Do Pagal - kahani Sapne Or Pyaar ki - 36 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 36

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 36

 बिगड़ता हुआ मामला 

    नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के ३५ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। 

    आगे आपने देखा की जीज्ञा की शादी अपनी रीत और रश्मो साथ आगे बढ रही थी और इस तरफ संजयसिह उस शादी मे जीज्ञा के पिता की इज्ज़त उतारने के लिए आ रहा था लेकिन उस बिच रुहान संजयसिह के सामने पहाड सी मुसीबत बनके खडा था। अब आगे। 

     रुहान और संजयसिह के बिच हाथा-पाई होती है और जब रुहान संजयसिह के उपर हावी होने लगता है तब संजयसिह अपनी जेब से अपनी गन निकालता है और रुहान के सामने तान देता है और सामने रुहान संजयसिह के हाथ मे गन देखकर सावधान हो जाता है। 

    आ गया अपनी ना मर्दानगी पे... रुहानने सावधान होते हुए संजयसिह से कहा। 

    अच्छा है की मे अपनी नामर्दानगी दिखा रहा हु। अगर मेने अपनी मर्दानगी दिखानी शुरु की तो तो मेरे सामने तु जिवीत खडा नही होता बल्की मेरे पेरो मे तेरी लाश होती और हा अगर अब भी तु मेरे पीछे आया तो अपने बापु की कसम तेरे शरीर मे मेरी एक गोली होगी... संजयसिहने अपनी गन को मजबुती से रुहान की तरफ तानते हुए कहा। 

    दोनो के बिच संवाद चल ही रहा था तभी रुहान के पीछे से संजयसिह का एक आदमी आता है और रुहान को पीछे से पकड लेता है। 

    भाई आप भागो इस हरामी को मे संभालता हुं ...रुहान को पकडे हुए उस साथीने संजयसिह से कहा। 

    रुहान अब संजयसिह के उस साथी के साथ उलझता है उतने मे संजयसिह भागकर जीज्ञा के घर तरफ जाने लगता है। इस तरफ रुहान और संजयसिह के उस साथी के बिच बडी हिंसक हाथा-पाई होती है और उतने में संजयसिह जीज्ञा के घर की तरफ भागने लगता है और इस तरफ शीव मंदिर मे जहा जीज्ञा की शादी चल रही थी। मंडप के दोनो तरफ मेहमान बेठे हुए थे और जीज्ञा के घमंडी पिता उसका कन्या त्याग कर रहे थे क्योकी जबरदस्ती हो रही शादी मे कन्यादान नही हो सकता। जीज्ञा की शादी के फेरे चल रहे थे और यह द्रश्य चंपाबा, पुर्वी और पुर्वी के मम्मी पापा को बहुत खटक रहा था। चंपाबा को अपनी लाडली जीज्ञा का पुरा बचपन, गीरधनभाई से मिली हुई दाट और अपनी गोद मे खेल रही जीज्ञा का हर तरह का रुप याद आ रहा था। पुर्वी को भी जीज्ञा के साथ बिताए हुए हर लम्हे याद आ रहे थे। दोनो बहेनो की मस्ती, मजाक लडाई सबकुछ पुर्वी अपने दिमाग के जरिए नझर आ रहा था लेकिन अब परिस्थिति बदलने वाली थी क्योकी चंपाबा और पुर्वी को अपनी प्यारी जीज्ञा एसे ही सुली चड जाए यह कदापी मंजुर नही था। चंपाबा ने अब मन ही मन तय कर लिया था कि चाहे जो भी हो वो यह शादी नहीं होने देंगे । चंपाबा अपनी जगह से खडे होते हैं और शादी कराने वाले पंडित से कहते हैं। 

    अब बस कर पंडित। मुझे नहीं देखना इस गीरधन और उसकी बेटी का तमाशा। बंद करो यह शादी। यह शादी शादी नहीं है बल्कि जीज्ञा के जीवन की बरबादी है... बिच शादी मे चिल्लाकर बोलते हुए चंपाबाने कहा। 

    चंपाबा के बोलते ही वहा बेठे सारे मेहमानो की नजर चंपाबा की तरफ खीची चली जाती है और सभी मेहमान अंदर ही अंदर फुसफुसाने लगते हैं। गीरधनभाई और जीज्ञा दोनो चौक जाते हैं। 

