Do Pagal - Kahani Sapne Or Pyaar Ki - 29 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 29

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 29

     नशा शराब का या दुःख का ?

     नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के २८ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। 

     आगे आपने देखा की केसे जीज्ञा की शादी के समाचार से रुहान और जीज्ञा की जींदगी जेसे तुफानी दरिया मे डुबती हुई नाव जेसी हो गई थी। सभी दोस्त तीन घंटे थीयेटर में ही बेठे रहते हैं(रवी,महावीर और पुर्वी) । कुछ देर बाद अपनी तनहाई को अपने अंदर दबाने के बाद रुहान वापस थीयेटर आता है और उसे देख सभी दोस्त अपनी जगह पे खडे होकर रुहान के पास आते हैं। 

     रुहान जीज्ञा कहा है... पुर्वीने रुहान के पीछे यानी के थीयेटर के बहार जानेवाले दरवाजे की तरफ देखते हुए पुर्वीने कहा।

     बहार जाने के बाद वो मेरे पास नहीं आई है और मुझे लगा की वो तुम्हारे साथ होगी...रुहानने पुर्वी से कहा। 

     नहीं वो यहा पे तो नहीं आइ है... पुर्वीने कहा। 

     रुहान हमे जल्दी से जीज्ञा को ढुंडना होगा और उसको संभालना होगा क्योकी वो अभी बहुत भावुक अवस्था मे है और वो भावुक होकर कोई भी गलत फेसला ले शक्ति है। 

     सही लेकिन तुम लोग पुर्वी को होस्टेल छोड दो जीज्ञा को मे ढुंडता हुं... रुहानने अपने दोस्तों से कहा। 

     हम भी चलते हैं ना तुम्हारे साथ... महावीरने कहा। 

     नहीं महावीर तुम लोग पुर्वी को छोडकर रवी के रुम पर पहुचो मे जीज्ञा को ढुंडकर आता हु वो कही नहीं होगी यही कही आसपास होगी... रुहानने अपने दोस्तों को मनाते हुए कहा। 

     ठीक है... रवीने रुहान से कहा। 

     ला तेरे बुलट की चाबी मुझे दे और तुम लोग मेरी जीप लेकर चले जाओ... रुहानने अपनी जीप की चाबी रवी को देते हुए कहा। 

     रवी अपनी बुलट की चाबी रुहान को देता है। रुहान रवी की बुलट को लेकर जीज्ञा को ढुडने के लिए जाता है और रवी और महावीर पुर्वी को होस्टल छोडने के लिए जाते हैं। 

     बारीश अभी भी रुहान और जीज्ञा पर पड रहे दुःखो की तरह बरस रही थी और रुकने का नाम नहीं ले रही थी। रवी, महावीर और पुर्वी भीगते हुए पुर्वी के होस्टेल पहुचते है और पुर्वी को वहा छोडकर रवी और महावीर रवी की रुम पर जाने के लिए रवाना होते हैं और इस तरफ तेज बारीश के बिच भी रुहान बरोडा की हर जगह जाकर जीज्ञा को ढुंड रहा था। आखो मे बारीस का पानी कम आसु ज्यादा दिख रहे थे। रुहान को बस यही डर था की जीज्ञा कही कोई गलत कदम ना उठा ले। बरोडा के हर गार्डन हर एक नदी किनारा रुहान छान लेता है लेकिन रुहान को जीज्ञा कही नहीं मिलती है। रुहान अपनी किस्मत से बहुत हद तक नाराज़ हो चुका था। अंत मे कंटाल के रुहान रवी के रुम पर आता है। पार्किंग मे अपनी बुलट पार्क कर के उपर रुम की तरफ जाता है और रवी के रुम की बेल बजाता है। रुहान पुरी तरह से भीगा हुआ था। बेज बजाने पर भी किसीने दरवाजा नहीं खोला इसलिए रुहानने दुसरी बार बेल बजाई। 

    बे सालो मर गए क्या दरवाजा क्यु नहीं खोल रहे हो... एक साथ कही बार बेल बजाते हुए रुहानने चिल्लाते हुए कहा। 

