Kahani Pyar ki - 66 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 66

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

कहानी प्यार कि - 66

फिर ठीक है... और अनिरुद्ध को बताने की कोई चालाकी भी मत करना....." हरदेव ने कहा..

" नही करूंगी पहले अंजली को और अंकल आंटी को छोड़ो..."

" ठीक है जाओ उन लोगो को छोड़ दो..." हरदेव ने कहा और उनके कुछ आदमी ऊपर गए और अंजली को और जतिन खन्ना और उनकी पत्नी को कमरे से बाहर ले आए...

अंजली ने जैसे ही अपने मम्मी पापा को देखा वो दौड़कर उनके गले लग गई और रोने लगी..

" मेरी बच्ची तुम ठीक हो ना? " मिसिस खन्ना ने अंजलि के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा..

" हा मम्मा..."

फिर तीनो नीचे होल में आ गए... अंजली संजना को देखकर उसके पास जाने लगी ...
" रुक जाओ..." हरदेव अंजली को रोकता हुआ बोला..

" दूर ... तुम अभी संजना से नही मिल सकती..."

" पर क्यों.. ? तुमने जैसा कहा वैसा मैने किया तो सही.." संजना ने परेशान होते हुए कहा..

" अभी भी कुछ बाकी है..." हरदेव ने कहा और किसीको फोन लगाया....

" सुनो .. वो आ चुकी है... " हरदेव ने फोन पर बात करते हुए कहा..

" ठीक है पर में जब तक ना कहूं उस अंजली को छोड़ना मत समझे.. तुमने मेरी मदद मांगी और मैंने तुम्हारे लिए इतनी सिक्योरिटी भी भेजी.. पर बदले में मेरी जो शर्त थी वो मत भूलना..."
मोनाली कड़क आवाज में बोली..

" नही भूलूंगा... "

" उस लड़की को में अपने हाथो से सजा दूंगी... उसने मेरे भाई का दिल तोड़ा है उनको धोका दिया है.. में उसे माफ नही कर सकती..." मोनाली गुस्से से बोली और फोन काट दिया...और गाड़ी में बैठकर खन्ना मेंशन की और आने के लिए निकल गई..

" किसका फोन था ? " संजना ने गुस्से से हरदेव से पूछा..

" थोड़ा सब्र करो अभी पता चल जायेगा.. " हरदेव मुस्कुराता हुआ बोला...

अनिरूद्ध और बाकी सब लोकेशन का पीछा करते हुए खन्ना मेंशन की और आ रहे थे..

तभी अनिरुद्ध ने मनीष चाचू को फोन लगाया..
" हा चाचू .. अंकल की तबियत अब कैसी है...? " अनिरूद्ध ने चिंतित स्वर में कहा..

यह सुनते ही मनीष चाचू रोने लगे...
" क्या हुआ चाचू? "

" डॉक्टर ने कहा है हालात बहुत नाजुक है.. कुछ भी कह नही सकते है..."
मनीष चाचू रोते हुए बोले...

यह सुनकर अनिरुद्ध ने भी अपनी आंखे बंध करली..

" चाचू आप फिक्र मत करिए अंकल जल्दी ठीक हो जाएंगे.. आप जो भी हो मुझे वहा की खबर देते रहना.. प्लीज..."

" ठीक है..."

फोन रखने के बाद अनिरुद्ध को बहुत गुस्सा आया..
" यह सब मेरी वजह से हुआ है.. अगर में अंकल से बात कर लेता तो वो मेरी गाड़ी के पास जाते ही नही.." अनिरूद्ध ने खुद को कोसते हुए कहा..

" अनिरूद्ध उसमे तुम्हारी कोई गलती नही है..." करन अनिरुद्ध को समझाते हुए बोला।

" हम पहुंच गए.." मोहित गाड़ी रोकते हुए बोला...

सभी लोग उस जगह को देखकर हैरान थे...

" जतिन अंकल का घर ? हरदेव और जगदीशचंद्र यहां छिपे हुए है ? " अनिरूद्ध ने हैरानी के साथ कहा..

सब लोग गाड़ी में से उतरे और घर की और देखने लगे..

" क्या ऐसे डायरेक्ट अंदर जाना सही रहेगा ? " मोहित सोचता हुआ बोला..

" बिलकुल नहीं मोहित.. हम आगे से नही जाएंगे... पीछे से जायेंगे..."

" पर अनिरुद्ध पीछे तो कोई दरवाजा नही है.." किंजल थोड़ी हैरानी के साथ बोली..

" हा पता है पर हम दीवार की ऊपर से जायेंगे...चलो.." अनिरुद्ध बोला और धीरे धीरे पीछे की और जाने लगा...

उनके जाते ही एक गाड़ी घर के दरवाजे के पास खड़ी हुई..

उसमे से मोनाली उतरी और अंदर की और जाने लगी...

मोनाली को सामने से आता देखकर संजना हैरान थी ....
" तो तुम हो इन सब के पीछे ?" संजना गुस्से से बोली...

" हा में ही हु... क्या कर लोगी..." मोनाली हस्ती हुई बोली...

" मोनाली तुम ऐसा क्यों कर रही हो ? तुम्हारे भाई अथर्व को पता चलेगा तो वो टूट जायेंगे.. उन्होंने पिछली बार तुम्हे बड़ी मुश्किल से बचाया था याद तो है ना ? " अंजली चिंतित स्वर में बोली...

" ओह! तो अब तुम्हे मेरे भाई की भी फिक्र होने लगी ? इतनी ही फिक्र थी तो उन्हे धोका क्यों दिया ? " मोनाली ने अंजली के पास आते हुए कहा...

यह सुनकर अंजली सिर्फ उसे देखती रही...

" क्यों चुप हो गई ? नही है जवाब ? पहले मेरे भाई की जिंदगी बरबाद करती हो और फिर उसकी फिक्र का दिखावा करती हो ? तुम्हे पता भी है की भाई इतने दिनो से कैसे जी रहे है ..? " मोनाली ने गुस्से से कहा...

" आई एम सोरी मोनाली पर..."

" शट अप.. सोरी तो मुझसे कहना ही मत .. मेरे भाई तुम्हे इस सोरी से माफ कर सकते है में नही... जानती हो भाई तुमसे प्यार करने लगे थे... तुम्हे सगाई के दिन प्रपोज करने वाले थे.. और तुमने क्या किया ? इस संजना के भाई से सगाई कर ली..."

यह सुनकर अंजली शॉक्ड में थी वो नही जानती थी की अथर्व उससे प्यार करते थे.. उसने जाने अंजाने में अथर्व का दिल तोड़ा था और ये बात अंजली को अंदर से चुभ रही थी...

" तुम्हे यहां ऐसे पकड़कर रखने को मैने ही हरदेव से कहा था .. ताकि में खुद आकर तुमसे मेरे भाई का बदला ले सकू..."

" मोनाली सोचन भी मत....! " संजना गुस्से से चिल्लाई..

" ओह कम ओन संजना तुम प्रेगनेंट हो और तुम मुझे रोक नही पाओगी इसलिए कोशिश भी मत करना..."बोलते हुए मोनाली ने हरदेव को इशारा किया..

इशारा करते ही हरदेव और दो तीन और लोग संजना के करीब आने लगे.. संजना उन्हे देखकर दो कदम पीछे हठ गई... वो और नजदीक आने लगे... और हरदेव ने कसकर संजना का हाथ पकड़ लिया.. दुसरे आदमी ने संजना का दूसरा हाथ पकड़ लिया..

" क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे.." संजना ने हाथ छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहा.. पर वो अपना हाथ नही छुड़वा पाई...

तभी मोनाली ने अंजली का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ ले जाने लगी...
अंजली अथर्व के बारे में सोचकर सिर्फ रो रही थी.. वो बिना कुछ कहे मोनाली के साथ जाने लगी...

" मेरी बेटी को कहा ले जा रही हो ? " जतिन अंकल ने परेशान होते हुए कहा...

" उसके कमरे में ले जा रही हू.. कुछ बात करनी है..." मोनाली ने सिर्फ इतना कहा और जाने लगी...

जगदीशचंद्र के आदेश से उनके लोगो ने जतिन अंकल और उनकी पत्नी को भी पकड़ लिया...

संजना मोनाली को जानती थी उसे पक्का यकीन था की वो अंजली को सिर्फ बात करने नही ले जा रही थी .. उसके दिमाग में कुछ और ही था.. पर संजना कुछ नही कर सकती थी उसने इतना लाचार कभी फील नहीं किया था... एक तरफ उसका बेबी था और दूसरी और अंजली ..

" अनिरुद्ध प्लीज आ जाओ.. मुझे तुम्हारी जरूरत है..." संजना ने मन में कहा..

इस तरफ अनिरुद्ध और करन ने मोहित को , किंजल और मीरा को सहारा दिया और वो लोग दीवार की दूसरी तरफ पहुंच गए.. अनिरूद्ध और करन भी अपनी बाजुओं के दम पर दीवार कूद कर दूसरी और आ गए...

" अब हम उस तरफ से खिड़की से होकर अंदर की और जाएंगे..." अनिरूद्ध ने कहा और सब बिना आवाज किए धीरे धीरे उस और जाने लगे...

मोनाली और अंजली कमरे में आमने सामने खड़े थे...
" तुम कितनी नासमझ हो ... ऐसे ही बिना सोचे समझे मेरे साथ आ गई..." मोनाली शैतानी हसी के साथ बोली...

अंजली मोनाली की बात सुनकर आश्चर्य से उसे देखने लगी..
" तुम ऐसा क्यों बोल रही हो .. तुम्हे तो मुझसे बात करनी थी ना ? "

" करनी है ना बात पर ऐसे नही... " बोलकर मोनाली ने हाथ में रखा रुमाल अंजली को सूंघा दिया...और अंजली तुरंत बेहोश होकर नीचे गिर गई...

यह देखकर मोनाली हसने लगी....
मोनाली ने अंजली को फिर से उसके बेड पर बांध दिया और वहा पर रखे केरोसिन के डिब्बे को उठाकर कमरे की चारो और डालने लगी... आखिर में उसने एक माचिस निकाला और उसे जलाकर कमरे में फेंक दिया ... और खुद दरवाजा बंद करके बाहर चली गई... आग धीरे धीरे सब तरफ फैलने लगी थी...

मोनाली नीचे आई...और मुस्कुराते हुए कहा की
" काम हो गया है चलो... "

यह सुनते ही हरदेव और उसके आदमी संजना को खींचकर अपने साथ ले जाने लगे...

" छोड़ो मुझे... अंजली कहा है ? क्या किया तुमने उसके साथ ? " संजना चीखती हुई बोली और रोने लगी...

जतिन अंकल और उनकी पत्नी भी रोते हुए मोनाली के सामने हाथ जोड़ने लगे..
" प्लीज बेटा हमारी बेटी को हमारे पास भेजदो...तुम जो बोलोगी वो हम करने के लिए तैयार है... "
जतिन अंकल गिड़गिड़ाते हुए बोले पर मोनाली ने एक बार भी उनकी और नही देखा ..

हरदेव खींचते हुए संजना को बाहर की और ले जा रहा था और संजना खुद को छुड़वाने की कोशिश कर रही थी .. तो संजना ने जोर से हरदेव के हाथ पर काट लिया .. और हरदेव के हाथ से संजना का हाथ छूट गया.. यह देखकर हरदेव के साथ जो दूसरा गुंडा था उसे गुस्सा आया और उसने संजना को धक्का दे दिया...

धक्के से संजना गिरने ही वाली थी की अनिरुद्ध ने उसे पकड़ लिया... अनिरूद्ध को अपने पास देखकर संजना के चहेरे पर मुसकुराहट आ गई... पर हरदेव , जगदीशचंद्र और मोनाली तीनो अनिरुद्ध और बाकी सब को वहा देखकर हैरान थे...

अनिरुद्ध को उस आदमी पर बहुत गुस्सा आया .. उसने संजना को अपने पीछे कर लिया और उस आदमी को इतना जोर से मुक्का मारा की वो दूर जाकर गिरा और बेहोश हो गया...

अनिरूद्ध का यह रूप देखकर हरदेव भी डर गया..

ऊपर कमरे में आग और भी ज्यादा फैलने लगी थी कमरे का दरवाजा पूरा जल रहा था और आग कमरे के बाहर भी फैलने लगी थी...

तभी ऊपर से धुवा आने लगा... सबकी नजर ऊपर से आते उस धुवे पर गई....
" अंजली ...." संजना घबराई हुई बोली...

यह सुनकर अनिरुद्ध और सब उस और भागने लगे ..

" रुक जाओ...." हरदेव ने जोर से कहा...
उसने गन प्वाइंट जतिन अंकल पर रखा हुआ था..
" अगर तुम यहां से गए तो.. में इनपर गोली चला दूंगा..."

" नही हरदेव ऐसा मत करना..." अनिरूद्ध ने वही रुकते हुए कहा...