    बा आप क्या बोल रहे हो। आप अपनी यह मजाक बंद करो मे जानता हुं जीज्ञा आप की सगी पोती न होने के बावजुद आप उसे सगी पोती से भी ज्यादा चाहते हो लेकिन एक ना एक दिन तो उसे बिदा होना ही था ना। पडिंतजी आप शुरु वो बा मजाकिया किसम के है...गीरधनभाई ने अपनी जगह से खडे होकर चंपाबा से कहा। 

    अरे वो पंडित मे कोई मजाक नही कर रही हुं। गीरधन वही तकलीफ है की मे तो जीज्ञा से बहुत प्यार करती हु लेकिन तु नहीं करताना अगर तु करता होता तो एसे शादी के बहाने तु अपनी बेटी को मोत के मु मे नहीं धकेलता... चंपाबाने सबके सामने गीरधन से कहा। 

    बा यह आप क्या बोल रहे हो और अभी उसकी शादी चल रही है यहा पे सब मेहमान थोडा इज्जत का तो ख्याल करो और जो भी होगा हम बाद मे देख लेंगे अभी शादी का माहोल मत बिगाडो। पंडितजी आप शुरु करो फेरो को बिच मे नही रोकते...गीरधनभाई ने पंडितजी और चंपाबा से कहा। 

    पंडित दुसरी बार अपना काम शुरु करने जाए उससे पहले चंपाबा उसे रोक देते हैं। 

    पंडित जी आप आगे मंत्र नहीं पढोगे वरना इस बेटी का सारा दुःख आपके माथे पे आएगा... चंपाबाने पंडितजी को रोकते हुए कहा। 

    श्री मान आप पहले आपके आपसी मतभेद सुलझा लो फिर ही मे मंत्र पढुंगा। मे किसी जबरदस्ती शादी नहीं करवाना चाहता...पंडितजी ने गीरधनभाई से कहा । 

    बा यह अब बहुत हो रहा है। मे आपकी इज्जत का ख्याल कर रहा हुं तो इसका मतलब आपको भी मेरी इज्जत का ख्याल करना चाहिए ना की एसे सबके सामने मेरी इज्जत उछालनी चाहिए... गीरधनभाई ने कहा। 

    बा मुझे इस शादी से कोई तकलीफ यही है प्लीझ आप मेरी चिंता ना करो... अपने अंदर से कठीन होते हुए जीज्ञाने कहा। 

    यह सब क्या है गीरधन जी... गीरधनभाई के होनेवाले समधीने कहा। 

    मुझे पांच मिनट दो प्लीज़... गीरधनभाई ने अपने समधी से कहा। 

    बस जीज्ञा अब बंद भी कर अपना यह नाटक...पुर्वीने परेशान होते हुए जीज्ञा से कहा। 

    तुम लोग यह क्या तमाशा खडा करने की कोशिश कर रहे हो। तुम लोगो ने कही से मेरी इज्जत उछालने का ठेका लिया है क्या... गीरधनभाई ने गुस्सा होते हुए कहा। 

    अरे बंद कर अपनी इज्जत की पीपुडी बजाना । इज्जत इज्जत सभी बाप को अपनी इज्जत की ही पडी है किसी को अपनी बेटी की खुशी की चिंता नही है। पहले दुध पीती करने का रिवाज था और अब अपनी इज्जत के बदले अपनी बेटी को बेचने का रिवाज बन गया है। अरे कोई तो अपनी बेटी को पुछ लो की बेटी तुझे अपने जीवन मे चाहिए क्या ? क्या तुझे अभी शादी करनी है अगर नहीं करनी तो तुझे क्या करना है ? जा बेटा तुझे जो करना है कर जा जी अपनी जींदगी पर नहीं बेटी को कहा कोई अपना संतान मानते है उसे तो इस घर मे भी पराया माना जाता है और उस घर मे भी पराया माना जाता है। धन्य है जीज्ञा तुझे की तु अपने बाप की इज्ज़त के ख़ातिर कुछ भी कर शक्ति हैं मेरी भगवान से प्राथना है कि हर घर मे तेरे जेसी बेटी पेदा हो लेकिन साथ साथ मे यह भी प्राथना है कि उस बेटी का बाप तेरे बाप जेसा ना हो... चंपाबाने गुस्सा होते हुए सबके सामने कहा। 

