Do Pagal -Kahani Sapne or Pyaar ki - 30 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 30

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 30

एक अच्छा दोस्त 

    नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के २९ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। 

    आगे आपने पढा की कैसे जीज्ञा और रुहान के जीवन की परिस्थितिया उन्हे मुसबतो के घेरे मे ले रही थी। सबकुछ खतम होता हुआ रुहान और जीज्ञा को दिख रहा था। जीज्ञा अपने माता के कारण पिता की गलत आबरु डुबाने को तैयार नहीं थी और रुहान जीज्ञा की मरजी के बिना कुछ भी करने को तैयार नहीं था। रुहान और जीज्ञा के दोस्तों के मन मे बस एक ही प्रश्न था की अब क्या होगा। क्या रुहान और जीज्ञा भी बाकी बिछडे प्रेमीओ की तरह बिछड जाएंगे ? अब आगे। 

     रुहान जीज्ञा को सुलाकर बहार अपने दोस्तों के पास आता है। तीनो दोस्तो के बिच छोटा सा संवाद होता है। 

     सोरी यार हम करना कुछ और चाहते थे और हो कुछ और गया... रवीने रुहान से कहा। 

     कोई बात नहीं वेसे भी मेरे जीवन में आज कल सबकुछ उल्टा ही हो रहा है। मे घर जा रहा हुं... रुहानने अपने दोस्तों से कहा। 

     वो तो ठीक है लेकिन जीज्ञा का क्या करेंगे... महावीरने कहा। 

     उसी वजह से तो घर जा रहा हुं। मे यहा रहुंगा तो वो जगने के बाद मुझसे शर्मिंदा होगी उससे अच्छा है की उसे पता ही ना चले की मे यहा आया था और तुम लोग कुछ भी बहाना करके उसे समजा देना। कल मिलते हैं मोल मे जीज्ञा की शादी की शोपींग करनी है... इतना बोलकर रुहान अपने रास्ते चल पडता है।

     रवी और महावीर रुहान की परिस्थिति बखुबी समझ रहे थे और अपने दोस्त के लिए कुछ ना कुछ करना चाहते थे पर उनको एक ही बात समझ नहीं आ रही थी की करे तो करे क्या। 

     तो कुछ इस तरह बितता है आज का दिन। जीज्ञा कुछ घंटे बाद होश मे आकर होस्टेल महावीर के साथ चली जाती है।  अब दुसरे दिन सुबह। सभी की सुबह आम थी लेकिन जीज्ञा और रुहान के लिए आज की सुबह उनके प्यार के डुबते हुए सुरज जेसी थी। सुबह के ७:३० बज रहे थे। जीज्ञा उठकर तैयार हो गई थी और पुर्वी अभी तक सो रही थी। जीज्ञा तैयार होके पुर्वी के बिस्तर के पास आती है और उसे जबरदस्ती उठाने की कोशिश करती है। 

     पुर्वी जाग आज हमे बहुत काम है, बस टिकट बुक करना है, शादी के लिए रस्मो रिवाज की मुताबिक चीजे खरीदनी, सारा शोपींग हमे अकेले करना है और अब हमारे लिए शोपींग करवाने वाली मम्मी भी नहीं है वो मुझे अकेला छोडके इस जमाने के रश्मो रिवाज से मुक्त हो गई है और अब मुझे भी होना हैं शादी के बाद तु जागना जल्दी, मेरे पास बहुत जिम्मेदारी वाले काम है... कंबल ओढके सोई हुई पुर्वी का कंबल खिच के कुछ भी बोलते हुए जीज्ञाने कहा। 

     मुश्केलीओ के बिच घिरी जीज्ञा क्या बोल रही थी उसका उसे कुछ भी होश नहीं था। पुर्वी को जगाते हुए जीज्ञा थककर अपने बेड के पास निचे बेठजाती है और रोने लगती है। 

     सारी शोपींग करने की छुटछाट मिली बस नहीं मिली तो अपने पसंद के जीवनसाथी को ढुंडने की छुटछाट। बडा झालीम है यह जमाना और जमाने के लोग...निचे बेठकर रोते हुए जीज्ञाने कहा। 

     जीज्ञा की आवाज सुनकर पुर्वी जागजाती है और निचे बेठी जीज्ञा के पास जाकर उसे अपने सिने से लगाकर संभालने की कोशिश करती है। जीज्ञा अपने दिमागी तौर पे बहुत डिस्टर्ब हो चुकी थी। 

      शांत हो जा मेरी जान भगवान सब सही कर देगा ...पुर्वीने जीज्ञा की आखो के आसु पोछते हुए कहा। 

      जीज्ञा की सुबह ठीक नहीं थी लेकिन रुहान की भी सुबह कुछ अच्छी नहीं थी। पुरी रात अपने और जीज्ञा के बारे मे सोचने के बाद देर सुबह रुहान की आख लगी थी। निंद के दो पल रुहान के लिए बहुत शांत थे लेकिन वो पल भी रुहान के मोबाइल की रिंगटोन छीन लेती है। अपने मोबाइल के बजने की आवाज सुनकर रुहान जग जाता है और फोन उठाता है। 

