केतकी व दामिनी आईएसआई के लिए काम कर रही हैं । किन्तु इसकी जानकारी दामिनी के पति अभय को नही है ।
केतकी और अभय का झगड़ा हो गया है । अभय क्रोध से बाहर बड़बड़ाता हुआ निकलता है , दामिनी ने उसे हिदायत देते हुए कहा ..अभय ! रास्ते मे कोई ऐसी वैसी बात मत करना ..हम होटल चलकर बात करते है । दोनों अपनी गुडिया के साथ टेक्सी में आकर बैठ जाते हैं । टेक्सी मे पहले से ही बद्री काका बैठा हुआ है । बद्री काका को समझते देर नही लगी, कि अंदर कुछ तो हुआ है जो ठीक नही है । दामिनी के चेहरे पर तो कोई भाव नही थे पर अभय का चेहरा तमतमा रहा था । बद्री काका कुछ कहने ही वाला था कि दामिनी ने आंखो से इशारा कर दिया । बद्री काका इशारा समझ गया उसने कुछ नही कहा। दामिनी ने ड्राईवर से होटल चलने को कहा । टेक्सी रवाना हुई । दामिनी रह रहकर अभय को देख रही है । अभय खिड़की से बाहर देख रहा है उसकी नजरे मानो ठहर सी गयी है । चिंताग्रस्त अभय के मन मे उथल-पुथल मची है ? दामिनी को अनुमान तो' हो गया, कि अभय के मन मे अंतर्द्वंद चल रहा है । उसके चेहरे पर आते जाते भाव बता रहे है , अभय कभी कमर सीधी कर रहा है कभी आगे झुककर अपनी बेटी को देख रहा रहा है ।
टेक्सी सिग्नल पर रूकती है । एक गुब्बारे वाले ने खिड़की के शीशे पर अंगुलियों से ठक ठक किया । अभय का ध्यान टूटा, गुब्बारे वाले को देखा, शीशा नीचे किया , गुब्बारे वाले को झिड़क कर कहा , क्या है ? ..गाड़ी रूकी नही कि तुम पीछे पड़ जाते हो । गुब्बारे वाले का मुंह उतर गया ..वह झिझकते हुए बोला बाबूजी बाबू के लिए गुब्बारा ले लो .. अभय ने कहा नही लेना, .. ऐसा कह अभय ने अपनी गुडिया को देखा ..गुडिया अभय को देखकर मुस्कुराई, मुंह से गुडिया ने 'हू' की आवाज निकाली ..अभय ने जाते हुए गुब्बारे वाले से कहा कितने का है ? गुब्बारे वाले ने पलटकर कहा बाबूजी पांच रूपये का है ..अभय ने दामिनी से कहा ..दामिनी ! इसे पैसे दे दो । दामिनी ने अपने पर्स से पैसे दे दिये । अभय गुब्बारा लिए अपनी बेटी को खिलाने लगा । यह देख दामिनी ने मुस्कुराकर बद्री काका को देखा । बद्री काका के चेहरे पर भी हल्की सी मुस्कान आगयी । टेक्सी होटल के बाहर आकर रूकती है , अभय अपनी गुडिया को लेकर अंदर चला जाता है । गुडिया को पलंग पर सुला देता है गुब्बारे उसके पास छोड़ देता है , गुडिया खेलने लग जाती है । भुगतान कर दामिनी सबके बाद होटल के अंदर आती है ।
दामिनी ने आते समय ही चाय के लिए मैनेजर से कह दिया था, अंदर आकर बद्री काका को दामिनी ने कहा ..काका आपकी चाय आपके रूम मे भिजवा देती हूँ, आप अभी आराम करे । मै आपसे बाद मे बात करती हूँ । बद्री काका चला जाता है, उसके के जाने के बाद ...अभय ने दामिनी से कहा ..क्या शहर की सभी लड़कियां.. ऐसी ही होती हैं । सच कहूं दामिनी अबतो' मुझे तुम पर भी शक होने लगा है । ...यह सुन दामिनी के चेहरे के भाव कुछ बदल से गये । दामिनी को लगा कहीं इसको सच मे ही शक तो नही हो गया । दामिनी मुस्कुराकर अभय के समीप आगयी और अभय से सटकर उसकी आंखो मे बड़े प्यार से देखने लगी । अभय कुछ विचलित था इसलिए दामिनी के प्रेम प्रदर्शन का कुछ असर नही हुआ । दामिनी ने फिर से प्रयास किया । अब अभय के हृदय पर पर अपना मुख रख दिया .. दामिनी के कोमल सुस्पर्श से अभय रोमांचित हो उठा ।