     बा अब करो अब आप कुछ ज्यादा ही बोल रहे हो... गीरधनभाई ने चंपाबा से कहा। 

     बा प्लीज़ जो हो रहा है उसे बदलने की कोशिश मत करो मेरी आपसे बिनती है... अपनी ही जगह पे घुटनो पे बेठकर अपने दोनो हाथ जोडकर रोते हुए जीज्ञाने चंपाबा से कहा। 

     यह सब क्या है... गीरधनभाई के समधीने गीरधनभाई से कहा। 

     वो तुम्हारे लडके को पता होना चाहिए की वो जीससे शादी करने जा रहा है वो खुश हैं की नहीं है... चंपाबाने गीरधनभाई के समधी से सवाल करते हुए कहा। 

     जीज्ञा तुम खुश नहीं हो इस शादी से...जीज्ञा के साथ फेरे ले रहे उस लडके ने कहा। 

     अरे वो खुश हैं नहीं उससे मुझे कोई फर्क नहीं पडता। गीरधनभाई अब यह शादी नहीं रुकेगी अगर यह शादी रुकी तो समाज में और हमारी हिंदु एकता समीती के प्रमुख होने के नाते मेरी इज्जत ही क्या रह जाएगी... गीरधनभाई के होनेवाले समधीने कहा।

      मे भी देखती हु की तु एसे कैसे शादी करवाता है। अब चाहे मुझे इस उम्र मे कुछ भी करना पडे मे करुंगी पर यह शादी मेरी बेटी की मरजी विरुद्ध नही होने दुंगी... चंपाबाने गीरधनभाई और होनेवाले समधी के सामने अपनी आखे चार करते हुए कहा। 

      मे आपके साथ हुं बा... पुर्वीने चंपाबा से कहा। 

      हम भी... पुर्वी के मम्मी पापाने कहा। 

      मे भी दीदी को यह शादी करने नही दुंगा। दीदी मत करो यह शादी... वहा खडे जीज्ञा के मासुम भाईने कहा। 

      बेटा तुम घर जाके खेलो चलो वरना पापा की डाट पडेगी चलो जाओ... गीरधनभाई ने अपने लडके से कहा। 

      जीज्ञा छोटा भाई और वहा खडे दुसरे सारे छोटे बच्चे गीरधनभाई के घर पे चले जाते हैं ।

      अरे बंद करो यह तमाशा। मेरी लडकी है मुझे उसका जो भी करना होगा मे करुंगा। वो नादान है उसे इसकी कुछ समज नहीं है... गीरधनभाई आगे बोले उससे पहले बहार जाने के दरवाजे की तरफ आवाज आती है ।

      एक मिनट... हाथ मे गन लेकर आसमान की और दिखाते हुए संजयसिहने अपनी उची आवाज से कहा। 

      संजयसिह को देखकर सब लोग चोक जाते हैं और उसके हाथ गन लेकर वहा आए मेहमान डरजाते है। 

      यह यहा क्या कर रहा है... पुर्वीने आश्चर्य के साथ देखते हुए कहा। 

     अब इसकी ही कमी थी... जीज्ञाने कहा। 

      हमारे आने से पहले ही यहा पे महेफिल मे कोन पाद के गया है बे माहोल जरा बिगडा सा लग रहा है। देखो पहले तो कोई हमारी बात पुरी होने तक बोलेगा नहीं। अगर बोला तो यह घोडा चल जाएगा (अपनी गन सबको दिखाते हुए)। दुसरी बात कोई यहा से जब तक मे अपना कार्य संम्पन ना करलु तब तक यहा से कोई घर नहीं जाएगा अगर गया तो यह घोडा चल जाएगा ( अपनी गन सबको दिखाते हुए कहा) और हा पंडित तु सुन मे जब बोलु तब शांती से अपने मंत्र बोलने लगना और तु मेरे दोस्त फेर थोडे जल्दी से लेना वरना यह घोडा... अपनी गन दिखाते हुए संजयसिहने कहा। 

       चल जाएगा... डरे हुए पंडितने संजयसिह की आधी छोडी हुई लाईन पुरी करते हुए कहा। 

       कोन हो तुम और यह दादागीरी किस को दिखा रहे हो... गीरधनभाई ने संजयसिह की तरफ आगे बढते हुए कहा। 

       तुम अपनी दादागीरी कही और जाकर दिखाना। पीकर आए हो क्या न जान न पहचान एसे ही घुसे आए...गीरधनभाई के होनेवाले समधीने संजयसिह की तरफ आते हुए कहा। 

       मेने बोला था की बिच मे मत बोलना लेकिन जो आदमी ढीट होता है ना वो ढीट ही रहेता है। देख सुन बुड्ढे समधी है तु गीरधनभाई का समधी बनकर ही रहे अगर ज्यादा बोला तो यही पे तेरी समाधी बना दुंगा। कोई भी मेरी मरजी के बिना नहीं बोलेगा जो बोला वो गया... आसमान मे अपनी गन से गोली चलाते हुए संजयसिहने कहा। 

       ये यहा है मतलब रुहान, रवी और महावीर भी होने चाहिए... प्लीझ भगवान आज कोई अनर्थ हो उससे पहले रुहान, रवी और महावीर को अपना फरिस्ता बनाते के भेज दो। 

       चिंता मे डुबी जीज्ञा और पुर्वी दोनो एक दुसरे की तरफ देख रहे थे। जीज्ञा की आखो मे आसु रुकने का नाम नहीं ले रहे थे जेसे आसुने अपना एक ठिकाना ही नक्की कर लिया हो। 

       कोन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो। मे तुम जेसे गुड्डो से डरता नही अभी पुलीस को बुलाता हु... गीरधनभाई ने संजयसिह से कहा। 

        तुम लोग एसे नही सुधरोगे...बोलता हुआ संजयसिह जीज्ञा के पास जाता है और उसको जबरदस्ती पकडकर गन उसके माथे पे रखता है। 

        छोडो उसे... जीज्ञा के साथ शादी कर रहे लडके ने संजयसिह से डरते हुए कहा। 

        जीज्ञा अपने आप को छुडाने की काफी कोशिश करती है। पुर्वी, चंपाबा, पुर्वी के मम्मी पापा हर कोई अभी इस द्रश्य को देखकर डर जाते हैं। 

        संजयसिह गुरुर मे अंधा हो चुका था। उसे सही गलत का कोई अंदाजा ही नहीं था उसे बस रुहान और जीज्ञा को बरबाद करने के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा था। 

       अब सिर्फ मे बोलुंगा। अगर किसीने बिच मे बोला तो उसकी खोपडी खोलने मे देर नही लगाउंगा और आशीक साईड मे बेठ जा शांती से अभी तक शादी नहीं हुई है तेरी इससे खामखा शहीद हो जाएगा... जीज्ञा के साथ फेरे ले रहे लडके को संजयसिहने अपनी आखो को चोडा करते हुए कहा। 

       बेटा साईड मे होजा... गीरधनभाई के समधीने अपने लडके से कहा। वो लडका डर के साइड मे हो जाता है। जीज्ञा, गीरधनभाई और बाकी सारे यह द्रश्य देख पा रहे थे की जो जीज्ञा से शादी करने जा रहा था वो जीज्ञा की रक्षा करने के लिए सक्षम नही था।

      गीरधनभाई मे तो आपका शुभ चिंतक हुं आप चिंता ना करो। जीज्ञा और उस मुस्लिम लडके के बिच जो चक्कर चला था और दोनो साथ मे घुमते फिरते थे उसके समाचार मेने ही आपको दिए थे याद किजीए जरा । मुझ से अच्छा आपका कोन सोच सकता है। और हा इतना ही नहीं आप चिंता मत करो यह शादी भी मे नहीं रुकने दुंगा पर हा आपकी इस लड़की ने मेरी इतनी बेइज्जती की है की मुझसे रहा नही गया और मुझे यहा न चाहते हुए भी आना पडा। जीज्ञा मेरी बहुत इज्जत उतारी थी ना अब देख जीस बाप की इज्ज़त बचाने के लिए तु अपना सबकुछ खो कर यह शादी कर रही हैं उस बाप की इज्ज़त मे कैसे उतारता हुं...जीज्ञा के माथे पर अपनी गन रखकर जीज्ञा को दबोचे हुए संजयसिहने कहा। 

      छोड मेरी बेटी को और तुने यह सब बखेडा खडा किया है साले मे तुझे छोडुंगी नही... चंपाबाने संजयसिह की तरफ आगे बढते हुए कहा। 

