Humne Dil De Diya - 30 in Hindi Women Focused by VARUN S. PATEL books and stories PDF | हमने दिल दे दिया - अंक ३०

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हमने दिल दे दिया - अंक ३०

अंक ३०. दोस्ती में दरार ?    

   सारे दोस्तों के बिच बात चल ही रही थी उतने में सही में दरवाजे का आलाम बजना मोबाइल में शुरू होता है और सभी वो आवाज सुनकर गभरा से जाते है की इस वक्त कौन आया होगा और अगर कोई आया होगा तो इस खाने को कैसे छुपाया जा सके क्योकी खाने की सुगंध पुरे कक्ष में फ़ैल चुकी थी |

    बाप रे बाप मर गए सच में आज अगर पकडे गए तो गुटखा कभी भी नहीं खा पाउँगा ...पराग ने रोतलु सा मु करते हुए कहा |

    एक मिनिट सब शांति रखो और छुपने का इंतजाम करो तब तक में निचे जाकर देखता हु और हा अगर में पकड़ा भी जाऊ तो भी कोई मेरे लिए बहार नहीं आएगा समझे ...अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

    दरवाजे पर किसी के आने की वजह से सारे लोग गभरा गए थे और इश्वर से प्राथना करने लगे थे |

    अंश रहेने दो ना निचे मत जाओ और तुम सब एसा करो उपर छत पर चले जाओ वही से देख लेना कौन है और वहा पर तो कोई आएगा भी नहीं ...दिव्या ने सबसे सही रास्ता निकालते हुए कहा |

    हा यह सबसे सही रास्ता है अंश हमें उपर छत पर ही चले जाना चाहिए वहा पर कोई नहीं आएगा जो भी होगा वो आकर चला जाएगा उसके बाद हम लोग निचे आ जाएंगे ...अशोक ने कहा |

    बराबर है अंश एसा ही करना चाहिए ...चिराग ने कहा |

    चल अंश ज्यादा सोच मत ...पराग ने कहा |

    ठीक है चलो दिव्या तुम संभाल लेना सबकुछ यहाँ पर ...अंश ने दिव्या से कहा |

    वो में सबकुछ संभाल लुंगी और में अभी अगरबत्ती जला देती हु जिससे यह खाने की खुशबु किसी के पास ना जा सके ...दिव्या ने एक बार फिर अपना दिमाग लगाते हुए कहा |

    ठीक है चलो हमें ज्यादा वक्त गवाना नहीं चाहिए ...अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

    हा चलो चलो ...अशोक, पराग और चिराग ने एक साथ कहा |

    सारे दोस्त बड़ी सावधानी के साथ उपर छत पर चले जाते है और वहा जाकर देखते है की दरवाजे पर कौन था | दरवाजे से एक बड़ा ट्रक अंदर आता है जिसे अंदर आते हुए अंश और उसके दोस्त देखते है |

    एक बड़ा ट्रक और यहाँ पर इसमें क्या हो सकता है ...अशोक ने सोचते हुए कहा |

    यह जानने के लिए तो हमें निचे जाना पड़ेगा और कौन चलेगा मेरे साथ ...अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

    ओह भाई तुने नक्की किया है की में भारत जाकर बेफिजूल की मुसीबत मौड़ कर अपने दोस्तों की अर्थी तैयार करूँगा ...चिराग ने कहा |

    अबे फट्टू जैसी बाते मत कर चलना है तो चल बाकी रहेने दे और अपने घर जा में तो जा रहा हु मुझे तो जानना है की इस बड़े ट्रक में क्या आया हुआ है ...अंश ने चिराग से कहा |

    अबे यार क्या चुल मची है तेरे को हीरो बनने की हर जगह ...पराग ने कहा |

    अबे सालो हीरो बनु या जो भी करू पर कभी भी आज तक तुम लोग मेरी वजह से मुसीबत में नहीं आए उल्टा मैने तुम लोगो को बचाया है समझे ...अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

