Do Pagal - Kahani Sapne Or Pyaar Ki - 27 in Hindi Fiction Stories by VARUN S. PATEL books and stories PDF | दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 27

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 27

     शादी के समाचार या बर्बादी 

      नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के २६ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। 

     आगे आपने देखा की केसे संजयसिह के हाथ जीज्ञा और रुहान की बरबादी से जुडा हुआ सबुत लगता है जीसको देखकर संजयसिह बहुत खुश हो जाता है और उस तरफ इस बात से अंजान जीज्ञा और रुहान अपने नाटक स्पर्धा के अगले मुकाबले की तैयारी मे लगे हुए थे लेकिन पुर्वी उस मुसीबत से अंजान नहीं थी। संजयसिह के पासवाला जीज्ञा का कवर और पुर्वी के मोबाइल मे आया हुआ मेसेज दोनो एक ही मुसीबत के सामने इशारा करते थे और वो राझ आज खुलने वाला है जीससे आपको इस कहानी को पढने मे और भी मजा आएगा। 

      दुसरे दिन सुबह। आज की सुबह रुहान और जीज्ञा के लिए एकदम शांत और सायराना थी। सुबह के लगभग दस बज रहे थे। रुहान अभी भी सो रहा था। कुछ देर बाद बाजु मे पडा फोन बजता है और फोन लगानेवाला और कोई नहीं बल्कि हमारी जीज्ञा ही थी। रुहान अभी नींद को दो मिनट साइड मे रखकर जीज्ञा का फोन उठाता है और निंद से जागकर जेसे लोगो बोलते हैं वेसे ही बोलते हुए रुहानने कहा... हेल्लो... रुहान। 

      इतनी देर तक तुम्हारे सपने मे कोन था की अभी तक तुम्हारी नींद नहीं उडी है जनाब... जीज्ञाने फोन पर कहा। 

      सपने मे कोन था उसका तो पता नहीं पर बार बार मेरी नींद उडानेवाली का नाम जरुर पता है... रुहानने जीज्ञासे कहा। 

      अच्छा... जीज्ञाने सामने फोन पर कहा। 

      ना बाहो मे आती हो ना तो दिल मे आती हो... आती हो तो बस नींद मे आती हो और हमारी नींद को हवा बना के उसके साथ चली जाती हो... शायरी बोलते हुए रुहानने जीज्ञा से कहा। 

      अरे वाह जनाब उठते ही शायरी मारने लगे हैं... जीज्ञाने रुहान से कहा। 

      आज दोनो का मुड बहुत ही अच्छा था। लंबे समय बाद आज दोनो इतना खुलकर बात कर रहे थे। 

      अच्छा रुहान वो सब छोड मुझे तुझसे एक काम है तो तु फटाफट नहाकर मीडल सर्कल पहुच अपने दोस्तों के साथ एक खास जगह जाना है... इतना बोलकर जीज्ञा अपना फोन काट देती है। 

      हा पन कहा...बे यह लडकीया भी अजीब होती है हर बात को आधी छोड देती है... बेड से उठकर अपना फोन साईड पर रखते हुए कहा। 

      लगभग एक घंटे बाद सभी दोस्त मीडल सर्कल पर पहुचते है सिवाय महावीर के। सभी दोस्त महावीर की राह देख रहे थे। 

      बे जाडिया तु कहा है अभी तक आया नहीं... रुहानने महावीर को फोन लगाते हुए कहा। 

      तुम्हारे बिलकुल सामने तुम्हें फाफडा-जलेबी ( गुजराती खाना) का थेला दिख रहा है ...महावीरने रुहान को उस थेले की तरफ देखने कहा। 

      बे तु वहा पे क्या कर रहा है... रुहानने उस थेले की तरफ देखते हुए कहा। 

      जलेबी ठुस रहा हुं तुम लोगो को भी खानी है तो जल्दी आजाओ गरमा गरम उतर रही है... महावीरने जलेबी खाते हुए कहा। 

      आज की सुबह सभी दोस्तो के लिए बहुत ही मजेदार थी सीवाय पुर्वी के क्योकी पुर्वी आनेवाली आफत को साफ साफ देख पा रही थी और वो इस आफत को हो सके उतने दिन जीज्ञा से छुपाकर रखना चाहती थी ताकी जीज्ञा ज्यादा से ज्यादा अपनी जींदगी जी सके लेकिन वो आफत संजयसिहने साफ साफ भाप ली थी और वो इसका फायदा जरुर उठाएगा इसलिए अब आगे की कहानी पढना आपको और भी मजेदार लगने वाला है। 

