Saat fere Hum tere - 31 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | सात फेरे हम तेरे - भाग 31

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सात फेरे हम तेरे - भाग 31

फिर सभी बच्चे पढ़ने लगे और फिर विक्की भी आकर बैठ गया और देखते हुए बोला अरे वाह कितने प्यारे प्यारे बच्चे हैं।मैं भी पढ़ना चाहता हूं।
माया और बच्चे हंसने लगे। बच्चों ने कहा अरे बाबा आप तो बड़े हो गए हो अब क्या पढ़ना है।

विक्की ने कहा अरे तो क्या हुआ।।
फिर बच्चे घर चले गए।
सब बैठ कर टीवी देखने लगे।

इसी तरह से दिल्ली जाने का समय भी आ गया।
आज माया नैना सब पैकिंग कर रहे थे और सब बहुत खुश भी थे।


विक्की अतुल बिमल सब पैकिंग कर रहे थे। शाम को पांच बजे की ट्रेन थी।
बिमल ने कहा वन्दे भारत है बहुत ही अच्छी गाड़ी है।
माया ने कहा जैसे कहा था वैसे ही सब ले लिया। कचौड़ी,मठरी, बेसन का लड्डू और सब कुछ।
वाह वाह क्या बात दीदी मजा आ गया।
विक्की ने कहा चलो अब जल्दी से खाना खा लेते हैं।

फिर सब मिलकर खाना खाने लगे।
खाना खाते हुए अचानक माया रोने लगी।
विक्की ने कहा अरे दीदी अब क्या हुआ आपकी आंखों में आसूं? माया ने कहा अरे भाई क्या बताऊं पता है निलेश भी चाहता था कि हम सब मिलकर दिल्ली घूमने जाएं।आज तूने ये कर दिखाया। विक्की ने कहा अरे तो क्या हुआ दीदी निलेश चाहता था उसको मैंने पुरा किया ना।

अच्छा ठीक है सब पहले खाना खा लेते हैं।
फिर सब खाना खा कर सो गए।


फिर सब उठ कर तैयार हो गए। फिर लगेज लेकर नीचे उतर गए।
कोकिला अपने बालकनी से देखने लगी।
कुछ देर बाद ही टैक्सी आ गई और फिर लेगेज रख दिया और फिर सब बैठ गए।

माया बहुत ही खुश हो रही थी। नैना ने कोकिला को हाथ हिलाकर अभिवादन किया।
फिर गाड़ी कानपुर सेन्ट्रल निकल गए।
विक्की ने कहा मैंने सबको जल्दी करने के लिए कहा था ट्रेन 6.30 में आएगी।

नैना ने कहा अरे इतनी जल्दी सबको स्टेशन ले जा रहे हो वहां पर चाय बेचना है क्या?

विक्की ने कहा अरे बाबा नहीं ऐसा नहीं।हम वहां पर चाय पीएंगे।

फिर कुछ देर बाद ही सब स्टेशन पर पहुंच गए।
वहां पर कुली के साथ सारा सामान लेकर प्लेटफार्म नंबर सात पर पहुंच गए।

विक्की ने एक अच्छे से चाय वाले को बुलाया और फिर सबको चाय दिया गया।

फिर विक्की ने दो, तीन मैगजीन लेकर आ गया।

माया ने सारा मैगजीन बैग में रख दिया।

कुछ देर बाद ही अनाउंसमेंट हो गया।
और फिर गाड़ी भी आ गई। सेकेंड एसी कोच में ए नम्बर पर सब लोग उठ गए।

माया ने कहा वाह क्या साफ सुथरी ट्रेन है। विक्की ने कहा हां ठीक है और बहुत भूख लगी है।

फिर कुली सामान रख कर पैसे लेकर चला गया।
कुछ ही देर बाद ट्रेन चलने लगी। और फिर विक्की ने कहा दीदी जल्दी से कुछ नाश्ता दिजिए।
माया ने कहा हां, हां अभी देती हुं।

फिर माया ने पेपर प्लेट पर कचौड़ी और बेसन का लड्डू निकाल कर सबको दे दिया।
फिर थरमस निकाल कर कप में काॅफी भी देने लगी।