    हा लेकिन अभी तो बड़ी मुसीबत मौड़ ने जा रहा है उतनी बड़ी मुसीबत तो आज तक तुन्हें कभी ली भी नहीं होगी उस दिव्या को भगाने की | उसको अगर तुम्हे भगाया तो बात हमारी चिता तक जाने वाली है इसलिए अभी भी कहेता हु तु रहेने दे यह सब करना और अपने आप को बचा अंश ...चिराग ने अंश को समझाते हुए कहा |

    मेरे भाई तुझे क्या हो गया है तु एसी बाते क्यों कर रहा है यार आज तक हमने हर किसी की मदद की है और अभी तु एसी बाते क्यों कर रहा है ...अंश ने चिराग से कहा |

    आज तक हमने खतरे अपनों के लिए उठाये है लेकिन एक में भी जान जाने का कोई सौदा नहीं था इसमें हमारी जान जाना पक्का है और वो भी पुरे गाव के सामने मानसिंह जादवा हमको पेड पे लटकाकर मार देगा और दिव्या क्या तेरी लगती है की तु उसके लिए अपनी जान बार बार जोखीम में डाल रहा है ...चिराग ने गुस्सा होते हुए कहा |

    चिराग तु इतना गुस्सा क्यों हो रहा है भाई तुझे क्या हो गया है ...अशोक ने चिराग को समझाते हुए कहा |

    देख अशोक तु मुझे समझाने की जगह इसको समझा ठीक है | मैंने अकेले बैठकर बहुत सोचा और मेरी अक्कल ठिकाने पे आ गई है और में किसी की विधवा के लिए अपने आप को खतरे में नहीं डालने वाला ...चिराग गुस्से में कुछ भी बोले जा रहा था |

    चिराग आगे जो अंश और उसके दोस्त मिलकर करने वाले थे वो सोचकर डर गया था और उस डर की वजह से वो गुस्से में कुछ भी बोल रहा था जिसका उसे कुछ भी होश नहीं था |

    विधवा शब्द सुनते ही अंश गुस्सा हो जाता है और चिराग के कपडे का कोलर अपने दोनों हाथो से पकड़ लेता है |

    अबे साले आज के बाद उसको विधवा मत बोलना दोस्त है इसलिए तेरी इज्जत कर रहा हु ठीक है वो विधवा नहीं है और हा एक बात आप सभी को बता दु की में उससे प्यार करने लगा हु और वो अब से विधवा नहीं है तो उसके लिए ज्यादा कुछ भी मत बोलना | में नहीं बोल रहा की उसको यहाँ से आजाद करने के मेरे आयोजन में आप लोग जबरजस्ती मेरा साथ दो ठीक है आप को मेरा साथ देना है तो दो नहीं देना है तो में आपको नहीं बोल रहा | में समझता हु सबकी अपनी अपनी जिंदगी है तो जरुरी नहीं है की मेरे लिए आप उसे दाव पर लगाए पर हा में तो उसके लिए कुछ भी करूँगा चाहे अपनी जान क्यों ना देनी पड़े क्योकी अब वो मेरा प्यार है इसलिए अगर किसी ने भी उसको विधवा कहा ना तो जान से मार दूंगा चाहे वो कोई भी हो तुम तीनो के अलावा ...अंश ने गुस्सा होते हुए कहा और चिराग के कोलर छोड़ देता है |

    कहेते है की गुस्से में बड़े बड़े लोगो की आखे और बाते बहार आ जाती है | अंश की भी दिल की जो बात थी जिसे अंश अपने अंदर दबाकर बैठा था वो आज बहार आ ही गई जिसे सुनकर सारे दोस्त कुछ देर के लिए सुन्न हो गए थे |

    क्या बोला तु उससे प्यार करता है अंश ...अशोक ने कहा |

    हा बिलकुल क्यों प्यार करना गुनाह है ...अंश ने अशोक की तरफ देखते हुए कहा |

    अरे भाई गुनाह नहीं है लेकिन तुझे भी तो पता है ना की तु और दिव्या अगर दोनों एक दुसरे से प्यार कर भी लोगे तो तुमको पता ही है की तुम दोनों के प्यार का भविष्य क्या है | समझ मेरे भाई समझ मुझे कोई दिक्कत नहीं है ...अशोक ने अंश को समझाते हुए कहा |

