nasbandi - 8 in Hindi Drama by Swati books and stories PDF | नसबंदी - 8

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नसबंदी - 8

कौन थें, ये लोग ? खामखाह पुलिस को 5000 रुपए देने पड़ गए, ये पैस मुझे गॉंव भेजने थें । मोहन न अपने जख्मों पर दवाई लगाते हुए कहा । बता भी बिरजू, कौन थे, ये लोग? श्याम भी चिल्लाया। यार ! सट्टा खेला था, हार गया और उधारी चढ़ गई। कितनी उधारी ? मोहन ने भी चिल्लाते हए पूछा? यही कोई एक लाख रुपए है। बिरजू की नज़रे झुक गई। दोनों दोस्तों ने सिर पकड़ लिया। इन कामों में पड़ने की तुझे क्या ज़रुरत थीं, ? ये लोग तुझे छोड़ने वाले नहीं है, देखा नहीं हम न आते तो यह तुझे मार ही डालते । श्याम ने गुस्से में कहा तो बिरजू बोल पड़ा । यार ! ऐसी बात नहीं है, बस इन्हें पैसा मिल जायेगा तो ये अपने आप मेरा पीछे छोड़ देंगे। अच्छा ! पर इतने पैसे आएँगे कहाँ से? यार! तुम लोग, मेरी कुछ मदद करो तो मैं इस मुसीबत से बाहर निकल सकता हूँ । बिरजू ने गुज़ारिश की। मेरे पास इतने पैसे नहीं है, उस एक्सीडेंट में ही इतना खर्चा हो गया । बाकि फ़िर घर में भी तो देने होते हैं और अब मैं जूही के साथ घर बसाने की सोच रहा हूँ। इसलिए तू मुझसे कोई उम्मीद मत ही रख । यह सुनकर मोहन की तरफ़ देखा, और मोहन भी उसके हाव-भाव को देखकर समझ गया और बोल पड़ा, मैं तो पहले ही तेरी इतनी मदद कर चुका हूँ।


कितने महीनों से तूने किराया नहीं दिया और तो और घर का राशन भी तेरे हिस्से का मैं ही भरता हूँ। पिछले महीने तूने, मुझसे पैसे लेकर अपने घर पर भेजें थें। याद है, या भूल गया। नहीं यार ! मैं तो तेरा एहसान मानता हूँ इसलिए कह रहा हूँ कि इस बार भी मेरी मदद कर दें। कैसे कर दो ? मैंने जो पैसे बचाएँ है, उससे मुझे भाई की क्रिकेट अकादमी की फीस भरनी है। कुछ पैसे घर भेजूँगा और अब अलग किराए का घर लेने की सोच रहा हूँ। मोहन ने एक ही सांस में बता दिया, जैसे यह बात बतानी सबसे ज़रूरी थीं। अलग घर, उसकी क्या ज़रूरत है? बिरजू ने श्याम को देखा, मगर श्याम को देखकर लगा कि उसे यह बात पहले से पता हों। सालों ! तुम दोनों के मन में चल क्या रहा है? बिरजू ने मोहन का कॉलर पकड़ा तो श्याम ने उसे पीछे खींचते हुए कहा। मैंने ही उसे कहा है, समझा ? मतलब? मतलब यह कि आज से ठीक पंद्रह बाद, हमें यह घर खाली करना है। मैं किसी और कॉलोनी में किराए का घर लूँगा और जूही मेरे साथ रहेंगी । यानि शहर की हवा लग ही गए गॉंव के बिल्ले को। हाँ लग गई, खुश । मैं तो कुछ समय बाद जूही से वैसे भी शादी करने वाला हूँ। कम से कम साथ रहेंगे तो एक के किराए की पैसे बचेंगे, जो हमारे काम आयेंगे और मोहन भी यहीं करने वाला है। बिरजू ने मोहन को देखा, भाई तुझे क्या हों गया । तू प्रेमा को भूल गया। तू मुझे छोड़कर जाने के लिए तैयार हो गया? यार! चार साल हो गए हैं, शहर से आए हुए । अब जिन्दगी में तरक्की भी करनी है । रेशमा मुझसे सच्चा प्यार करती है। और प्रेमा तो अब कबकी आगे बढ़ चुकी होंगी । यह कहते हुए मोहन की आवाज़ में टीस है।


