और दूसरे दिन अनुपम मद्रास पहुंचा था।स्टेशन से बाहर आते ही उसने टेक्सी की और अपने फारेस्ट बंगले पर पहुंचा था।
"साहब दुल्हन ले आये।"अनुपम के साथ युवती को देखकर स्टाफ के लोग बोले और सबकी औरते बच्चे भी आ गए।
दुल्हन लाने की खुशी में स्टाफ के लोग बोले,"आज रात को पार्टी करते है।"
और आनन फानन में स्टाफ के लोगो ने पार्टी रख ली।अनुपम नही चाहता था पार्टी हो।छाया को लोग उसकी पत्नी समझ रहे थे।उस छाया से अनुपम पीछा छुड़ाने की सोच रहा था।उसे स्टाफ के लोग उसकी पत्नी मान चुके थे।अनुपम उनसे कैसे कहता कि वह उसकी पत्नी नही है।अगर वह यह बात कहता तो वे पूछ सकते थे।अगर पत्नी नही है तो वह उसे अपने साथ क्यो लाया?और कौन उसकी बात का विश्वास करता।कैसे समझता कि उसे जबरदस्ती उसके पल्ले बांध दिया गया है।अनुपम ने छाया से पीछा छुड़ाने का प्रयास किया था।पर वह कामयाब नहीं हो पाया।और अनुपम के दिल से न चाहते हुए भी पार्टी का आयोजन हो गया।
पार्टी में सिर्फ खाने पीने का ही नही नाच गाने का भी आयोजन था।स्टाफ के लोगो की पत्नियां और लड़के लड़कियों ने गाने के साथ डांस भी किया था।राघव की पत्नी छाया से बोली,"भाभी आप भी डांस करो न"
और फिर दूसरी औरतों ने भी छाया से जिद्द की तो छाया ने
सुन सजना सुन
राम तेरी गंगा मैली के गाने पर सब के साथ डांस किया था। गाने पर डांस करते हुए छाया ने माला फेंकी तो वह अनुपम के गले मे गिरी थी।
देर रात को पार्टी खत्म होने पर अनुपम और छाया क्वाटर में आये थे।पार्टी से अनुपम नाखुश था लेकिन छाया बहुत खुश थी।छाया बेडरूम में बिछे पलँग पर लेटते हुए बोली,"आज तो बहुत थक गई।"
अनुपम ने छाया की बात पर कोई ध्यान नही दिया।छाया पलँग पर लेट गयी तो वह कमरे में बिछे पलँग पर लेट गया।
"वहाँ क्यो सो रहे हो।यहाँ आओ न"
"तुम सोओ मैं यही पर ठीक हूँ।"
"ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं आराम से सोती रहूँ और तुम पूरी रात दुख पाओ।"
"मेरी चिंता करने वाली तुम कौन हो?"अनुपम तल्ख लहजे में बोला।
"क्या बार बार बताना पड़ेगा कि मैं तुम्हारी पत्नी हूँ।"लेटेलेटे ही छाया बोली थी।
"पत्नी पत्नी पत्नी।एक ही रट लगा रखी है,"छाया की बात सुनकर अनुपम उतेजित हो गया और गुस्से में चीखा था,"कितनी बार कह चुका हूँ।तुम मेरी पत्नी नही हो।नही हो।नही हो।"
अनुपम का गुस्सा देखकर छाया सहम गयी।उसे ऐसा लगा अगर वह एक शब्द भी और बोली तो न जाने वह क्या कर बैठे?छाया को बात को बढ़ाना उचित नही लगा।उसे चुप रहना ही सही लगा और वह एक शब्द भी नही बोली।चुपचाप पलँग पर पड़ी रही।
छाया की अनुपम से जबरदस्ती शादी हुई थी।कहा जाता है औरत जीवन मे एक ही बार किसी से प्यार करती है।उसे अपना दिल देती है।प्रायः पत्नी के प्यार को पाने वाला पुरुष पति ही होता है।पत्नी पति को मन मंदिर का देवता मानती है।अपना सर्वस्व पति को ही समझती है।
शादी को हमारे यहाँ बन्धन माना जाता है
पवित्र बंधन