      हैंल्लो कोन... रुहानने आधी नींद में कहा। 

      अबे तेरा बाप संजयसिह बोल रहा हुं...रुहान को गुस्सा दिलाने के लिए अपना नाम बोलते हुए संजयसिहने कहा। 

      बे कुत्ते अभी भी तुम्हारा दिल नहीं भरा है...रुहानने संजयसिह से कहा। 

      अरे मेने तो इसलिए फोन किया था ताकी मे आपको शादी का पता पुछ शकु क्योकी मुझे भी तो आना है तुम दोनो की शादी देखने...सोरी... मे तो भुल ही गया की तुम्हारी नहीं किसी और की शादी है प्यारी सी जीज्ञा से... रुहान को क्रोधित करने के लिए संजयसिहने कहा। 

      संजयसिह इस वाक्य से रुहान सच मे क्रोधित हो जाता है। 

      अबे भडवे तु मेरे को गलती से भी मिलना मत वरना मे तेरी जान ले लुंगा...मारदुंगा... अपना फोन गुस्से से निचे फेकते हुए रुहानने कहा। 

      रुहान अपना फोन निचे फेक कर तोड देता है और अपनी जगह से खडा होकर बाल्कनी मे जाता है और अपना गुस्सा अपने अंदर दबाके एकदम शांत होकर बहार का द्रश्य देखने लगता है। 

      इतना गुस्सा किस बात को लेकर है मेरे सहजादे को... पीछे से बाल्कनी मे आते हुए मुहम्मद भाईने कहा। 

      मेरे जीवन में एसी कोनसी अच्छी चीज हो रही हैं जीस पर मे गुस्सा ना करु। जबसे अम्मी गई है तब से मेरी किस्मत भी सोई हुई सी लगती है... खराब मुड के साथ रुहानने कहा। 

      मतलब साहबजादे बहुत तकलीफ मे है। मे कुछ मदद कर सकता हुं... रुहान से मुहम्मद भाईने कहा। 

      ना तो मे कुछ कर सकता हुं और ना तो आप जब तक जीज्ञा खुद कुछ करने का फेसला ना कर ले। क्योकी मे उसकी मरजी के विरुद्ध कुछ नहीं करना चाहता चाहे मुझे मेरा सबकुछ छोडना क्यु न पडे... रुहानने अपने अब्बा मुहम्मद भाइ से कहा। 

      वो तो सही क्योकी जीज्ञा अपने अब्बा को निचा दिखाना नहीं चाहती इस लिए... मुहम्मद भाईने कहा। 

      आपके मुताबिक मुझे क्या करना चाहिए अब्बा... रुहानने अपने अब्बा से सलाह मांगते हुए कहा।

      क्या करना है वो तुझे सोचना है उसमे मे तुम्हारी कोई मदद नहीं करुंगा लेकिन हा तुझे सोचने के बाद मेरी कोई मदद चाहिए तो मे जरुर करुंगा और रही बात तुझे सलाह देने की तो तुझे जो दिल से सही लगता है ना वो तु कर बस इतना ख्याल रखना की तेरे कोई भी कदम से किसीका भी दिल नहीं दुःखना चाहिए चाहे वो अच्छा आदमी हो या ना हो... सलाह देते हुए रुहान के अब्बाने कहा। 

      दोनो की सुबह आज फिकी और दोनो को दर्दनाक सी महसुस हो रही थी। सभी दोस्त ने आज दिल पे पथ्थर रखके बरोडा के एक मोल मे जीज्ञा के शादी की शोपींग करने के लिए इक्कठा होने का फेसला किया था। 

      सभी सुबह ११:०० बजे बरोडा के मोल मे इक्कठे होते हैं। आज किसी का भी शोपींग करने का मन नहीं था क्योकी सभी जीज्ञा की इस शादी के खिलाफ और नाराज थे। मोल मे तो आ गए थे लेकिन किसीका भी मन नहीं था जीज्ञा के लिए शोपींग करने का।

      देखो आप अपने हिसाब से शोपींग करलो मुझे भुख लगी है मे खाना खाने के बाद मिलता हु बाय... कोई कुछ भी बोले इससे पहले महावीर बहाना बनाके वहा से निकल जाता है। 

      मुझे भी वहा से अपने लिए कपडे खरीदने थे मे भी आता हुं... रवी भी बहाना बनाके निकल जाता है।

      मुझे पता है रवी तुम दोनो क्यु जा रहे हो क्योकी तुम नहीं चाहते की मेरी शादी होने मे तुम्हारी कोई मदद हो लेकिन मे जरुर चाहती हु की तुम लोग मुझे मदद करो मेरे इन खराब हालतो का सामना करने मे... जीज्ञाने भावुक होते हुए कहा। 

      सही है जीज्ञा हम बार बार अपने दोस्त को हताश नहीं देख सकते और हा रुहान यह शोपींग हमशे नहीं होगा... इतना बोलकर रवी भी वहा से चला जाता है। 

      देखो रुहान मुझे माफ कर दो मेने तुम्हें कभी भी एसा महसुस नहीं होने दिया की मे तुम्हें प्यार... जीज्ञा के इतना बोलते ही रुहान उसको अटका देता है और खुद बोलने लगता है। 

