Ekza the Story of Death - 14 in Hindi Thriller by ss ss books and stories PDF | एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - भाग 14

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एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - भाग 14

शिवाय ने जब ये सुना तो वो बाबा के घर की तरफ देखने लगा , वह सिर्फ एक छोटी - सी कुटिया थी। जो गांव से दूर नदी के छोड़ पर थी जहा शायद ही कोई आता हो।
शिवाय ने बाबा से पूछा - "बाबा आप यहाँ रहते है " इसपे बाबा ने कहा हां बेटा। फिर बाबा शिवाय के साथ उसके अंदर चले गए।
अंदर जा कर शिवाय ने देखा उस कुटिया में ज्यादा सामान नहीं था सिर्फ कुछ बर्तन और एक बिस्तर। ये देखके शिवाय ने बाबा से पूछा - बाबा क्या आप अकेले यहाँ रहते है ?गांव से इतनी दूर ??
इसपे बाबा ने शिवाय की तरफ देखा और मायूस चेहरे से बोले हां बेटा मैं अकेले ही रहता हूँ। इसपे शिवाय ने झट से पूछा आपके परिवार वाले कहा है बाबा ? बाबा ने जवाब देते हुए कहा वो मर चुके है। ये सुनके शिवाय सन रह गया। बाबा ने आगे बताते हुए कहा- मेरा बेटा उस महल की वजह से मर गया और उसका सदमा मेरी पत्नी बरदास ना कर पायी और वो भी मुझे छोड़ गयी। ये बोलते हुए बाबा के आँखों में आंसू आ गए। ये देख के शिवाय ने बाबा को गले से लगा लिया और बोला मुझे माफ़ करदे बाबा। मुझे आपसे ऐसे सवाल नहीं पूछने चाहिए था ।
इसपे बाबा ने कहा कोई बात नहीं बेटा तुम आ गए ना। तुम भी तो मेरे पोते जैसे ही हो। इसपे शिवाय ने मुस्कुराते हुए कहा - हां बाबा मैं हूँ।
फिर बाबा ने कुटिया में रखे एक कोने में गए जहा एक बक्सा रखा था उन्होंने वो बक्सा खोला और उसमे से एक किताबे निकली जो लाल कपड़े में लपेटा हुआ था।
बाबा ने उसमे से वो किताब निकाली और शिवाय की तरफ देखते हुए कहा ये है किताब बेटा।
शिवाय ने वो किताब पकड़ी और उसे खोल के देखने लगा। उसमे शिवाय को दो तस्वीर मिली। ये देखके शिवाय ने बाबा से पूछा बाबा क्या ये वही तस्वीर है जिसके बारे में आप मुझे बता रहे थे। बाबा ने कहा हां यही है।
तस्वीर को देख के शिवाय ने कहा बाबा ये दोनों तस्वीरें कितनी अलग है।
एक तस्वीर जिसमे एक खूबसूरत लड़की है , जिसके लम्बे केश , गुलाबी होठ,बैगनी रंग की आँखे , एक चाँद सा सुन्दर चेहरा और चेहरे पर इतनी मासूमियत। शिवाय भी उस तस्वीर को देख कर खुद को रोक नहीं पाया और बोला मैंने आज तक ऐसी कोई लड़की नहीं देखी बाबा।
ये सुनके बाबा ने कहा - "राजकुमारी थी ही इतनी सुन्दर " इसलिए तो इनका नाम एकजा रखा गया था बेटा।
वही दूसरी तस्वीर साफ़ नहीं थी लेकिन उसमे शिवाय को उसका चेहरा तो नहीं दिख रहा था लेकिन उसका बाकि शरीर दिख रहा था , तभी शिवाय ने हैरानी से कहा बाबा !! ये तो.......................शिवाय कुछ और कहता तभी बाबा ने कहा मुझे पता है।शिवाय ने कहा बाबा ये तस्वीर इतनी अजीब क्यू है। इसपे बाबा ने कहा ये तस्वीर नहीं रहस्य है उस श्राप का बेटा।
ये सुनके शिवाय आश्चर्य से बाबा की ओर देखा और बोला बाबा आपने पहले सबको क्यू नहीं बताया इसके बारे में । बाबा ने शिवाय के आश्चर्य को देख कर कहा - सब कुछ सबको पता हो जरुरी नहीं। ये सुनके शिवाय ने कहा फिर बाबा आपने मुझे क्यू बताया ???