    महावीर दरवाजा खोलता है और बहार भागने की कोशिश करता है लेकिन रुहान उसे घक्का मारकर अंदर रुममे धकेलता हैं। 

    अबे मे यहा पे मुसीबत में हु और तुम भाग कहा रहे हो और जीज्ञा अभी तक नहीं मिली है हमे साथ मिलकर उसको ढुंडना चाहिए... रुहानने महावीर को अंदर रुममे धकेलने के बाद कहा। 

     किसी कारणवश रवी और महावीर एकदम चुप थे और रुहान से कुछ छुपा रहे थे। 

     सही मे ढुंडने ही जा रहा था तभी तुमने मुझे अंदर धकेल दिया। चल साथ मिलकर ढुंडते है... रुहान को रुम के बहार ले जाने की कोशिश करते हुए रुहानने कहा। 

     रवी कुछ भी नहीं बोल रहा था बस महावीर की हा मे हा मिला रहा था। तकलीफ तो तभी हुई जब महावीर रुहान को बहार ले जाने की कोशिश कर रहा था और तभी रवी की रुम की बाल्कनी से काच की बोटल गीरने की आवाज आती है और उससे रुहान का ध्यान बाल्कनी की तरफ जाता है ।

     वहा पे कोन है... रुहानने कहा। 

     अरे बिल्ली होगी तु चलना जीज्ञा को ढुंडना है... महावीरने रुहान को कमरे से बहार ले जाने की कोशिश करते हुए कहा। 

     महावीर और रवी रुहान को बहार लेजाने में थोडे से सफल हुए ही थे तभी बाल्कनी से जीज्ञा की लडखडाती हुई आवाज आती है। 

     साली जींदगी झंड हो गई है आज-कल हर कोई तेरी बजाके जा रहा है जीज्ञा कुछ कर तु कुछ कर... नशेमे जीज्ञाने कहा। 

     जीज्ञा की आवाज सुनकर रुहान का ध्यान बाल्कनी की तरफ जाता है।

     यह तो जीज्ञा की आवाज थी ना... रुहानने फिर से बाल्कनी की तरफ देखते हुए कहा। 

     मर गए... महावीरने अपने आप से कहा। 

     क्या मतलब वहा सही मे जीज्ञा है और तुम लोग मुझसे जुठ बोल रहे हो... बाल्कनी की तरफ जाते हुए रुहानने कहा। 

     अरे रुहान एसा नहीं है वो उसकी हालत ही... रवी के इतना बोलते ही रुहान उसको बोलने से अटका देता है। 

     मुझे तुम दोनो से कुछ भी नहीं सुनना है। तुम लोग बस अपना मु बंद रखकर वहा पे खडे रहो मुझे यह जानना है की झुठ बोलने के पीछे की वजह क्या है... रुहानने बाल्कनी का परदा हटाकर अंदर जाता है और जीज्ञा को जीस हालत मे रुहान देखता है जीज्ञा की एसी हालत होगी एसा रुहानने कभी सपने मे भी नहीं सोचा होगा। 

     जीज्ञाने शराब की आधी से ज्यादा बोटल चडा ली थी और बार बार अपने लडखडाते हुए कदमो को संभाल रही थी। एक हाथ मे शराब की बोटल थी जीसे जीज्ञा रुहान को देखकर अपने पीछे छुपा देती है लेकिन फिर वो हाथ से छुटजाती है और निचे गीर जाती है।

     उप्स...जीज्ञाने नोटंकी करते हुए अपने मु पर हाथ रखते हुए कहा। 

     बे सालो यह शराब की बोटले इसके पास कहा से आई... रुहानने गुस्सा होते हुए अपने दोस्तों से कहा। 

     यह लाया था... दोनो ने एक दुसरे की तरफ उंगली करते हुए कहा। 

     अबे मेरी तरफ क्या उंगली कर रहा है मे लाया था अगर एसा है तो खाने की कसम खा के बोल मोटे... रवीने महावीर से कहा। 

      मे क्यु खाने की कसम खाउ... महावीरने रवी को जवाब देते हुए कहा। 

      देखा देखा रुहान झुठ पकडा गया ना...रवीने महावीर को गलत साबित करते हुए रुहान से कहा। 