      तुम्हें मुझे कोई सफाई देने की जरुरत नहीं है और रही बात तुम्हारी इस मुश्किल घडी की तो यह मुश्किल घडी तुमने खुद खडी की है अपने पिता के सम्मान के लिए और मे कभी भी नहीं कहुंगा की यह तुम्हारा गलत फेसला है क्योकी पिता के सम्मान को बचाना गलत बात नहीं होती है लेकिन पिता के अभिमान को सम्मान देना भी गलत होता है लेकिन तुम्हें जो अच्छा लगे वो करो मे तुम्हारे अच्छे बुरे हर फेसले मे साथ हुं लेकिन तुम को जब जरुरत हो तब...रुहानने अपनी आवाज और मनोबल प्रबल करते हुए कहा। 

     थेन्कस रुहान। मुझे हंमेशा खुश रखने के लिए और हर बुरे अच्छे पल मे मेरा साथ देने के लिए...जीज्ञाने अपने भावुक स्वर के साथ कहा। 

     वो तो हंमेशा देता रहुंगा लेकिन क्या तुम आज का यह आधे घंटे का तेरे साथ शोपींग करने का पल तेरी होनेवाली शादी को भुलकर जेसे दो दोस्त खुश होकर साथ मिलकर शोपींग करते हैं वेसे शोपींग करते हैं क्योकी मेरे लिए तो अब जो भी है वो यह पल ही है इसके बाद मे तुम्हे तब तक नहीं मिलुंगा जब तक तुम नहीं चाहोगी... रुहानने भावुक होकर अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा। 

     तुम्हारे लिए इतना तो कर शक्ति हुं...जीज्ञाने रुहान से कहा।

     दोनो मे से कोई खुश नहीं था और किसी इंसान के लिए आनेवाले मुश्किल लम्हे को भुलकर जो लम्हा चल रहा हैं उसे अच्छा बनाना नामुमकिन वाले कामो जेसा है। तीनो मोल मे अलग अलग दुकानो मे जाकर शोपींग की शुरुआत करते हैं। तीनो खुश होने की बहुत कोशिश कर रहे थे लेकिन हरबार असफल हो रहे थे। कभी ड्रेश की दुकानो, साडी की दुकान मे तो कभी दुल्हन वाले शादी के जोडे की दुकान मे जाकर तीनो दोस्त जबरदस्ती शोपींग कर रहे थे। रुहान और जीज्ञा बार बार अपने आसु को रोकने की कोशिश कर रहे थे। 

     यह मेरे जीवन का सबसे मुश्किल लम्हा था जब मे अपनी ही दुल्हन को सजाने के लिए शोपींग कर रहा था ताकी वो किसी और की दुल्हन बन सके। जीज्ञा के बाद मेरा जीवन खाली हो जानेवाला था। अम्मी के जाने के कारण मेरी खुशीया और मेरे चहरे की हसी मुझसे रुठ गई थी लेकिन जीज्ञा मेरे जीवन में वो हसी फिर से लेकर आई और मेरे खोए हुए अब्बा को भी रास्ता दिखाया और आज वो खुद रास्ता भटक गई है और उसके चहरे से हसी भी गुमशुदा हो गई है और मे उसके लिए कुछ भी नहीं कर पा रहा हु। जीवन में भला इससे कठिन पल क्या हो सकता है आप अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण इंसान बरबादी सिर्फ देख सकते हो उसे बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते। क्या जीज्ञा कभी मेरी थी ही नहीं ? है अल्लाह आप हंमेशा दो सच्चे प्यार करनेवालो को ही जुदा क्यु कर देते हो ? क्या प्यार करनेवालो की इस दुनिया में कोई किमत ही नहीं है। मे समझ सकता हुं की प्यार करने का मतलब शादी नहीं है लेकिन इसका मतलब किसी और से जबरदस्ती शादी करलेना भी तो नहीं होना चाहिए ना। माना की पिता का सम्मान करना चाहिए लेकिन उनको भी बच्चे की खुशी का सम्मान करना चाहिए ना की वो सिर्फ अपनी इज्जत को लेकर ही चले। अब मेरे और जीज्ञा के प्रेम प्रकरण का आखरी पल था। अब या तो हम लेला-मजनु के जेसे अमर हो जाएंगे या तो एक हो जाएंगे ... शोपींग करते हुए जीज्ञा की तरफ देखते  हुए अपने भावुक मनसे रुहानने मन ही मन कहा। 

TO BE CONTINUED NEXT PART...

      तो कुछ इस तरह हर सुख दुःख के मोड से होकर रुहान और जीज्ञा की जींदगी अब आखरी पलो पे रुकी हुई थी। अब घडी फेसले की थी। अब देखना यह रसप्रद होगा की संजयसिह का गुस्सा, गीरधनभाई का अभिमान और जीज्ञा और रुहान का बिछडता हुआ प्यार अब कोनसा रंग लाएगा ?...

 || जय श्री कृष्ण || || श्री कष्टभंजन दादा सत्य है ||                    A VARUN S PATEL STORY