Kahani Pyar ki - 69 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 69

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कहानी प्यार कि - 69

अनिरूद्ध धीरे से संजना के पास आया..और पास में बैठ गया... वो संजना के माथे पर हल्के हल्के हाथ फेरने लगा...
तभी संजना ने अपनी आंखे खोली....
अनिरूद्ध को अपने पास देखकर संजना ने तुरंत अनिरुद्ध को गले लगा लिया...
संजना बिना कुछ कहे बस रो रही थी और अनिरुद्ध भी नम आंखों से उसे सहला रहा था...
" हमारी बेटी ठीक तो हो जायेगी ना..." संजना ने भावुक होकर कहा...

" बिलकुल... मैने अभी अभी डॉक्टर से बात की है.. वो ठीक है...संजू..."

" हा पर मुझे एकबार मेरी बेटी को देखना है... ये लोग मुझे मेरी बेटी को देखने नही दे रहे है..."

" संजू .. में जानता हु... ये वक्त हम दोनो के लिए मुश्किल है पर हम कुछ कर नही सकते... डॉक्टर उसे चेक अप के लिए ले गए है..." अनिरूद्ध संजना को समझाने की कोशिश कर रहा था...

तभी डॉक्टर कमरे में अंदर आए...
" रिपोर्ट में कुछ आया क्या ? " अनिरूद्ध ने तुरंत खड़े होकर चिंतित स्वर में पूछा..

" नही... हमने सब रिपोर्ट्स कर लिए है.. आपकी बेटी बिलकुल नॉर्मल है.. वक्त से पहले डिलीवरी होने की वजह से हमें यह रिपोर्ट्स करने पड़े ... आई एम सॉरी.."

" नही डॉक्टर आप तो सिर्फ अपनी ड्यूटी ही कर रहे थे.. माफी तो हमें मांगनी चाहिए सोरी डॉक्टर.." अनिरूद्ध ने शर्मिंदगी के साथ कहा..

" डॉक्टर क्या अब में अपनी बेटी को देख सकती हु क्या ? " संजना ने उम्मीद भरी नजरो से डॉक्टर की और देखकर कहा..

" ठीक है... आप दोनो चलिए मेरे साथ.. पर हा आप उसे छू नही सकते .. सिर्फ दूर से ही देख सकते है... "

" पर आपने तो कहा की मेरी बेटी नॉर्मल है फिर क्यों ? "

" देखिए अनिरुद्ध जी बच्ची नॉर्मल है पर वैट कम होने की वजह से हमने उन्हें इनक्यूबेटर में रखा है... ताकि हम बेबी को मॉनिटर कर सके..."

" ठीक है डाॅक्टर हम आपकी बात याद रखेंगे..."

अनिरूद्ध ने कहा और फिर संजना को सहारा दिया और दोनो डॉक्टर के पीछे चलने लगे..

पास ही एक कमरे में बेबी को इनक्यूबेटर में रखा गया था...
संजना और अनिरुद्ध सामने अपनी बेटी को देखकर भागे... उनकी आंखे नम हो गई थी...
वो बिल्कुल छोटी सी थी .. कोमल , मुलायम नाजुक छोटे छोटे हाथ , छोटा सा प्यारा सा बिलकुल संजना की तरह दिखता उसका प्यारा सा मुंह था.. वो अपनी आंखे बंध करके सो रही थी , बेबी ने धीरे से अपनी आंखे खोली ... मानो वो अपने मम्मी पापा के आने का ही इंतजार कर रही थी...
" देखो संजू ... हमारी बेटी कितनी प्यारी और सुंदर है...! बिलकुल तुम्हारी जैसी दिख रही है..." अनिरूद्ध मुस्कुराता हुआ बोला..

" और उसकी नाक बिलकुल तुम्हारी जैसी है... " दोनो ऐसे ही भीगी आंखों से मुस्कुराते हुए बात कर रहे थे ..

" कल तक सब ठीक हुआ तो आप बेबी को कल घर ले जा सकते है...." डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोले और चले गए...

कुछ देर बाद रागिनी जी , राजेश जी , अनुराधा जी , और मोहित , संजना और अनिरुद्ध के साथ अपने घर आई लक्ष्मी के साथ खेल रहे थे... बाते कर रहे थे...
अनुराधा जी भी कुछ पल के लिए अपना सारा दुख भूल चुकी थी...

उन सबको ऐसे हसता देख अनिरुद्ध को बहुत सुकून मिल रहा था .. वो धीरे से वहा से बाहर आ गया... करन और सौरभ वही बाहर खड़े थे...
" अनिरूद्ध मेरी बारी कब आयेगी ... मुझे भी मेरी प्रिंसेस से मिलना है आखिरकार चाचू हु में ...उसका..." सौरभ ने अनिरुद्ध के पास आकर कहा..

" हा हा ये सब बाहर आ जाए फिर तुम दोनो चले जाना..."

" वैसे तुम कहो ना वो कैसी दिखती है ? " सौरभ ने एक्साइटेड होकर कहा..