      सभी दोस्त सुबह सुबह जलेबी-फाफडा की मजा लेते हैं और साथ मे सभी के बिच संवाद की शरुआत होती है।

     अच्छा जीज्ञा तु यह तो बता की इतनी सुबह सुबह सस्पेन्स रखकर तुने हमको यहा पे क्यु बुलाया हैं... जलेबी-फाफडा खाते हुए रुहानने कहा। 

     अरे हा वो तो मे बताना भुल ही गई... जीज्ञाने कहा। 

     अब याद आ गया हो तो कृपया बताने का कष्ट करे... रवीने कहा। 

      देखो आज का दिन हमारे लिए थोडा स्पेशियल है क्योकी हमलोग आज हमारे फाइनल मुकाबले का फोर्म भरने के लिए जा रहे हैं और आज के ही दिन मे एसा नहीं बोलुंगी की मेरी मा मुझे छोडकर चली गई थी लेकिन मे एसा बोलुंगी की आज से ठीक दो महीने पहले मेने अपनी मां से आखरी बार बात की थी... जीज्ञाने भावुक होते हुए कहा। 

      जीज्ञा की बात सुनकर सभी अपना खाना थोडी देर के लिए रोक देते हैं और भावुक हो जाते हैं। यह देखकर जीज्ञा सभी दोस्तो से कहती है। 

      अरे तुम लोग इतना भावुक क्यु हो रहे हो मे तो बस इतना बताना चाहती हु की आज के दिन मे कुछ अच्छा काम करना चाहती हुं और फिर बाद मे हम लोग टाउनहोल पे जाकर फोर्म भरेंगे। मुझे बस आज के दिन अपनी माँ के आत्मा को खुश करना है...जीज्ञाने अपने सभी दोस्तो से कहा। 

       सही है। तुमने कुछ सोचा है क्या करना है उसके बारे में... रुहानने अपनी प्लेट का खाना पुरा करते हुए कहा। 

       हा यहा बरोडा मे एक अनाथ आश्रम है जहा पे अनाथ लडकिया रहती है जीस मे बहुत सी लडकीया एसी भी है जीनको उनके बाप को पसंद ना होने के कारण अनाथ आश्रम में रहना पड रहा है तो बस मेने सोचा है की हम एक दिन उनके साथ बिताए और उनका और हमारा दोनो का दिन खुबसुरत बना दे और हा फोर्म तो कल भी भरा जा सकता है ना... जीज्ञाने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा। 

        कोई बात नहीं चलो फिर करते हैं उन बच्चीयो को खुश और आज का हमारा दिन बनाते हैं... रुहानने अपनी जगह पे खडे होकर कहा। 

        सभी दोस्त सुबह का नास्ता करने के बाद रुहान की ओपन जीप मे बरोडा के उस अनाथ आश्रम में पहुचते है जहा का पता जीज्ञाने बताया था। जीज्ञा रुहान और उनके दोस्तो के आने की खबर अनाथ आश्रम वालो को पहले से थी इसलिए सभी बच्चीया और आश्रम चलाने वाली राधा भट्टाचार्य ( उम्र में  जीज्ञा के जीतनी)  मेदान मे रुहान और जीज्ञा के स्वागत के लिए उपस्थित थे। अब आपको सायद एसा लगा होगा की कहानी मे अचानक इस आश्रम का क्या रोल होनेवाला है तो मे आपको बता दुं इसका इस दो पागल मे कोई रोल अभी नहीं है लेकिन भविष्य मे जब इस कहानी का कोई दुसरे नाम से पार्ट 2 आएगा तब इस आश्रम का बहुत बडा रोल होनेवाला है जो कहानी अगले साल तक आपको इस वेबसाइट पर पढने को मिलेगी। 

        सभी दोस्त अपनी जीप को साइड में लगाकर राधा भट्टाचार्य और अनाथ बच्चीयो के पास आते हैं। सभी बच्चीया रुहान, जीज्ञा और उसके दोस्तों को देखकर बहुत खुश होती है। सभी दोस्त राधा भट्टाचार्य से हाथ मिलाते है और जीज्ञा सभी दोस्तो के साथ राधा भट्टाचार्य का परिचय करवाती है। 

        तो यह है इस आश्रम की कर्ता हर्ता राधा भट्टाचार्य और राधा यह मेरे दोस्त महावीर, रुहान और रवी और यह मेरी बहन पुर्वी जीस को तो आप जानते ही हो...जीज्ञाने एक दुसरे का परिचय करवाते हुए कहा। 

        तुम तीनो एक दूसरे को केसे जानते हो... रुहानने जीज्ञा, पुर्वी और राधा भट्टाचार्य की बात करते हुए कहा।

        दरसल यह मेरी मम्मी की सहेली की लडकी है और हमने पुरा बचपन साथ मे बिताया है... जीज्ञाने रुहान से कहा। 

        आप अकेली पुरा आश्रम संभालती है... रवीने राधा भट्टाचार्य से सवाल करते हुए कहा। 

        जी वेसे तो अकेली पर पापा काफी सपोर्ट करते है और बाकी आप जेसे लोग सपोर्ट करते रहते हैं...राधा भट्टाचार्य ने कहा। 

        काफी अच्छा काम कर रहे हो आप इन बच्चीओ को एक छत देकर... महावीरने राधा से कहा।

        मेने भी इनके जेसी अकेली राते और दीन देखे है जब मे अनाथ थी फिर पापाने जब छत दी तब पता चला की बचपन एक अच्छी छत्रछाया में बितने से कितना अच्छा हो जाता हैं और साथ ही साथ यह भी पता चला की चलो मुझे तो किसीने गोद ले लिया लेकिन जीन बच्चीओ को किसीने गोद नहीं लिया जो अपना बचपन भटक भटक कर बिता रही है उसका क्या फिर मेने पापा से बात की और कुछ ट्रस्टो से बात की और फिर इस अनाथ आश्रम का निर्माण किया और आज यहा पे 430 बच्चीया है जिन्हे अच्छी पढाई और अच्छा बचपन मिल रहा है...राधा भट्टाचार्य ने अपनी कहानी और हकीकत सभी को सुनाते हुए कहा। 

        अरे वाह काफी अच्छा काम कर रहे हो आप सच मे आप जेसे लोगों को सेल्युट है... रुहानने राधा भट्टाचार्य से कहा। 

        जी सुखरीया... राधा भट्टाचार्य ने रुहान से कहा। 

        अब हम बच्चीयो के साथ खेलना - कुदना और बहुत सारा टेस्टी खाना खाना चाहते हैं अगर आपकी इजाजत हो तो... महावीरने बच्चियो की तरफ देखते हुए राधा भट्टाचार्य से कहा। 

         हा क्यु नहीं। बच्चीयो आप हमारे महेमानो के साथ मस्ती मजा करना चाहोगे... राधा भट्टाचार्यने महावीर और बच्चीयो से कहा। 

         तो कुछ इस तरह जीज्ञा और रुहान अपने दोस्तों के साथ अनाथ आश्रम आते हैं जहा पे बहुत सारी अनाथ बच्चीया थी जीनके साथ अपने दिन को पसार करने की शुरुआत करते हैं। सभी बच्चो के साथ खेलते है उनके लिए बहार से स्पेशियल खाना ओर्डर करते हैं और पुरा दिन बच्चीयो के साथ मोज मस्ती करके गुजारते है। शाम का समय होता है। सभी बच्चे, महावीर, रवी और पुर्वी साथ शाम की प्राथना मे बेठे थे और रुहान और जीज्ञा आश्रम के पीछे के गार्डन में साथ बेठकर डुबते सुरज को देख रहे थे। दोनो के बिच संवाद की शुरुआत होती है। 

         इस सुरज की तरह बहुत जल्द मेरी स्वतंत्रता भी डुब जाने वाली है... जीज्ञाने डुबते सुरज को देखते हुए कहा। 

         वो सब हम बाद मे सोचेंगे अभी तुम्हे बस हमारे फाईनल मुकाबले की तरफ देखना है सायद वो जीत जाने के बाद भगवान तुम्हारी स्वतंत्रता के रास्ते खोल दे...डुबते सुरज को देखते हुए भी रुहानने जीज्ञा के जीवन में फिर से आशा की किरण जगाने का काम करते हुए कहा। 

         काश तुम्हारा बोला हुआ सच हो जाए... जीज्ञाने रुहान को देखकर कहा। 

         अवश्य होगा बेटी बस तुम बाद मे जो होनेवाला है उसकी चिंता छोड दो... रुहानने जीज्ञा से कहा। 

         चलो छोड दी पर रुहान मे तुम्हें मेरी लीखी हुई उस स्टोरी बुक के बारे में पुछना तो भुल ही गई जो हमने मनीषभाई को दी थी। तुमने मुझे बताया नहीं की वो मिली की नहीं। उसमे मेरे बहुत दिनो की महनत हैं... मुश्किल सवाल पुछते हुए जीज्ञाने रुहान से कहा। 