इसपे बाबा ने कहा - "क्यूकि तुम अलग हो और तुम हो इसलिए ये कहानी है "।
ये सुनके शिवाय ने कहा मैं हूँ इसलिए ये कहानी है इसका क्या मतलब है बाबा। बाबा ने बात बदलते हुए कहा मतलब मैंने ये कहानी तुम आये तभी तो सुनाया। ये सुनके शिवाय ने कहा अच्छा !!!! बाबा आप इस तस्वीर के बारे में क्या जानते है ? इसपे बाबा ने कहा सिर्फ इतना ही की ये उस श्राप से जुड़ा है।
उस तस्वीर में एक लड़की थी जो नग्न अवस्था में थी और जिसको एक भयानक साप में जकरा हुआ था , जिसके लम्बे केश उसके पैरो तक थे और माथे पर सिंह , लेकिन उस तस्वीर में उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।
बाबा इसका चेहरा धुंधला है क्या आप जानते है ये कौन है और क्या है ये ? ये कितने भयंकर है।
इसपे बाबा ने जवाब देते हुए कहा बेटा मैं नहीं जनता की ये भयंकर दिखने वाली तस्वीर किसकी है। तभी शिवाय ने किताब का आखरी हिस्सा देखा और देख के फिर से सवालिया नज़रो से बाबा की तरफ देखने लगा।
बाबा ने शिवाय के सवाल को उसकी नज़रो से पहचान लिया और बोले मैंने कहा ना सबको सब कुछ पता हो जरुरी नहीं। कई ऐसी बाते है जो तुम्हे आगे जा कर पता चलेगी। इसपे शिवाय ने कहा "पर बाबा इसमें सबसे छुपाने वाली क्या बात है "?
बाबा ने शिवाय से नज़ारे चुराते हुए कहा अगर मैं सबको इन दोनों तस्वीरो और किताब के बारे में सब बता देता तो , सबको इसके बारे में जानने की इच्छा होती और वो उस महल में जाते और जाने के बाद क्या होता उनके साथ ये तो तुम देख और सुन चुके हो।
ये सुनके शिवाय के पास कोई और सवाल नहीं बचा। वही बाबा मन ही मन बोले तुम्हारा ही तो इंतज़ार था इतने सालो से। अब जा कर उसका इंतज़ार खत्म हुआ और तुम्ही हो जो ये सब खत्म करेगा और उस श्राप को भी। ये कह कर बाबा शिवाय की तरफ एक रहस्यमयी मुस्कान लिए देखने लगे। तभी शिवाय ने बाबा से पूछा - 'बाबा क्या मैं ये किताब अपने साथ ले जा सकता हूँ ' ??
इसपे बाबा ने बिना एक बार भी सोचे हां कह दी और बोले लेकिन इसके बारे में जो तुम्हे पता है किसी और को मत बताना।
बाबा के कहने का मतलब था उस श्राप के बारे में।
ये सुनके शिवाय ने कहा ठीक है बाब। अब मुझे चलना चाहिए बहुत देर हो गयी मेरे दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। बाबा ने ये सुनके कहा ठीक है बेटा ध्यान से जाना।
बाबा को धन्यवाद कह कर शिवाय वहा से चला गया।
वही बाबा शिवाय को जाते हुए देख रहे थे और फिर बोले मैं इतने सालो से तुम्हारे लिए ही तो यहाँ हूँ। ये बोलके बाबा वह से अचानक वहा से गायब हो गए। आखिर क्या मतलब था बाबा की बात का ? और कहा गायब हो गए बाबा ?
आखिर कौन है ये बाबा और क्या राज है उस तस्वीर का ?
क्या महल का राज जान पाएंगे शिवाय और उसके दोस्त ?
जानेगे आगे की कहानी में।
जानने के लिए पढ़ते रहे -"एकजा "