Aansu Pashyataap ke - 7 in Hindi Moral Stories by Deepak Singh books and stories PDF | आंसु पश्चाताप के - भाग 7

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आंसु पश्चाताप के - भाग 7

आंसु पश्चाताप के, भाग 7


तुम जो कर रहे हो उसका परिणाम तुम्हारे सामने आयेगा , मेरा क्या बिगड़ेगा - क्यों ज्योती ?
हाँ जीजा जी चलीये हम यहाँ से चलते हैं ।
ऊंचे स्वर में प्रकाश बोला . . . नही ज्योती तुम कहीं नहीं जाओगी . . .
प्रकाश अब तुम्हें जो करना है खुले दिल से करना मैं जा रही हूँ , तुम यह समझ लेना कि तुम्हारी जिंदगी में ज्योती एक सपना बनकर आई थी जो आंख खुलते ही आंखों से ओझल हो गई ,
नहीं ज्योती तुम इतना कठोर मत बनो हम दोनों पति-पत्नी हैं , इस जालिम ने तुम्हें अपनी झूठी बातों में भरमाया है , प्रकाश ज्योती का हाथ पकड़ कर कहने लगा ।
ज्योती ये घर सिर्फ मेरा नहीं तुम्हारा भी है, तुम इसे त्याग कर कहीं नहीं जाओगी . . .
आज तक मैं इस घर को अपना घर समझ रही थी लेकिन आज से इस घर से मेरा कोई वास्ता नहीं है और ना ही इस घर के लोगों से समझें , इतना कहने के बाद वह नग्न की गाड़ी में बैठ गयी और नग्न मुस्कुराते हुए ड्राइविंग सीट पर बैठ गया, और ज्योती को अपने साथ गाड़ी में बैठाकर चल दीया ।
गाड़ी में बैठी ज्योती को प्रकाश तब तक निहारता रहा जब तक गाड़ी उसकी आंखों से ओझल नहीं हुई ।

ज्योती प्रकाश को छोड़कर चली गई वह गमगीन होकर बैठ गया , प्रकाश से उसकी माँ बोली बेटा इस तरह हिम्मत नहीं हारते , बहु गुस्से में थी इसलिये मैं भी उसे नहीं रोक सकी . . . कुछ दिनों ज्योती का गुस्सा कम हो जायेगा तो हम ऊसको समझा कर घर वापस लायेंगे ।

समय गुजरता गया दिन बीत गये और प्रकाश अन्दर ही अन्दर टूटने लगा , फिर क्या एक शाम प्रकाश अपने घर में दाखिल हुआ. . . उसके होठों पर एक अजीब सा गीत उभर कर आया ।

गीत

" जिसने जलाया चिराग घर में , उसने बुझा दिया ।
जगते हुये रौशन घर को , अधेरों में डुबा दिया ।
जिसने जलाया चिराग घर में, उसने बुझा दिया ।
एक मोड़ पर मुझे छोड़ कर मुझसे कोई चल दिया मुंह मोड़ कर ।।
मुड़के न देखा जाते कभी - आवाज दी मैने तभी ।
यु न जाओं रूठ कर मेरे दिल को तोड़ कर ।।
जिसको था मैने दिल दिया उसने मुझे ठुकरा दिया ।
जगते हुए रौशन घर को अंधेरो में डुबा दिया ।।
जिसने जलाया चिराग घर में उसने उसे बुझा दिया ।
मैं बार - बार कहता रहाँ आगे ही वह बढ़ता रहाँ ।
ओ बेरहम तुझे क्या मिला दिल किसी का तोड़ कर , चल दिया मझदार में यूँ तड़पता छोड़कर ।।
जिसको हंसाया हरदम मैंने, उसने मुझे रुला दिया ।।
जगते हुवे रौशन घर को अंधेरों में डुवा दिया ।
जगते हुये रौशन घर को . . . अंधेरो में उसने डुबा दिया ।

गीत समाप्त होते ही उसकी आंखें भर गई ।

इतना उदास नहीं होते प्रकाश पति - पत्नी में अक्सर झगड़ा होता है , आज नहीं तो कल वह तुम्हारी जुदाई का गम बर्दाश्त नहीं कर पायेगी , उसे उसकी गलती का एहसास हो जायेगा फिर से तुम दोनों एक हो जाओगे . . .
अब चलो खाना खा लो भूख लगी होगी ।
माँ ज्योती मुझ पर शक करती है और शक का कोई इलाज नहीं होता , अब वह नहीं आयेगी , वहाँ उसके क्रोध अग्नि में नग्न घी डालकर और भड़काता रहेगा ।

