Ekza the Story of Death - 7 in Hindi Thriller by ss ss books and stories PDF | एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 7

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एकजा द स्टोरी ऑफ डेथ - 7


सारे धीरे -धीरे एक साथ पीछे मुड़ते है , लेकिन उन्हें पीछे कोई नही दिखाई देता , इसपे शिवाय कहता है लगता है कोई है जो हमारे साथ मजाक कर रहा है अब तो इस गेट को खोलना ही परेगा । इसपे करन भी शिवाय का साथ देते हुए कहता है हा यार अब तो इसे खोलना ही परेगा। ये सोचने के बाद शिवाय और करन उस गेट पर लगे लाल कपड़े को हटाने लगे थे । जैसे जैसे वो उस दरवाज़े को खोलने लगते है , मौसम का रुख बदलने लगता है ।करन ने उस लाल कपड़े को निकल के फेंक दिया , और बोला यार अब ये ताला कैसे खोले , इसपे समीर हसते हुए बोला , वैसे तो तू बहुत समझदार है अब क्या हुआ , सीधी सी बात है , हमे ये ताला तोड़ना पड़ेगा।
फिर समीर ने एक पत्थर उठाया और उसपे मारने लगा , लेकिन उस ताले पर कोई असर नहीं हुआ। तभी शिवाय ने उस ताले पर एक पत्थर से तेजी से मारा , जिससे ताला टूट गया। ये देखके सभी खुश होते हुए बोले वाह , शिवाय क्या बात है एक बार में ही तूने इस ताले को थोड़ दिया।
शिवाय ने फिर कहा - यार मैंने तो एक बार ही मारा , पता नहीं कैसे ये ताला टूट गया। इसपे सावी बोली - ठीक है , जैसे भी टुटा हो ,हमे तो तोड़ने से मतलब था ना। इसपे सबने हां में अपना सर हिलाया और उस दरवाजे को खोलने के लिए सबने अपना हाँथ आगे बढ़ाया। सबने एक साथ उस दरवाजे को धक्का मारा जिससे उस महल का विशाल दरवाजा खुल गया। जब वो दरवाजा खुला तो सब उसे देख के हैरान रह गए। जब सबने देखा वो महल कितना आलिशान है और इतने सालो तक बंद होने के बाद भी उसके अंदर सब ऐसा लग रहा था जैसे अभी भी कोई वह रहता हो। चारो तरफ सुन्दर नकाशी बनी हुए थी , वो हिस्सा महल का दरबार था , जिसके सामने एक बड़ा सा सिंघासन था। सब चरो तरफ देखने लगे , वो महल को देखने में इतना खो गए की उन्हें पता ही नहीं चला कि कब शाम हो गयी।
यहां महल के बहार , मौसम में ऐसा परिवर्तन देख के सबको कुछ गलत होने कि आशंका होने लगी। लेकिन किसी को नहीं पता था कि उस महल के दरवाजे को खोल दिया गया है।
वही दूसरी तरफ समीर के घर पर , समीर के पापा , घर में इधर से उधर चक्कर लगा रहे थे , तभी उनकी पत्नी ने कहा - अरे !! जी शांत हो जाइये आ जायेगे वो सब। इसपे उनके पती ने कहा - तुम देख रही हो बाहर , शाम हो चुकी है , और मैंने उन्हें कई बार ये बात समझायी थी कि देर तक बाहर घूमना ठीक नहीं इस गांव में। इसपे उनकी पत्नी ने कहा - बच्चे है आ जायेगे , आप शांत हो जाये।
वही महल में , जब वो महल को देख ही रहे थे , तभी रीया ने कहा - सावी ये देख ये ब्लॉग के लिए सही काम आएगा यार , जब उसे सावी से कोई रिप्लाई नहीं मिला तो रीया पीछे मुड़ी तो देखा सावी उसके साथ नहीं थी। रीया ने देखा करन और शिवाय बाते कर रहे थे और समीर भी उनके साथ था लेकिन सावी उसे वहा नहीं दिखी तो , वो उनके पास जाने लगी। तभी उसे महसूस हुआ जैसे कोई चिपचिपी चीज उसके पैरो पकड़ रही जिससे वो आगे नहीं जा पा रही थी। तभी उसकी चीख निकल गयी , रीया कि ऐसी चीख सुनके शिवाय , समीर और करन एक साथ रिये कि तरफ मुड़े , और भाग कर उसके पास गए।
शिवाय ने पूछा , क्या हुआ रीया तुम ऎसे क्यू चीखी - इसपे रीया घबराते हुए बोली यार मेरे पैर , जब रीया ने ये कहा सब उसके पैरो कि तरफ देखने लगे , लेकिन उन्हें कुछ नहीं दिखा ,समीर ने कहा क्या है तेरे पैरो में रीया ! तू क्या चाहती है हम तुझे उठाये क्युकी तेरे पैरो में दर्द हो रहा , और ये बोलकर समीर हसने लगा। तभी रीया ने शिवाय कि तरफ देख के कहा - शिवाय मुझे लगा जैसे किसी ने मेरा पैर जकड़ लिया , मैं सच बोल रही शिवाय। इसपे समीर हसने लगा , तभी शिवाय ने कहा सावी कहा है रीया ? तुम दोनों एक साथ थे ना ?
तभी रीया ने कहा - वही तो बताने आ रही थी मैं कि सावी कही दिख नहीं रही यहां मुझे। ये सुनके शिवाय ने कहा पर तुम दोनों तो साथ में थे ना और हमने कहा था ना एक साथ रहना ये महल इतना बड़ा है , ढूढ़ना मुश्किल हो जायेगा अगर कोई खो गया तो। तब भी ये सावी कहा निकल गयी। करन जो चुप - चाप वह खड़ा था , चारो तरफ देख रहा था। शिवाय ने करन से कहा - तू तो बोल कुछ , अब क्या करे। करन ने कहा यार बाहर अँधेरा हो गया है , हमने ध्यान नहीं दिया , क्या पता सावी बाहर चली गयी हो। एक बार बाहर जा के देखते है।
चारो एक साथ बहार कि ओर जा ही रहे थे कि पीछे से एक प्यारी सी आवाज आयी। जिसे सुनके सब पीछे देखने लगे।
उनके पीछे सावी थी , जिसके चेहरे पर मुस्कान थी , ओर ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था जैसे वो खो गयी हो ,या उसे डर लग रहा होगा। इसपे रीया ने झट से पूछा - यार सावी तू कहा चली गयी थी बिना बताये , तुझे पता है मैं कितना घबरा गयी थी। इसपे समीर ने कहा - यार बाकि बाते बाद में करेंगे फ़िलहाल यहाँ से चलते है रात हो गयी है। अगर हम घर नहीं पहुंचे तो सारे परेशान हो जायेगे। इसपे करन ने भी हां कहते हुए कहा - बाकि जगह कल देखेंगे अभी चलते है। शिवाय जो सावी को देख रहा था , उसे सावी कुछ अजीब लगी , लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और सबके साथ बहार जाने लगा। सावी जो सबसे पीछे थी उसके चेहरे पर एक रहस्यमहि मुस्कान थी , जब सावी चल रही थी तब उसके साथ - साथ कोई और भी चल रहा था , जो किसी को नज़र नहीं आया। आखिर कौन है सावी के पीछे ?
क्या शिवाय को पता चलेगा सावी के गायब होने का कारण ?
जानने के लिए पढ़ते रहे -"एकजा"