A Rock - Sita Ram in English Spiritual Stories by Devendra Kumar Jaiswal books and stories PDF | एक शिला - सीता राम

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एक शिला - सीता राम

प्रत्यक्षदर्शी की राम कहानी ...
एक शिला का राम बन जाना!

ओह…मेरे राम…

मैंने अपने शहर को इतना विह्वल कभी नहीं देखा! तीन से चार लाख लोग सड़क किनारे हाथ जोड़े खड़े हैं।
अयोध्या में प्रभु की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालिग्राम पत्थर जा रहा है, और आज वह ट्रक तमकुहीराज से गुजर रहा है। कोई प्रचार नहीं, कोई बुलाहट नहीं, पर सारे लोग निकल आये हैं सड़क पर... युवक, बूढ़े, बच्चे... बूढ़ी स्त्रियां, घूंघट ओढ़े खड़ी दुल्हनें, बच्चियां...
स्त्रियां हाथ में जल अक्षत ले कर सुबह से खड़ी हैं सड़क किनारे! ट्रक सामने आता है तो विह्वल हो कर दौड़ पड़ती हैं उसके आगे... छलछलाई आंखों से निहार रही हैं उस पत्थर को, जिसे राम होना है।
बूढ़ी महिलाएं, जो शायद शालिग्राम पत्थर के राम-लखन बनने के बाद नहीं देख सकेंगी। वे निहार लेना चाहती हैं अपने राम को... निर्जीव पत्थर में भी अपने आराध्य को देख लेने की शक्ति पाने के लिए किसी सभ्यता को आध्यात्म का उच्चतम स्तर छूना पड़ता है। हमारी इन माताओं, बहनों, भाइयों को यह सहज ही मिल गया है।
जो लड़कियां अपने वस्त्रों के कारण हमें संस्कार हीन लगती हैं, वे हाथ जोड़े खड़ी हैं। उदण्ड कहे जाने वाले लड़के उत्साह में हैं, इधर से उधर दौड़ रहे हैं। मैं भी उन्ही के साथ दौड़ रहा हूँ।
इस भीड़ की कोई जाति नहीं है। लोग भूल गए हैं अमीर गरीब का भेद, लोग भूल गए अपनी जाति- गोत्र! उन्हें बस इतना याद है कि उनके गाँव से होकर उनके राम जा रहे हैं।
हमारे यहाँ कहते हैं कि सिया को बियह के रामजी इसी राह से गये थे।
पाँच सौ वर्ष की प्रतीक्षा और असँख्य पीढ़ियों की तपस्या ने हमें यह सौभाग्य दिया है। हम जी लेना चाहते हैं इस पल को... हम पा लेना चाहते हैं यह आनन्द!
कोई नेता, कोई संत, कोई विचारधारा इतनी भीड़ इकट्ठा नहीं कर सकती, यह उत्साह पैदा नहीं कर सकती। सबको जोड़ देने की यह शक्ति केवल और केवल धर्म में है, मेरे राम जी में है।
तमकुहीराज में कुछ देर का हॉल्ट है। साथ चल रहे लोगों के भोजन की व्यवस्था है, सो घण्टे भर के लिए ट्रक रुक गया है। लोग इसी समय आगे बढ़ कर पत्थर को छू लेना चाहते हैं। मैं भी भीड़ में घुसा हूँ, आधे घण्टे की ठेलमठेल के बाद ठाकुरजी को स्पर्श करने का सुख... अहा!कुछ अनुभव लिखे नहीं जा सकते।
उसी समय ऊपर खड़ा स्वयंसेवक शालिग्राम पर चढ़ाई गयी माला प्रसाद स्वरूप फेंकता है। संयोग से माला मेरे हाथ में आ गिरती है। मैं प्रसन्न हो कर अंजुरी में माला लिए भीड़ से बाहर निकलता हूँ। पर यह क्या, किनारे खड़ी स्त्रियां हाथ पसार रही हैं मेरे आगे... भइया एक फूल दे दीजिये, बाबू एक फूल दे दीजिये। अच्छे अच्छे सम्पन्न घरों की देवियाँ हाथ पसार रही हैं मेरे आगे! यह रामजी का प्रभाव है।
मैं सबको एक एक फूल देते निकल रहा हूँ। फिर भी कुछ बच गए हैं मेरे पास! ये फूल मेरा सौभाग्य हैं...
यह भीड़ गवाही दे रही है कि राम जी का यह देश अजर अमर है, यह सभ्यता अजर अमर है, राम अजर अमर हैं...