      रस्सी जल गई पर बल नहीं। वही रुकजा दादी वरना तेरी इस बेटी की खोपरी खोल के रख दुंगा... संजयसिहने जीज्ञा पर की अपनी पकड को मजबुत बनाते हुए कहा। 

      यह सब क्या है गीरधनभाई मुस्लिम लडका और यह सब...गीरधनभाई के होनेवाले समधीने गीरधनभाई से सवाल करते हुए कहा। 

      यह सब वो सच्चाई है जो गीरधनभाई ने आप से छिपाई है पर आप चिंता ना करे यह तक आया ही हु सबकुछ बताने के लिए और इसका वो प्रेमी मुसलमान भी अभी आता ही होगा वो क्या हुआ जीज्ञा मेने उसको थोडा ज्यादा मार लिया ना तो फिर उसको आने मे वक्त तो लगेगा ना पर बच्चा आता ही होगा समधीजी आप भी मिल लेना और हा मेने अभी तक आपको कहा था कि यह शादी करनी पडेगी पर मेरे ख्याल मे आप लोगो की जींदगी खराब नहीं करना चाहता इसलिए मे तो चाहता हु की इनलोगो की बेइज्जती करके भाग लो... संजयसिहने अपने मु के तहत गीरधनभाई की इज्ज़त लुटने की शुरुआत करते हुए कहा। 

      मे आप से पुछ रहा हु यह सब क्या है गीरधनभाई... गीरधनभाई को गुस्से के साथ सवाल करते हुए गीरधनभाई के होनेवाले समधीने कहा। 

      यह सब झूठ बोल रहा है आप को मुझ पर भरोसा करना चाहिए या इस हरामी के उपर... गीरधनभाई ने अपने होनेवाले समधी से कहा। 

      वो मुझे नहीं पता लेकिन इतना बखेडा हुआ है तो उसमे कुछ तो सच्चाई होगी ना। यह सही नहीं हुआ गीरधनभाई मे अब आप को हिंदु संगठन से हटा दुंगा क्योकी आप ने बहुत गलत किया है मेहमानो के सामने हमारी क्या इज्जत रह गई है। 

      यह सब गीरधनभाई सहेन नहीं कर पाते और बहुत गुस्सा हो जाते हैं और चिल्लाते हुए संजयसिह की तरफ दोडकर जाते हैं।

      मे तुझे छोडुगा नही तेरी वजह से मेरी इज्जत पे सवाल उठ रहे हैं और छोड मेरी बेटी को ...संजयसिह की तरफ दोडकर जाते हुए गीरधनभाई ने कहा। 

      अब मेरा काम हो गया। तेरे बाप का तो कल्याण हो गया... हा... हा... हा... जोर जोर से हसते हुए और जीज्ञा को साइड पर घक्का मारते हुए संजयसिहने कहा। 

      अब माहोल बडी गर्मी पकड चुका था। गीरधनभाई सीधा जाकर हसते हुए संजयसिह का गला पकड लेते हैं फिर भी घमंडी संजयसिह उन पर हसता ही रहता है और इससे गीरधनभाई को बडा गुस्सा आता है और वो संजयसिह को जोर से तमाचा मार देते हैं जीससे संजयसिह का अहंकार शिर पे चढ़ जाता है और इस तरफ रुहान उसी वक्त अपने दोस्तों के साथ पहुचता है और जोर से चिल्लाता है ।

      जीज्ञा पापा को संभाल... संजयसिह को गीरधनभाई के सामने गन उगामते देख रुहानने चिल्लाते हुए कहा। 

      जीज्ञा रुहान के सामने देखकर फिर संजयसिह और अपने पापा की तरफ देखती है। संजयसिह गुस्से मे अंधा होकर गन चलाने जा रहा था और इस तरफ रुहान और जीज्ञा दोनो दोडकर गीरधनभाई को संजयसिह की गन की गोली से बचाने के लिए दोडते है लेकिन गोली पहुचे उससे पहले पहुचने मे दोनो नाकामयाब रहते हैं और गोली सीधा गीरधनभाई के शरीर मे किडनी वाले हिस्से पर जाकर लगती है। 

      पापा............ जीज्ञाने जोर से चिल्लाते हुए कहा। 

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

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