Humane Dil De Diya - 28 in Hindi Women Focused by VARUN S. PATEL books and stories PDF | हमने दिल दे दिया - अंक २८

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हमने दिल दे दिया - अंक २८

 अंक २८. आसमान से गिरे अंगुर में जा अटके  

   अंश सोचो कुछ सोचो अगर इसने हमारी ही तस्वीर को कल अखबार में छापा तो बहुत बड़ी दिक्कत हो जाएगी और सबको हमारे बारे में पता चल जाएगा में तो कहेती हु इस दवाई को अधुरा छोड़कर चले जाते है ...दिव्या ने गभराहट के साथ कहा |

    अरे नहीं एसे नहीं निकल सकते एसा करेंगे तो जिसको हमारे उपर शंका नहीं हो रही होगी उसे भी होने लगेगी | तुम शांति से बैठो में कुछ करता हु | शांतिलाल झा फलो का अनावरण करते हुए दिव्या और अंश के पास पहुचते है और दिव्या को हाथ में फल देते है |

    जी आपको क्या हुआ है ...शांतिलाल झा ने कहा |

    जी इनको ब्लड प्रेसर की दिक्कत है ...अंश ने शांतिलाल झा को उत्तर देते हुए कहा |

    जी आप कौन हो ...शांतिलाल झा ने अंश की और देखते हुए कहा |

    जी में इनका रिलेटिव हु ...अंश ने शांतिलाल झा से कहा |

    आप तो विश्वराम केशवा के लड़के है ना ...शांतिलाल झा ने अंश से कहा |

    शांतिलाल झा के इतना बोलते ही अंश अंदर से गभरा जाता है और उसके दिमाग में कई सारे ख्याल आने लगते है की कही यह मानसिंह जादवा को पहेचानते तो नहीं होगे ना और अगर पहेचानते होंगे तो यह दिव्या को भी पहेचान लेंगे | अंश किसी भी हालात के सामने लड़ने के लिए हमेशा से तैयार रहने वाला इंसान था जो इस हालात से भी गुजरने को तैयार था |

    जी में विश्वराम केशवा का बेटा हु लेकिन आप उन्हें कैसे जानते है ...अंश ने पुरे आत्म विश्वाश के साथ बात करते हुए शांतिलाल झा से कहा |

    जी हम उनको कुछ व्यापार की वजह से जानते है और उनके फोन में तुम्हारा फोटो देखा था ...शांतिलाल झा ने कहा |

    जी जी ...अंश ने कहा |

    लेकिन आप ने बताया नहीं आप इनके क्या लगते है और आपका नाम क्या है मेम और कहा के रहेने वाले है आप ...दिव्या और अंश दोनों पर सवालों की बोछाड करते हुए शांतिलाल झा ने कहा |

     जी यह मेरे दोस्त की बहन है और वो अमदाबाद जॉब करता है और इन्हें सबकुछ तत्काल में हुआ तो वो तो तत्काल पहुंच नहीं सकता और आप तो जानते ही है की जब ब्लड प्रेशर का प्रोब्लम हो तो तत्काल अगर सारवार ना मिले तो क्या क्या हो सकता है ... अंश ने कुछ भी बहाना बनाते हुए कहा।

      बहुत अच्छा काम कर रहें हो बेटा तुम्हारे पिता के बारे में भी बहुत सुना है वो भी बहुत सेवाभावी और निष्ठावान इंसान है और तुम भी लगता है उनके जैसे ही हो और हम तो चाहते है की देश की हर युवा पीढ़ी तुम्हारे जैसी हो... शांतिलाल झाने मस्का लगाते हुए कहा।

       जी सुखरिया अंकल आपकी तारीफ... अंश ने शांतिलाल झा से कहा।

       जी में एक व्यापारी हु और सेवा ट्रस्ट भी चलाता हु और राजनैतिक कार्यों से भी जुड़ा हुआ हु ... शांतिलाल झा ने अपनी पहेचान को उपर उपर से बताते हुए कहा ।

      अंश विश्वराम केशवा का बेटा और जाड़वा परिवार से जुड़ा होने की वजह से शांतिलाल झा जानबूझकर उसके साथ पहेचान बना रहे थे।

      बाप रे बाप यह तो एक के बाद एक सवाल किए ही जा रहा है कही इसको सवाल जवाब में हमारी पहेचान पता ना चल जाएं है माताजी रक्षा करना ... दिव्या ने मन ही मन माताजी को प्रार्थना करते हुए कहा।

     ठीक है यह लीजिए हमारे सेवा समिती की तरफ़ से यह छोटी सी मदद खाइए और अपनी सेहत बनाइए और जल्दी से ठीक हो जाइए... फलों का अर्पण करते हुए शांतिलाल झा ने दिव्या से कहा।

    दिव्या फलों का उपहार स्वीकार करती हैं और अपने दोनों हाथ जोड़कर अपना शिर शांतिलाल झा के सामने झुकाकर बिना बोले इशारों के द्वारा ही सुखरियां बोल देती हैं।

    मेम आप जरा अपना मास्क निकाल देगी तो क्या सर का आपके साथ एक अच्छा फोटो खींच शके... शांतिलाल झा के PA ने कहा।

    शांतिलाल झा के PA की इस बात को सुनकर अंश और दिव्या दोनो गभरा जाते है और दोनों के मन मे कई सारे सवाल होने लगते है ।

    अरे बाप रे यह तो दिक्कत हो जायेगी अगर कल कही यही फोटो अखबार में छपा तो पापा और जादवा काका दोनों सारे अखबार पढ़ते है कुछ ना कुछ तो करना होगा... अंश ने मन ही मन कहा।

    है माताजी यहां तो समस्याएं बढ़ती ही जा रही है कुछ सुझायिए अंश को जिससे हम इस मुश्केली से बच शके ... दिव्या ने फिर से इश्वर को मन ही मन याद करते हुए कहा।

   जी सर मास्क को रहेने दीजिए क्योंकि इसके पीछे एक कारण है अगर मास्क हटा तो यह बिचारी मुशकेली में फस शक्ति है... अंश ने बिनती करते हुए कहा।

    अरे ऐसी क्या मुश्केली है जरा हमको भी बताइए शायद हम आपकी कुछ मदद कर सके ... विश्वराम केशवा ने कहा।

    साले तु ही तो सबसे बड़ी मुसीबत बनकर आया है तू चला जा तो सब अपने आप ठीक हो जाएगा... अंश ने मन ही मन कहा।

    सर यही तो दिक्कत है आप कुछ करने अगर जाओगे तो दिक्कत कम होने के बजाय बढ़ जाएगी... अंश ने फिर से अपनी चालाकी से बात को लंबा करके अपने लिए सोचने का समय बढ़ाते हुए कहा।

    हा लेकीन क्या होगा वो तो समझाओ अगर सही लगा तो तुम लोग जैसा बोलोगे वैसा ही करेंगे । हमारी वजह से तुम लोग परेशान हो ऐसा कभी नहीं करेंगे शांतिलाल झा ने फिर से अपनी मीठी बोली का उपयोग करते हुए कहा ।

   सोच कुछ सोच अंश यह तो हमारे पीछे ही पड़ गया है।

   यह तो जा ही नहीं रहा है साला हमारी पुरी कुंडली जानकर रहेगा क्या। अभी तो इसको कोई ना कोई कारण बताना ही होगा... अंश ने मन ही मन सोचते हुए कहा।

    सुनिए सर यह बोल नही शक्ति गूंगी है और इनका परिवार इनके उपर बहुत जुर्म करता है एक इसका भाई ही है जो इसको संभालता है तो इस वजह से हम छुपते छुपाते हुए यहा पर आए है अगर आप फोटो लेंगे और वो फोटो इनके घर वालो तक पहुंचा तो इनको वो लोग परेशान करेंगे। और अगर आपने मदद की ओर इस बात की भनक उनको हुई तो वो सीधा मेरे पिता के पास जाएंगे और हमारे घर का और इनके घर का पुरा रिश्ता ही खत्म हो जाएगा। यह तो आज इनका पुरा परिवार बहार था तो में इनको यहा सारवार के लिए ले आया तो आपको मेरी और से बिनती है की आप इनका फोटो ना ही खींचे तो बहेतर रहेगा... अंश ने बहाना निकालकर अपने दो हाथ शांतिलाल झा के सामने जोड़कर बिनती करते हुए कहा।

     ठीक है कोई बात नही ऐसा करते हैं एक मेहरबानी हम आपके उपर करते हैं और एक आप हम पर कर दीजिए और इसके लिए आप मना नहीं करोगे यह वादा करो... शांतिलाल झाने राजनैतिक दाव खेलते हुए कहा ।

       बाप रे यह आदमी तो उपर ही चढ़ता जा रहा है... अंश ने मन ही मन कहा।

       ठीक है बोलिए ... अंश ने कहा ।

       इनका मास्क नही निकालते है ऐसे ही फोटो खींच लेते है और आप इतनी समाज सेवा कर रहें हो तो हमारा फर्ज बनता है की हम आपको कुछ उपहार दे और यह उपहार है की आप भी मेरे साथ इस बहन के साथ फोटो में आए ताकी हम यह फोटो कल अखबार में छाप सके और आपके इस अच्छे काम को लोगो तक पहुंचा सके... शांतिलाल झाने जान बूझकर चाल खेलते हुए कहा क्योंकि वो जानते है की जब यह फोटो मानसिंह जादवा देखेंगे तो कोई ना कोई कलेश तो ज़रूर होगा। क्योंकि घर का बेटा ही विपक्ष वालो के साथ फोटो खिंचवाए तो बात का तो बिगड़ना तय है ।

TO BE CONTINUED NEXT PART

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

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