Chudel - Invitation of Jungle - 18 in Hindi Mythological Stories by Parveen Negi books and stories PDF | चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 18

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चुड़ैल -इनविटेशन ऑफ जंगल - भाग 18

कहानी का भाग-18

विष्णु और शंकर के सामने इस वक्त जलीय साम्राज्य का युवराज जलज खड़ा था और उन्हें समझा रहा था की मौत कभी भी इन दोनों की तरफ बढ़ सकती है।


विष्णु और शंकर अब एक दूसरे की तरफ देखते हैं और आंखों ही आंखों में कुछ फैसला करने की कोशिश करते हैं।


युवराज जलज,,"" इसमें इतना सोचना क्या है, मेरा विश्वास करो मेरे साम्राज्य में चलकर तुम दोनों सुरक्षित रहोगे"',,


विष्णु ,,"क्या कहते हो शंकर भाई चलना चाहिए,"",,


शंकर ,,'अच्छा ठीक है हम तुम्हारे साथ चल पड़ेंगे ,पर क्या तुम हमें हमारी दुनिया में पहुंचा सकते हो"',


युवराज जलज ,,"हां क्यों नहीं,,, पहुंचा सकता हूं,, पर उसके लिए थोड़ा समय लगेगा और उस समय तक तुम दोनों को जीवित रहना पड़ेगा"",,,


विष्णु,," तो ठीक है चलो ,हम तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हैं ,पर इस नदी के भीतर हम कैसे जाएंगे हमारा तो दम घुट जाएगा हम मर जाएंगे,,'''


युवराज जलद मुस्कुराते हुए ,,"फिक्र मत करो तुम दोनों नहीं मरोगे",,,

, और फिर वह अपनी आंखें बंद करता है इसी के साथ उसके होठों से कुछ मंत्र निकले थे और फिर उसने अपने दोनों हाथ विष्णु और शंकर के सिर पर रख दिए थे, इन दोनों को अपने अंदर एक अलग ही ऊर्जा का संचार होता महसूस होने लगा था,,


विष्णु काँपती आवाज में,,' यह आपने क्या किया हमारे साथ ,,बदन में अजीब सी सनसनाहट हो रही है,,""'


युवराज जलज,,"" मैंने तुम दोनों के शरीरों में शक्ति का प्रवेश करवा दिया है जिससे तुम जल के भीतर भी रहने के योग्य हो गए हो,,"''


शंकर ,,''अरे वाह अगर ऐसा है तो आपकी दी हुई इस शक्ति को अभी परख लेते हैं, चलो भाई विष्णु आगे बढ़ो"',,,


अभी यह दोनों जलज के साथ एक कदम भी आगे नहीं बड़े थे, एक तरफ से आई एक आवाज ने फिर से इन दोनों को रोकने के लिए विवश कर दिया था,,

"'रुक जाओ मानव,, जहां खड़े हो ,वही खड़े रहना ,वरना यह दुष्ट प्राणी तुम्हें मौत के हवाले कर देगा"',,,


शंकर और विष्णु यह बात सुनते ही एकदम से रुक गए थे और जिस तरफ से आवाज आई थी, उधर देखने लगे थे, एक घोड़े पर बैठा सन्यासी इस वक्त वहां आ पहुंचा था वेशभूषा से ही वह प्राखंड साधु लग रहा था।


युवराज जलज ,,""शैतान कालजा तू यहां आया है, इन दोनों भोले-भाले मानव को मेरे विरुद्ध भड़काने के लिए,""'


विष्णु,," यह क्या कह रहे हो आप युवराज ,यह शैतान कहां से हो गया ,,यह तो कोई महात्मा लग रहा है,,"""


युवराज जलज,,"' यह सब धोखा है तुम दोनों जल्दी से मेरे साथ चलो वरना यह तुम्हें अपनी बातों में भ्रमित कर के,, ले जाएगा,, यह बहुत बड़ा धोखेबाज शैतान है, भेष बदलकर यह ऐसे ही सभी को मूर्ख बनाता रहता है,,""'


साधु कालजा ,,"चुप कर दुष्ट ,,अपने मुंह से एक भी शब्द मत निकालना मेरे खिलाफ ,वरना मैं तुझे भस्म कर दूंगा, पर तुम दोनों मानव इसकी बातों में मत आओ,, आओ मेरे साथ चलो"",,,


युवराज जलज अब अगले ही पल अपने दोनों हाथ सीधे करता है और उसके हाथों में जल की तरह चमकती हुई तलवारे प्रकट हो गई थी,,

"''यह दोनों तो मेरे साथ ही जाएंगे और साथ में अब मैं तुम्हारा सिर भी अपने साथ लेकर जाऊंगा"",,,

, और अगले ही पल वह एकदम हवा में उछला था अब उसने उस साधु कालजा पर घातक वार कर दिया था।



साधु कालजा अब एकदम सतर्क हो गया था और तेजी से उसने अपने घोड़े को एक तरफ हटा लिया था ,तलवार जमीन पर जा लगी थी और जमीन अपनी जगह से फट गई थी,


अब कालजा के हाथों में भी तलवार प्रकट हुई थी और इन दोनों की घमासान लड़ाई यहां शुरू गई थी।


विष्णु और शंकर अब एकदम से एक तरफ को हट गए थे


शंकर,,,"' यह सब क्या हो रहा है भाई ,एक बोल रहा है कि वह हमें सुरक्षा देगा ,तो दूसरा बोल रहा है कि वह सुरक्षा के नाम पर धोखा देगा,"''


विष्णु ,,"समझदारी इसी में है कि जब तक इनकी लड़ाई चल रही है हम दोनों यहां से दूर भाग जाएं, चलो अब देर नहीं करनी चाहिए ,इन्हें आपस में लड़ने दो हम अपनी सुरक्षा स्वयं करेंगे,'''


शंकर ,,"ठीक कह रहे हो भाई, ऊपर वाले ने हमें भी तो दिमाग दिया है अब हमें अपना ही दिमाग इस्तेमाल करना होगा,'''


अब यह दोनों दोस्त नजर बचाकर यहां से भाग निकले थे,,,,


युवराज जलज और साधु कालजा काफी देर तक आपस में उलझ रहे और फिर नदी में से युवराज जलज की मदद करने के लिए कई वीर योद्धा बाहर आते चले गए थे,,,,


युवराज जलज,,,"" अब तुम नहीं बचोगे कालजा ,आज तुम्हारा अंतिम समय आ गया है,""'




साधु कालजा की नजर अब इन दोनों युवकों की तरफ गई थी और इन्हें अपनी जगह पर ना देख कर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी,,

"'' हम जिसके लिए लड़ रहे हैं वह तो यहां से जा चुके हैं अब तो यहां मेरा रुकना भी बेकार है अच्छा मैं भी चलता हूं"',,,



युवराज जलज अब पीछे मुड़कर उस तरफ देखता है और इन दोनों युवकों को ना देख कर थोड़ा परेशान हो गया था """यह दोनों तो यहां से निकल गए",,,,



साधु कालजा अब अपने घोड़े पर बैठकर तेजी से जंगल की तरफ भगाता चला गया था,,"'' मुझे उन दोनों को ढूंढना होगा मुझे उनकी जरूरत है सख्त जरूरत है'',,



दूसरी तरफ



राजकुमार सिंघम इस वक्त अपनी बहन मोहनी को अपनी शक्ति के जाल में बांधकर महाराज शूरवीर के सामने ले आया था और भरे दरबार में पटक दिया था।


महाराज शूरवीर यह देखकर थोड़ा गुस्से में आ गए थे ,""यह क्या हिमाकत है सिंघम ,,यह तुम्हारी बहन है तुम इसके साथ ऐसा व्यवहार कैसे कर सकते हो,""',


राजकुमार सिंघम ,अब कुछ नहीं बोला था और एक तरफ जाकर अपने सिंहासन पर बैठ गया था,,,


राजकुमारी मोहिनी के ऊपर बंधा तंत्र अब टूट गया था, और वह अपने चेहरे को लाल करते हुए खड़ी हो गई थी,,,


महाराज शूरवीर अपनी बेटी के चेहरे को देखता है और "'इतना क्रोध ठीक नहीं है पुत्री'',,,,


राजकुमार सिंघम ,,,आप इसे कुछ ज्यादा ही इज्जत दे रहे हैं पिताश्री,, अच्छा तो यही होगा कि आप इसे कड़े से कड़ा दंड दे,, मैं तो कहता हूं इसे मृत्युदंड दे दे,,,"'''



राजकुमारी मोहनी गुस्से से अपने भाई की तरफ देखती है,,,,,


क्रमशः


क्या राजकुमारी को कैद कर लिया जाएगा ,,कहां है चुड़ैल क्या दोनों दोस्त मिल पाएंगे चुड़ैल से,, जानने के लिए बने रहे कहानी के साथ