने कपड़े उतारने लगती है, जैसे जैसे शिखा अपने कपड़े उतार रही थी , उसका शरीर गोल होने लगता है और देखते ही देखते शिखा पूरी की पूरी एक भयानक जानवर में बदल जाती है। शिखा को अजीब जानवर में बदलते हुए गौरव भी देख रहा था । ये देख गौरव बहुत डर गया और हड़बड़ी में मुड़ा और वापस दबे पांव चलने लगा । तभी उसका पैर गड्ढे में पड़ा और वो धड़ाम से नीचे गिर गया। उसका सर पास में पड़े एक पत्थर से टकरा गया और गौरव वही बेहोश हो गया। जब गौरव की आंखे खुली तो गौरव उस बंगले के अंदर था और शिखा उसके सामने रोए जा रही थी। जैसे ही शिखा को लगा कि गौरव जाग गया है वो अपने आंसू पूछते हुए बोली , गौरव तुम ठीक हो ना , डरा सहमा गौरव अपने आप को शांत करते हुए बोला , हां ठीक हूं।
शिखा बोली गौरव तुमको यहां नहीं आना चाहिए था लेकिन जब तुम आ ही गए हो तो मैं तुमसे कुछ नहीं छिपाऊंगी। जिस हालत में कल रात तुमने मुझे देखा था वो ही है मेरी हकीकत और उसमे ही छिपे है तुम्हारे सभी बातों के शवाल । मैं एक इच्छाधारी नरपशु हूं और मैं इस दुनिया की नही हू , इस दुनिया में मैं किसी की तलाश में आई हूं।
गौरव चौंकते हुए बोला किस की तलाश में तब शिखा ने उत्तर दिया तुम्हारी तलाश में ।
गौरव ने पूछा दुसरी दुनिया से तुम मेरी तलाश में आई हो। पर क्यों।
गौरव की ये बात सुनकर शिखा की आंखों से आंसू निकल पड़े और बोली , इसकी एक बहुत लंबी कहानी है दरअसल मैं जिस दुनिया से आई हूं वहां इंसान और नरपशु सभी मिल जुल कर रहते है ।
उस दुनियां में हम दोनो ही नरपशु थे, उस दिन हम दोनो अपनी शादी की साल गिराह मना रहे थे, मैंने तुमसे अजीज भोजन की जिद की ओर तुम जंगल में निकल गए जब काफी कोशिश के बाद भी तुमे कोई अच्छा शिकार नहीं मिला तो तुम मायूस होकर लोट ही रहे थे, कि रास्ते में तुम्हे एक साधु महाराज जी की कुटिया के पास बंधा एक बछड़ा दिखा , तुम उसकी तरफ झपटे तो तभी बीच में साधु महाराज जी का बेटा आ गया, तुम्हारे तेज नाखून उसके सीने में जा गड़े जिससे उसकी वही मृत्यु हो गई। ये देख साधु महाराज का क्रोध अपने चरम पर था। तुमने उन्हें समझाने की कोशिश भी की लेकिन वो नहीं माने और तुम्हे श्राप देते हुए बोले जिसके लिए तूने ये घोर पाप किया है तू उसे दोबारा कभी नहीं मिल पाएगा। साधु महाराज जी के ऐसा बोलते ही तुम्हारी मृत्यु हो गई।
जब शिखा ये सब बता रही थी तो गौरव के दीमाक में कुछ धुंधली तस्वीर आ रही थे ऐसा लगा रहा था जैसे उसे कुछ परेशान कर रहा है।
शिखा ने आगे कहा मैंने साधु महराज जी से बहुत मिन्नते की लेकिन वो नहीं माने,जब बाद में साधु महाराज जी ने मेरी दशा देखी तो वे थोड़ा पशीज गए और बोले सुनो बेटी तुम्हारा ये दर्द अब मुझसे और नही देखा जाता ।मेरी बात ध्यान से सुनो तुम्हारा पति किसी ओर दुनिया में है और वो सब कुछ भूल चुका है, तुम्हारे याद दिलाने पर उसको सब वापस से याद आ जायेगा लेकिन उसे वापस इस दुनिया में लाना थोड़ा मुस्किल है, लेकिन उसको वापस कैसे इस दुनिया में लाना है , मैं तुमको एक मार्ग बताता हूं। जिससे तुम्हारा पति तुमको वापस उसी अवस्था में मिलेगा। लेकिन जरा सी गलती का मतलब है तुम उसे हमेशा हमेशा के लिए खो दोगी।
क्या है वो मार्ग
और क्या शिखा को उसका पति मिल पाएगा
क्या वो अपनी दुनिया में कभी वापस जा पाएंगे
जानेने के लिए कहानी के साथ बने रहे।
आप इसकी ऑडियो हमारे यूट्यूब चैनल (Audio Book Hindi 007) पर सुन सकते हैं।