      हा मे लाया मगर रुहान मंगवाई किसने थी वो भी पुछो भाई... महावीरने दोश का टोपला आधा रवी पर भी डालते हुए कहा। 

      अरे चुप कितनी बहेस करते हो तुम लोग यार थोडा जींदगी का मजा लो यार... पीछे से रुहान के गले पडते हुए जीज्ञाने कहा। जीज्ञा को शराब चड गई थी। 

      लेकिन एसे माहोल मे तुम दोनो शराब लाए ही क्यु... रुहानने जीज्ञा को संभालते हुए अपने दोस्तों से कहा। 

      साले तु ना इतना मेरे बाप जेसे सवाल ना कर यह तेरे लिए थी जीससे तु उजडा मजनु बनकर पी सके और थोडी देर शांती पा सके... महावीर पाच मिनट का वाक्य दो मिनट मे खत्म करते हुए कहा। 

      थोडा धीरे बोल मोटे वरना फट जाएगा...रुहान के कंधे पे एक दोस्त की तरह हाथ रखकर हस्ते हुए महावीर की मजाक उडाते हुए जीज्ञाने कहा। 

      भाई इसको तु ही संभाल वहा पे सोडा वगेरा है तुझे जेसे संभालना है संभाल हम तो परेशान हो गए हैं यह बिना शराब पीए जीतनी खतरनाक नहीं हेना उतनी यह शराब पीने के बाद हो जाती है... रवीने बहार जाते हुए कहा। 

      अबे महावीर तु तो रुक... रुहानने महावीर से कहा। 

      भाइ हमने तीन बोटल टेबल पे रखी थी एक तेरी मेरी और रवी की इसने आकर हमसे दादागीरी करके कहा की रुहान की बोटल मुझे देदे हम दोनो एक ही है एसा कर के पुरी बोटल घटकली अब तुम दोनो एक हो तो देख लो फिर... बहाना बनाकर बहार जाते हुए महावीरने कहा। 

      इस मजाक और गुस्से के माहोल के बिच मे जीज्ञा के द्वारा बोला हुआ यह वाक्य रुहान को बडी शांती और एक छोटा सा भावुक पल महसुस होता है जब तक जीज्ञा अपनी नोटंकीया शुरु नहीं करती। 

      बे रुहान बोटल का कुछ कर यार यहा पे आई तब तीन थी लेकिन दो अभी भी नहीं मिल रही है... लडखडाती हुई जुबान और कदमो को संभालते हुए जीज्ञाने कहा। 

      चुप दो मिनट अभी मे जो कहुंगा वही तुम को पीना है...जीज्ञा को संभालते हुए बाथरुम की तरफ लेजाते हुए रुहानने कहा। 

      कितनी शांति है आज रुहान चलो ना प्यार करते हैं... बाथरुम मे जाते हुए जीज्ञाने कहा। 

      शराब के बारे मे लोग कहते हैं कि एक बात बहुत अच्छी होती है कि जीसने भी शराब पी होती है वो अक्सर सच बोलने लगता है। 

      पहले तुम बाथरुम मे चलो...उल्टी करने जा रही जीज्ञा को बाथरुम मे लेजाते हुए रुहानने कहा। 

      पाच मिनट बाद शराब के नशेमे केद जीज्ञा को अपनी गोद मे उठाकर रुहान बहार लाता है। जीज्ञा अभी भी शराब के नशे मे थी। 

      मार दो इस जमाने के सभी झालीमो को जो दो दिल को मिलने नहीं देते... गोद मे बेठी जीज्ञा ने शराब मे कुछ भी बकते हुए कहा।

      हा हा पहले कुछ देर सो लो फिर करेंगे हा...रुहानने जीज्ञा को बेड पे सुलाते हुए कहा। 