         हा वो मिल तो गई है पर वो...रुहान के इतना बोलते ही अंदर आश्रम से महावीर आता है और दोनो को अंदर बुलाता है। 

         अब कितनी बाते करोगे अंदर प्राथना भी पुरी हो गई बच्चो को वो गीफ्ट देना है या नहीं...महावीरने दोनों को अंदर बुलाते हुए कहा। 

         अरे हा वो तो अभी बाकी ही है और तुम दोनो को समय पे होस्टेल भी तो छोडना है चलो चलो जल्दी...जीज्ञा के प्रश्न के जवाब को टालते हुए और खडे होकर फिर जीज्ञा को खडा करके अंदर आश्रम में जाते हुए रुहानने कहा। 

         आज भी उस किताब का जवाब रुहानने जानबुझकर अधुरा छोड दिया क्योकी उसे अभी तक जीज्ञा की लिखी हुई किताब मिली ही नहीं थी। अब आगे उस किताब के कारण रुहान और जीज्ञा कहा फसते है वो देखना जरुर मनोरंजक होगा लेकिन अभी उससे भी बडे रहस्य से परदा उठने जा रहा है तो पढे आगे। 

         इस तरफ एक सुकुन का दिन रुहान, जीज्ञा और उसके दोस्त बिताते है और इस तरफ अपने आप में खुश संजयसिह अपने अड्डे पर अपने दोस्तों के साथ चील कर रहा था। एक हाथ में शराब की बोटल और दुसरे हाथ मे जीज्ञा के नामवाला कवर था और मुख पे रावण सी हसी थी। 

         भाई अब तो बता दो इस हसी के पीछे का और कवर के अंदर का रहस्य क्या है... सोजयसिह के एक साथी दोस्तने अपना पेग मारते हुए कहा।

         हा पुरे दिन उन हरामीओ को ढुंडते रहे लेकिन कही नहीं मिले और वो अब सीधा कल मिलेंगे तब तक राह देखना थोडा कठीन होगा तो प्लीज़ बतादो भाई... संजयसिह के दुसरे साथी दोस्त ने जानने की आतुरता समेट कहा। 

         चलो बच्चो आज तुम्हें मे मेरी खुशी का राझ बता ही देता हुं... अपनी जगह से खडे होकर दिवाल पे लटकी हुइ तलवार को उठाते हुए संजयसिहने कहा। 

         अभी इस तलवार का और उस कवर का क्या लेना देना है... संजयसिह के साथी दोस्तने कहा। 

         लेना देना है मेरे बच्चे अगर आज मे इस तलवार से रुहान और जीज्ञा को मारुंगा तो इतने घाव नहीं लगेंगे जीतने इस कवर के अंदर आए हुए जीज्ञा के शादी के न्योते से लगेंगे... संजयसिहने जीज्ञा के जीवन का सबसे भयानक सच बोलते हुए कहा। 

          मतलब इस मे जीज्ञा की शादी का कार्ड है... संजयसिह के साथी दोस्त ने कहा। 

          बिलकुल इस मे जीज्ञा की शादी का कार्ड है और वो भी उस दिन का जीस दिन का जीज्ञा और रुहान को बेसब्री से इंतजार है... अपना पेग मारते हुए बडी खुशी के साथ संजयसिहने कहा।

          कोन से दिन भाई ?...संजयसिह के साथी मित्रने कहा। 

          TO BE CONTINUED NEXT PART... 

         अब जीज्ञा और रुहान के जीवन की सबसे बडी परिक्षा की घडी आ चुकी थी। अब इस कहानी के अंत का समय है लेकिन अभी भी बहुत से सवालो के जवाब बाकी थे जेसे की जीज्ञा और रुहान कब एक दुसरे से खुलकर प्यार करेंगे ? क्या फाइनल मुकाबले मे सभी दोस्त परफोर्मन्स कर पाएगे ? जीतेंगे या हारेंगे कैसे होगा इस कहानी का सुखद अंत या नहीं हो पाएगा? एसे कही सवालो के जवाब जानने के लिए और अच्छी सी कहानी पढकर अपने दिन को बनाने के लिए पढते रहे दो पागल के आनेवाले सारे अंको को। धन्यवाद |

   । जय श्री कृष्ण । । श्री कष्टभंजन दादा सत्य है । A VARUN S PATEL STORY