Last Part 5 - अभी तक आपने पढ़ा कि शीला की मदद से चंदा और मोहन को एक बेटी हुई . अब आगे …
वह बदनाम औरत 5
डेढ़ साल के अंदर अब लीला को जॉब ज्वाइन करना था . छुट्टियों में वह घर आ रही थी . लीला स्टेशन से उतर कर ऑटो रिक्शा से घर जा रही थी . उसी समय एक दुर्घटना में वह घायल हो गयी . एक पैर की हड्डी टूट गयी और काफी खून बह गया . उसे अस्पताल में भर्ती किया गया . उसे खून की जरूरत थी और लीला का ब्लड ग्रुप अस्पताल में उपलब्ध नहीं था . उसके माता पिता दोनों का ब्लड ग्रुप लीला से अलग था .
लीला की दुर्घटना की बात सुन कर शीला दौड़ी दौड़ी अस्पताल आयी . उसका ब्लड ग्रुप लीला से मिल गया . शीला ने उसके लिए अपना खून दिया . डॉक्टर ने उसके पैर का ऑपरेशन कर हड्डी सेट कर दिया . लीला को करीब एक दो महीने तक अस्पताल में रहना था . उसके बाद डॉक्टर चेक करने के बाद ही आगे के लिए बता सकेंगे . शीला ने लीला के लिए स्पेशल वार्ड में अलग कमरा बुक कर दिया था ताकि उसे किसी प्रकार की तकलीफ नहीं हो . चंदा ने बेटी से कहा “ हमने सुना है कि इतिहास दोहराता है , तेरे पापा की मैडम से मुलाकात ऐसी ही एक दुर्घटना से हुई थी . “
शीला प्रतिदिन लीला से मिलने आती और उसके लिए फल आदि ले आती . एक महीने बाद डॉक्टर बोला “ लीला को फिर से प्लास्टर लगाना है और उम्मीद है उसके बाद जल्द ही ठीक हो जाएगी . “
करीब डेढ़ महीने बाद लीला को अस्पताल से छुट्टी मिली पर उसे कुछ दिनों तक स्टिक के सहारे चलना था . एक महीना बाद लीला फिर अपने कॉलेज जा रही थी . मोहन ने कहा “ छुट्टियों में एक्सीडेंट होने के कारण पढ़ाई में ज्यादा नुक्सान नहीं होना चाहिए . “
:” नहीं कोई नुकसान नहीं होगा . लीला बेटी बहुत इंटेलिजेंट है , वह जल्दी ही पढ़ाई मेकअप कर लेगी . क्या तुम मुझसे नाराज हो ? “ शीला ने लीला से पूछा
चंदा के इशारा करने पर लीला ने इशारे से न कहा और शीला का पैर स्पर्श किया . शीला की बात का जवाब चंदा ने दिया “ नहीं मैडम वह आपसे नाराज नहीं है . “
समय बीतते देर नहीं लगा . लीला ने जब तक पढ़ाई पूरी कर अपने शहर में नौकरी ज्वाइन किया तब तक यह शहर अब नए राज्य की राजधानी बन चुका था . मोहन , चंदा और लीला सभी खुश थे पर सबसे ज्यादा ख़ुशी शीला के चेहरे पर झलक रही थी .