अगर तू चाहे तो यहीं रह सकता है । श्याम ने यह कहकर कमरे की बत्ती बुझा दी और सोने के लिए मुँह फेर लिया। मगर बिरजू की आँखों में कहाँ नींद थीं। उसने पंद्रह दिन बहुत कोशिश की वो मोहन को पैसे देने के लिए मना लें । मगर मोहन ने अपने भाई की फीस भर दीं । रेशमा को साथ लेकर नया मकान भी ढूँढ लिया और पंद्रह दिन ख़त्म होने से पहले दोनों ने खुद ही किराया दे दिया। और मोहन ने 5000 रुपए बिरजू के हाथ में पकड़ाएँ, और फ़िर घर से निकल गए। बिरजू अकेला रह गया, उसके मन में गुस्सा, चिढ़ और नफ़रत भर गई । उसे यह याद रहा कि दोनों दोस्तों ने मना का दिया है, पर यह याद नहीं रहा कि अगर यह दोनों दोस्त न होते तो वह इस शहर में कैसे रहता।

मोहन और श्याम ने नई अपनी ज़िन्दगी शुरू की। रेशमा के साथ मोहन बहुत खुश है, उसे रेशमा में अपनी प्रेमा नज़र आती हैं, और यह उसके जीने के लिए काफ़ी हैं। बहुत दिनों से देख रहा है कि रेशमा कुछ परेशान है, उसने रेशमा को करीब लाकर पूछा कि क्या बात है? कोई बात है तो बताओ , मैं तुम्हें ऐसे परेशान नहीं देख सकता। रेशमा ने उसकी आँखों मे अपने लिए फ़िक्र देखकर कहा, नहीं कोई बात नहीं है, वो मेरा भाई मुझसे पैसे माँग रहा हैं, क्या करो, कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। कितने पैसे चाहिए? यहीं कोई 40,000 के क़रीब, यह बोलती हुए उसकी जबान झिझक रही है। पैसे तो है, मेरे पास पर मैंने अपनी दुकान ख़रीदनी है, उसके लिए पैसे जोड़ रहा हूँ । मेरा भाई वापिस कर देगा । ठीक है , कहते हुए उसने अलमारी के लॉकर से पैसे निकाले और रेशमा को दिए । तभी एक दिन उसे ख्याल आया कि कई महीने हो गए बिरजू से मिलना चाहिए । यही सोचकर वो अपन काम से लौटकर, वहीं पुराने मकान की तरफ़ चला गया।


वहाँ जाकर पता चला कि वह उन लोगों के जाने के कुछ दिनों बाद ही वहाँ से चला गया था । उसने श्याम से मिलने की सोची तो वह उसकी तरफ हो लिया। श्याम ने उसे खुश होते हुए बताया कि वह और जूही अगले महीने शादी करने की सोच रहे हैं, यार ! अच्छी बात है। पर बिरजू का कुछ पता है? हाँ, यार ! मुझे लगता है कि वो गॉंव चला गया है, दरअसल वो लोग, उसे ढूंढते हुए ऑफिस पहुँच गए थें, फिर क्या अगले दिन से उसने ऑफिस आना बंद कर दिया । तुझे कैसे पता? तूने तो ऑफिस छोड़ दिया था न ? उसके ऑफिस में काम करने राजेश ने बताया । तभी जूही बाहर से आई, और उसको देखकर मुस्कुराते हुए बोली," कैसे हो आप दोनों ? "अच्छे हैं, रेशमा को भी ले आते, वो कह रही थीं कि उसका भाई आने वाला है, । भाई ? उसका तो कोई भाई नहीं है । जूही ने हैरान होते हुए कहा। हो सकता है, कि दूर का रिश्तेदार हो। श्याम बोल पड़ा । इतने साल से मेरे साथ है, मैंने तो आज तक किसी को नहीं देखा। हो सकता है, उसे तुम न जानती हूँ अबकि बार मोहन ने सफ़ाई दीं और वहाँ से चला गया। रेशमा ने उससे झूठ क्यों बोला ? आख़िर उसके मन में चल क्या रहा है--?

जैसे ही वह घर पहुँचा उसके कदम दरवाज़े पर ही ठिठक गए, अंदर से दो लोगों के बोलने की आवाज़ आ रही हैं।

रेशमा, अब उस मोहन को छोड़कर मेरे साथ चलो ?

हाँ, मैं सोच रहीं थीं कि उससे और पैसे ले लो ? उसने अपनी दुकान के लिए काफ़ी पैसे जोड़े हुए हैं ।

मुझे वो इतना बेवकूफ नहीं लगता कि आसानी से पैसे दें देंगा ।

उसकी चिंता तुम मत करो, मैं अपन तरीके से निकलवा लूँगी ।

दो महीने बाद तुम्हारा पेट दिखने लग जायेगा, फ़िर मुश्किल हो जायेगी । इसलिए अगले हफ्ते ही निकल लो, यहाँ से।

यह सुनते ही मोहन के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई, उसने गुस्से में दरवाजा पूरा खोल दिया। दोनों उसे देखकर हैरान हो गए। उसने लड़के का कॉलर पकड़ लिया । रेशमा ने छुड़ाने की कोशिश की, मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। उसने उसे धक्का दे दिया । अब दोनों तरफ़ से गाली-गलोच और मारपीट होने लगी। मोहन को आपे से बाहर जाते देख, रेशमा ने उसके सिर पर ज़ोर से बेलन मारा और वो लड़खड़ा गया। तभी उसने मोहन की जेब में से अलमारी के लॉकर की चाबी निकाली और उसमे रखे 100000 /-रुपए निकाले और दोनों घर का कुछ कीमती सामान लेकर भाग गए। मोहन वहीं बेहोश होकर गिर गया।


दो घंटे बाद, उसकी आँख खुली तो देखा कि पुलिस उसे घेरकर खड़ी है, उसे लगा कि कहीं उससे कुछ गलत तो नहीं हो गया। आप हमारे साथ चले, जब वह पुलिस स्टेशन पहुँचा तो देखा कि श्याम पहले से ही वहाँ मौजूद है। दोनों को लेकर पुलिस अंदर गई और एक लाश की तरफ ईशारा करके बोली कि क्या इसे आप पहचानते हैं? दोनों ने देखा तो वह बिरजू हैं, उसके शरीर पर बहुत घाव है। दोनों के होश उड़ गए। मोहन की तो रुलाई फूट पड़ी, श्याम ने उसे सम्भाला । कोई एक लाख रुपए के लिए किसी की जान भी ले सकता हैं, एक लाख? मिस्टर मोहन, आपके दोस्त के ऊपर कई लाखों का कर्जा था। उसने किसी माफ़िया के ड्रग्स चुराए थें, और उन लोगों ने ही उसे मार डाला। इसका मतलब अपना कर्जा चुकाने के लिए उसने, यह हरकत की और मारा गया । दोनों को उसकी मौत का सख्त अफ़सोस है। हमें उसे छोड़कर नहीं जाना चाहिए था, रोते हुए उसने रेशमा वाली बात भी श्याम को बता दीं।

यार ! मैं भी कुछ ख़ास नहीं हूँ, पुलिस स्टेशन से निकलकर बताता हूँ। दोनों ने एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर किये और पुलिस स्टेशन से बाहर निकल गए। जूही के घरवाले जात-पात के चक्कर में पड़कर, हमारी शादी से खुश नहीं है। दो दिन पहले, उसका भाई तो मुझे धमकी भी देकर गया है, और जूही को भी अपने साथ ले गया हैं। अब मैंने सोचा है कि यहाँ से कहीं दूर चले जायेंगे । कम से कम कुछ महीनों तक तो हम दूसरे शहर में ही रहेंगे। उसने एक लम्बी गहरी सांस लेते हुए कहा ।

तूने, जूही से बात की ?

हाँ, उसके कहने पर ही यह प्लान बनाया हैं। कल वो मुझे स्टेशन पर मिल रहीं हैं।

ठीक है, अपना ध्यान रखियो। कहते हुए उसने श्याम को गले लगा लिया।