इधर क्या बताऊं पिताजी सारा दोस प्रकाश का है , क्योंकि प्रकाश अब वह प्रकाश नहीं रहा उसकी करतूतों को आपसे कहने में भी शर्म आ रही है । वह अपने चरित्र से बहुत नीचे गिर चुका है , अगर ज्योती की जगह कोई और लड़की होती तो उसे बहुत पहले छोड़ देती ।
क्या करूं नग्न हमने प्रकाश को बहुत समझाया लेकिन वह कमबख्त मेरी एक नही सुना उल्टे मेरे को समझाने लगा ।
पिताजी अब दुबारा ज्योती को उस घर में जाना ठीक नहीं होगा - उससे तलाक लेने में ही ज्योती की भलाई है ।
नहीं - नहीं यह तुम क्या कह रहे हो ? इतनी जल्दी हम उससे रिश्ता नहीं तोड़ सकते अक्सर पति - पत्नी में झगड़ा होता है , इसका मतलब यह नहीं कि वो रिश्ता तोड़ ले , हमारा काम उन दोनों को दूर करना नहीं बल्कि दोनों को समझा कर करीब लाना है , जिससे वह दोनों एक हो जाये और फिर से दोनों प्यार और विश्वास के साथ एक दूसरे के साथ रहे ।
हाँ पापा यह तो आप सही कह रहे हैं मगर . . .
सुनो नग्न अगर मगर कुछ नहीं हमारा दायित्व है , ज्योती और प्रकाश को समझा कर एक करना . . .

अभी ज्योती को मायके में कुछ ही दिन हुआ कि अचानक उसे उल्टियां होने लगी . . .
यह देखकर ज्योती की माँ घबरा गई ।
क्या क्या हुआ बेटी ?
कुछ नहीं - बस चक्कर आ रहा है,
ज्योती की माँ समझ गई और उसे एक महिला डाक्टर के पास लेगई ,
डाँक्टर चेकअप करने के बाद उसकी माँ से मुस्कुरा कर बोली , आपकी बेटी माँ बनने वाली है ।
डाँक्टर के मुंह से यह सुनकर ज्योती की माँ प्रसन्न हो गई लेकिन ज्योती के चेहरे का रंग फीका पड़ गया ।

मैं प्रकाश के बच्चे की माँ बनने वाली हूँ , ऐसा नहीं होगा , मैं प्रकाश के बच्चे की माँ नहीं बन सकती . . . लेकिन बेटा तो मेरा भी है मैं अपने बच्चे पर प्रकाश का छाया तक नहीं पड़ने दूंगी . . .
क्या सोच रही हो ज्योती ?
डाँक्टर की आवाज सुनते ही उसकी खोई चेतना टूट गई . . .
चिंता करने की कोई बात नहीं आप समय से चेकअप कराते रहना और अपने शेहत पर विशेष ध्यान देना ऐसा कुछ मत करना जिससे आपके आने वाले बच्चे के शेहत पर कोई असर पड़े ।
डाँक्टर मैं वह सब कुछ करूंगी जो एक माँ बनने वाली औरत को करना चाहिए ।
ज्योती अपनी माँ के साथ घर वापस आई ।

जब नग्न को यह पता चला कि ज्योती माँ बनने वाली है , वह असमंजस में पड़ गया ।
नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगा अगर ज्योती प्रकाश के बच्चे को जन्म देगी तो मेरा रचा षड्यंत्र उल्टा पड़ जायेगा ।
इसी सोच के साथ वह ज्योती के पास पहुंचा ।
" नमस्ते जीजा जी ,
नमस्ते ज्योती कैसी हो ?
ठीक हूँ , जीजा जी , आप कैसे हैं ?
मैं भी ठीक हूँ - हमें तुमसे एक बात करनी है ,
हाँ जीजा जी कहिये ।
किरन बता रही थी कि तुम माँ बनने वाली हो ,
हाँ जीजाजी आपने ठीक सुना मैं माँ बनने वाली हूँ ,
लेकिन यह बच्चा तो प्रकाश का है ,
आप कहना क्या चाहते हैं ?
मेरा कहने का मतलब यह है कि बच्चा तो प्रकाश का भी है और प्रकाश से कोई रिश्ता नहीं तो इस बच्चे को जन्म क्यों दोगी , तुम तो जानती हो बच्चों का नाम उनके बाप के नाम से जाना जाता है इसलिये कह रहा हूँ , इस बच्चे को जन्म मत दो अबॉर्शन करा लो . . .
नहीं जीजा जी शायद आप यह भूल गये , कि मैं इस बच्चे की माँ हूँ और मैं अपने बच्चे के बारे में कभी यह नहीं सोच सकती . . .