      रुहान मासुम दिख रही जीज्ञा को बेड पे सुलाता है और उसे चद्दर भी ओढाता और बडे प्यार से शराब के नशे मे मस्ती मे चडी जीज्ञा को देख रहा था। जीज्ञा को सुलाने के बाद जेसे रुहान बहार जाने की कोशिश करता है तभी जीज्ञा पीछे से उसका हाथ पकड लेती है और रुहान फट से पीछे मुडकर देखता है तो जीज्ञा की आखो मे आसु थे। अभी भी जीज्ञा की शराब उसके दिमाग से उतरी नहीं थी। रुहान मुडकर अपने घुटनो के बल पे जीज्ञा के पास बेठता है और जीज्ञा की आखो के आसु बडे प्यार से पोछता है और दोनो के बिच अब भावुक संवाद की शरुआत होती है। 

      तुम भी मुझे छोडकर चले जाओगे ? ...जीज्ञाने अपने गीरते हुए आसुओ के साथ कहा। 

      कभी नहीं... जीज्ञा के आसु पोछते हुए कहा। 

      मुझे तुमसे कुछ कहना है... जीज्ञाने कहा। 

      जरुर लेकिन यह आखो से अपनी शराब बहार निकालना बंद करो और उसके बाद कहो। बहुत महंगी आती है यह शराब... मजाक करते हुए रुहानने कहा। 

      दोनों रुहान के इस प्यारे जोक पर मंद मंद हसने लगते हैं । 

      जीस दिन तुमने मुझे प्रपोझ कियाना वो दिन मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था कि कोई मुझे इतना प्यार करता है की वो मेरे लिए कुछ भी कर सकता है लेकिन मे उस दिन को किसी कारणो से अच्छा नहीं बना पाई। रुहान मे तुमसे... जीज्ञा पुरा बोले उससे पहले रुहान उसके मु पर अपनी उंगली रख देता है। 

      बस अब ज्यादा बक बक मत कर। तुम्हे कुछज्यादा ही चड गई है पहले कुछ देर सो ले फिर जो बोलना है वो बोल लेना... जीज्ञा को सुलाते हुए रुहानने कहा। 

      जीज्ञा मासुम बच्ची की तरह रुहान की बात मानकर सो जाती है और रुहान बहार दरवाजे की तरफ चलने लगता है और जाते जाते मन ही मन अपने आप से बाते कर रहा था। 

      मुझे पता है की तुम उस दिन से मुझसे बहुत प्यार करती हो लेकिन कुछ तकलीफो के कारण तुम बताना नहीं चाहती थी और आज जब जताना चाहती हो तो मे सुनना नहीं चाहता क्योकी मुझे इतना पता है कि जब तुम होश मे आओगी तो तुम भी यह नहीं चाहोगी की मुझे तुम्हारे मु से पता चले की तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो। मे तुम्हें कभी शर्मिंदा नही होने दुंगा। i love you... रुम से बहार जाते हुए रुहानने अपने आपसे कहा। 

TO BE CONTINUED HARTBREKING NEXT PART... 

       तो कुछ इस तरह का रहा था जीज्ञा और रुहान का अब तक का सफ़र। जब रुहान इजहार करने जा रहा था तब जीज्ञा को अनसुना करना पडा था और अब जब जीज्ञा अपने प्यार को जताना चाहती थी तो रुहानने अनसुना कर दिया क्योकी रुहान जानता है कि अगले दिन जीज्ञा जब होश मे आएगी तो वो अपने प्यार से ज्यादा जो हकिकत है उसे स्वीकारना पसंद करेगी। अब घडी फेसले की थी अब मोड पे मोड नहीं आनेवाले थे अब बस फेसले का इंतजार था। रुहान और जीज्ञा का एक होना इतना मुश्किल हो गया था जीतना शेर के मु मे हाथ डाल के निकालना। अब हमारी कहानी कुछ अलग ही लेवल पे आगे बढनेवाली है जीस मे जीज्ञा, रुहान और सभी दोस्त अपने लिए आखरी लडाई लडने वाले हैं जीसमे संजयसिह के षडयंत्र, जीज्ञा के पापा का अत्याचार, तुटती हुई जीज्ञा, अपने दोस्तों के लिए लडते हुए दोस्त आपको दीखेंगे तो पढना मत भुले इस दिलचस्प कहानी के आनेवाले अंको को। धन्यवाद। 

 || जय श्री कृष्ण || || श्री कष्टभंजन दादा सत्य है ||                   A VARUN S PATEL STORY