" मेरी बेटी बहुत ही प्यारी है... तुम्हे पता है वो इतनी छोटी सी है और उसके हाथ पैर कितने छोटे छोटे है..वो फूल की कली की तरह कोमल सी है बिलकुल संजू जैसी दिखती है..." अनिरूद्ध मुस्कुराता हुआ बोल रहा था और सौरभ और करन भी उनके साथ मुस्कुरा रहे थे..

तभी वहा पुलिस आ आई...
" मि. अनिरूद्ध हमे आपसे कुछ बात करनी है..." इंस्पेक्टर ने वहा आते हुए कहा..

" जी इंस्पेक्टर साहब..."

" जगदीशचंद्र अब ठीक हो चुके है और उन्हें हम जेल ले जा रहे है... अपनी बेटे की मौत की खबर सुनकर वो बहुत गुस्सा है.. तो आप पुलिस स्टेशन ना आइए यही बेहतर है..."

" हा पर हरदेव का क्या ? मैने जान ली है हरदेव की ...एक बाप को बेटे से दूर किया है... " अनिरूद्ध अचानक से सब याद आते ही घबरा गया था..

"हरदेव को पूरी विधि के साथ अंतिम संस्कार दे दिया गया है..और आप की कोई गलती नही थी मि अनिरुद्ध उस हालत में वही सही था जो आपने किया और हरदेव और जगदीशचंद्र के खिलाफ सारे सबूत हमारे पास है आगे हम संभाल लेंगे बस आपको कुछ कागजात पर साइन करनी होगी वो हम आपके पास लेकर आ जायेंगे..."

" ठीक है इंस्पेक्टर थैंक यू..." करन ने कहा और अनिरुद्ध की तरफ देखा जो परेशान लग रहा था..

" अनिरूद्ध तुम परेशान मत हो.. तुम जानते हो ना उसने क्या क्या किया था.. वो इसी लायक था.. और तुम अपनी बेटी के बारे में सोचो ना की हरदेव के बारे में.." करन ने अनिरुद्ध को समझाते हुए कहा..

तभी संजना रागिनी जी , अनुराधा जी और बाकी सब बाहर आए..
" चलो अब हम जाते है..." सौरभ ने एक्साइटेड होकर कहा और अनिरुद्ध और करन को खींचकर अंदर ले गया...

अगले दिन सभी चेक अप के बाद बेबी को डिस्चार्ज दे दिया गया था...
संजना और अनिरुद्ध ने पहली बार अपनी बेटी को अपने हाथ में उठाया वो पल उनके लिए सबसे खास बन चूका था... इस पल को सौरभ ने अपने कैमेरे में कैप्चर कर लिया था...

अनिरूद्ध और संजना बेबी को घर ले जाने से पहले उसे लेकर अखिल अंकल के रूम में पहुंचे...
" देखो देखो हम कहा आए है ? दादू के पास... " अनिरूद्ध बोलते हुए अखिल अंकल के पास आकर बैठ गया... उनकी बंध आंखे उसे अभी भी खल रही थी...
संजना ने अखिल अंकल का हाथ उठाया और अपनी बेटी के सिर पर रख दिया...
" दादू के पास उसकी परी आ गई है अब वो जल्दी से ठीक हो जाएंगे है ना परी ? " संजना मुस्कुराती हुई बोली...
यह सुनकर अनिरुद्ध के चहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई..
" प्लीज अंकल जल्दी ठीक हो जाइए हम आप को बहुत मिस कर रहे है..आप ने तो कहा था की सबसे पहले मेरी बेटी या बेटे को आप खुद हाथ में लेंगे... पर आप ने अपना प्रोमिस तोड़ दिया..." अनिरूद्ध उदासी के साथ बोला...

फिर अपने आंसू को रोक नही पाया तो उठकर बाहर चला गया... संजना भी अनिरुद्ध के पीछे आ गई...
" अनिरूद्ध क्या हुआ ? "

" संजू आज हमारी बेटी का गृह प्रवेश होगा और शाम को अंकल की सर्जरी... ये खुशी और गम साथ क्यों आते है .. ना तो हम पूरी तरह से दुखी हो सकते है ना पूरी तरह से खुश... "

" अनिरूद्ध जहा सुख है वहा दुख आएगा ही ना.. और तुम देखो हमारे घर बेटी के रूप में खुद माता दी ने जन्म लिया है .. अब जो होगा सब अच्छा ही होगा ये मुझे विश्वास है.. हमारी बेटी हमारी खुशियों की वजह भी बनेगी..और हमारे दुख पर हावी भी होंगी " संजना की बात से अनिरुद्ध को फिर से हिम्मत आ गई....
कुछ ही देर बाद वो लोग प्यारी सी गुड़िया को साथ लेकर ओब्रोय मेंशन पहुंचे जहा बड़ी धूमधाम से ग्रांड तरीके से घर में आई लक्ष्मी का वेलकम किया गया...
आज सब बहुत खुश थे ... सभी अपनी परेशानी को भूलकर इस खुशी में शामिल हो गए थे...

