Bhooto ka Dera - 8 in Hindi Horror Stories by Rahul Kumar books and stories PDF | भूतों का डेरा - 8

Featured Books
Categories
Share

भूतों का डेरा - 8



अब इल्या के मन में विचार आया कि जरा अपने बल की परीकछा कर ले । अभी तक
उसके पिता जो कि सिपाही थे उनको उसकी शक्तियों के वारे में पता नहीं था लेकिन माँ को सब पता था और वो हमेशा इल्या को हमेशा नॉर्मल लोगों की तरह रहने को कहां करती थीं अब जब वो घर से काफी दूर आ गया था तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी बचपन से ही उसको अपने पिता की तरह देश की सेवा करनी थी हालाकि बह उम्र में जादा बड़ा नहीं था लेकिन अपने भारत देख के लिए कुछ करने का ज़ज्बा बहुत बड़ा था इस लिए ही सिपाही ने उसको जानने से नहीं रोका

घोड़ा दौड़ता हुआ वह नदी के पास पहुंचा । उसके किनारे पर एक उंच्ची पहाड़ी खड़ी थी । इल्या ने अपना कंधा लगाकर जो धक्का दिया तो पहाड़ी नदी में जा गिरी। इससे नदी का रास्ता रुक गया और उसे मजबुर होकर अपने लिए दूसरा रास्ता बनाना पड़ा ।
इल्या ने रोटी का एक दुकड़ा नदी की धार में डालकर कहा ," नदी माता , तूने मेरे परिवार को सदा अन्न जल दिया है उसके लिए तुझे बहुत बहुत धन्यवाद !"


वहां से चलने से पहले उसने अपनी मातृभूमि की थोड़ी सी मिट्टी उठाकर अपनी जेब में रख ली और फिर घोड़े पर सवार होकर उसे चाबुक लगाया ।

लोगों ने इल्या को घोड़े पर चढ़ते देखा , मगर यह कोई न देख सका कि वह किधर गया है । वे बस इतना ही देख पाए कि मैदान में धूल की आंधी उठी हुई है।

इल्या का चाबुक खाकर घोड़ा पहले तो अपनी पिछली टांगो पर खड़ा हो गया और फिर एक ही छलांग में एक मील पार कर गया । जब घोड़े के खुर जमीन पर लगे तो एक पानी का झरना फूट पड़ा । इल्या ने बलूत का एक बड़ा भारी पेड़ काटकर गिरा दिया और उसकी शाखाओं से झरने के ऊपर एक चौखटा बना दिया और उस चौखटे के ऊपर लिख दिया ," सिपाही का बेटा बहादुर इल्या यहां से गुजरा था ।
पानी का
वह झरना आज भी बलुत के पेड़ की शाखा के चौखटे के बीच से बह रहा है और जब रात को भालू वहां शीतल जल पीने के लिए जाता है तो उसके शरीर में देत्त्य की सी शक्ति भर जाती है।

और इधर
सिपाही की तबीयत खराब रहने लगी इसी तरह कोई दो या तीन सात साल बीत गए एक दिन सिपाही जादा बीमार पड़ गया तीन दिन तक वह बिस्तर पर पड़ा रहा न कुछ खा सका

न पी सका उसकी हालत बराबर बिगड़ती ही गयी तीसरे दिन उसने देखा कि उसके बिस्तर के पास खड़ी हुई मौत अपनी दरांती को तेज कर रही है और रह रहकर उसकी तरफ देखे जा रही है

"चलो , दादा ,"मौत ने कहा , मै तुम्हे लेने आयी हूं और अपने साथ ले चलूंगी।"

क्या होगा आगे क्या लगता है आपको क्या सिपाही अपने आपको मौत के हवाले कर देगा या मौत भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी क्या होगा हमे comment करके जरूर बताना
सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहे भूतों का डेरा
और अगर आपको स्टोरी अच्छी लग रही होतो
Like, Comment, Shere, and follow जरूर करे

Thank you 😊