विक्की ने कहा लाजबाव कचौड़ी बना है और दिजिए।बिमल और अतुल भी मजे से खाने लगे।
नैना धीरे धीरे खाने लगीं।
विक्की ने कहा वाह वाह बेंसन का लड्डू बहुत ही स्वादिष्ट बना है।। एक और लिजिए।
माया ने हंसते हुए कहा कि ये तो नैना ने बनाया है और बनाते समय उसका हाथ भी जल गया।
नैना ने कहा ओह दीदी ये सब बताने की जरूरत क्या है।। विक्की ने कहा अरे बाबा ठीक है मुझे पता था इसलिए मैं बरलोन लेकर आया था।
फिर विक्की अपने छोटे से किट में से एक बरलोन निकाल कर उसके पास जाकर बैठ गया और फिर बोला कि अरे अपना हाथ दो। नैना ने कहा नहीं मुझे दिजिए मैं लगा लेती हुं।

विक्की ने जबरदस्ती नैना का हाथ लेकर देखा तो घाव बहुत गहरा था। विक्की ने कहा अरे ये तो घाव गहरा हो गया है अगर दवा नहीं लगाओगी तो नासूर बन जाएगा।
नैना ने कहा ऐसे कितने ही घाव तो जिंदगी ने दिया है घाव इतने गहरे हो गए हैं जो भर नहीं सकते हैं और फिर शायद दवा ही कम पड़ जाएंगे।

विक्की ने कहा बहुत बोलती हो हां मुझे दवा लगाने दो और फिर धीरे धीरे दवा लगाने लगा और नैना को ही देखने लगा।

फिर सभी लोग बैठ कर गाना गाने लगे।

विक्की गाना गाने लगे नैना तेरे नैनों की सपनों में मुझको बसा लें।।
बिमल भी गाने लगे और फिर माया और फिर नैना ने गाना शुरू किया। यादें याद आती है बातें भुल जाती है।।।


फिर देखते देखते समय बीतने लगा। ग्यारह बजे तक दिल्ली पहुंच जाएगी।
वहां से होटल एक घंटे बाद।
विक्की ने कहा ये सब।।
माया ने कहा हां होटल पहुंच कर सब सो जायेंगे।
विक्की ने कहा मैंने दो रूम बुक किया है एक में आप और नैना। और दूसरे में हम तीनों।
माया ने कहा हां ठीक है।


फिर ग्यारह बजे तक दिल्ली स्टेशन पर पहुंच गए।


फिर एक कुली को सामान दे दिया गया और फिर सब बाहर निकल आए।

वहां पर टैक्सी की बड़ी भीड़ थी और फिर एक टैक्सी ड्राइवर से बात हो गई। और फिर सब लोग बैठे। सामान डिक्की में रख दिया गया।

और फिर गाड़ी निकल पड़ी।

रैडिसन ब्लू होटल नयी दिल्ली पश्चिम बिहार।। ये विक्की ने कहा। विमल ने कहा अरे पर पहले तो कुछ और नाम था। विक्की ने कहा हां पर उसका रिव्यू बहुत अच्छा नहीं था।तो ये मेरे दोस्त ने कहा।

माया ने कहा हां महंगा भी होगा। विक्की ने कहा क्या दीदी फौजी भाई है आपका और फिर दिल्ली में है दिलवालों का शहर है दिल्ली।

नैना ने कहा हां ठीक है जाने दो दीदी हमें क्या करना है।


माया ने कहा हां तुझे ही तो सब करना है पर कुछ भी नहीं करती है तू अपना रौब जमाया कर। नैना ने कहा हां कुछ भी कहती हो।।

माया ने कहा हां क्या ग़लत कहा हां विक्की तो तुम पर जान देता है पर तुम तो अनजान सी अपनी दुनिया में रहती हो किस बात का डर है तुम्हें हम सब भी यही चाहते हैं नैना।। अब और किस बात का इंतजार कर रही हो कोई अनहोनी हो गई तो क्या तुम खुद को माफ कर पाओगी।

नैना ने कहा दीदी ये क्या बोल दिया आपने आज।।ये कह कर नैना के आंखों से आंसु बहते जा रहे थे।

कमश: