Aansu Pashyataap ke - 5 in Hindi Moral Stories by Deepak Singh books and stories PDF | आंसु पश्चाताप के - भाग 5

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आंसु पश्चाताप के - भाग 5

आंसु पश्चाताप के, भाग 5


इधर सेठ धर्मदास के फोन बजने लगा , वह फोन को अपने कानों से स्पर्श करके बोले - हैलो कौन ?
पापा प्रणाम मैं ज्योती बोल रही हूँ ।
क्या बात है ज्योती तुम इतनी उदास होकर क्यों बोल रही हो ?
क्या बताऊं पापा ?
क्यों अपनी बात अपने पापा से नहीं बताओगी तो किस से बताओगी , बोलो क्या बात है तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ,
हाँ पापा सब ठीक है ,
प्रकाश कैसे है - उनके बारे में क्या बताऊ पापा आप एक रोज के लिए यहाँ आते तो बिन बताये सब कुछ जान जायेंगे ,
मै आपसे कह नहीं सकती . . .
इसका मतलब जरूर कोई बात है बेटी तुम अपना ख्याल रखना, मै कल तुम्हारे यहाँ यहाँ आऊंगा , ठीक है बेटा अब तुम फोन रखो . . .

किसका फोन था जी -
तुम्हारी बेटी का ,
आप बिन बताये फोन रख दिये , क्यों ज्योती ठीक है ,
उसकी बातों से लगा किसी असमंजस में पड़ी है ,
यह आप क्या कह रहे है ,
हाँ जितनी उदास होकर बोल रही थी इससे पहले कभी नहीं थी ,
आखिर क्या बात है क्यों इतनी उदास है ,
घबराने की बात नहीं है , कल मै उसके यहाँ जाऊंगा . . .

अगले दिन धर्मदास ज्योती के घर पहुचे , अपने दरवाजे पर अपने पापा को देखकर ज्योती प्रसन्न हो गई , उनके निकट जाकर उनके पैरों पर नतमस्तक हो गई ।
खुश रहो बेटी कैसी हो ?
ठीक ही समझो पापा ,
वह उनको अपने साथ लेकर ड्राइंग रूम में आई और सोफे पर बैठने का आग्रह की ,
वह आराम से सोफे पर बैठ गये ,
आप बैठो पापा मै आपके लिये चाय लेकर आती हूँ ।
वह किचन में गई और चन्द समय बाद एक प्लेट में कुछ खाने की चीज और एक कप चाय लेकर पुनः ड्राइंग रूम में आई , प्लेट टेबल पर रखकर चाय उनके हाथों में पकड़ा कर बोली , पापा आप चाय पियो ।
चाय का प्याला अपने हाथों में पकड़ कर एक घुट लगाने के बाद धर्मदास पहल किये ,
प्रकाश कहाँ है ?
पापा वह अपने काम पर गये है ,
बैठो बेटी तुम इतनी उदास क्यों हो ?
प्रति उत्तर में वह मौन रही ?
क्या प्रकाश ने तुम्हे कुछ कहा ?
नहीं पापा ,
फिर तुम्हे किस बात का गम है ?
कैसे कहू पापा उनके कदम कही और बहकने लगे है . . .
नहीं बेटी प्रकाश येसा नहीं है , तुम्हे कोई बहम है, मुझे यकीन नहीं हो रहा है . . .
नहीं पापा मै सच कह रही हूँ ,
मै आपसे झूठ नहीं बोल रही हूँ ,
उसके कदम कहा बहकने लगे है ,
एक बिधवा औरत की तरफ ,
कैनसी बिधवा ?
उसका नाम कल्पना है , वह सेक्टर 12 में रहती है और एक फर्टिलाइज़र कंपनी में काम करती है , उसकी एक बच्ची भी है ।
यह तुम क्या कर रही हो ? देखो ज्योती पति और पत्नी का एक दूसरे पर विश्वास होना चाहिये ।
विश्वास करके मैं अपनी भावुकता में बहक गई थी जिसका परिणाम आज मेरे सामने है , मैं नहीं समझ सकी की रस्सी समझ कर साप पकड रही हूँ , आपका भी कहना नहीं मानी इसमें सारा कसूर मेरा खुद का है पापा , उसके बाद वह सिसक कर रोने लगी ।
घबराओ मत बेटी धीरज रखो , मैं प्रकाश को अच्छी तरह समझा दूंगा वह रास्ते पर आ जायेगा ।

घंटे बाद रूम का दरवाजा अन्दर की ओर खीसका , सामने सोफे पर बैठे अपने ससुर सेठ धर्मदास को देखते ही प्रकाश उनके पैरों को स्पर्श किया ।
खुश रहो बेटा - कहो कैसे हो ?
ठीक हूँ पापा . . .
बैठो ' अपने सामने वह बैठने का संकेत किये ,
प्रकाश उनके सामने बैठ गया , पापा आपने कुछ नाश्ता वगैरा किया ।
हाँ बेटा और बताओ तुम्हारा काम कैसा चल रहा है ?
ठीक चल रहा है पापा ,
बहुत बढ़िया शाबास अपने काम में कभी गद्दारी नहीं करना चाहिये कर्म ही पूजा है . . . हाँ पापा . . .
मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ , पापा आप तो खुद समझदार और अनुभवी व्यक्ति हैं , मैं आपको क्या जानकारी दे सकता हूँ ,
सुनो तुम पढ़े लिखे नौजवान हो तुम्हारे कंधे पर घर गृहस्थी का भार है , समाज में भी अच्छा मान - सम्मान है और मेरा भी जो है वह समझो तुम ही लोगों का है ,
ज्योती और किरन के अलावा दूसरा कौन है , इतना समझदार होकर तुम ऐसी गलती क्यों कर रहे हो ?
प्रकाश को सब कुछ आभास हो गया ।
कौन सी गलती , कैसी गलती ?
इसका तुम्हें खुद व खुद एहसास होगा , अकलमंद को इशारा ही काफी होता है ।
आप कहना क्या चाहते हैं ?
बेटा तुम किसी पराई औरत से ना मिला करो , इश्क अंधा होता है इश्क में पड़कर अच्छे - अच्छे बर्बाद हो जाते हैं . . .
वस पापा वस बहुत हो गया आप भी हमें वही समझ लिये जो आपकी बेटी समझती है ,
बताओ कल्पना तुम्हारी क्या लगती है , क्यों तुम उसके आगोश में चले जा रहे हो , क्या कमी है ज्योती में ?
पापा ज्योती सत्य से परे हटकर भ्रमित रही है , जिसको मैं बहन समझता हूँ , उसी पर शक करती है ।
आखिर क्यों ? सब कुछ मिल सकता है बेटा परन्तु खोया हुआ चरित्र कभी नहीं मिल सकता ।
इसका मतलब मैं चरित्रहीन हूँ , पापा भगवान के लिये आप मेरे चरित्र पर दाग मत लगाइये, आप भी वही राग अलाप रहे हैं जो आपकी बेटी ।
नहीं बेटा तुम्हें समझा रहा हूँ ।
पापा आप ज्योती को समझाइये जो अपनी गलत भावनाओं का शिकार बनती जा रही है , मुझे नहीं मैं अपनी जगह ठीक हूँ ।

धर्मदास काफी तर्क वितर्क देकर अपने घर वापस चले गये ।
समय गुजरता गया दिन बीते गये परन्तु उन दोनों के अंतराल प्रेम खटास बढ़ती गई ।

माँ एक ऊची चीख के साथ निकी छत की सीढ़ी से फिसल कर फर्श पर गिरी , फर्श गिरने से उसका माथा फट गया और उसके माथे से खून गिरने लगा ।
किचन से जब तक कल्पना उसके पास पहुंची तब तक वह बेहोश हो चुकी थी , उसका माथा फटने से लाल रक्त रिसकर फर्श पर फैलने लगा जिसको देखकर कल्पना अवाक रह गई , वह घर से बाहर निकली और अपने पड़ोसी हैदर को बताई , निकी सीढ़ियों से गिर कर बेहोश हो गई है . . .
उसका पड़ोसी दौड़कर घर में आया और बच्ची को गोद में लेकर कल्पना के साथ घर से बाहर निकला और आनन फानन में उसे लेकर दोनों हॉस्पिटल पहुंचे , जहाँ डाक्टर ने उसका तुरन्त उपचार शुरु किया, बच्ची का काफी खून बह चुका है , इसे खून की जरूरत है अगर खून नही मिला तो इसकी जान भी जा सकती है , इतना बोलकर डॉक्टर अपने केबिन में चला गया ।

प्रकाश भैया - प्रकाश भैया . . .
मोती की आवाज सुनकर प्रकाश रुक गया ,
क्या बात है मोती ?
नीकी छत की सीढ़ी से फिसल कर गिर गई जिससे उसका सिर फट गया , चोट भी काफी आई है ,
अभी निकी कहाँ है ? उसको कल्पना और हैदर हॉस्पिटल ले गये है ।

प्रकाश भी कुछ देर में हॉस्पिटल पहुंच गया . . .
सारी मैडम हम आपका ब्लड नहीं ले सकते . . .
आप मेरा चेक करो लाइब्रेरी में प्रकाश को देखकर कल्पना अस्तब्ध हो गई , प्रकाश का ब्लड चेक करने के बाद कम्पाउंडर मुस्कुराते हुवे बोला ओके है , सर चलो जल्दी करो , प्रकाश का ब्लड डोनेट करने के बाद निकी को ब्लड दिया गया , धीरे धीरे रिस रिस कर ब्लड निकी के नसों में प्रवेश करने लगा , कुछ पल बाद निकी ने आंखें खोली जिसको देखकर सभी प्रसन्न हो गये ।

नमस्ते भाभी जी ,
आओ मोना आओ बड़े दिनों के बाद तुम मेरे घर आई हो , कहीं और चली गई थी क्या ?
कहीं गई नहीं थी हफ्तों से मेरी तबीयत खराब चल रही है ,
तुम्हें क्या हो गया ?
टाइफाइड . . .
इसलिये तुम इतनी कमजोर दिख रही हो, किसी अच्छे डॉक्टर से अपना इलाज कराओ ...