बेवफा के प्यार में आज तक में पागल हूँ l
ख़ुद ही बंदी हूँ अब तलक में पागल हूँ ll
आखें बंधकर बेपनाह इश्क़ किया है l
इसमे सूबा नहीं बिना शक में पागल हूँ ll
वक्त के साथ सब आके निकल गये l
जहा थी वहीं ही गई रुक में पागल हूँ ll
हर बार समझोता किया गया है l
हालत के आगे गई झुक में पागल हूँ ll
नादां मुहब्बत पे एतबार कर बैठी l
सखी सुनो अब बकबक में पागल हूँ ll
१-१-२०२३
शौख तो देखो नवाबी है l
बस यही एक ख़राबी है ll
पुरानी शय है ना छूटेगी l
मुहब्बत का शराबी है ll
जिंदगी में वहीं करना l
जिसमें ख़ुदा राज़ी है ll
हर हाल में जीत नी है l
ये जो आखरी बाजी है ll
आज सितम ढाये जा l
दर्द सहने के आदी है ll
इश्क़ क्यूँ ना हो जाए l
खूबसूरत शहज़ादी है ll
फिझाओ मे बहार आई l
सखी महकती वादी है ll
२-१-२०२३
खुदा बस थोड़ी रहमत चाहिये l
क़ायनात में अब जन्नत चाहिये ll
बहुत जी लिया तेरे बंदों के साथ l
बाकी जिंदगी तेरी सोहबत चाहिये ll
दर्दो-ग़मों के साथ नाता है पुराना l
खुशियो में मेरी शिरकत चाहिये ll
खुशिया बटोरते वक्त याद करना l
अब ना कोई भी ग़फ़लत चाहिये ll
कोई नहीं दे सकता है उपवन l
सखी खुदा की तबियत चाहिये ll
इन्साफ में बेपरवाह न बन जाना l
कयामत के वक्त शहादत चाहिये ll
शिरकत- भागीदारी
शहादत - गवाही
तबियत - पालन पोषण
३-१-२०२३
यादें आंखों में पानी भर लाती है l
सखी झील सी आँखें सुखाती है ll
साजन को रिझाने के लिए आज l
फ़ूलों से घर आँगन सजाती है ll
पागल बेपरवाह और नादांनी में l
रोज प्यार का दरिया बहाती है ll
कई युगों से बंध है जो दरवाजे l
उसे आज भी दस्तक लगाती है ll
मंजिल पर नहीं पहुचाने वाली l
उस डगर पर बारहा जाती है ll
जहां पिया के साथ साथ हो l
चैन और सुकून वहाँ पाती है ll
४-१-२०२३
जीने का सहारा चाहिये l
बस एक इशारा चाहिये ll
प्यार से लिखे हुए हर l
गीत को तराना चाहिये ll
तबस्सुम की बारिस से l
रूठो को मनाना चाहिये ll
ख़्वाबों की तामीर करके l
आशिया बनाना चाहिये ll
५-१-२०२३
ख़्वाबों के परिन्दे का सफ़र ख़त्म नहीं होता l
पुराने नासूर जख्मों का मरहम नहीं होता ll
कुछ तो हुआ है कि दिल खट्टा किया है l
कोई बात तो है हर बार भरम नहीं होता ll
सुनो बहुत बड़ी खता हुई है कई जन्मों की l
इतबार कर खुदा इतना बेरहम नहीं होता ll
दिलों दिमाग जरा ठंडा रखा कर बन्दे l
रात से ज्यादातर दिन ग़रम नहीं होता ll
६-१-२०२३
दर्द ने परेशान कर रखा है l
दिल यादों से भर रखा है ll
खुद की पहचान के लिए l
जीवन को सँवर रखा है ll
कहीं कोई गलती न हो जाएl
सदा खुदा का डर रखा है ll
खुदा की पनाह में रहकर l
आत्मा को ज़फ़र रखा है ll
चैन औ सुकून पाने के लिए l
आज कन्धे पे सर रखा है ll
तौफ़ीक़ देख जलाकर आग l
सखी निगाहों को तर रखा है ll
दोस्तों की रहनुमाई तो देखो l
सुबह शाम को सिहर रखा है ll
७-१-२०२३
सब से खूबसूरत होता है प्यार l
बात करने का था तेरा इसरार ll