    सही है प्यार के लिए तुन्हें आज बचपन के दोस्त का गला पकड़ लिया वाह साले वाह ...चिराग ने कहा |

    मैंने इस वजह से नहीं पकड़ा है चिराग तु गलत था तु उसको विधवा बोला ठीक है ...अंश ने अशोक से कहा |

    हा तो क्या गलत कहा विधवा को विधवा नहीं बोलेंगे तो और क्या बोलेंगे ...चिराग ने फिर से अंश को चिड़ाने वाली बात करते हुए कहा |

    देख तु फिर से बोला में आखरी बार बोल रहा हु की तु अब से उसे विधवा मत बोलना नहीं तो में जरुर अपनी दोस्ती भुल जाऊँगा ...अंश ने गुस्सा होते हुए कहा |

    अ...अ...ले...तु...पराग ने मु में गुटखा खाते हुए कहा |

    अबे तु अपना गुटखा थुक और इन लोगो को शांत कर और तुम दोनों महेरबानी करके शांति रखो और अंश तु ध्यान से सोच ले मेरे भाई तु क्या बोल रहा है तु होश में तो बोल रहा है ना क्योकी तुझे दिव्या से प्यार करने का अंजाम पता होना चाहिए | बरसो से केशवा परिवार और जादवा परिवार के जो रिश्ते चले आ रहे है वो सब ख़त्म हो जाएगा और उससे आगे क्या होगा उसका भी पता नहीं है क्योकी मानसिंह जादवा को अपनी इज्जत और अपनी सत्ता से बढ़कर और कुछ नहीं दिखता ...अशोक ने अंश को समझाते हुए कहा |

    मुझे नहीं पता यारा की अंजाम क्या होगा पर मुझे दिव्या से प्यार हो गया है और प्यार थोड़ी ना यह सब सोचकर होता है | अगर सोचकर होता तो क्यों में एक विधवा से महोब्बत करता | तो में दिव्या की बाजए ख़ुशी से प्यार नहीं कर लेता | हम लोग बचपन से साथ है लेकिन कभी भी हमे एक दुसरे के लिए वो फीलींग नहीं हुई लेकिन जब पहेली बार से अब तक में दिव्या से मिला तो मुझे एसा ही लग रहा था की इनका और मेरा कोई तो एसा रिश्ता है और फिर धीरे धीरे वो रिश्ता मेरे दिमाग में साफ़ हो गया जो प्यार ही है और कुछ नहीं अभी हो गया है तो हो गया है और पापा का भी कहेना है की एक बार अगर कुछ सही लगे तो उसके बारे में ज्यादा मत सोचो जो सच है उसके लिए लड़ो चाहे उसका परिणाम कितना भी कठिन क्यों न हो ...अंश ने अपनी बात अशोक को बताते हुए कहा |

    मतलब यह तय है की तु दिव्या से प्यार करता है ...पराग ने अंश से कहा |

    अबे अभी तक वो क्या रामायण का सार पढ़कर हमें बता रहा था | साफ़ साफ़ बता तो रहा है की वो दिव्या से प्यार करता है ...अशोक ने पराग से कहा |

    चिराग तीनो दोस्तों से थोड़ी दुरी पे जाकर खड़ा हो जाता है |

    यार मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है की क्या किया जाए और क्या नहीं | यह परिस्थिति तो मेरी सोच के परे हो रही है भाई ...अशोक ने अंश से कहा |

    यार अंश कोई दुसरा रास्ता नहीं है ...पराग ने धीरे से कहा |

    पराग अभी तु भी मेरा दिमाग मत चाट ...अंश ने कहा |

    ठीक है भाई तुम्हे जो भी ठीक लगता है वो करो ...पराग ने कहा |

    देखो आपका दिमाग काम कर रहा हो या ना कर रहा हो पर मेरा जरुर कर रहा है और आज हम अभी तय करते है क्योकी यह रास्ता बहुत कठिन है और में नहीं चाहता की मेरी वजह से मेरे दोस्तों की लाइफ ख़राब हो जाए इसलिए आगे से दिव्या को लेकर जो भी काम या कुछ भी होगा वो में अकेला ही करूँगा इस में आप लोगो को सामिल होने की कोई जरुरत नहीं है | हमारी दोस्ती आगे भी वैसी ही रहेगी जैसी थी बस दिव्या को लेकर कुछ भी काम होगा तो वहा पे आप लोगो को खतरा मौल लेने की कोई जरुरत नहीं है | इतनी बात मैंने कर दी है अभी आगे इस बात पर कोई और चर्चा नहीं होगी ...अंश ने अपनी बात को साफ़ करते हुए कहा |

    अरे हम कहा ...अशोक के इतना बोलते ही अंश उसे अटका देता है |

    अशोक मेरे भाई मैंने क्या कहा आगे इसके बारे में कोई बात नहीं होगी | तेरा कोई काम है तो तु जरुर कहेना अंश जान भी दे देगा और कोई खतरा भी मौल लेगा लेकिन अब दिव्या को लेकर कोई भी बात हमारे बिच नहीं होगी ठीक है ...अंश ने अशोक को समझाते हुए और खतरा शब्द जानबूझकर उची आवाज में बोलते हुए कहा ताकी चिराग को सुनाई दे |

   वो ट्रक चला गया है अब हम सुरक्षित है ...पराग ने निचे दरवाजे की और देखते हुए कहा |

   ठीक है तो आज के बाद आप लोग हवेली में नहीं आयेंगे जिससे आपकी सुरक्षा बनी रहे में जा रहा हु निचे और आप लोग भी यहाँ से जा सकते है ...अंश ने निचे जाते हुए कहा |

   अंश निचे जाता है और दिव्या से मिलता है और फिर अपने घर चला जाता है और उसके बाद तीनो दोस्त भी दिव्या को मिलने बाद वहा से चले जाते है और खाना वही का वही पड़ा रहेता और दिव्या कोई भी सवाल करे उससे पहले ही सारे दोस्त हवेली से निकल जाते है |

    अरे इन लोगो को क्या हुआ खाना नहीं खाना है अरे अशोक खाना नहीं खाना है ...दिव्या ने कहा |

    नहीं दिव्या जी वो अंश का कहेना है की आगे कोई और हवेली में आए उससे पहेले हमें यहाँ से निकल जाना चाहिए और उसको कुछ केशवा काका का फोन आया था इस वजह से वो निकल गया ...अशोक ने दिव्या को कुछ पता ना चले इसलिए बहाना बनाते हुए कहा |

    सारे दोस्त हवेली से बहार निकलकर अपने अपने रास्ते निकल जाते है और आज पहेली बार चिराग और अंश की लड़ाई की वजह से सारे दोस्तों के बिच दरार पड़ गई थी | आज दोनों अपनी अपनी जगह पर सही थे | ना तो चिराग गलत था और ना ही अंश दोनों की बात सही थी लेकिन दोनों का बात करने का तरीका गलत था जिस वजह से आज दोस्ती में थोड़ी सी दरार आ चुकी थी | आपकी बात कभी कभी भले ही सही हो लेकिन आपका बात करने का तरीका अगर गलत हो तो परिणाम हमेशा आप की सोच से उल्टा ही निकलता है और यहाँ पर वही ही हुआ अगर अंश और चिराग बैठकर शांति से इस काम के रिश्क और खतरे के बारे में बात करते तो आज यह नहीं होता | अंश ने भी इतना झगडा होने के बाद गुस्से में और जल्दबाजी में फेसला ले लिया और जल्दबाजी में लिया हुआ फेसला हमेशा ही गलत होता है और यहाँ पर भी वही हुआ | अशोक और पराग अंश का साथ देने के लिए मना नहीं कर रहे थे और ना ही चिराग मना करता अगर अंश उसे सहि से बात समझाता तो पर अंश के गुस्से के कारण बात बनने की बजाये बिगड़ने लगी जो सभी दोस्तों के लिए बिलकुल ही अच्छा नहीं था | अभी जो भी होगा वो अंश और दिव्या के लिए ज्यादा संघर्षपुर्ण होने वाला है यह तय है इसमें कोई दो राइ नहीं है |

TO BE CONTINUED NEXT PART …

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY