Bhooto ka Dera - 11 in Hindi Horror Stories by Rahul Kumar books and stories PDF | भूतों का डेरा - 11

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भूतों का डेरा - 11


" किले की चहारदीवारी पर चढ़कर उस मैदान कि तरफ देखो, जहां दुश्मन की फौजे जमा थी । इल्या ने कहा ।

शहरवालों ने किले की चहारदीवारी पर चढ़कर देखा तो सचमुच मैदान में लुटेरों कि लाशे इस तरह बिखरी हुई थीं ,

जैसे ओले पड़ने के बाद खेत में अनाज की बालें बिखरी हों।

यह देखकर चेनिर्गोव के निवासियों ने झुककर इल्या को नमस्कार किया , रोटी और पानी से उसका स्वागत क्या फिर पूछा " वीर युवक ,हमे बताओ तुम्ह कहा से आए हों ? तुम्हारे पिता कोन है और तुम्हारी मां कोन है ? तुम्हारा नाम क्या है ? तुम यहीं पर चेनीर्गोव में ही रहो और हमारे सरदार बनाना कबूल करो । हमसब तुम्हारा हुक्म मानेंगे, तुम्हारा आदर करेंगे । हम तुम्हारे लिए खाने पीने की कभी कमी नहीं होने देंगे । तुम बड़े ठाट बाट और सम्मान के साथ रहोगे ।

इल्या ने अपना सिर हिलाकर कहा ," चेनिर्गोव के निवासियों, में एक बहादुर हूं और आसम शहर के नजदीक गोकलपुर नामक गांव के एक मामूली किसान का बेटा हूं । मैने तुम्हें लाभ के लालच से आजाद नहीं किया है मुझे सोना चांदी कुछ नहीं चाहिए ।मैने तो अपने देश के मनुष्यों , सुंदर कुमारियों , प्यारे बच्चो और बुढ़िया माताओं को मुसीबत से छुड़ाया है । में तुम्हारा सरदार नहीं बनाना चाहता और ना धन दौलत चाहता हूं । मेरी ताकत ही मेरी दौलत है मेरा काम है अपने देश की सेवा करना और उसे दुश्मनों से बचना।

चेनिर्गोव निवासियों ने इल्या से अनुरोध किया कि वह कम से कम एक दिन तो उनके साथ रहे और उनकी दावत का आनंद ले लेकिन इल्या इसके लिए भी राजी नहीं हुआ । उसने कहा ," भले लोगो, मै ठहर नहीं सकता है हमारा देश दुश्मनों के हमलों से कराह रहा है और मुझे जल्दी से जल्दी राजा बिक्रम के पास पहुंचना है मुझे रास्ते के लिए थोड़ी सी रोटी और प्यास बुझाने के लिए पीने का कुछ पानी दे दो और यह बता दो कि शहर जाने कि सीधी सड़क कोन सी है।"


चेनिर्गोव के निवासी बहुत दुखी हुई और सोच में डूब गये

और बोले " हाय इल्या , शहर जाने वाली सिधी सड़क तो घास से ढकी हुई है । पिछले तीस साल से कोई भी उस सड़क पर से नहीं गया है ।"

"क्यों, इसकी क्या वजह है? इल्या ने उत्सुकता से पूछा।

उन्होंने जवाब दिया ," उस सड़क पर रहमान के बेटे सिटी बाज डाकू का कब्जा है




वह वहां स्मोरोदिनाया नदी के किनारे बतुल के तीन पेड़ों की नौ शाखाओं के ऊपर बैठा हुआ है जब वह चिड़िया की तरह सिटी बजाता है और जंगली जानवरो की तरह गरजता है तो सारे पेड़ जमीन पर झुक जाते है , फूलों की पखुड़िया झड़ जाती है घास सुख जाती है और आदमी तथा घोड़े गिरकर ढेर हो जाते है एक दूसरी सड़क भी है लेकिन बहुत घुमावदार है तुम इसी सड़क पर जाओ । हां , यह बात सही है कि शहर जानेवाली यह सड़क दो सौ मील और दूसरी सड़क साढ़े छः मिल लंबी है।"




To be continue