लीला अब उस आउट हाउस में नहीं रहना चाहती थी . चंदा और मोहन भी यही चाहते थे पर मैडम से कहने में संकोच कर रहे थे . एक दिन हिम्मत कर चंदा ने कहा “ मैडम , बेटी का ऑफिस यहाँ से दूर पड़ता है इसलिए अब हमलोग दूसरे घर में शिफ्ट करना चाहते हैं . “
शीला बोली “ मैं कितने दिनों से ऊपर वाले हिस्से में रह रही हूँ , नीचे का हिस्सा खाली है . तुमलोग उस में आ जाओ . और लीला को बोलो मेरी कार से ऑफिस जाया करे , रखे रखे जंक लग जाएगा . हां पेट्रोल का खर्चा वह भरेगी . मेरे ख्याल से यह कोई प्रॉब्लम नहीं होना चाहिए . “
“ मैं लीला और मोहन से पूछ कर बताती हूँ . “
“ चंदा यह बात तुम लोगों से छिपी नहीं है कि लीला से मुझे कितना लगाव है . मैं उस से अलग रह कर खुश नहीं रह सकूंगी . पर इसका मतलब यह नहीं है कि मैं लीला पर अपना कोई हक़ जता रही हूँ . अगर कहो तो मैं स्वेच्छा से यह घर छोड़ कर चली जाऊंगी और तुमलोग यहाँ रह सकते हो . मैं नहीं तो मेरा कोई अंश तो इस घर में रहेगा , वैसे मेरा कोई वारिस भी नहीं है . “
“ नहीं नहीं मैडम , ऐसा नहीं हो सकता है . “
“ मेरी इच्छा है कि लीला की शादी इसी घर से हो . इसे मेरी अंतिम इच्छा समझो . “
चंदा बोली “ हमलोग भी उसके लायक वर ढूंढ रहे हैं . पर हमारी जाति और समाज में इतना पढ़ा लिखा लड़का मिलना बहुत कठिन है . “
“ अगर तुम्हें किसी अन्य जाती का अच्छा लड़का मिल जाए तब तुमलोग शादी के लिए तैयार हो ? मेरी नजर में एक लड़का है . वह लड़का भी तुम्हारे ही गाँव का है और वह बाढ़ में अनाथ हो गया था . बाद में मैंने थोड़ी बहुत उसकी मदद की . अब वह पढ़ लिख कर इसी शहर के कॉलेज में प्रोफ़ेसर है . “
चंदा ने अपने घर में यह बात की . पहले तो लीला तैयार नहीं हो रही थी पर बाद में उसने भी स्वीकृति दे दी . शीला यह सुन कर बहुत खुश हुई . एक महीने बाद शादी का मुहूर्त निकला . इन दिनों मोहन और चंदा ने महसूस किया कि शीला से मिलने कभी वकील तो कभी डॉक्टर आते जाते रहते .
उस दिन लीला की शादी हो रही थी . शीला ने अपनी निगरानी में काफी अच्छा इंतजाम करवाया . शादी बड़े धूमधाम से सम्पन्न हुई . अगले दिन दोपहर के बाद लीला की विदाई होने वाली थी . इसी बीच डॉक्टर और नर्स शीला के कमरे में गए . उन्होंने आवाज दे कर सभी को शीला के कमरे में बुलाया .
चंदा, मोहन , लीला और उसका वर सभी आये तब उन्होंने देखा कि शीला कालकवलित हो चुकी थी . थोड़ी देर में वकील भी आया . डॉक्टर ने कहा “ शीला कार्डियक अरेस्ट से मर चुकी है . “
थोड़ी देर में वकील भी आया .
शीला के तकिये के पास एक पत्र पड़ा था जिसमे लिखा था - अगर मोहन को कोई ऐतराज न हो तो मेरी अंतिम क्रिया लीला के हाथों सम्पन्न हो . मैंने अपनी वसीयत लिख कर वकील को दे दिया है . मेरी अंतिम क्रिया सम्पन्न होने पर इसे मेरे वारिस को दे दिया जाए .
शीला की अंतिम क्रिया के बाद वकील ने शीला का वसीयत पढ़ कर सुनाया , लिखा था “ मेरी मृत्यु के बाद मेरी चल और अचल सभी संपत्ति का एकमात्र वारिस लीला होगी . “
वकील ने वसीयत लीला के हाथ में दिया . चंदा और मोहन भी वहीँ थे . वकील ने कहा “ मैडम की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई है . मैडम अपनी जिंदगी से ऊब गयी थीं . उन्होंने यह बात छिपाई थी कि काफी दिनों से उन्हें हार्ट की बीमारी थी . डॉक्टर ने उन्हें जल्दी से जल्दी ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी पर वे टालमटोल कर रही थीं . मैडम यह भी चाहती थीं कि तुम लोग यहाँ से न जाओ . . “
समाप्त