Nafrat ka chabuk prem ki poshak - 15 in Hindi Love Stories by Sunita Bishnolia books and stories PDF | नफरत का चाबुक प्रेम की पोशाक - 15

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नफरत का चाबुक प्रेम की पोशाक - 15

घर बाहर कुछ देर इंतजार करने के बाद हम वापस तांगे पर बैठ गए तो अचानक देखा कि चारदीवारी के अंदर चर्र की आवाज से दरवाजा खुला उसमें से धीरे-धीरे चलकर अम्मी बाहर आई और बरामदे के एक कोने में कुछ रखकर फिर अन्दर जाने लगी।
अम्मी को देखकर मेरी आँखों से आँसू बह निकले क्योंकि डेढ़ साल में ही अम्मी की हड्डियाँ बाहर आ चुकी थी वो इतनी पतली और बूढ़ी दिखाई दे रही थी कि उन्हें पहचाना भी मुश्किल हो गया था। वो वापस अंदर दरवाजा बंद कर ले इससे पहले मैंने तांगे पर बैठे-बैठे ही उनको आवाज लगा दी। पहले तो वो इधर-उधर देख रही थी कि क्या कोई मुझे आवाज दे रही है। पर शायद मेरी आवाज को पहचान गई थी। मेरी आवाज सुनकर और मुझे तांगे पर बैठा देखकर जुबैदा.. मेरी जुबैदा ....! कहती हुई दरवाजे पर आ गई पर बाहर से ताला लगा था।अब हम अंदर कैसे जाएँ।
हम लोग ये सोच ही रहे थे कि अम्मी ने हमें थोडी देर वहीं रुकने को कहा और जल्दी से अंदर जाकर ताले की दूसरी चाबी ले आई और हमें बाहर पकड़ा दी।
हमारे पूछने पर बताया कि ये चाबी बानो के हाथ से गिर गई थी तो मैंने छिपा ली थी। उन्हें शक था कि चाबी मेरे पास ही होगी इसलिए मुझे खूब मारा पर मैंने चाबी नहीं दी।
उस दिन के बाद आज पहली बार ही वो दोनों बाहर गई है।
कहती हुई अम्मी ने अंदर से दरवाजा खोला और हमने बाहर से ताला। हमारे अंदर जाने पर अम्मी मेरे गले लगकर फफक-फफक कर रोने लगी।
अम्मी ने मुझे खूब उलाहने दिए कि राशिद के जाने के बाद मैं उनसे एक बार भी मिलने नहीं आई।
राशिद के जाने की बात सुनते ही हम चौक पड़े हम जल्दी से जल्दी राशिद के बारे में जानना चाह रहे थे तो अम्मी ने बताया कि जिस दिन तुम इस घर से गई थी उस रात हम तीनों माँ - बेटे खूब रोये।
राशिद ने बताया कि फिरदौस और बानो दोनों ने जाने क्या नशा देते हैं कि मुझे कुछ पता ही नहीं रहता कि क्या हो रहा है। इसी तरह बेहवास रहने के कारण ही उसकी नौकरी भी चली गई थी फिरदौस ने इसे धमकी दी थी कि अगर वो बानो से शादी नहीं करेगा तो उसकी वो अपनी दोनों बहनों को फूफी के घर से निकलवा देगी ।
तेरे भाईजान फिरदौस पर गुस्सा होते तो फिरदौस उसे नामर्द कह कर चुप करवा देती या बहनों को बुआ के घर से निकलवाने की धमकी देती। अब ये नहीं पता था कि कमी किसमें थी फिरदौस में या भाईजान में। क्योंकि फिरदौस ने कभी वैद्य या डॉक्टर को नहीं दिखाया।
अम्मी ने बताया कि जिस सुबह मैं अब्बू के साथ अपने घर गई, राशिद उसी रात घर छोड़कर चला गया था। उसने मेरे सिरहाने एक चिट्ठी छोड़ी थी और बस उसमें इतना लिखा था कि अम्मी जुबैदा मेरी जान है जब जुबैदा ही मेरे साथ नहीं तो मैं जी कर क्या करूँगा।
भाभी जान मुझे बानो के साथ जबरदस्ती रख सकती है पर प्यार... प्यार कभी नहीं होगा मुझे बानो से ।
क्रमशः...
सुनीता बिश्नोलिया