महीने दर महीने गुजरते गये , ज्योती को समय से प्रसव के लिये एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया , जहाँ प्रसव पीड़ा के बाद उसने एक सुन्दर बालक को जन्म दि . . .
ज्योती की माँ काफी खुश थी , नर्सिंग होम में उनके तमाम रिश्तेदार व दोस्त आकर मिले और बच्चे को दिर्धायु होने का आशीर्वाद दिये . . .
ज्योती अपने बच्चे को देखकर काफी प्रसन्न थी लेकिन प्रकाश का ख्याल आते ही वह भावुक हो गई. . .
नहीं मैं अपने बच्चे पर प्रकाश का छाया भी नहीं पड़ने दूंगी ।
धर्मदास नाना बन गये घर में खुशियों का माहौल था ।

जब प्रकाश को खबर मिली कि वह पापा बन गया यह खबर सुनते ही वह प्रसन्न हो गया और अपनी माँ का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया और प्रफुल्लित मन से अपने बच्चे को देखने ज्योती के घर पहुंचा ।

अपने दामाद को अपने दरवाजे पर देखकर सेठ धर्मदास प्रसन्न हुवे ।
प्रकाश उनका चरण स्पर्श कर बोला , पापा ज्योती और मेरा बेटा कैसे है और कहाँ है ?
ठीक है प्रकाश पहले जलपान करलो फिर अपने बच्चे से मिल लो . . .
नही पापा पहले अपने बेटे को देखेंगे फिर जलपान करेंगे और वह उस कमरे में गया , जहाँ ज्योती अपने बच्चे के साथ थी,
हैलो ज्योती कैसी हो ?
प्रकाश तुम यहाँ क्या करने आये हो ?
ज्योती मैं यहाँ क्या करने आया यह तुम मुझसे पुछ रही हो क्या मैं अपने बेटे को नहीं देख सकता ?
नहीं तुम यहाँ से चले जाओ मैं और मेरे बेटे का तुम्से और तुम्हारे परिवार से कोई मतलब नही है तुम मेरी नजरों से दुर हटो और फिर कभी अपना मनहूस शक्ल मुझे मत दिखाना . . .
ज्योती यह तुम क्या कह रही हो गीला शिकवा खत्म करो जो बीत गया सो बीत गया बुरा सपना समझ कर भुल जाओ . . .
तुम क्या चाहते हो की मैं कुछ कर लु . . . यहाँ से चले जाओ वर्ना मैं वह कर लुंगी जो तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा ,
ठीक है ज्योती मैं जा रहा हूं लेकिन एक बात . . .
सेटअप अगर तुमने एक शब्द भी बोला , मैं अपने बच्चे पर तुम्हारा साया तक नहीं पडने दूंगी समझें ,
ज्योती गुस्से में फिफरने लगी ... प्रकाश चुपचाप वहां से बाहर निकला . . .
प्रकाश को तेज कदमों से घर से बाहर निकलते देखकर सेठ धर्मदास बोले सुनो प्रकाश ...
लेकिन वह बिनां किसी प्रतिउत्तर दियें घर से बाहर निकल गया और अपनी बाईक से चल दिया ।

वह निराश होकर अपने घर वापस आया, प्रकाश को वापस आये देखकर उसकी माँ उत्सुक मन से पूछी . . .
कैसा है मेरा पोता ?
बिल्कुल आपके बेटे जैसा माँ ,
भगवान मेरे पोते को लंबी उम्र दे चलो अब हमें भी लेकर ज्योती के पास चलो , अब हमें भी अपने बहू और पोते को देखना है , मैं बहू को मनाकर घर वापस लाऊंगी ।
नहीं माँ मैं तुम्हें वहाँ नहीं ले जा सकता ।
क्यों - क्यों नहीं ले जा सकते ? कैसे कहूँ माँ - क्या बात है बेटा खुल कर कहो क्यों नहीं ले जा सकते ?
माँ मैने आपसे झूठ बोला , सच तो यह है कि ज्योती ने मुझे मिलने से मना कर दिया और मैं अपने बच्चे को देखे बिना वापस आ गया ।
यह तुम क्या कर रहे हो ?
हाँ माँ मैं अपने बच्चे को देखने के लिये उसके पास गया तो कहने लगी ,
तुम यहाँ क्या करने आये हो ? ज्योती एक बार मुझे अपने बच्चे को देख लेने दो ,
मैं अपने बच्चे पर तुम्हारा साया तक नहीं पड़ने दूंगी चले जाओ यहाँ से , फिर मैं अपने बच्चे को देखे बिना ही चला आया ।
बहू तुम्हारी औलाद को तुम्हे नहीं देखने दी , हे भगवान बहू तो अपनी जिद्द की सारी हदें पार कर दी , कोई बात नहीं भगवान उनका भला करेगा मेरे पोते बहू जहाँ भी रहे , खुश रहे , कुशल रहें यही मेरा आशीर्वाद है उनके लिये ।

धीरे - धीरे दिन गुजर गये महीनों गुजर गये सालों गुजर गये , लेकिन ज्योती के दिल में नफरत ज्यों की त्यों बनी रही ।

अचानक एक दिन प्रकाश की माँ की तबीयत खराब हो गई उनको डाँक्टर के पास ले जाना पड़ा लेकिन दवा खाने के बाद भी उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ , बढती उम्र के साथ दिन पर दिन उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा , वह बहुत कमजोर हो गई , एक दिन वह अन्यास ही चक्कर खाकर गिर पड़ी , फौरन उन्हें अस्पताल में एडमिट कराना पड़ा , कल्पना उनकी देख रेख में बराबर उनके साथ रहती थी लेकिन उनका स्वास्थ्य और बिगड़ने लगा जिससे वह गंभीर अवस्था में पहुंच गई ।
कल्पना - जी माँ जी ,
मैं अपने बहू और पोते को मरने से पहले एक बार देखना चाहती हूँ , मुझे ऐसा आभास हो रहा है कि अब मैं ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहूंगी ।
नहीं माँ जी ऐसा मत कहिये आपको कुछ नहीं होगा . . .
तब तक प्रकाश भी वहाँ आ गया ।
बेटा एक बार मुझे बहू और पोते से मिला दो , मैं उनको एक बार अपनी नजर से देखना चाहती हूँ , मेरी आत्मा कह रही है कि अपने पोते को देखलूं अपने बहू को देखलू , क्या पता आत्मा कब शरीर का साथ छोड़ देगी ।
ऐसा नहीं होगा माँ तुम ठीक हो जाओगी ।
कल्पना प्रकाश से बोली अभी तुम भाभी के पास जाओ और उन्हें किसी तरह मना कर यहाँ लाओ ।
कल्पना तुम तो जानती हो ज्योती अपनी जीद के सामने मेरी एक नहीं सुनेगी ।
तुम एक बार जाकर तो देखो अगर माँ जी को कुछ हो गया तो उनकी आत्मा तड़पती रहेगी ,
इस हाल में मैं माँ को छोड़ कर कैसे जा सकता हूँ ,
मैं हूँ न प्रकाश ,
ठीक है मैं जा रहा हूँ , शायद उसे रहम आ जाये ,
हाँ प्रकाश अब आखिरी वक्त है , नहीं तो जिंदगी भर पश्चाताप रहेगा ,
ठीक है मैं एक बार और प्रयास करता हूँ ,

धर्मदास कई वर्षों बाद अपने दरवाजे पर अपने दमाद को देखकर आश्चर्य हो गये , आओ प्रकाश आओ ,
प्रकाश उनके पैरों को स्पर्श किया - खुश रहो बेटा ,
कहो कैसे हो ?
पिताजी मेरी माँ अस्पताल में मरणासन्न अवस्था में है ,
फिर तुम यहाँ ,
उनकी आखरी इच्छा अपने बहू और पोते से मिलने की है ,
तुम ज्योती को लेने आये हो ?
हाँ पिताजी - ठीक है . . .
धर्मदास ज्योती को बोले . . .
ज्योती बेटी जल्दी से यहाँ आना . . .
ज्योती वहां अपने पति को देखकर आश्चर्य चकित हो गयी . . .
ज्योती बेटी तुमको प्रकाश लेने आया है , इनकी माँ मरणासन्न अवस्था में है वह तुम्हे और बच्चे को देखना चाहती है , तुम प्रकाश के साथ चली जाओ अपनी सांसु माँ से मिल लो . . .