शाम को अखिल जी की सर्जरी सक्सेसफुली हो चुकी थी... अखिल जी को अगले दिन होश आ चुका था...

अखिल जी की आंख जैसे ही खुली की सामने अनिरुद्ध , संजना और उनकी प्यारी सी गुड़िया थी जो बड़े ही गौर से और मासूम तरीके से अखिल जी को देख रही थी...
अखिल जी की आंखे भर आई... वो भावुक हो गए और कुछ बोल ही नहीं पाए...

" देखा मैने कहा था ना .. सब ठीक हो जायेगा... अंकल को होश आ गया.. " संजना मुस्कुराती हुई बोली...

अनिरूद्ध भी मुस्कुराए हुए जल्दी से अखिल जी के गले लग गया...
" आप को परेशान करने वाली आ चुकी है अंकल..."

अखिल जी यह सुनकर मुस्कुराने लगे... थोड़ी कमजोरी की वजह से वो ज्यादा बोल नही पा रहे थे.. पर उनकी आंखे उनकी खुशी को अभिव्यक्त कर रही थी...

" अंकल हम दोनो कन्फ्यूजन में है की परी के लिए कौन सा नाम बैटर होगा तो हमने यह डिसाइड किया है कि आप जो पसंद करेंगे वही फाइनल होगा..." संजना अखिल अंकल के पास आती हुई बोली...

अखिल अंकल ने हा में अपनी आंखें बन्द करके खोली...
" ठीक है अंकल तो में यह चाहता हु की हमारी बेटी का नाम मायरा हो "

" और में चाहती हू की हमारी बेटी का नाम नायरा हो तो आप ही बताइए कौन सा ज्यादा बैटर है ? "

संजना और अनिरुद्ध ने अपनी ऊंगली आगे की...
तो अखिल अंकल ने संजना की उंगली पकड़ ली...
" येह ! तो ये फाइनल हो गया .. हमारी बेटी का नाम आज से होगा नायरा ..." संजना खुशी से उछलने लगी थी...

अनिरूद्ध भी मुस्कुराने लगा...
" ठीक है.. वैसे मुझे भी यह नाम पसंद ही था..."

ऐसे ही मस्ती मजाक में एक दिन निकल गया..
अगले दिन अखिल जी को डिस्चार्ज दे दिया गया था...

रात को करन और किंजल एक रोमेंटिक डेट पर आए हुए थे..
" करन ये हमारी पहली डेट है में बहुत एक्साइटेड हु..." किंजल बहुत खुश थी..

" अरे ! हमने पहले भी साथ में कई बार खाना खाया है... तो पहली डेट कैसे हुई ? "

" वो बात अलग थी और ये बात अलग है..."

" कैसे अलग है ? "

" उस वक्त तुम मुझे प्यार नही करते थे ना ... "
यह सुनकर करन मुस्कुराने लगा...

" सुनो किंजल... तुम जब ऐसी बाते करती हो तो बहुत क्यूट लगती हो...."

" सचमे ...! पर कैसी बाते ? "

" यही बच्चो जैसी बाते... ये डिफरेंट डिफरेंट फेस बनाती हो .. अजीब सी हरकते करती हो .. तब सच में बहुत क्यूट लगती हो..."

" पर पहले तो ये सब तुम्हे पसंद नही था.. हर वक्त डांटते रखते थे..."किंजल ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा..

" तब में बिलकुल इडियट था.. पर अब खुद को समझ पा रहा हु.. काश ये मुझे कॉलेज के वक्त समझ आ गया होता तो आज शायद हमारी शादी भी हो चुकी होती..."

किंजल करन की बात सुनकर शर्म से लाल हो चुकी थी..
" पर अभी भी देरी नही हुई है..." करन ने कहा और वो जमीन पर बैठ गया..

किंजल एक दम से खड़ी हो है..
" ये क्या कर रहे हो तुम सब हमे ही देख रहे है.."

" देख रहे है तो देखने दो..."

बोलकर करन ने पॉकेट में से रिंग का बॉक्स निकाला..

" आई लव यू किंजल सो मच... में पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हु, तुम्हारी बकबक सुनना चाहता हु.. तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करना चाहता हु.. तो क्या तुम इस इडियट की बेरंग जिंदगी में अपनी मासूमियत, और प्यार का रंग भरना चाहोगी ? विल यू मेरी मि किंजल सिंघानिया...? "
किंजल बस हैरान सी करन को देख रही थी , वही अकडू, हर वक्त गुस्सा करने वाला करन आज उसके सामने अपने पैरो पर बैठकर उसे ऐसे प्रपोज करेगा ये किंजल ने कभी सोचा नहीं था...
" हा... " किंजल मुस्कुराती हुई बोली .. उसकी आंखो में आंसू आ गए थे..उसके इतने सालो का इंतजार अब खत्म हो गया था.. करन ने अंगूठी किंजल की उंगली में पहना दी... सब लोग ताली बजाने लगे.. कई लोगो ने उनका विडियो भी बना लिया था...
किंजल जोर से करन के गले लग गई...
" आई लव यू टू करन "

क्रमश: