Aatma - Pretatma - 4 in Hindi Horror Stories by Rajveer Kotadiya । रावण । books and stories PDF | आत्मा - प्रेतात्मा - 4 - एक गर्भवती आत्मा और एक पिता की रूह

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आत्मा - प्रेतात्मा - 4 - एक गर्भवती आत्मा और एक पिता की रूह


गर्भवती महिला की आत्मा

ये कहनी एक सत्य घटना पर आधारित है.जो मेरी मम्मी ने मुझे बताई थी. बचपन में मेरी माँ जॉइंट फॅमिली के साथ अहमदनगर जिल्हे में वडनेर नाम के एक छोटेसे गाँव में रहती थी.


उनका परिवार काफ़ी बड़ा था. इसलिए बड़े बूढ़े और जानकर लोगों की कमी नहीं थी. उसवक़्त गाँव में पानी के नल नहीं थे. इसलिए सभी औरते कपडे धोने के लिए. कुएँ पर जाती थी. सुबह ज़्यादा काम होने की वज़ह से मेरी दादी कपडे धोने के लिए.


श्याम 6 बजे कुएँ पर अकली ही गइ थी. आने में उन्हें काफी देर होगई थी. लगभग 7: 30 बजे का समय हो रहा था. जब वह लौटी तब पूरा परिवार आश्चर्य चकित हो गया. क्योंकि दादी गई थी ठीक ठाक.


पर जब लौटी तब वह 9 महीने की गर्भवती थी. और आते ही खाने के लिए काजू बादाम पिस्ता दूध घी मांगने लगी. मेरी परदादी एक जानकर और धीरज वाली स्त्री थी. उन्होंने मेरी माँ को हनुमान मंदिर वाले पंडितजी को बुलाने भेजा था.


और जब तक पंडित आते तबतक घरवालो ने दादी माँ को खाने की वह सब चीजे दी जो उसने मांगी थी . बादमे जब पंडित जी आये तब उनमे और मेरी परदादी में कुछ बात चित हुई. पडिंतजी जाने के बाद परदादी ने घर में जितना काजू बादाम और पिस्ता था.


वो सब एक सूत की थेली में भर लिए साथमे एक मटका भरकर दूध. यह सब चीजे लेकर ठीक रातके 12: 00 बजे कुंए के पास वाले पेड़ के निचे रखकर घर आगई. और जब वह घर पहुची तब तक दादी माँ का पेट खाली हो चूका था.


बाद में सुबह मेरी माँ ने बड़ो की बाते सुनी थी. की कुछ महीनो पाहिले पास के गाँव की एक गर्भवती महिला ने किसी पारिवारिक तनाव.


में आकर कुँए में कूदकर आत्महत्या करली थी. उसीकी गर्भवती महिला की रूह. वहा भटक रही थी. और शायद उसकी कुछ अच्छा खाने की इच्छा अधूरी रह गई होगी. जो उसने दादी के जरिये पूरी करली.


पिता की रूह _ दिल को छूनेवाली कहानी




मिताली ने किरण को आवाज़ लगाई.किरण… किरण……. श्याम होगई है बेटे तुम्हारे पापा आने का समय होगया है चोलो स्कूल का होमवर्क पूरा करलो नहीं तो पापा डाटेंगे. पापा का नाम सुनते ही. 8 साल का किरण बैट और स्टंप उठाके दौड़ता हुआ घर में आया.


और उपरी मंज़िल में सीढियों पर तेजी से चढ़ने लगा. उसी वक़्त आखरी सीढि पर उसका पैर फिसल गया. और जैसे ही वह निचे गिरने लगा कि उसिवक्त किसी अदृश शक्ति ने उसे संभाल लिया. और हवामे ही उठाके. उसे उसके कमरे में छोड़ दिया.


किरण को इसमें बहुत मज़ा आया. क्योंकि 8 साल के बच्चे को भूत और प्रेतों के बारे में कुछ पता नहीं था. उस रात खाने के टेबल किरण ने मम्मी पापा को सीढियों से कमरे तक उड़ने वाला किस्सा सुनाया. बच्चे पर भला कौन विश्वास करता. लेकिन उसके दुसरे दिन स से किरण की माँ को किरण के बर्ताव में बदलाव महसूस होने लगे.


वह स्कूल का होम वर्क समय पर पूरा करने लगा.सुबह स्कूल के लिए ख़ुद से तैयार होने लगा. किरण ज्यादातर समय अपने कमरे में ही रहने लगा. एक दिन मिताली सीढियों से ऊपर आ रही थी. तभी उसे किरण के कमरे से आवाजे आने लगी.


जैसे कि वह किसी के साथ मस्ती कर रहा हो. मिताली ने दबे पैरो से जाकर दरवाजे के होल(सुराग) से देखा. तो डरके मारे उसकी साँस फूलने लगी. क्योंकि एक आदमी की धुंदली सी परछाई बालकनी के पास खड़ी थी. और उसके बाजूमे किरण उसका हात पकड के खड़ा था.


उस आदमी ने जब पीछे मुडके देखा. तो मिताली डर से दहल उठी. क्योंकि उसका चेहर बडाही भयानक था. उसपर पर गहरी चोट के निशना थे. देखते ही देखते वह आदमी कुछ हो पालो में हवा में गायब होगया .


फिर मिताली दरवाज खोलके दौड़ती हुए आयी. और किरण को सिने से लगाके बाहर की तरफ़ भागी. जब मिताली ने किरण से पूछा की वह आदमी कौन था. तब किरण ने कहा वह विश्वास अंकल थे. वो रोज़ मेरा ध्यान रखते है. कभी-कभी मेरे साथ स्कूल में भी आते है.


मैंने आपको बताया था ना. उसदिन एक अंकल मुझे सीढियों से हवामे उड़ाते हुए कमरे में लगाये थे. यह वही है. विश्वास ये नाम मिताली को कही देखा-सा लग रहा था. पर उसे याद नहीं आ रहा था.


पर इन सब से उसे डर भी लग रहा था. पर तसल्ली इस बात की थी की उस आत्मा ने किरण को अबतक कोई नुक़सान नहीं पहुचया था. उस दिन स्कूल में कोई फंक्शन होने की वहज से स्कूल 11 बजे था. मिताली ने किरण को स्कूल बस में बिठा दिया और वापस घर लौटी.


तभी उसने पाया की बेडरूम में लगे आयिने पर. लिपस्टिक से एक नाम लिखा था. मदर टेरेसा अनाथालय. जहा से मिताली और उसके पती आरव ने किरण को गोद लिया था.


मितालीने उसी वक़्त घर को ताला लगाके अराव को कॉल किया. और उसे तुरंत अनाथालय में बुला लिया. और गाड़ी निकालके ख़ुद भी अनाथलय की ओर निकल पड़ी.


दोनों वहापर एकसाथ पहुचे और जाकर वहाके संचालक से मिलकर. किरण के भूतकाल के विषय में जानकारी की मांग की. पर संचालक महोदय कुछ भी कुछ बताने के लिए तैयार न थे.


तब मितालीने उन्हें सब हक़ीक़त और वह नाम बताया. वह सुनकर संचालक महोदय सच्चाई बताने के लिए राजी हो गए. वह बोले की विश्वास त्यागी.यह किरण के पिता का नाम है. किरण को जन्म देते वक़्त उसकी माँ गुजर गई थी . उसके बाद उसके पिता ने ही उसे पाला. पर बदकिस्मती से एक कार एक्सीडेंट में उनकी भी मौत हो गई.


किरन भी उसी कार में था. पर वह किस्मत से बच्च गया था. लेकिन सिर पर गहरी चोट लगने की वज़ह से. उसकी यादे मिट गई है. जब किरण के किसी भी रिश्तेदारने हमदर्दी नहीं दिखिई. तब कोर्ट उसकी की जिम्मेदारी हमें सौंपी. उसके बाद हमे भी बहुत बार एसा महसूस हुआ. की किरण हिफ़ाज़त कोइ रुहानी ताकत कर रही है.


पर उस रूह ने उसे कभी नुक़सान नहीं पहुचाया. यह बात भी सच है. सारी बात ठिकसे समझने के बाद. मिताली और आरव जब घर पर लौटे और जब वह बेडरूम में बैठे बाते कर रहे थे. तभी


उनके सामने ही वहांके अयिने के पास रखी. एक लिपस्टिक हवा में उठी. और अयिने लिखा मरे किरण को पढ़ा लिखाकर. एक अच्छा इंसान बनाना. यही मेरी आखरी इछा है. उसके बाद खिड़की के पास एक धुंदली सी आकृति दिखाई. दी और एक आवाज़ सुनाई दी मैं हमेशा किरण के आस पास रहूँगा. इस आवाज के साथ वह आकृति अदृश हो गई.