पल दो पल ठहर के चल देना तेरा l
ख्वाइशों को कर दिया तार तार ll
वो छुप छुप के प्यार निभाना l
हर अदा दिखाती तेरा इक़रार ll
दिलों जान से बेपनाह प्यार में l
किया घंटों तक तेरा इंतजार ll
जानते हैं कि बड़े जिद्दी हो तुम l
सोच समझकर किया स्वीकार ll
हमसफ़र, हमसाया, हमनवा हो l
जुदाई में तेरी रोयेंगे ज़ार-ज़ार ll
तेरी दुनिया से दिल भर गया l
सखी छोड़ेंगे अब ये संसार ll
८-१-२०२३
फिझाओ में घूमती है रूह किसीकी l
वो भी तलाश में हैं जरूर किसीकी ll
९-१-२०२३
रूठ गये साजना ऐसा क्या हुआ l
दिल करे गर्जना ऐसा क्या हुआ ll
माली ने उपवन में जान डाली थी l
फूल गये कुम्हला ऐसा क्या हुआ ll
सुनो कहीं नहीं जाने वाले यहां से l
उदास हो खामखां ऐसा क्या हुआ ll
अभी तो कड़ी धूप निकली हुईं थीं l
कोहरा छाया घना ऐसा क्या हुआ ll
तुमने तो बात करना ही छोड़ दिया l
मजाक किया ज़रा ऐसा क्या हुआ ll
वक़्त पर मिलने तो आया करते हैं l
किस बात पे ख़फ़ा ऐसा क्या हुआ ll
अपनी ही मस्ती में जीए जा एसे ही l
छोड़ दो सब जफ़ा ऐसा क्या हुआ ll
१०-१-२०२३
खुशनुमा है के अहम है l
बड़ा खूबसूरत वहम है ll
उपवन सजा फूलों से l
आज खुदा का रहम है ll
कोई इंतज़ार कर रहा है l
सखी खुशनसीब हम है ll
नामा सजना का आया है l
जख्मी दिल का मरहम है ll
प्यार की शाही से लिखा l
उनका नामा ही फ़रहम है ll
११-१-२०२३
जिंदगी में ठहराव चाहिये l
सखी मनचाही छाँव चाहिये ll
मिट्टी की खुशबु प्यारी सूँघ l
उपवन से सजा गाँव चाहिये ll
मंजिल की ओर बढ़ते हुए l
होसलों से भरे पाँव चाहिये ll
बेह्तरीन जिंदगी जीने के लिए l
जीवन नैया को राव चाहिये ll
नादां शर्मीली हसीन चंचल सी l
रूह तक पहुचने चाव चाहिये ll
१२-१-२०२३
लोहरी का दिन है आया l
प्यार की आग जलाई l
फ़िजा में शांति है छाई l
भाईचारे से मनाई ll
आहट आई है बसंत की l
फूली फली सरसों की खेती l
मन में उठी खुशी की उमंगी l
तरह तरह की लकडियों से सजाई ll
रेवड़ी, चिक्की साथ मूँगफली अर्पित l
हर्ष और उल्लास से तन मन समर्पित l
चलो मिलकर आज लोहरी संग मनाये l
सभी को लोहरी की बहोत सारी बधाई ll
१३-१-२०२३
दूर से ही दीदार किया l
घंटों तक इंतज़ार किया ll
बेह्तरीन मुलाकात को l
खुद को तैयार किया ll
सखी बेशुमार सौगंदे दे l
जानबूझ बेक़रार किया ll
दिलों दिमाग की सुनकर l
दिल ने इज़हार किया ll
आज दुनियादारी छोड़कर l
फकीर को दिलदार किया ll
१४-१-२०२३
रूह से कर नहीं सकते हैं वजूद जुदा l
कोई नहीं देता रहता लगातर सदा ll
गोरे गोरे मासूमियत से मुखड़े पे l
बहोत जजती है तबस्सूमी अदा ll
जी भरके देखने की ख्वाहिश थी l
इंतज़ार करके बन गएँ आबिदा ll
जो कहना है अभी ही कह दो l
जाते समय पीछे से मत निदा ll
कभी आंसू कभी ग़म मिलता है l
प्यार का अलग ही है कायदा ll
आ सको तो ही कहना आएंगे l
जूठा न करना कभी वायदा ll
नर्म दिल होते हैं इश्क़ वाले l
प्यार को ही मानते हैं खुदा ll
१५-१-२०२३