मसूरी। पहाड़ों की रानी मसूरी में शाम जैसे-जैसे ढ़लती जाती है अंधेरा दूरदूर तक फैली पहाडियों को अपने आगोश में ले लेता है। और इसी अंधेरे में एक विरान होटल गुमनाम साए के रूप में करवट लेता है। जी हां हम बात कर रहे हैं मसूरी के प्रसिद्ध होटले में से एक रहे होटल सवॉय की। सवा सौ साल पुरानी यह इमारत आज मसूरी की तारीख का हिस्सा है। रात में यह होटल अपने खास अंदाज में गुलजार हो जाता है। ठीक उसी तरह जैसे कोई कब्रिस्तान नयी कब्र खुदने के बाद या फिर कोई शमशान नयी चिता सुलगने के बाद। मसूरी के बीचो-बीच स्थित इस होटल में एक साया बेचैन हो उठता है। वो कभी गलियारों में चहलकदमी करता हुआ दिखाई देता है तो कभी खुली खिड़कियों से झांकता हुआ। होटल के कुल 121 कमरों में यह साया पूरी रात कुछ टटोलता रहता है। होटल सवॉय के बारे में ये बातें यूं ही कही सुनी नहीं हैं। लोगों का मानना है कि इसका ताल्लुक हकीकत से है। एक ऐसी हकीकत जिसपर सदियों से पर्दा पड़ा हुआ है। तो आईए उस हकीकत से पर्दा उठाते हैं। आज का सवॉय दरअसल 19वीं शताब्दी का मसूरी स्कूल था जिसका नाम बाद में बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया गया। स्कूल की जर्जर हो चुकी इस इमारत को 1890 में इंग्लैंड से आए लिंकन ने खरीदा था। और फिर 12 साल की मेहनत के बाद वर्ष 1902 में इसे लंदन के मशहूर होटल सवॉय के तर्ज पर खड़ा किया। 121 कमरे, हिंदुस्तान का सबसे बड़ा बॉल रूम, आलिशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट, रेसकोर्स और बिलयर्ड रूम यहां तक की होटल का अपना अलग पोस्ट ऑफिस अंग्रेजों के लिए एक ख्वाब के सच होने जैसा था। एक दौर था जब इस होटल की शाम गुलजार रहा करती थीं। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने एक झटके में सबकुछ बदल कर रख दिया। होटल में एक ब्रिटिश महिला का खून हो गया। पूरा मसूरी सन्न थी। अंग्रजों के बीच खलबली मची हुई थी। ऐसा इसलिए नहीं कि उस दौर में कत्ल नहीं होते थे बल्कि इसलिए क्योंकि कत्ल का तरीका बिल्कुल अलग था लेडी गारनेट ऑरमे की लाश मौत के कई दिनों बाद होटल के कमरे से बरामद हुई थी। बावजूद इसके लाश एक दम ताजा मालूम पड़ रही थी। पुलिस की डायरी में यह हत्या दब गई और लोगों को पता भी नहीं चल पाया कि लेडी गारनेट ऑरमे की हत्या कैसे हुई थी। इतना ही नहीं उनकी लाश का क्या हुआ यह भी रहस्य रह गया । कत्ल के बाद सवॉय की कहानी और पेंचीदा हो गई। लोगों को यकीन हो चुका था कि गारनेट ऑरमे का भूत होटल पर कब्जा कर चुका है। क्योंकि इस अजीबो गरीब मौत के बाद दो और लोगों (डॉक्टर जिसने ऑरमे की लाश का पोस्टमार्टम किया और एक पेंटर जो ऑरमे के लिए पेटिंग किया करता था) की रहस्यमय मौत हुई। इसके बाद सवॉय के दरो-दीवार में मनहूसियत सी बस गई। एक पुरानी कहानी के मुताबिक सवॉय के मालिक ने इस इमारत को अपनी बीबी के दौलत से खरीदी थी। वो सिलसिलेवार कातिल था जिसने बाद में जायदाद की खातिर बीबी की भी हत्या कर दी। रहस्यमय मौतों के के बावजूद भी सवॉय की कशिश नए मालिकों को खीचती रही इतिहास की मानें तो दूसरे विश्व युद्ध के वक्त सवॉय अमेरिका और ब्रिटीश फौजियों का ठिकाना था। इस होटल के इतिहास में ये वो दौर था जब इन दीवार के पीछे की बातें वहीं दफ्न कर दी जाती थी। जो बाहर ले जाता उसका अंजाम मौत होता था। सबकुछ खामोशी से होता रहा। सवॉय से आती कभी किसी ने कोई चींख नहीं सुनी और लोगों का रहस्मय ढंग से लापता होना जारी रहा। होटल में हुई कत्ल की इन तमाम वारदातों ने इस इमारत की किस्मत हमेशा के लिए बदल दिया। यूं तो वारदात की शुरुआत हुई थी कत्ल से पर बात आगे बढ़ते बढ़ते पहुंच गई भटकती हुई रुहों पर और फिर खत्म हुई होटल की बर्बादी पर। इसके बाद भी इसे खरीदा तो कई लोगों ने पर आबाद कोई नहीं कर पाया। कहते हैं वर्षों आबाद रहने वाली इमारतों को विरानी की आदत एकदम से नहीं पड़ जाती लिहाजा देखने वालों को यहां आज भी हलचल दिख जाती है। आज यह होटल पूरी तरह बंद है। माना जाता है कि तब से ऑरमे की आत्मा इस होटल में अपने गुनहगार की तलाश कर रही है। इस स्थान को सीरियल किलिंग से भी जोड़कर देखा जाता है लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि इन हत्याओं के पीछे उसी लेडी ऑरमे की रूह का हाथ है।