जगदीशचंद्र ने सब को इशारा किया और उनके सभी आदमी ने अनिरुद्ध और बाकी सब को घेर लिया...

अब ऊपर से और भी ज्यादा धूवा आने लगा था...

अनिरूद्ध और करन ने एक दूसरे की और देखा और आगे जाने के लिए इशारा किया..

" देखो हरदेव जतिन अंकल को छोड़ दो.. तो हम भी तुम्हे कुछ नही करेंगे..." अनिरूद्ध धीरे धीरे आगे आता हुआ बोला...

" अभी भी वक्त है हरदेव पीछे हठ जाओ... इस मोनाली का साथ मत दो.. वो तुम्हे फसा रही है.." करन भी आगे आता हुआ बोला...

" हरदेव उन पर ध्यान मत दो... वो तुम्हे अपनी बातो में उलझा रहे है.." मोनाली ने कहा..

" देखो आगे मत आओ..." हरदेव अब कन्फ्यूज होते जा रहा था..

" मोनाली की बात मत सुनो हरदेव तुम जानते हो वो किसकी भी सगी नही है .. वो तुझे फसाकर खुद बचकर चली जायेगी.." अनिरूद्ध बोलते हुए और आगे आ गया...

अनिरूद्ध ने करन की और देखा और अनिरुद्ध ने एक ही झटके में हरदेव के हाथ पर लात मारी और उसके हाथो से बंदुक गिर गई और करन ने जोर से एक लात हरदेव की छाती में मारी और हरदेव जोर से जमीन पर गिर गया...

इसी वक्त का फायदा देखकर मोहित , किंजल और मीरा बाकी सब को मारने लगे...

" मोहित आप ऊपर जाओ... हम यहां संभालते है.." अनिरूद्ध ने मोहित की और देखकर कहा...

मोहित भागता हुआ ऊपर की और जाने लगा... वहा सब तरफ आग फैल चुकी थी... मोहित आग से बचते हुए अंजली के कमरे की और जाने लगा... उसे धूवे की वजह से खासी आने लगी थी..

किंजल भी मौका देखकर ऊपर की और जाने लगी.... करन ने उस और देखा ...

" ये लड़की भी ना ज्यादा हीरोपंती दिखाने की क्या जरुरत है..? "
करन चिढ़ता हुआ बोला...

किंजल ऊपर आग की और जा रही थी ... वो वहा पर अंजली को ढूंढ रही थी पर उसे अंजली का कमरा पता नही था... अंजली को ढूंढते हुए वो गेस्ट रूम में चली गई... वो जैसे ही अंदर देखने के लिए गई... एक पिलर जलता हुआ दरवाजे के पास गिर गया और बाहर जाने का रास्ता बंध हो गया... किंजल एक दम से डर गई... अब जलते हुए पिलर से आग. .. इस कमरे में भी फैलने लगी....

किंजल बाहर जाने की कोशिश करने लगी पर आग बहुत तेज थी की वो बाहर जा नही पा रही थी...
अंजली का पुरा कमरा जल रहा था उसका बेड भी जलने लगा था... अंजली को धीरे धीरे होश आ रहा था ... पर आग और धु्वे की वजह से उसे बहुत खासी आने लगी थी और सांस लेना भी मुश्किल हो चूक था...

मोहित ने जोर से अंजली के कमरे के दरवाजे पर पैर मारा .. दरवाजा पूरा जल चुका था इसीलिए तुरंत जमीन पर गिर गया..

मोहित ने देखा की अंजली की हालात बहुत खराब हो गई थी... मोहित बिना कुछ सोचे समझे आग में कूदकर अंजली के पास आ गया... उसने जल्दी से अंजली के हाथ खोले और .. वहा रखा कंबल उठाया और उससे बेड की और अपने आसपास की आग बुझाने लगा .. पर आग बहुत ज्यादा फेल गई थी इसीलिए उससे कुछ फायदा नही हो रहा था...

इस तरफ अनिरुद्ध हरदेव को बहुत मार रहा था... तभी जगदीशचंद्र ने पीछे से एक डंडा जोर से अनिरुद्ध के माथे पर मारा...

" अनिरूद्ध...." संजना जोर से चिल्लाई...

अनिरूद्ध की आंखो के सामने अंधेरा छाने लगा... और वो बेहोश होकर नीचे जमीन पर गिर गया...

क्रमश: